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Monday, May 28, 2012

मुख्यमंत्री की जनसुनवाई योजना पूरी तरह हुई विफल


ब्यूरो प्रमुख // पी.वेंकट रत्नाकर (कटनी// टाइम्स ऑफ क्राइम) 
                                                 ब्यूरो प्रमुख से संपर्क: 9074370010

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कटनी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंशा के अनुसार राज्य के सारे जिलों एवं तहसील को सूचित कर दिशा निर्देश दिये गये थे की हर विभाग में उक्त सभी जनसुनवाई आम लोगों की समस्या का समाधान आवेदन के अनुसार किया जाये ताकि राज्य के आम-जन को अपनी समस्याओं से राहत मिल सके एवं सही समय पर आवेदन का लाभ मिल सके।  
जनसुनवाई में नेत्रहीन महिला


जनसुवाई में बैठे अधिकारी होते है लापरवाह
जनसुनवाई में दूर-दूर से आये लोग अपनी फरियाद आवेदन के जरिये उन तक पहुँचाने की कोशिश में आते हैं ताकि उनकी तकलीफें दूर की जा सकें। उनसे आवेदन तो ले लिया जाता है। लेकिन पावती के लिए सुबह से शाम हो जाती है तब जाकर उनको आवेदन की पावती मिल पाती है। इस दूर दराज से आये हुये लोगों को भूखा-प्यासा वहीं बैठना पड़ता है कई तो ऐसे हैं कि जनसुनवाई में एक बार अपनी समस्या का समाधान होने के चलते कई बार कलेक्ट्रट के चक्कर काट-काट कर थक हार जाते है और जनसुनवाई को धता बताते हुये अधिकारियों को कोसने लगते हैं अधिकारी को कहते हैं
 
जनसुनवाई की पावती प्राप्त करने के इंतजार में बैठे लोग
 कि आवेदन के माध्यम से अधिकारी जिसको कार्यवाही के भेजते हैं वही हमारे आवेदन के जरिये उस व्यक्ति को डरा-धमका कर रकम ऐंठ लेते हैं और आवेदन फ ाड़ कर फेंक देते हैं। इसी प्रकार का एक मामला प्रकाश में आया गुलाब बाई उर्फ काशी बाई पति सरजू यादव निवासी नीमखेड़ा बडख़ेरा तहसील बहोरीबंद आंख से अंधी हैं और न तो उसके पास रहने का मकान है और नही उस बृद्ध को इंदरा आवास योजना का अभी तक कोई लाभ प्राप्त नहीं हो सका नेत्र हीन महिला का कहन है कि ग्राम बडख़ेरा के सरपंच से कई बार आवेदन दे चूकी हू किन्तु इस विषय में योजना आती है हर साल किसी न किसी को इसका लाभ मिल जाता है परन्तु मुझे नेत्र की अंधी को किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है और में कई बार आवेदन लगा चूकी हू किन्तू कोई नहीं सुनता है।

जनसुनवाई बना मजाक  

मध्य प्रदेश के मुखिया बने शिवराज सिंह चौहान को शायद ये तनिक भी खयाल नहीं आया होगा कि मेरी चलाई जा रही कार्यप्रणाली में भी इन अधिकारियों के नपाक इरादों के चलते अभियान महज एक असफल अभियान बन कर रह जायेगा इस योजना में हर महीने लाखों रूपये पानी के तरह बहाये जाते हैं जो की यह राशी राज्य की जनता के है जिसमें ये अधिकारी खुले आम डांका डालते हैं और इन्हें कोई कुछ कहने वाला नहीं है। आम-जन का अनुरोध है इन ईमानदार अधिकारियों से की अपना काम तो पूरी ईमानदारी से कर जिसके लिये सरकार आप को रखा है जिसकी महीने की पगार देती है।

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