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Tuesday, April 23, 2013

एक्सपायरी नकली शीतल पेय व पाउचों की धड़ल्ले से बिक्री जारी


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नरसिंहपुर से सलामत खान की रिपोर्ट....


सवा लाख की आबादी वाले नरसिंहपुर शहर में शीतल पेय की रोजाना हजारों बोतलें एवं पानी के पाऊच की खपत हो रही है लेकिन किसी ने आज तक यह जांचने-परखने की आवश्यकता महसूस नहीं की है कि धड़ल्ले से बिक रहा शीतल पेय या पाऊच कहीं नकली तो नहीं !! गौरतलब हो कि दशकों पूर्व चलने में आये शीतल पेय व पानी के पाऊच आज लोगों की दिनचर्या में शामिल से हो गये है। देखा जाता है कि आज कल चाहे घर हो या दुकान किसी  मेहमान के आने पर मेजबान ठंडे या गरम पेय की पेशकश करता है। मेहमान द्वारा मौसम में गर्मी को देखते हुए शीतल पेय की मांग की जाती है और फुर्ती से आ जाती है। पेप्सी या कोका कोला की बोतल। आजकल जिन घरों में फ्रिज है वहां तो इन शीतल पेयों की एक दो लीटर की बोतलें ठंडी पड़ी रहती है।  

यही स्थिति पानी के पाऊच की हो गयी है चाहे वह कोई मीटिंग हो या बर्थ डे पार्टी या फिर विवाह सभी में पानी के पाऊच अनिवार्य से हो गये है। मेजबान भी सिर्र्फ पानी पिलाने के लिए एक कर्मचारी को रखने की बजाये एक स्टाल में पानी के पाऊच रख देते हैं और मेहमान स्वयं आवश्यकतानुसार इनका सेवन करते है। लोगों के द्वारा धड़ल्ले से शीतल पेयों व पाऊ चों का इस्तेमाल तो किया जा रहा लेकिन किसी ने कभी यह जांचने परखने तक की जरूरत महसूस नहीं की कि जिस पेय का वे सेवन कर रहे है कहीं वह एक्सपायरी डेट का तो नहीं है।  ज्ञातव्य हो कि शीतल पेय की बातों में यह स्पष्ट दर्ज होता है कि निर्माण तिथि 6 माह तक ही इनका उपयोग किया जावें। जबकि पानी के पाऊच के उपयोग की अवधि पैकिंग तिथि से एक माह तक की होती है।  

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार हमारे नरसिंहपुर शहर में जांच पड़ताल न होने के कारण न केवल एक्सपायरी शीतल पेय व पाऊच धड़ल्ले से बिक रहा हैै बल्कि नकली माल भी बेचा जा रहा है। सुना गया है कि नरसिंहपुर में कुछ मिलावट खोर नकली पेप्सी व कोकाकोला की एक दो लीटर वाली बड़ी बोतलें अपने यहां तैयार कर रहे है। यह नकली माल असली शीतल पेय की तुलना में आधी कीमत का रहता है और दुकानदार अधिक मुनाफे की लालच में इन्हें बेच कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। जरूरत इस बात की है कि जिले का खाद्य महकमा शीतल पेय की आड़ में हो रही धोखाधड़ी रोकने के लिये एक जांच अभियान चलाये ताकि चंद रूपयों की खातिर लोगों के स्वास्थ्य के साथ हो रहा घिनौना खेल रोका जा सके।  

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