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Wednesday, April 17, 2013

अश्‍लील संवाद करते हैं शिवराज सरकार के मंत्री विजय शाह


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        यूं तो राजनीति में न तो अब मर्यादा रही है और न ही कोई मापदंड बचे हैं। कब कौन राजनेता क्‍या बोल दे, आजकल तो इसका भी भरोसा नहीं। यहां तक कि राजनेता हंसी-मजाक में अश्‍लील संवाद भी करने लगे हैं। इसमें शिवराज सरकार के आदिम जाति कल्‍याण मंत्री विजयशाह भी शामिल हो गये हैं। यह मंत्री महोदय न तो मर्यादा पर कायम रह पाये और न ही जब छात्राओं के बीच अपनी जुबान चला रहे थे, तब भी उन्‍हें मान-मर्यादा का कोई ध्‍यान नहीं था। उनके संवाद ऐसे अश्‍लील थे कि वे बोले जा रहे थे और लोग तालियां बजाये जा रहे थे, लेकिन जब उनके संवाद का वीडियो मार्केट में आया और टी0बी0 चैनलों में हलचल मची तो फिर मंत्री महोदय को अपनी सफाई तक देनी पड़ी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मंत्री महोदय अपनी बात तो कह चुके हैं। शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री और विजयशाह एक बार फिर विवादों में हैं। उनके बयान ने राजनीति में भूचाल ला दिया है। उन्‍होंने कन्‍या विद्यालय में ऐसा-ऐसा बोला है, जिससे न सिर्फ राजनीति शर्मसार हुई है, बल्कि लोगों का राजनेताओं के प्रति और विश्‍वास टूटा है। यहां तक कि मुख्‍यमंत्री की पत्‍नी श्रीमती साधना सिंह के बारे में भी जो बाते कहीं है वह भी गंभीर है। फिर भले ही शाह ने पत्रकारों से रात्रि में अपने बयान की सफाई भी दी है, लेकिन विपक्ष ने तो इन्‍हें मुद्दा बना लिया है।

आखिर ऐसा क्‍या कह दिया शाह ने : 

      मंत्री शाह ने झाबुआ में कहा कि ''पहला वो'' भुलाये नहीं भूलता, बताओ मामला कभी भूलता है क्‍या, चीज ही ऐसी है सभी समझ गये होंगे'' मैंने भाभी (सीएम की पत्‍नी) से कहा चलो घुमाकर लाता हूं, भाई साहब के साथ तो रोज जाती हो, कभी हमारे साथ भी चलो, ट्रेकशूट छोड़ो, लड़कियों को दो-दो टी-शर्ट देंगे, मस्‍त वाली, लोवर भी देंगे, बढि़या वाला। मंत्री अपने द्विअर्थी संवादों में छात्राओं के सामने ऐसी अश्‍लील बातें कहीं हैं, जो कि आम आदमी भी बच्चियों के सामने करने में शर्माते हैं। मंत्री ने कहा कि झाबुआ में तो एक के साथ एक फ्री का चलन बढ़ गया है। उन्‍होंने महिला अधिकारी से मुस्‍कराने का अनुरोध करते हुए कहा कि अगर मुस्‍कराओगी नहीं तो सारी राशि कैंसिल कर दूंगा। इन बयानों के बाद जब खूब हल्‍ला मच गया, तो शाह ने रात्रि में पत्रकारिता बैठक बुलाया अपनी सफाई दी कि उन्‍होंने मजाक में कहा था और उनकी मंशा किसी को चोट पहुंचाने की नहीं थी और न ही किसी की भावना आहत करने की थी। यहां तक कि सीएम की पत्‍नी साधना सिंह से भी उन्‍होंने मांफी मांगी।

शाह की फितरत है ऐसी बाते करना : 

        ऐसा नहीं है कि मंत्री विजयशाह ने पहली बार ऐसा विवादास्‍पद बयान दिया हो, इससे पहले भी वे बयानों के जरिये विवादों में रह चुके हैं। जनवरी, 2010 में खंडवा जिले के मलगांव उत्‍सव में वे विदेशी महिला कलाकारों के साथ नृत्‍य करते हुए देखे जा चुके हैं। दो माह पहले उन्‍होंने अलीराजपुर में कहा था कि सरकार लड़कियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकती, यह गारंटी लड़कियों को स्‍वयं लेनी होगी। वर्ष 2011 में उन्‍होंने ब्रम्‍हाणों के खिलाफ भी जहर उगला था, तो उन्‍होंने कहा था कि ब्रम्‍हाणों को भोजन मत कराओ, पौधे लगाओ। यह सच है कि उनके बयान को लेकर खूब हल्‍ला मच गया है और हमेशा मचता रहेगा, लेकिन भाजपा नेताओं ने सारी मर्यादा तार-तार कर दी है। उत्‍तरप्रदेश के सीएम अखिलेश ने तो एक मंत्री द्वारा सड़कों की तुलना हेमा मालिनी के गालों से की और एक डीएम की खूबसूरती की खूब प्रशंसा कर डाली तो उन्‍हें मुख्‍यमंत्री ने उन्‍हें कैबिनेट से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। अब मप्र में भी शाह के खिलाफ खूब माहौल बन रहा है। जगह-जगह पुतले जलाये जा रहे हैं।

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