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Monday, May 28, 2012

भू-माफिया के आगे कटनी प्रशासन नपुंसक

कटनी से लखन लाल की रिपोर्ट.... 
क्राइम रिपोर्टर से संपर्क:  7509261794 



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कटनी. शहर के धनपशु एवं भू-माफिया इस शहर में जहां भी बेशकीमती भूमि दिखती है उसे कम कीमत में खरीद लेते हैं और अपनी बुरी नियत एवं लालच के चलते शहर की जनता को लुभावने सपने दिखा कर जमीन की लागत से 10 गुना फायदा कमाने की जुगत में लग जाते हैं। इस नेक काम में जिले के धनपशु से लेकर जिले के जन प्रतिनिधि भू-माफिया और अधिकारी गंढ़ भी शामिल पाये जाते है चंूकि अधिकारियों को इस काम में शामिल इस लिये करते हैं कि जमीन के किसी काम में किसी प्रकार का रोड़ा न आ पाये इस काम के लिये भू-माफिया एवं जिले के धनपशु बने लोग इन अधिकारियों को मोटी रकम देते हैं। इस मोटी रकम की चढ़ोत्री के बदले अधिकारी नियमों को ताक में रख कर इनके सारी अनुबंधित फाइलें बिना किसी नियमों के आगे बड़े बाबू के पास से आगे बढ़ाकर साहब से भी उस फाइल में दस्तखत करा लिये जाते हैं। जिससे जमाने की नजर में अवैध कालोनी भी नियम कानून से बनी नजर आती है।


नगर निगम शक के दायरे में   

इन अवैध बनी कालोनी में अंकुश लगाना सबसे पहला काम नगर निगम होता है क्योंकि इस जिले में अवैध कालोनियों का बोलबाला ज्यादा नजर आता है जब कभी इन अवैध कालोनी के मालिक से पूंछा जाता है तो इन मालिकों का सीधा सा एक ही फं डा होता है कि आप नगरनिगम में पता करो अवैध कालोनी के मालिकों अच्छे से पता है कि नगरनिगम में सही जानकारी नहीं दी जाती क्योंकि इस विभाग के सारे अधिकारी भ्रष्त्ता के पायेदाने से बनी कुर्सियों में बैठे लोग गले तक भ्रष्ट हैं। तभी तो ये अवैध कालोनी बनाने वाले धनपशु बने भू-माफि या अपनी कटूरचित से जिले के भोली-भली जनता को लूटने के अलावा कुछ नहीं कर रही है। नगरनिगम में नक्शा विभाग तो अपनी चरम सीमा ही पार कर चूका है। जो अपनी खुद की जरूरतें पूरी करने के नगरपालिका को प्रतिदिन लाखों का चूना लगाते रहते हैं। शहर के चारों और अवैध कालोनियों का निर्माण जोरों से चल रहा है ऐसा नहीं है की इन अधिकारी को मालूम न हो की कहां अवैध निर्माण चल रहा है। इन अवैध कालोनियों के मालिकों से मिल कर 10 से 20 हजार की ऊपरी कमाई करके शांती से बैठ जाते है और फि र उस कालोनी को वैध घोषित करके किनारा काट लिया जाता है। फि र कभी उस और मुड़ कर नहीं देखा जाता है।

धनपशु बने भू-माफिया नदी का किनारा भी नहीं छोड़ा  

अभि तक तो जिले के धनपशु एवं भू-माफि या शहर के अंदर ही अपनी कूट नीति चला कर अंदर-अंदर अवैध कालोनी बना कर ज्यादा फ ायदा कमाने की होड़ सी लगी रहती थी किन्तु अब-जब शहर के बीच की भूमि नहीं बची इन धनपशुओं ने नदी के किनारे की भूमि को अपनी अवैध कमाई के लिये चून लिया है जबकि ये धनपशु एवं भू-माफिया नक्शा पास कराने के लिये नदी 60 मीटर दूरी के कागज नक्शा विभाग में पेश करते हैं और जैसे ही नक्शा पास होता है नदी के किनारे की भूमि को बड़े पत्थरों से जुडाई करा कर नदी से सटा कर अपनी अवैध कालोनी का निर्माण कराना शुरू कर देते है। जब इस अवैध निर्माण की जानकारी अधिकारी को लगती है वैध धोषित करने के लिये लाख दो लाख कमा कर मैन अधिकारी को सन्तुष्ट कर दिया जाता है। जबकि हर अधिकारी एवं भूमि से संबंधित विभाग को मालूम होता है कि ये सभी कालोनियों अवैध तरीके से बनाई गई है। और ये धनपशु अपने धन का उपयोग कर सारे अधिकारियों को खरीदने की कुबत भी रखते हैं और अपनी अवैध कालोनी के निर्माण करा कर करोड़ो रूपये कमाये जाते हैं।

