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Thursday, June 21, 2012

असुरक्षित हैं शहर के एटीएम बनी हुई है सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमी

ब्यूरो प्रमुख // मनीष साहू ‘बन्टी’ (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम) 
 
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:- 9424995001
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नरसिंहपुर। आज के दौर में राह चलते बैंक के प्रतिरूप एटीएम लोगों के लिये आकर्षण का केन्द्र तो है ही साथ ही स्टेट्स सिंबल भी बन गये है जिससे इनका चलन बढ़ा हेै और लोगों को सुविधा मिली है लेकिन शहर के एटीएम बुनियादी व्यवस्थाओं के अभाव में लोगों को आर्थिक क्षति पहुंचाने के अड्डे बन गये है। यहां जमा पूंजी के साथ खिलवाड़ होने की संभावना जब-तब बनी रहती है। हाल ही में एटीएम के जरिए एक युवक को लगी हजारों रूपयों की चपत इसका जीता जागता सबूत है। इंसान की तीन खास जरूरतें होती है रोटी, कपड़ा और मकान इसके अलावा हम लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिये ताउम्र्र मेहनत मशक्कत कर पाई पाई जोड़ते है लेकिन इसी कमाई को जब कोई धोखे से हथिया लेता है तो पैरों के नीचे से जमीन और सिर से आसमान गायब हो जाता है। मौजूदा दौर में एक नई जरूरत बनकर उभरे एटीएम से लोगों की सुविधायें बढ़ी है लेकिन इनके इस्तेमाल में बरती गई जरा सी लापरवाही बैंक में जमा पूंजी को कुछ ही पलों में गवां देने की वजह बन सकती है इसलिए एटीएम से लेन देन करते वक्त सजग होना बेहद जरूरी है।

एटीएम पर व्यवस्थाएं नदारदजानकारी के अनुसार शहर में अनेक बैंक संस्थाओं करीब एक दर्जन एटीएम नागरिकों को अपनी सेवाएं दे रहे है इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, पीएनबी, केनरा बैंक, सिंडीकेट बैंक, सेंट्रल बैंक  आदि है। कुछेक को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर एटीएम में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। एटीएम केन्द्रों के मुख्य द्वार के दरवाजे में लॉक की गड़बड़ी धोखाधड़ी होने की बड़ी वजह बनकर सामने आई है। इसके साथ ही पर्याप्त रोशनी की कमी से भी यहां हादसों की संभावना बनी रहती है। गायब  रहते है गार्डशहर के विभिन्न एटीएम केन्द्रों पर सुरक्षा गाड्र्स की नियुक्ति बैंक प्रबंधन द्वारा की जाती है लेकिन यहां पर जब-तब गाड्र्स गायब रहते है।


नगर में दो तीन केन्द्रों पर ही गाड्र्स की तैनाती की व्यवस्था है लेकिन ये भी अपनी गैरजिम्मेदारी का परिचय देते हुए नदारद रहते है। जिससे एटीएम के जरिए छले जाने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ गाड्र्स आपसी सेटलमेेंट के जरिए 12 के वजाए 24 घंटे की ड्यूटी भी बजा रहे है। बैंको द्वारा आम उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये शुरू की गई इस सेवा का दुष्प्रयोग होने लगा है। बैंक प्रबंधन की लारवाहीआम नागरिकों को बेहतर बैंकसुविधाएं मुहैया कराए जाने का दावा करने वाली बैंक प्रबंधनों की कथनी और करनी में अंतर समझ आता है।

उन्होंनें सुविधाओं के लिहाज से एटीएम मशीनों को तो जहां-तहां रख दिया है लेकिन इनमें सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम ईमानदारी से नहीं किये गये है जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतने के लिये तैयार रहना पड़ सकता है। बैंक संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी और कत्र्तव्य का बोध होना चाहिये क्योंकि कहीं न कहीं इनकी लापरवाही से आम नागरिक एटीएम मशीन के जरिए बदमाशों को अपनी मेहनत मशक्कत की कमाई अंजाने में थमा देते है। 

इनका कहना है:-
हमारे दो एटीएम हैं जहां गाड्र्स और दूसरी व्यवस्थाएं हैं। अन्य बैंकों के विषय में मैं कुछ नहीं कह सकता। वैसे एटीएम में गाड्र्स होने तो चाहिए। एटीएम केन्द्र की सभी व्यवस्थाएं संबंधित बैंक द्वारा मुहैया कराई जाती है। इनकी देखरेख का जिम्मा बैंक प्रबंधन का ही होता है। 
एम.बी.सिंघल, बैंक मैनेजर एसबीआई मुख्य शाखा

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