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Saturday, October 15, 2011

सुख और दुख जीवन के प्रारब्ध में निहित हैं : तनुजा ठाकुर

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भोपाल , व्यक्ति के जीवन के प्रारब्ध के कार्यो से ही जीवन में सुख और दुख निहित हैं। वर्तमान में पारिवारिक उथलपुथल एक महत्वपूर्ण बिंदु पितृदोष का होना भी हैं। उक्त विचार साध्वी चिंतक और विचारक सुश्री तनुजा ठाकुर ने आज भोपाल सेंट्रल जेल के सभागृह में जनसंवेदना द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किये। उन्होने कहा कि पश्चिमी देशों में परिवारों का संगठित नही होना पितृदोष का मूल कारण हैं। भगवान श्री गणेश की दाई और बाई तरफ की सूंड पर अंतर बताते हुए उन्होने कहा कि सबको अपने कुल देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में जेलर रामकृष्ण चौरे, उप जेलर सुभाष सागर, दिनेश कुमार लाड़िया तथा संस्था की ओर से आर.एस.अग्रवाल, प्रमोद नेमा, मनमोहन कुरापा, लोकेश दिक्षीत, ओ.पी.ह्‌यारण,मिथलेश मिश्रा एवं श्रीमती माधुरी मिश्रा ने सुश्री तनुजा ठाकुर को पुष्प गुच्छ भेट कर स्वागत किया।
रविन्द्र भवन भोपाल में शाम छः बजे ''जिज्ञासा जीवन की' विषय पर झारखंड निवासी चिंतक विचारक सुश्री तनुजा ठाकुर द्वारा व्याखयान दिया गया जिसमें प्रमुख विषय थे- पूजा क्यों करना चाहिये। पूजा करते समय मन एकाग्र क्यों नहीं होता ? हमारे घर में जो पूजा घर होता हैं उसकी संरचना कैसे करनी चाहिये ? मूर्ति की पूजा करने के पश्चात उन्हें जल में विसर्जित क्यों करते हें ? आदि कई विषयों पर व्याखयान दियें। इसके पूर्व प्रातः श्री मनोज श्रीवास्तव, आयुक्त, भोपाल द्वारा सुश्री तनुजा ठाकुर का उनके निवास पर सत्कार किया गया। उनके उपरान्त तनुजा जी द्वारा कर्फ्यू वाली माता के मंदिर में पूजा अर्चना की गई।

दोपहर १२० बजे जनसंवेदना संस्था के कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में तनुजा जी ने पत्रकारों एवं आम जन से मुलाकात की जिसमें उन्होंने लोगों के आध्यात्म से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिये।

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