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Tuesday, April 3, 2012

दीपक पाचपोर की कृतियों का विमोचन संपन्न

साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बालको की सराहना

बालकोनगर, । प्रसिद्ध पत्रकार-साहित्यकार दीपक पाचपोर के काव्य संग्रह ‘बच्चो, मैंने बेहतर समय देखा है!’ और विलियम शेक्सपीयर के नाटक ‘ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम’ के भावानुवाद ‘ग्रीष्म रात्रि का स्वप्न’ का विमोचन आज बालको के एक्सपर्ट क्लब में छत्तीसगढ़ की ख्यातिप्राप्त साहित्यिक हस्तियों के बीच हुआ। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के सहयोग से छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति द्वारा आयोजित समारोह में कोरबा की अनेक साहित्यिक प्रतिभाएं और संस्थानों के प्रतिनिधि, भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के अधिकारी-कर्मचारी तथा मीडियाकर्मी मौजूद थे।

‘रचना संभावनाओं में आगे निकल रहा कोरबा’ - अतिथिवक्ता वरिष्ठ पत्रकार, समीक्षक, कथाकार व पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने अपने समीक्षात्मक उद्बोधन में कहा कि पाचपोर के पास रचनात्मक सोच की साफ-सुथरी जमीन है जिस पर खड़े होकर वह व्योम की ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हैं। उनका काव्य संग्रह संकलन से आगे निकलकर बेहतर समय के प्रति आशावादी दृष्टिकोण का दस्तावेज है। व्यंग्य शैली की उनकी कविताएं गहरे सामाजिक जुड़ाव से उपजती हैं और मानवीय भावनाओं से संचालित होती हैं। उन्होंने बालको के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम को उत्कृष्ट बताया। उन्होंने यह भी कहा कि रचना संभावनाओं में कोरबा आगे निकल रहा है। 

‘समय का महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं’ - अतिथिवक्ता उपन्यासकार, दूरदर्शन के पूर्व उपमहानिदेशक व देशबंधु रायपुर के सलाहकार संपादक तेजिंदर ने पाचपोर को उत्कृष्ट कृतियों के लेखन-विमोचन की बधाई देते हुए कहा कि काव्य संग्रह और नाटक दोनों ही अपने समय के महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि चारों ओर विश्वसनीयता का संकट है तब आम आदमी सृजनात्मक साहित्य पर ही भरोसा करता है। पाचपोर की कविताओं में अपने समय की विडंबनाएं, अंतरर्विरोध और विखंडन का दर्द है। कविताएं भविष्य के प्रति आगाह करती हैं। 

‘बालको से जिंदगी के धानी रंग निकलने हैं’ - अतिथिवक्ता बिलासपुर से आए समालोचक एवं कवि खुर्शीद हयात ने अपने उद्बोधन की शुरूआत साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे बालको की प्रशंसा में कहा कि बालको से जिंदगी के धानी रंग निकलते हैं। पाचपोर की कविता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कविताएं और उनके शब्द आपस में गुफ्तगू करते हुए से लगते हैं। उनकी कविताएं मानवीय संवेदनाओं के बंद दरवाजे पर दस्तक देती प्रतीत होती हैं। अपने समय से कहीं आगे की बात पाचपोर की कविताओं में दिखती हैं। 

‘सेवानिवृत्ति के बाद समय का बेहतरीन उपयोग कर रहे पाचपोर’ - बालको के कंपनी संवाद, सामुदायिक विकास एवं कॉरपोरेट अफेयर प्रमुख बी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि हम पाचपोर को एक उत्कृष्ट पत्रकार और जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर जानते थे परंतु साहित्यिक कृतियों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व के नए आयाम से परिचित होने का मौका मिला। अमूमन सेवानिवृत्ति के बाद लोगों में उत्साह की कमी आ जाती है परंतु नई ऊर्जा एवं जज्बे के साथ साहित्य सृजन के क्षेत्र में आने पर दीपक पाचपोर बधाई के पात्र हैं। श्री श्रीवास्तव ने पाचपोर के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। 

‘हिंदी रंगमंच के लिए उत्कृष्ट कृति है ग्रीष्म रात्रि का स्वप्न’ - रंगकर्मी रविंद्र चौबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि नाट्यकर्म अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। किसी अन्य भाषा के साहित्य को दूसरी भाषा में अनुवाद करना उतना ही दुष्कर कार्य है। दोनों ही भाषाओं के संस्कार और परिवेश का ध्यान अनुवादक को रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ‘ग्रीष्म रात्रि का स्वप्न’ के रूप में हिंदी रंगमंच को महत्वपूर्ण कृति उपलब्ध हुई है। 

‘शाश्वत है पाचपोर का कार्य’ - प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डॉ. वसुमति नाडिग ने कहा कि शेक्सपीयर के सारे चरित्र समय की कसौटी पर परखे हुए हैं जो कभी खत्म नहीं हो सकते। वैसे ही दीपक पाचपोर का अनुवाद ‘ग्रीष्म रात्रि का स्वप्न’ शाश्वत है। उन्होंने पाचपोर को भाषा-साहित्य की दृष्टि से उत्कृष्ट कार्य के लिए साधुवाद दिया। 

‘लोक के बिना अधूरी है रचना’ - अपनी कृतियों के विमोचन अवसर पर दीपक पाचपोर ने कहा कि यह उनके जीवन का अद्भुत क्षण है। उन्होंने कहा कि ‘संसार में रहो, संसार को लिखो’ का नजरिया लेकर वह सृजनकर्म में सक्रिय हैं। लोक के बिना उनकी रचना अधूरी है। लोक के साथ उनका लगाव सदैव बना रहेगा। 

श्री श्रीवास्तव ने सतीश जायसवाल, तेजिंदर, खुर्शीद हयात, दीपक पाचपोर ‘ग्रीष्म रात्रि का स्वप्न’ पुस्तक के आवरण चित्र की रचनाकार सुनीता तिजारे और पुस्तक के संपादक बालको के दीपक विश्वकर्मा का सम्मान शॉल व श्रीफल से किया। श्री श्रीवास्तव ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। 

कार्यक्रम में कोरबा के अपर कलेक्टर श्री अभय मिश्रा, चित्रकार श्री विजय वरठे, रंगकर्मी श्री नागेश ठाकुर, पार्षद श्री सुधीर शर्मा, श्री के.एल. यादव, पार्षद प्रतिनिधि श्री संजय बरेठ, बालको महिला मंडल की सदस्याएं, बालकोनगर महाराष्ट्र मंडल और संकेत साहित्य समिति के प्रतिनिधि कार्यक्रम में मौजूद थे। आयोजन में श्री एच.जी. ताम्रकार, श्री भागवत काश्यप, श्री मूलचंद तिवारी, कृति नारी साहित्य समिति की अध्यक्ष डॉ. चंद्रावती नागेश्वर, स्व. प्रतीक मेहर स्मृति संस्थान की प्रमुख श्रीमती आशा मेहर, संस्कार भारती (कर्नाटक) की अखिल भारतीय मंत्री पद्मा विटठ्ल, अंकुर स्पेशल स्कूल की प्राचार्य श्रीमती अरूंधति कुलकर्णी, संचालक श्री दीपक कुलकर्णी, छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति की श्रीमती अंजना ठाकुर ने उत्कृष्ट योगदान दिया। 

कोरबा के प्रसिद्ध ग़ज़लकार माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने कार्यक्रम का संचालन किया। छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति के अध्यक्ष सुकदेव पटनायक ने स्वागत उद्बोधन दिया। छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति के सचिव श्री के.के. चंद्रा ने आभार जताया।

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