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Wednesday, July 20, 2011

वासना की आग में गवाई जान

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‘‘कोई शादीशुदा महिला जब अपनी कामवासना करने के लिए पराये मर्द का सहारा लेती है तो उसका अंजाम बहुत बुरा होता है। प्रस्तुत घटना में भी ज्ञानवती नामक महिला ने अपने पति ओमप्रकाश को छोड़ नंदू यादव को अपना जिस्म परोसा, किंतु नंदू ने जब तक उस का जी चाहा उसके साथ मजे किए। बाद में ज्ञानवती को मौत के घाट उतार दिया।’’

नंदू यादव शरीर से हट्टा-कट्टा नौजवान था और ज्ञानवती भी ओमप्रकाश के पिता के घर से जाने के बाद अकेले ही घर पर रहती थी। एक दिन पूरा पूरिवार खेतों पर गया था, तभी नंदू दूध देने घर आ गया। आवाज देने पर कोई न निकला तो वह अंदर चला गया जहां पर उसने देखा कि ज्ञानवती नहा रही थी। ज्ञानवती के गोल-मोल शरीर को देखता ही रह गया और बोला, बस करो ज्यादा नहीं नहाओ नहीं तो मेरी नीयत बिगड़ जाएगी।

नंदू के मुंह से यह बात सुनकर ज्ञानवती ने जवाब दिया अगर बिगड़ भी जाएगी तो क्या कर लोगे। इतना सुनते ही नंदू ने उसी समय ज्ञानवती को पकडक़र पास पड़ी चारपाई पर पटक दिया और फिर दोनों के बीच कामवासना का खेल शुरू हो गया। नागपुर//एस. तिवारी शिवली थाने की बागपुर चौकी गांव से लगभग 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। जहां इकबाल अली शाह, दिनेश गुप्ता एवं नवीन पंडित पहुंचे।

इन सभी के साथ गांव वालों को देखकर बागपुर चौकी इंचार्ज श्रीकांत सिंह चौंक पड़े। उन्होंने भीड़ से वहां आने का कारण पूछा तब इकबाल अली शाह ने सबका परिचय कराते हुए बताया कि हम लोग गांव में अपने मित्र से मिलने आये थे कि हमें पता चला कि खेतों के बीच में बनी नाली में एक औरत की लाश पड़ी है और उसका मुंह कीचड़ के अंदर होने से लाश की पहचान नहीं हो पाई थी। हत्या की खबर सुनते ही बागपुर चौकी इंचार्ज श्रीकांत सिंह ने तुरंत शिवली थाना एवं सी.ओ. श्री अरूण कुमार दीक्षित को घटना से अवगत कराया।

अधिकारियों द्वारा आदेश प्राप्त होने के बाद चौंक इंचार्ज अपने साथ चौकी के सिपाहियों को साथ लेकर गांव वालों के साथ घटनास्थल पहुंचे। लगभग एक घंटे के बाद घटनास्थल पर शिवली थाना इंचार्ज सी.ओ. अरूण कुमार दीक्षित मौके पर पहुंचे तो देखा कि एक और का सारा शरीर पानी से बाहर है और उसका मुंह कीचड़ से में घुसा हुआ है, और उसके बाल भी बाहर है।

देखने से यही ज्ञात होता था कि उस औरत को वहीं पर गिराकर उसकी हत्या की गई है परंतु शरीर पर कोई भी चोट का निशान नहीं था। पुलिस ने गांव वालों की मदद से उस औरत को सीधा किया और पानी से उसका मुंह धुलवाते ही सभी गांव वाले उसे देखकर चौंक पड़े क्योंकि वह उसी गांव की थी। तभी कुछ गांव वाले दौडक़र ओमप्रकाश को बुलाकर वहां ले आए और उसके द्वारा उक्त लाश की पहचान अपनी पत्नी ज्ञानवती के रूप में की गई।

लाश की पहचान होने के बाद पुलिस ने लाश का पंचनामा करवाकर उसे पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। ओमप्रकाश को बंदी बनाकर शिवली थाने में अपराध सं. 244/05 के अंतर्गत धारा 302, 201 तथा हरिजन एक्ट के अंतर्गत मुकदमा कायम किया गया। ओमप्रकाश ने पुलिस को बताया कि मेरी पत्नी ज्ञानवती के अवैध संबंध ग्राम दुंदुपुर निवासी नंदू यादव से पिछले दो सालों से थे और आज सुबह मेरी उसी के साथ गई थी। पूछताछ के बाद ही पुलिस ने नंदू यादव को गिरफ्तार कर लिया और नंदू यादव द्वारा इकबाले-जुर्म भी कर लिया गया। फिर नंदू यादव से जो जानकारी प्राप्त की गई वह इस प्रकार से है। शिवली से संबंधित चौकी बागपुर के अंतर्गत दुंदुपुर गांव पड़ता है। यह गांव दो भागों में बंटा हुआ है।

