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Thursday, May 9, 2013

नेटवर्कींग साइटो पर तीन को तेरह गुणा करने का चक्कर



जब तक नामजद शिकायत नहीं आ जाती तब तक कोई अपराध नहीं - बैतूल पुलिस अधिक्षक


बैतूल // रामकिशोर पंवार
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बैतूल. बैतूल जिले की पूरी अर्थ व्यवस्था चरमरा कर गिर जाने एवं भारी पैमाने पर जनहानी होने की संभावनाओं के बीच इंटरनेट पर विदेशी बेव पोर्टलो पर धन दुगना करने के चक्कर में पूरा जिला इस कदर कूद पड़ा है कि पूरे जिले का दो विदेशी बेव पोर्टलो पर एक दो नहीं पूरे तीस हजार करोड़ रूपैया का दुगना होने के भंवरजाल में फंसा हुआ है। पाथाखेड़ा के संतोष- मंतोष दास नामक तथाकथित बंगाली बंधुओं के धन दुगना करने के चक्कर में पूरा पुर्नवास क्षेत्र के 32 गांवो में तीन सौ से अधिक युवक - युवतियां बतौर कमीशन के रूप में लैपटाप लेकर लोगो को स्क्रीम समझाने में लगे हुए है और उक्त कपंनी के कत्र्ता - धर्ता दोनो बंगाली भाई पूरी रकम नेट बैकींग के माध्यमों से दो दर्जन से अधिक खातों में टं्रासफर करने नौ - दो ग्यारह होने की फिराक में है। मजेदार बात तो यह है कि मात्र 13 दिन में धन दुगना करने के चक्कर में बैतूल, चोपना, शाहपुर, पाथाखेड़ा, सारनी की पुलिस भी अपनी कंपनी के फर्जीवाड़े को प्रदान किए जाने वाले संरक्षण की कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा तीन के तेरह करने के चक्कर में लगी हुई है। बैतूल जिले की पुलिस के पास उक्त कपंनी के खिलाफ तीन सौ से अधिक शिकायते तो जांच में आने के बाद रफा - दफा हो चुकी है लेकिन पुलिस को इंतजार है कि कोई पीडि़त व्यक्ति सामने आए फिर पुलिस काम करेगी।

बैतूल जिला पुलिस अधिक्षक ललीत शाक्यावार का कहना है कि उक्त गोरखधंधे में यदि पुलिस शामिल है तो पत्रकार भी दुध के धुले नहीं है। एक दर्जन बड़े समाचार पत्रों को मात्र एक साल में लाखों के विज्ञापन का पूरा बायोडाटा रखी पुलिस भी अपने दामन पर लगने वाले दागो को दुसरे के दामन पर लगे दागो से बेहतर अच्छा बताने में लगी हुई है। बैतूल जिले में चलने वाले इस गोरखधंधे पर पुलिस अधिक्षक का कहना है कि लोग इस कंपनी की खबरे या शिकायत इसलिए कर रहे है क्योकि उन्हे सांझेदारी के धंधे में हिस्सेदारी नहीं मिल रही है। पुलिस अधिक्षक पूरे मामले को साइबर क्राइम का मामला बता कर स्वंय के पाक साफ होने का दंभ भरते है। पुलिस का तर्क है कि संतोष - मंतोष एण्ड कंपनी का अपराध समझ में नहीं आ रहा है क्योकि लोग  स्वंय उस विदेशी बेव पोर्टल पर अपना पैसा नेट बैंकींग के माध्यम से इनवेस्टमेंट करनें में लगे हुए है।

