सासंद विधायक निधि सवा लाख रूपए की लागत से बने के पानी के टैंकर ग्रामिणो की नहीं बरातियों की प्याय बुझा रहे बैतूल,(रामकिशोर
पंवार): ताप्तींचल में बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में अपने समय काल
को पूरा होते देख जिले के सासंद एवं विधायको ने दोनो हाथो से जिले की 558
ग्राम पंचायतो एवं नगरीय क्षेत्रो को सवा लाख रूपए की लागत से बने पानी के
टैकंरो के लिए दिल खोल कर सरकारी पैसा लूटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
बैतूल जिले के नगरीय क्षेत्र से लेकर ग्रामिण क्षेत्र के अधिकांश पानी के
टैंकर ग्रामिणो की प्यास बुझाने के बदले बरातियों की प्यास बुझाने के लिए
मनमाने ढंग से वसूले जा रहे किराये पर चल रहे है। जिले में अनेको स्थानो पर
सासंद एवं विधायक निधि से खरीदे गए अनेको पानी के टैंकर तो सरकारी एवं गैर
सरकारी निमार्ण कार्यो के लिए पानी की सप्लाई तक कर रहे है। जानकारो का
ऐसा मानना है कि जिले के कांग्रेसी एवं भाजपाई सासंद एवं विधायको ने अपने
समर्थक नगरीय क्षेत्रो की नगर पालिकाओं एवं परिषदो तथा ग्राम पंचायत को
अपनी सासंद एवं विधायक निधि से पीने के पानी की सप्लाई करने के लिए आवश्क्य
टैंकर उपलब्ध करवाए है उनकी सरकारी दस्तावेजो में लागत सवा लाख रूपए है
लेकिन दरअसल में प्रति टैंकर लागत चालिस हजार रूपए आई है। इतनी बड़ी संख्या
में पानी के टैंकरो के लिए अनुदान देने के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार
बताई जाताी है कि जिले के तथाकथित इमानदार एवं कत्वर्यनिष्ठ जनप्रतिनिधियों
को एक टैंकर पर 80 से 85 हजार रूपए के मुनाफे की रकम का बड़ा हिस्सा मिला
है। घर बैठे मुनाफे के चक्कर में इस बार सासंद एवं विधसायको द्वारा ग्रीष्म
ऋतु में होने वाले तथाकथित पेयजल संकट से लोगो को निजात दिलाने के बहाने
पानी के टैंकरो के लिए अपनी निधि का खुल कर उपयोग किया है। बतौर कमीशन पाने
की राजनीति बहाने ग्रीष्म ऋतु के पेयजल संकट के समाधान के लिए स्वंय की
निधि से प्रति टैंकर सवा लाख रूपए का अनुदान स्वीकृत कर उसका आनन - फानन
में सप्लाई करने वाली एजेंसी को त्वरीत भुगतान भी करवाया गया है। सबसे
आश्चर्य जनक बात है कि अपनी सासंद की कुर्सी चले जाने के डर से अभी तक अपनी
सासंद निधि का फूंक - फूंक कर उपयोग करने वाली सासंद ने भी अपने दोनो हाथो
से लूटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि एक सासंद
श्रीमति ज्योति बेवा प्रेम धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को लेकर हाईकोर्ट
में दायर की गई दो अलग - अलग जनहित याचिका के सुरक्षित फैसले एवं हाईकोर्ट
जबलपुर के रहमो करम पर टिकी भाजपाई आदिवासी महिला सासंद श्रीमति ज्योति
बेवा प्रेम धुर्वे ने इस बार सबसे अधिक पानी के टैंकरो के लिए अपनी सासंद
निधि से अनुदान स्वीकृत किया है। सासंद द्वारा स्वीकृत पानी के टैंकरो के
घटिया निमार्ण की पोल उस समय खुल गई जब भीमपुर जनपद की ग्राम पंचायत
कुनखेड़ी में सासंद निधि से स्वीकृत पानी का टैंकर पलट जाने से बुरी तरह से
क्षतिग्रस्त हो गया। बताया जाता है कि ग्राम कुनखेड़ी में एक वैवाहिक
कार्यक्रम के लिए ग्राम पंचायत सचिव के टै्रक्टर से पानी की सप्लाई करते
समय टैंकर पलट गया जिसके चलते पानी के टैंकर का एक हिस्सा पूरी तरह से उखड़
गया। अब पंचायत सचिव द्वारा उस व्यक्ति पर दबाव बना कर उससे रूपए की मांग
की जा रही है ताकि उन रूपयों से क्षतिग्रस्त टैंकर का निमार्ण कार्य हो
सके। इसी तरह मामूली सी गर्मी में पानी के टैंकर के टायरो के फटाके के
धमाके की तरह फट जाने की भी कई घटनाएं सामने आ रही है जो कि पानी के टैंकर
में घटिया टायर एवं टुयूब के सप्लाई होने की कहानी बयंा करते है। ताप्तींचल
में बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में पानी के टैंकर के दिल खोल कर दिए
गए अनुदान के मामले में कांग्रेस एवं भाजपा एक दुसरे पर कोई आरोप -
प्रत्यरोप लगाने की स्थिति में नहीं है क्योकि लगभग सभी जगह उन लोगो द्वारा
पानी के टैंकरो की सप्लाई की है जो कि कांग्रेस एवं भाजपा के छुटभैया नेता
- अभिनेता कहे जाते है। करोड़ो की लागत से बाटे गए पानी के टैंकरो के लिए
अपनी - अपनी निधि से अनुदान के बदले सासंद एवं विधायको ने दिल खोल कर बोल्ड
अक्षरो में स्वंय का नाम लिखवा कर वाह - वाही लूटने में कोई कोर कसर नहीं
छोड़ी है। अब सवाल यह उठता है कि बैतूल जिले में पानी के टैंकरो की सप्लाई
में हुई सौदेबाजी की जांच के लिए बैतूल जिले में टीम अन्ना की कमी लोगो को
काफी खल रही है। वही अब यह देखना भी बाकी है कि पानी के टैंकर को लेकर
वसूली गई अवैध कमीशन खोरी की जांच जिला प्रशासन या राज्य सरकार करवा पाती
भी है या नहीं.?
|
No comments:
Post a Comment