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Wednesday, July 20, 2011

आंगन बाड़ी केन्द्रों में अनियमितताएं

ब्यूरो प्रमुख // राजेश रजक (सागर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94065 56846
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सागर . शासन द्वारा नौनिहाल बच्चों गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं तथा बालिकाओं के विकास एवं उनको पर्याप्त लाभ दिलाने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से अनेक लाभकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। परन्तु आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ताओं एवं सुपरवाइजरों की मिली भगत के कारण योजनाएं महज कागजों में ही सिमट कर रह गई है। ब्लॉक में संचालित लगभग 160 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र कार्यकत्ताओं की मनमर्जी एवं लापरवाही से संचालित किए जा रहे है। कई आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति अधिक चिंताजनक दिखाई देती है। लेकिन सुपरवाइजर एवं अधिकारियों की मिलीभगत से नौनिहाल बच्चों, महिलाओं एवं बालिकाओं को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
केन्द्रों में हो रही खाना पूर्ति
योजना में खर्च होने वाली राशि का विभागीय अधिकारी कर्मचारियों द्वारा बंदरबाट किया जा रहा है। अधिकतर केन्द्रों में जहां ताला लगा रहता है। वहीं केन्द्र महल कागजी खानापूर्ति में ही संचालित किए जा रहे है। बच्चों की फर्जी उपस्थिति डालकर बच्चों के हक पर डाका डाला जा रहा है। नगरवासियों एवं ग्रामवासियों द्वारा कई बार केन्द्रों की स्थिति सुधारने एवं कार्यकत्ताओं की मनमानी पर रोक लगाने की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की जा चुकी है। इसके बाद भी केन्द्रों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
शासन की मंशानुसार योजना का लाभ संबंधितों को नहीं मिल पा रहा है
शिकायतों के बाद भी न ता प्रशासन जागा न ही अधिकारी। नहीं मिलता सुविधाओं का लाभ नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केन्द्र मनमाने ढंग से चलाए जा रहे है। साथ ही पोषण आहार एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए आने वाली राशि का निजी उपयोग किया जा रहास है। क्षेत्र में संचालित केन्द्रों में पोषण आहार वितरण, साँझा चूल्हा कार्यक्रम गोद भराई रस्म, मंगल दिवस, वजन मेला, जन्मोत्सव, टीकाकरएा, गर्भवती महिलाओं की जांच, स्वास्थ्य लाभ आदि कार्यक्रम केन्द्रों की कार्यकत्ताओं, सुपरवाईजरों एवं अधिकारियों की मनमानी के भेट चढ़ता दिखाई दे रहा है। शासन द्वारा जिन उद्देश्य से ये केन्द्र खोले गए है। उस उद्देश्यों की बिंदुसार जानकारी खुद आंगनबाड़ी केन्द्रों की महल आमदनी का जरिया बने हुए है।
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* सुपरवाईजर भी केन्द्रों पर जाते दिखाई नहीं देते व कागजों पर निरीक्षण कार्य दर्शाते है।
* अधिकांश केन्द्रों में न तो बच्चे दिखते है औरा न ही कार्यकत्र्ता।
* अनेक केन्द्रों में बच्चें को पोषण आहार वितरित नहीं किया जा रहा एवं केन्द्र समय पर नहीं खुलते तथा बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को शासन की लाभकारी योजनाओं से वंचित किया जा रहा है।

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