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Wednesday, May 4, 2011

सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ा रहा धज्जियां तहसीलदार बहोरीबंद

प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल ( सिहोरा //टाइम्स ऑफ क्राइम )
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
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सिहोरा । केन्द्र सरकार ने 10 अक्टूबर 2005 को संसद में सूचना का अधिकार को कानून का अधिकार दर्जा दे दिया है, किन्तु भारत वर्ष के किसी भी केन्द्रीय तथा राज्य सरकार के कार्यालयों में इसका पालन उस ढंग से नही हो रहा है, जिसकी उम्मीद थी। आज भी अधिकारी जनता द्वारा जानकारी तांगे जाने पर या तो जानकारी अपूर्ण या उसके सामने कायदे कानून का इतना झमेला खडा़ कर देते हैं, कि जानकारी मांगने वाला इसकी हिम्मत नहीं जुटा पाता। जिसके कारण शासकीय कार्यालयों में अधिकारी, कर्मचारियों की मनमानी ढर्रा चल रहा है। यदि इसक शीघ्र नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। और फिर कोई अन्ना हजारे जैसे लोग आन्दोलन छेडऩे के लिए बाध्य होंगे। उल्लेखनीय है कि सूचना अधिकार क तहत जानकारी मांगने हेतु आवेदक मनोज तिवारी ने एक आवेदन पत्र तहसीलदार बहोरीबंद को प्रेषित कर और गरीबी रेखा के अंतर्गत 2008 में नये नामों को जोड़ा गया थ। अत: आदेश की कॉपी माँगी गई थी। किन्तु उन्होंने उक्त आदेश की कॉपी नहीं दी, बल्कि आवेदक को बार बार पेशी दी गई, जिस कारण आवेदक जानकारी के लिए तहसीलदार बहोरीबंद के कार्यालय के चक्कर लगाते लगाते हताश हो गया। गौरतलब है कि इस प्रकार अधिकारी सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियों किस तरह उड़ा रहे है यह बात किसी से छिपी नहीं है। जिला प्रशासन इस ओर भी ध्यान दे। यह जनता ने मांग की है।

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