जब पुलिस अधिक्षक को निरक्षर लोगो के द्वारा उक्त चिटफण्ड में पैसा लगाने की बात कहीं जाती है तो उनका तर्क रहता है कि लोग क्यूं अपने आप को कुए या बावली में धकेल रहे है। एक प्रकार से पुलिस की नज़र में जब तक नामजद शिकायत नहीं आ जाती तब तक कोई अपराध नहीं है। इधर पुलिस से क्लीनचिट मिलने के बाद या पुलिस के उक्त फर्जीवाड़े के बचाव में कूद जाने के बाद तीन सौ से अधिक युवक - युवतियों के लैपटाप के साथ फैल रहे भंवर जाल में बैतूल जिले के ग्रामिण अंचलो के वें किसान भी आने लगे है जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है तथा उक्त कार्ड से लिया गया बिना ब्याज का मूलधन वे तीन के तेरह करने में लगा रहे है। चैन सिस्टम पर आधारित इस गोरखधंधे की जानकारी भोपाल में बैठी सीबीआई से लेकर साइबर क्राइम तक को है लेकिन सब के सब मौनी बाबा की तरह मौन धारण किए हुए है। वैसे पूरे जिले में ही नहीं अब प्रदेश में पांव पसार चुकी संता और मंता की कहानी इन दिनो सुर्खियों में है। कल का तथाकथित कंगाल बंगाली आज का अरबपति कारोबारी बन चुका है। उसकी फर्जी कंपनी के चार दर्जन से अधिक कर्मचारी मारूति आल्टो से तथा बचे पल्सर और होण्डा की मंहगी गाडिय़ो से लोगो को ठगी का शिकार बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

कंपनी का संचालक कल तक साइकिल को मोहताज था लेकिन आज वह तीस लाख रूपए की कार में एश कर रहा है। ऐसा सब कुछ संभव हो सका है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सुशासन में जिसमें मौजूदा समय में केवल चौतरफा लूट - खसोट मची हुई है। एक ओर राज्य सरकार फर्जी कंपनियों द्वारा की जा रही तथाकथित फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने का दंभ भरती है वहीं दुसरी ओर ताप्तीचंल में बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में गरीब आदिवासी , दलित , पिछड़े वर्ग के अशिक्षितो को मुनाफा का दावा करके 3 के 13 करने के चक्कर में रूपयों को दुगना नहीं तेरह गुणा करने का सब्जबाग दिखा कर लूट खसोट का कारोबार फल - फूल रहा है। लोभ - लालच में गरीब वर्ग घर बैठे लखपति बनने के चक्कर में अपने पास का जमा एवं कर्जे पर उस सब्जबाग का शिकार बनने के बाद जब ठगा हुआ पुलिस के पास पहुंचता है तो वहां पर पुलिस उनकी रिर्पोट पर कार्रवाई करने के बजाय फर्जीवाड़े में लगे लोगो की आवाभगत में ऐसे मशगुल हो जाती है कि उन्हे पता ही नहीं चलता कि उनके दरवाजे पर कोई फरियाद लेकर भी आया है। कोयलाचंल पाथाखेड़ा में आयुष इलेक्ट्रीकल्र्स एण्ड इलेक्ट्रानिक्स टेक्रालाजी प्रायवेट लिमीटेड नामक एक कंपनी ने स्वंय भारत सरकार के कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय ग्वालियर से पंजीकृत करवाया है लेकिन पंजीयन प्रमाण पत्र में किसी भी जवाबदेह अधिकारी के सिल एवं साइन नहीं है। 4 अक्टुबर 2012 को को कंपनी पंजीकरण अधिनियम की धारा 1956 के तहत स्वंय को पंजीकृत करवाने वाले इस कंपनी के पंजीयन प्रमाण पत्र पर भारत सरकार का प्रतिक चिन्ह जरूर है लेकिन पंजीयक के हस्ताक्षर एवं मोहर न होने से कंपनी ने स्वंय का फर्जीवाड़ा उजागर कर दिया है। कंपनी ने अपने पते में आजाद वार्ड पाथाखेड़ा का पता अंकित किया है लेकिन आयकर विभाग में कंपनी का पता किसी संतोषदास पिता श्यामलदास एलआईजी 55 सबरी काम्लेक्स एम पी नगर भोपाल बताया गया है।