इस गांव के एक भाग में अधिकांश छोटी जाति के लोग रहते हैं और दूसरे भाग में ऊंची जाति के लोग रहते हैं और दोनों बीच की दूरी तक कि.मी. है। दुंदपुर के एक भाग में देवीचरण का परिवार रहता है। देवीचरण के परिवार में उसकी पत्नी एवं एक पुत्र ओमप्रकाश तथा एक पुत्री रामश्री है। देवीचरण गांव में खेतीबाड़ी करके अपने परिवार का पालन करते हैं। देवीचरण ने अपनी बड़ी पुत्री रामश्री का विवाह शिवली क्षेत्र में श्रीकांत के साथ कर दिया। उस समय ओमप्रकाश भी शादी के योग्य हो गया। तभी कानपुर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के निवासी गेंदालाल अपनी पुत्री ज्ञानवती की शादी हेतु ओमप्रकाश के पास आया और उसने ज्ञानवती की पहली शादी व उसके होने वाली एक पुत्री के बारे में ओमप्रकाश को कुछ भी नहीं बताया। वैसे ज्ञानवती देखने में काफी सुंदर थी उसका रंग गोरा और नैन-नक्श काफी तीखे थे। उसे देखकर कोई भी उसे एक बच्चे की मां नहीं कह सकता था।

देवीचरण ने अपने पुत्र ओमप्रकाश का विवाह ज्ञानवती के साथ कर दिया। ज्ञानवती का प्रथम विवाह बिठूर में हुआ था। वहां पर ज्ञानवती के अवैध संबंध किसी अन्य व्यक्ति के साथ होने के कारण उसके पति ने आत्महत्या कर ली थी उस समय ज्ञानवती के पेट में 7 माह का बच्चा था। पति के मरने के बाद उसके ससुराल वालों ने उस पर बदचलन होने का आरोप लगा कर उसे अपने घर से निकाल दिया ज्ञानवती अपने पिता के घर वापस आ गई और वहीं पर उसने एक बच्चे को जन्म दिया। दो वर्ष के बाद उसका विवाह ओमप्रकाश से हो गया।

ओमप्रकाश ज्ञानवती जैसी सुंदर पत्नी पाकर काफी खुश था। कुछ समय बाद ज्ञानवती ने अपनी पहली शादी और बच्चे के बारे में ओमप्रकाश को बता दिया और उसे भी अपने साथ रखने के लिए कहा। ओमप्रकाश एक सीधा-साधा व्यक्ति था उसने ज्ञानवती को हां कर दी। समय गुजरता गया ज्ञानवती ने चार और बच्चों को जन्म दिया। सबसे बड़ी पुत्री सोनी, दूसरी मधु, तीसरी जूली, चौथा लडक़ा राम एवं एक पुत्र था। ज्ञानवती को देखकर अभी भी कोई उसे पांच बच्चों की मां नहीं कह सकता था। इसी कारण से गांव के दूसरे भाग के सियाराम के पुत्र नंदू यादव से उसके अवैध संबंध बन गए। नंदू यादव दूध का काम करता था, और ज्ञानवती भी ओमप्रकाश के पिता के घर से जाने के बाद अकेले ही घर पर रहती थी। एक दिन पूरा परिवार खेतों पर गया था तभी नंदू दूध देने घर आ गया।

आवाज देने पर कोई न निकला तो वह अंदर चला गया, जहां पर उसने देखा कि ज्ञानवती नहा रही थी। ज्ञानवती के गोल-मोल शरीर को देखता ही रह गया और बोला, बस करो ज्यादा नहीं नहाओं नहीं तो मेरी नीयत बिगड़ जाएगी। नंदू के मुंह से यह बात सुनकर ज्ञानवती ने जवाब दिया और बिगड़ भी जाएगी तो क्या कर लोगे। इतना सुनते ही नंदू ने उसी समय ज्ञानवती को पकडक़र पास पड़ी चारपाई पर पटक दिया और फिर दोनों के बीच कामवासना का खेल शुरू हो गया। कुछ समय बाद जब आग ठंडी हो गई तो नंदू जाने लगा तब ज्ञानवती ने पूछा, फिर कब आओगे। नंदू ने कहा जब तुम कहो। ज्ञानवती ने कहा, रात में कोई नहीं रहता। पीछे के रास्ते से आ जाना और फिर उस दिन दोनों के अवैध संबंध फलते-फूलते रहे।

ओमप्रकाश की जब इन संबंधों का पता चला तो ज्ञानवती ने उसे जान से मरवाने की धमकी दे डाली और इसके बाद से वह जानबूझ कर भी अंजान बना रहने लगा गया, यहां तक कि ज्ञानवती एक बार घर छोडक़र नंदू यादव के साथ कानपुर भी गई और काफी दिन वहां पर भी रही। काफी समय बाद ज्ञानवती के दिमाग में आया कि नंदू यादव से शादी करके उसके घर पर ही रहूं ताकि उसकी जायदाद पर भी कब्जा हो जाए।

8 दिसम्बर की रात को नंदू ज्ञानवती के घर पर आया और फिर दोनों ने शराब पी और एक ही बिस्तर पर सोये जबकि ओमप्रकाश बच्चों को लेकर छत पर सोने के लिए चला गया। 9 तारीख की सुबह ज्ञानवती ओमप्रकाश की यह कह कर गई कि वह कानपुर जा रही है और कल तक वापस आएगी। नंदू का यह भी कहना है कि ज्ञानवती मुझ से नहीं मेरी दौलत से प्यार करती थी और पेट में बच्चा होने की धमकी देकर मुझे डरा रही थी इसलिए मैंने उसका काम तमाम कर दिया और मुझे इस बात का कोई दु:ख नहीं है।

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