Pages

click new

Thursday, June 21, 2012

11 घंटे तक चले ऑपरेशन से अलग-अलग हुई स्तुति-आराधना

twins girlsमध्य प्रदेश के बैतूल में डॉक्टरों ने आराधना और स्तुति को अलग-अलग करने में डॉक्टरों ने बड़ी सफलती पाई।
पाढर मिशन अस्पताल में बुधवार 20 जून को लगभग 11 घंटे तक चले ऑपरेशन में 23 डॉक्टरों की टीम ने एक साथ जुड़ी हुई दोनों बहनों को अलग-अलग कर दिया।
यह जटिल ऑपरेशन बुधवार सुबह नौ बजे शुरू हुआ और रात तक चला. ऑपरेशन के बाद स्तुति को एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया, जबकि आराधना को उसके आधे घंटे बाद वहां लाया गया।
डॉक्टरों के मुताबिक दोनों को 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा जाएगा। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उनके स्वास्थ्य की पल-पल की मॉनीटरिंग करेगी।
स्तुति-आराधना के ऑपरेशन के दौरान दोनों की सलामती एवं ऑपरेशन की सफलता के लिए दिन भर पाढर अस्पताल के सामने धार्मिक अनुष्ठानों का दौर जारी रहा।
मां-बाप ने छोड़ा
बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक अंतर्गत चूड़िया ग्राम निवासी माया यादव ने 2 जुलाई, 2011 को जुड़वां बेटियों को जन्म दिया था। माया के यहां एक साथ दो खुशियां जरूर आयीं, परंतु जब दोनों के शरीर एक साथ जुड़े होने का खुलासा हुआ तब माया एवं उसके पति ने दोनों जुड़वां बेटियों को स्वीकार करने की बजाय पाढर मिशन अस्पताल को दान कर दिया।
पाढर अस्पताल प्रबंधन ने एक-दूसरे से जुड़ी बच्चियों को सहर्ष स्वीकार कर सेवाभाव से उनकी परवरिश की। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रबंधन ने दोनों बच्चियों को अलग करने का चुनौतीपूर्ण बीड़ा उठाकर बच्चियों की मेजर सर्जरी के लिए देश-विदेश के डॉक्टरों से संपर्क भी किया। साथ ही ऑपरेशन के लिए पाढर अस्पताल प्रबंधन द्वारा देश-विदेश से मशीनें भी बुलाई गई।
चार चरणों में ऑपरेशन
पाढर अस्पताल में बुधवार सुबह विशेष प्रार्थना के बाद साढ़े आठ बजे से ऑपरेशन शुरू हुआ. ऑस्ट्रेलिया, वेल्लोर, लुधियाना, चंडीगढ़, हैदराबाद, गुजरात एवं पाढर अस्पताल के 23 डॉक्टरों एवं 11 मेडिकल स्टाफ की टीम ऑपरेशन करने में जुट गई। हाईटेक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित पाढर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ऑपरेशन के पहले चरण में दोनों बच्चियों को इनिस्थीसिया दिया। इसके लगभग ढाई घंटे बाद सर्जरी की शुरुआत हुई।
ऑपरेशन के दूसरे चरण में एक थैली में रखे हुए दोनों ह्रदयों को अलग-अलग कर बच्चियों के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। चूंकि दोनों बच्चियों का लीवर जुड़ा हुआ था, इसलिए तीसरे चरण में लीवर ट्रांसप्लांट सर्जनों की टीम ने लगभग दो घंटे की क्रिटिकल सर्जरी में लीवर को अलग करने में सफलता प्राप्त की। डॉक्टरों ने दोनों बच्चियों के शरीर में लीवर को भी अलग कर दिया।
ऑपरेशन के चौथे चरण में शरीर के जुड़े हुए अन्य हिस्सों को भी अलग-अलग कर पैकअप किया गया. लगभग 11 घंटे चले मेजर ऑपरेशन के बाद रात्रि करीब 8 बजे स्तुति को एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया, जबकि आराधना को इसके आधे घंटे बाद से लाया गया. डॉक्टरों के मुताबिक दोनों को 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा जाएगा।

No comments:

Post a Comment