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Thursday, July 28, 2011

'सरकार का लोकपाल बिल जनता से एक मजाक है'

लोकपाल बिल मसौदे को मंजूरी, पीएम, जज दायरे में नहीं

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए लोकपाल बिल के मसौदे को टीम अन्ना ने नामंजूर करते हुए कहा है कि यह देश की जनता के साथ किया गया क्रूर मजाक है। टीम अन्ना ने कहा है कि सरकार के इस बिल का कोई मतलब नहीं रह गया है और अब उसके सामने आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं रह गया है।

समाज सेवी अन्ना हजारे की टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार लोकपाल के मसले पर देश की जनता को गुमराह कर रही है। जनलोकपाल में जो उपयोगी और जरूरी प्रावधान थे उन्हें इस सरकारी मसौदे में शामिल नहीं किया गया है। टीम अन्ना ने कहा कि यह लोकपाल नहीं बल्कि जोकपाल है।

प्रशांत भूषण ने कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल की जांच के दायरे से बाहर रखकर इसकी मूल भावना को ही समाप्त कर दिया गया है। किरण बेदी ने कहा कि इस बिल का बुरा असर उन राज्यों पर भी पड़ेगा जो लोकपाल की संस्था अपने यहां भी गठित करना चाहते हैं। इन राज्यों की सरकारें मुख्यमंत्री को लोकापाल के दायरे से बाहर रखना चाहेंगी।

केजरीवाल ने कहा कि सरकार द्वारा मंजूर किए गए इस मसौदे में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है। लोकपाल बिल के नाम पर यह देशवासियों के साथ किया गया धोखा है।

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