इनमें बालकृष्ण का कहीं भी नाम नहीं है। लगभग दो घंटे की छानबीन के बाद विश्वविद्यालय ने बालकृष्ण के नाम पर दिखाए गए दोनों दस्तावेजों को फर्जी करार दिया है। सीबीआई के मुताबिक बालकृ्ष्ण ने अपना पासपोर्ट बनवाने के लिए ये दोनों कागजात बरेली पासपोर्ट कार्यालय में दिए थे। साफ है विश्वविद्यालय की ओर से फर्जीवाड़े की पुष्टि के बाद अब बालकृष्ण के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीबीआई को अहम सबूत हाथ लगे हैं। कानूनी तौर पर बालकृष्ण पर शिकंजा कसना तय है लेकिन विश्वविद्यालय की मानें तो ऐसा कर बालकृ्ष्ण ने महापाप किया है। बालकृष्ण की नागरिकता और पासपोर्ट मामले की जांच कर रही सीबीआई ने रामदेव के सहयोगी के विदेश जाने पर भी रोक लगा रखी है। सीबीआई के मुताबिक जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक बालकृष्ण विदेश नहीं जा सकेंगे। गौरतलब है कि बालकृष्ण पर फर्जी पासपोर्ट रखने का आरोप है। सीबीआई को अब उस प्रार्थना पत्र और हलफनामे की तलाश है जो बालकृष्ण की ओर से हरिद्वार नगर पालिका से अपने जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए दिए गए थे। ये दोनों ही कागज नगर पालिका रिकॉर्ड से गायब हैं। सीबीआई की जांच में बालकृष्ण के फर्जीवाड़े की एक एक कड़ी जुड़ती नजर आ रही है। विश्वविद्यालय की जांच के बाद अब योग गुरु बाबा रामदेव को भी समाज को बताना होगा कि काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लडा़ई में जो लोग उनके साथ हैं क्या वो भ्रष्टाचार में शामिल हैं या नहीं? क्या काले धन की लड़ाई फर्जी डिग्री के दम पर लड़ी जा रही है। इस बात का जवाब भी बाबा रामदेव को देना पड़ेगा। |
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Monday, July 25, 2011
बालकृष्ण के प्रमाणपत्र, सीबीआई जांच में फर्जी पाए गए
जिला प्रतिनिधि //रामकिशोर पंवार (बैतूल//टाइम्स ऑफ क्राइम)
जिला प्रतिनिधि से सम्पर्क 93023 02479
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योग गुरु बाबा रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। फर्जी पासपोर्ट मामले में फंसे बालकृष्ण के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। मामले की पड़ताल के लिए जब सीबीआई की एक सदस्यीय टीम वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पहुंची तो यहां बालकृष्ण के फर्जीवाड़े की असलियत सामने आ गई। सीबीआई की जांच में बालकृष्ण का पूर्व मध्यमा यानी हाई स्कूल का सर्टिफिकेट और शास्त्री यानी ग्रेजुएशन की डिग्री फर्जी पाई गई है। विश्वविद्यालय के मुताबिक सीबीआई की तरफ से जो दो दस्तावेज दिखाए गए, वो खुर्जा के राधा कृष्ण संस्कृत महाविद्यालय से जुड़े थे। इनके मुताबिक बालकृष्ण ने 1991 में पूर्व मध्यमा और 1996 में शास्त्री की डिग्री हासिल की थी। लेकिन जब विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से रोल नंबर का मिलान किया गया तो पता चला कि ये सर्टिफिकेट और डिग्री तो किसी और छात्र को दिए गए थे।
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