Pages

click new

Saturday, December 17, 2011

अन्ना ने पीएम को पत्र लिखा





Anna wrote to the PMनई दिल्ली। अन्ना ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर एक बार फिर लोकपाल पर किये उनके वादों की याद दिलाई है। उन्होंने कहा है कि अगर लोकपाल इस सत्र में पास नहीं होता है तो वो हर हाल में अनशन करेंगे। उन्होंने लिखा है कि सरकार ने देश के लोगों को धोखा दिया है। ये चिट्ठी चार पेज की है। चिट्ठी के मुताबिक लोकपाल बिल इस सत्र में नहीं पास होने की सूरत में 27 दिसंबर से हर हाल में उनका अनशन होगा और 30 दिसंबर से देशभर में जेल भरोंदोलन।

 दिनांक 17/12/2011

डॉ. मनमोहन सिंह,
प्रधनमंत्री, भारत सरकार ।
दरणीय प्रधनमंत्री जी,
देश भ्रष्टाचार कीग में सुलग रहा हैदमी का जीना मुश्किल हो गया है। लोगों कीमदनी नहीं बढ़ी, लेकिन महंगाई बहुत बढ़ गई है। महंगाई बढ़ने का बहुत बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही है
दुख की बात यह है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हर सरकारज तक टाल-मटोल की राजनीति करती रही। पिछले 42 साल में लोकपाल कानूनठ बार संसद में प्रस्तुत हु, लेकिन पारित नहीं हु। पिछले एक साल में लोकपाल के मुद्दे पर सरकार ने कई वादे किए लेकिन हर बार देश की जनता के साथ धेखा हु
1. 5 अप्रैल को जब मैं अनशन पर बैठा तो सरकार ने लोकपाल बिल ड्राफ्रट करने के लिए संयुक्त समिति बनाई जिसमें पांच हमारे सदस्य थे और पांच सरकार की तरपफ से थे। हमें बहुत उम्मीद थी कि ये समिति एक अच्छा लोकपाल बिल बनाएगी लेकिन सरकार की मंशा साफ नहीं थी। संयुक्त समिति में सरकार ने हमारे सभी प्रमुख सुझाव नामंजूर कर दिए। संयुक्त समिति से दो बिल निकले- एक हमारा और एक सरकार का। निर्णय हुकि दोनों बिल कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाएंगे, लेकिन यहां भी सरकार ने धेखा दिया। कैबिनेट के सामने सरकार ने केवल अपना बिल रखा। अगर सरकार को हमारी बातें ही नहीं माननी थी, खुद ही बिल बनाना था और अपना ही बिल पारित करना था तो ये संयुक्त समिति बनाने का ढोंग ही क्यों किया?
2. जुलाई महीने में सरकार बार-बार देश के सामने कहती रही कि वो संसद में एक सशक्त बिल लाएंगे लेकिन जो बिल अगस्त के महीने में संसद में प्रस्तुत किया गया वह भ्रष्टाचार को कम करने की बजाय भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने की बात करता था। देश के साथ फिर धेखा हु
3. 16 अगस्त से इस बिल के खिलापफंदोलन करने के लिए और सशक्त बिल की मांग करने के लिए जब हमंदोलन शुरू करने जा रहे थे, तो हमें गिरफ्तार करके उन्हीं लोगों के साथ जेल में डाल दिया गया, जिनके भ्रष्टाचार के खिलापफ हम लड़ रहे थे। हमारे ऊपररोप था कि हमारे बाहर रहने से देश की शांति भंग होती है। पहले हमें सात दिन के लिए जेल भेजा गया था लेकिन गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद ही हमें छोड़ दिया गया। समझ में नहींया कि यदि हम देश की शांति के लिए खतरा हैं तो ये खतरा अचानक कुछ घंटों में कैसे खत्म हो गया? एक बड़ा प्रश्न ये उठा कि क्या इस देश की सरकार जिसको जब चाहे जेल में डाल दे और जब चाहे रिहा कर दे। क्या देश में कुछ कानून है कि नहीं?