भू-अभिलेख से जुड़े सारे विभाग शक के दायरे में

भूमि से जुड़े सारे विभाग शक दायरे में आते हैं क्योंकि एक कालोनी बनाने के लिये सारे विभाग से एनओसी की आवश्यकता होती है उसके बाद किसी विभाग के लोग आंख बंद करके बैठे रहते हैं कभी जगह का मौका मुवायना करना उचित नहीं समझते थोड़ी सी रकम ले कर एनओसी पास कर दी जाती है। इस कारण से सारे विभाग पर लोगों को इनकी घूस खोरी का पता लगता रहता है।

जिले के रसूकदारों की नहीं होती जांच

खिरहनी क्षेत्र में स्वीकृति के विपरीत कालोनी में निर्माण कार्य का आरोप पुरूषोत्तम लाहोरानी ने निगम आयुक्त को शिकायत किया है। हस्ताक्षरित पत्र में आरोप है कि खसरा क्रमांक 1297/1 तथा 1243/2 में भू-स्वामी उस जमीन में काबिज है जबकि और कालोनी विकसित हो गई। गोपाल विल्डकान के द्वारा यहां विकास कार्य किया जा रहा है। विभागीय पत्र में में दी गई जानकारी के अनुसार इस संबंध में आयुक्त को कार्यवाही को लिखा गया है। इस मामले की शिकायत जबलपुर के टीएनसी संयुक्त संचालक को भी कार्यवाही के लिये आवेदन दिया गया है।जगह की जांच कर स्वीकृति के विपरीत निर्माण कार्य पर रोक लगाने बावत निर्देश दिये गये है। लाहोरानी का आरोप है कि कालोनाइजर ने टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग की अनुज्ञा में र्दशाई शर्त का उल्लंघन किया गया है। जिसमें भूमि की सीमा तक मार्गों की निरंतरता बनाये रखने के निर्देश हुये थे। इस पर बाउंड्री अथवा गेट लगाया जाना नियम विरूद्ध है जबकि अीएण्डसी का कहना है कि निर्माण कार्य में रोक लगाने हेतू ननि आयुक्त को पत्र भेजा गया है इधर विल्डकान निर्देशक प्रवीण का कहना है कि निर्माण कार्य सीमा के अन्तर्गत किया जा रहा है। 

नगर निगम से मांगी जानकारी नहीं दी गई  

पुरूषोत्तम लाहोरानी का आरोप है कि जब नगर निगम से इस भूमि के लिये आवेदन लगा कर जानकारी मांगी गई उस नगर निगम में बैठे अधिकारी एवं कर्मचारियों ने हिलाहवाली करते हुये जानकारी  देने इनकार कर दिया इसी तरह से पुरूषोत्तम लाहोरानी ने यही आवेदन टीएण्डसी में भी लगाया था वहां से भी इन्हें आवेदन का कोई जवाब नहीं दिया गया। इन सभी से परेशान होकर पुरूषोत्तम लाहोरानी ने साफ आरोफ लगाया है कि नगर निगम के सारे अधिकारी एवं कर्मचारी सब पैसे की दम में बिके हुये है। जानकारी के अनुसार विल्डकान के संचालक प्रवीण कुमार ने ग्रीन लैण्ड़ के सारे नियम तोड़ कर निर्माण कार्य कर रहे है। जबकि जुटाई गई जानकारी के अनुसार प्रवीण बजाज ने नदी के किनारे की सारी जमीन में 4 फु ट आगे निर्माण भी किया गया है।

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