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Thursday, June 23, 2011

ग्राम पंचायत गांधीगंज के भ्रष्ट सचिव को पहुंचाओं जेल की सलाखों के पीछे

जिला प्रतिनिधि// अहसान अंसारी (कटनी// टाइम्स ऑफ क्राइम)
जिला प्रतिनिधि से संपर्क:- 9926393786
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सिहोरा जिला जबलपुर की ग्राम पंचायत गांधीगंज में शासन की योजनाओं में भ्रष्टाचार का पलीता लगाकर सचिव एवं सरपंच कर रहे है लाखों का घोटाला एवं हो रही है उनकी ऐश और भूखों मर रहे है गरीब मजदूर, ज्ञात हो कि सचिव सरपंच के द्वारा मनरेगा के तहत 52 फर्जी नाम जोडक़र सचिव द्वारा बिना मजदूरी कराये 52 हितग्राहियों की पेमेंट विगत कुछ वर्षों से सरपंच एवं सचिव की जेब में जा रही है। चौकाने वाला तथ्य ये है कि वे 52 हितग्राहियों को भी नहीं मालूम कि वे मनरेगा एवं अन्य योजनाओं में शामिल है। ये कार्य वर्षों से गुपचुप तरीके से फर्जी नाम जोडक़र बैंक की मिली भगत से किया जा रहा था। गांववासियों ने बताया कि जिन 52 लोगों के नाम दर्ज है। वे कभी काम पर नहीं जाते और न मजदूरी लेने जाते है। इनका सारा पैसा सचिव अपनी जेब मे रख लेता है। शासन द्वारा निर्धारित 122/- प्रति मजदूर के स्थान पर महिलाओं को 70/-पुरूषों को 80 रू. दिया जाता है। ग्राम कोटवार स्वर्गीय दालचंद के लडक़े मनोज तीन-तीन योजनाओं में हाजिरी लगी।
ये है अमीर मजदूर
1. कुसुम बाई पटेल जो कि मझौली जनपद सदस्य है उनके लडक़े टीकाराम भी मजदूर है।
2. राममिलन जो कि पंच है। उनकी पत्नी सुशीला का नाम गरीब मजदूरों की लिस्ट में है।
3.सुभाष कोरी मेट है, उसकी पत्नी उर्मिला मजदूर है।
4. श्याम सुन्दर मेट है, उसकी पत्नी छोटी भी फर्जी मजदूर है।
5. रिटायर्ड आर.आई के बेटा बहू भी फर्जी मजदूर बने है।
6. राजेश कोरी जो कि मेट है उनकी पत्नी भी मजदूर है।
7. राम मिलन दाहिया ग्राम कोटवार की पत्नी भी मजदूरी करती है
इनके नाम पर यह कुंआ सेक्शन हैं। अपने ही सेक्शन हुए कुंए खोदने में ये मजदूरी करती है। कहने का मतलब है कि सचिव की कृपा से गांव के अमीर लोग मजदूरों का चोला पहन कर वास्तविक मजदूर के हक पर डाका डाल रहे है और वास्तविक मजदूर भूखों मरने को मजबूर है। वास्तविक मजदूर को निर्धारित 100 दिन काम के स्थान पर 20-25 दिन काम दिया जाता है। काम न होने का बहाना बनाया जाता है। और अपने चहेतों एवं फर्जी लोगों को 100 दिन के स्थान पर 150 से लेकर 200 दिन का कार्य दिया जाता है। इस प्रकार सरपंच एवं सचिव जेब भरती चली जाती है, एवं मजदूर आत्म हत्या के लिए मजबूर हो जाता है, और कई मजदूरों की तो काम करवाने के बाद पेमेन्ट तक नहीं बॉटी है। सरपंच सचिव ने मिलकर कभी खाता खुलवाने के नाम पर, तो कभी हाजिरी लगवाने के नाम पर, तो कभी शमशान घाट रोड निर्माण के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया एवं लाखों के बारे न्यारे किये। ऐसे सरपंच एवं सचिव की सही जगह जेल है।

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