आयकर में कपंनी के संचालक ने 31 मार्च मार्च 2011 एवं 12 में पेश आयकर रिर्टन में दर्ज पते पर कंपनी का संचालक स्वंय को भोपाल का निवासी बताता है वहीं दुसरी ओर 17 नवम्बर को आयुष इलेक्ट्रीकल्र्स एण्ड इलेक्ट्रानिक्स टेक्रालाजी प्रायवेट लिमीटेड नामक कंपनी की ओर संतोषदास पिता श्यामलदास ने आजाद नगर पाथाखेड़ा जिला बैतूल के पते पर आयकर रिर्टन भरा है। सवाल यह उठता है कि जब कंपनी 4 अक्टुबर 2012 को पंजीकृत हुई है तब वह वर्ष 2009 से बिना पंजीयन के ही काम कर रही थी। आय से अधिक मुनाफा का लालच देकर वर्ष 2009 से काम कर रही कंपनी ने स्वंय का पंजीयन तीन साल बाद ग्वालियर से करवाना बताया जिससे कंपनी के फर्जीवाड़े का पता चलता है। इसके पूर्व भी पाथाखेड़ा में आकाश टे्रडिंग कंपनी इसी प्रकार का लोगो को लालच का लालीपाप देकर ठगी का शिकार बना चुकी है हालांकि उस समय सिर्फ कंपनी के संचालक आकाश सिंह के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया गया था शेष सभी आरोपियों को पुलिस विभाग द्वारा ले देकर बचा लिया गया था। इस कंपनी के खिलाफ दक्षिण भारत सहित विदेशी कंपनी ने स्वंय का साफ्टवेयर इंटरनेट से डाऊनलोड़ कर उसकी चोरी की एक रिर्पोट सीबीआई को दी थी जिसकी सीबीआई ने जांच तो की लेकिन उस समय सीबीआई भी करोड़ो के साफ्टवेयर की चोरी के मामले में ले देकर शांत हो गई। सीबीआई ने साफ्टवेयर की चोरी के मामले को साइबर सेल का मामला बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया था।

सवाल यह उठता है कि बरसो से एक कंपनी इंटरनेट से साफ्टवेयर की चोरी करके उसे अपनी कंपनी के नाम से पंजीकृत करवा कर बाजार में बेच रही है लेकिन साइबर सेल से लेकर लोकल पुलिस तक इंतजार कर रही है कि ठोस प्रमाण के साथ ठगी के शिकार व्यक्तियों की सामुहिक शिकायते हो तब जाकर वह मामले की जांच करेगी। सबसे बेहद चौकान्ने वाला तथ्य यह है कि जौनपुर एवं गोरखपुर उतरप्रदेश एक कंपनी संभव बीपीओ सर्विस से व्यवसायिक साझेदारी का अनुबंध पत्र 8 अक्टुबर 2009 को हुआ है लेकिन कंपनी का अनुबंध पत्र में दर्ज मोबाइल, ,फोन नम्बर गलत है तथा एक मोबाइल नम्बर सहारा इंडिया के लखनऊ पत्रकार संजय अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। दो अन्य मोबाइल नम्बर स्थसी रूप बंद है तथा नम्बर भी गलत बता रहे है। सवाल यह उठता है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े के बारे में अनेकोबार समाचार पत्रो में खबरे प्रकाशित हुई लेकिन पुलिस पूरे मामले में चुप्पी साधे रही। अगर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का फर्जी कंपनियों के प्रति यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब किसी प्रकार की अप्रिय घटना जन्म ले लेगी वैसे भी सूदखोरो एवं साहुकारो की प्रताडऩा के चलते बैतूल जिले में दर्जनो आत्महत्याए हो चुकी है। हाल ही में बैतूल जिला मुख्यालय पर एक व्यक्ति ने सूदखोर की प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।

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