4. जेल से रिहा होने के बाद मैं रामलीला मैदान में अनशन के लिए बैठा। 27 अगस्त को इस देश की पूरी संसद ने यह प्रस्ताव पारित किया कि तीन मुद्दों को उचित व्यवस्था द्वारा लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा- सिटीजन चार्टर, संपूर्ण अपफसरशाही और राज्यों में लोकायुक्तों का गठन। श्री प्रणब मुखर्जी ने इस बारे में दोनों सदनों में बयान भी दिया।पने मुझे पत्रा लिखकर इस प्रस्ताव के बारे में बताया और मुझसे अनशन समाप्त करने के लिए निवेदन किया। इस पर मैनें 28 अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर लिया। इस प्रस्ताव की कॉपी संसद की कार्यवाही समेत स्थायी मिति के अध्यक्ष श्री अभिषेक मनु सिंघवी जी के पास भेजी गई। दुर्भाग्य की बात ये कि श्री अभिषेक मनु सिंघवी जी ने संसद की अवमानना करते हुए संसद के प्रस्ताव में तीन में से दो बिंदुओं को खारिज कर दिया। प्रश्न उठता है कि संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष यदि संसद प्रस्ताव का इस तरह अपमान करेंगे तो हमारे देश में जनतंत्रा का क्या भविष्य रह जाता है? स्थायी समिति की रिपोर्ट देश के साथ एक और धोखा थी।
5. मुझे सबसे बड़ाश्चर्य तब हुजब 13 दिसंबर कोपकी अध्यक्षता में कैबिनेट ने एक अलग सिटीजन चार्टर कानून पारित किया। संसद के प्रस्ताव में तो यह लोकपाल बिल में होना चाहिए था।पने खुद पत्रा लिखकर मुझसे ऐसा कहा था। फिरप खुद अपनी बात से क्यों मुकर गए और अब कहा जा रहा है कि इस सिटीज़न चार्टर बिल को फिर से स्थाई समिति को भेजा जाएगा, फिर से चार महीने लगेंगे। क्यापको नहीं लगता कि देश की जनता के साथ धेखे पे धेखा हो रहा है? सरकार का यह रवैया बिल्कुल ठीक नहीं है
6. पिछले कुछ महीनों मेंपने खुद पत्र लिखकर मुझे कई बारश्वासन दिया कि एक सशक्त लोकपाल बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पास कराया जाएगा।पके भरोसे के मुताबिक हमने अपनी सभींदोलन संबंधी गतिविधियां शीतकालीन सत्र तक के लिए स्थगित कर दीं। अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। क्या यह बिल तब तक पास हो जाएगा? इसमें संदेह नजरता है
7. क्या सरकार एक सशक्त लोकपाल बिल लाएगी? अखबारों में छपी खबरों से निम्नलिखित संदेह उत्पन्न होते है:-
क) हमने सुझाव दिया कि सीबीई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को लोकपाल की जांच एजेंसी बना दिया जाए। सरकार इसके लिए तैयार नजर नहींरही हैज तक हर पार्टी की सरकार ने- चाहे वह बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की- उन्होंने सीबीई का गलत इस्तेमाल किया है
अपनी सरकार को बचाने के लिए राजनैतिक प्रतिद्वंदियों पर झूठेरोप लगाए जाते हैं। अपनी सरकार के भ्रष्टाचारी एवंपराधिक तत्वों को सीबीई के जरिए संरक्षण दिया जाता है। ऐसा लगता है कि सरकार किसी भी हालत में सीबीई से अपना शिकंजा नहीं छोड़ना चाहती। तो क्या लोकपाल के पास जांच करने का अधिकार भी नहीं होगा? तो क्या लोकपाल की अपनी जांच एजेंसी नहीं होगी? बिना जांच एजेंसी का लोकपाल क्या करेगा? इससे तो अच्छा है किप लोकपाल न ही बनाए।
ख) स्थायी समिति द्वारा सुझाई गई लोकपाल की चयन प्रक्रिया भी दूषित है। चयन समिति में राजनेताओं की बहुतायत है, जिनके भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल को जांच करनी है। खोज समिति की संरचना का कोई जि़क्र ही नहीं है। चयन प्रक्रिया का कोई जिक्र नहीं है। यानि की चयन समिति में कुछ नेता बैठकर जिसे चाहे उसे लोकपाल बना देंगे। जाहिर है कि लोकपाल कमजोर और भ्रष्ट होगा। इसके अलावा भी स्थायी समिति की रिपोर्ट में ढेरों कमियां हैप औरपकी सरकार बार-बार सशक्त लोकपाल बिल लाने काश्वासन देते रहे हैं। यदिपके वादे के मुताबिक शीतकालीन सत्र में एक सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावी लोकपाल बिल नहीं पास किया गया तो मुझे 27 दिसंबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने के लिए मज़बूर होना पड़ेगा।
30 दिसंबर से देशभर में जेलभरोंदोलन होगा। जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि इस नेक और जरूरी काम के लिए यदि मेरी जान भी चली जाए तो कोई परवाह नहीं। पर मुझे पूरा यकीन है किप अपने वादों को पूरा करेंगे और इस बार देश की जनता को निराश नहीं करेंगे।
पका भवदीय
अन्ना हजारे

No comments:

Post a Comment