उन्होंने आरोप लगाया कि यह घपला 2002 से 2008 के बीच में किया गया है। जिसमें मुख्य रूप से राजस्व और रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी और दलाल शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुनर्वास प्रोजेक्ट को प्रभावित करने के लिए फर्जी तरीके से जमीन को खरीदा गया और रजिस्ट्री कराई गई है। इनके साथ हुई धोखाधड़ी मेघा पाटकर ने बड़वानी के कैल्या आदिवासी और खरगोन के विजय जाट और चार अन्य का उदाहरण भी दिया। इन चारों ने पत्रकारों को बताया कि कुछ कागजों पर उनके अगूंठे के निशान लगवाने के बाद 30 हजार से 50 हजार रुपए दिए गए। इसके बाद पैसे देने वाले नहीं दिखाई दिए। ऐसी धोखाधड़ी खरगोन, बड़वानी, धार, देवास समेत आठ जिलों में की गई। पाटकर ने आरोप लगाया कि ऐसे करीब 3 हजार फर्जी केस पाए गए हैं। नर्मदा घाटी विकास मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर जस्टिस एसएस झा आयोग का गठन किया है। आयोग इस मामले की जांच कर रहा है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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