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Thursday, June 20, 2013

पुलिस अधीक्षक अंशुमन सिंह के नाम पर वसूली का खेल

फाइनेंस कम्पनी के तयशुदा गुण्डों और पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से 

टाटा फाइनेंस के तयशुदा गुण्डे जीतू एस. सोलंकी
(भोपाल // संजय शर्मा) 
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भोपाल. मध्यप्रदेश की राजधानी में धड़ल्ले से खुलेआम वसूलीबाजों की गुण्डागर्दी और जबरिया वसूली चल रही है। आश्चर्य जनक पहलू ये हैं कि इस वसूली में बेहिचक राजधानी के एम.पी.नगर क्षेत्र में जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मात्र आधा एक किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर थाना एम.पी. नगर के कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर फाइनेंस कम्पनी के रसूखदार गुण्डों ने हडक़म्प मचा रखा है। वहीं सीधे कर्जदारों से पुलिस अधीक्षक के नाम पर वसूली की कार्यवाहीं की जा रही है। इस वसूली में कुछ  पुलिस वाले अंजाम देकर मोटी रकम कमा रहे है। मामला बड़ा रोचक और गंभीर है क्योंकि शहर के बीचों बीच राजधानी में ये खेल खुलेआम चल रहा है। जिसमें ये कहा जा सकता हैं कि पुलिस अधीक्षक के पद की गरिमा को महकमें के कुछ करिंदें चन्द रूपयों के खातिर बदनाम कर रहे है। आईये आपको बताते है ये पूरी कहानी.. 
 टाटा फाइनेंस के तयशुदा गुण्डे जीतू एस. सोलंकी

घटना दिनांक 24 अप्रैल 2013 समय शाम 5:30 बजे से शाम 7 बजे की है घटना स्थल प्रेस काम्प्लेक्स एम.पी.नगर जोन-1 जहां करीब 5:30 बजे टाटा फाइनेंस के तयशुदा गुण्डे जीतू एस. सोलंकी संचालक श्री सोलंकी सर्विस शॉप नम्बर 240, बी.डी.ए. कॉम्प्लेक्स, 7 नम्बर बस स्टेण्ड, शिवाजी नगर और उसका एक साथी (तस्वीर में) आते है और कार फाइनेंस रकम की वसूली जबरिया करने की कोशिश करते है और जबरिया गाड़ी की चाबी छिनने का प्रयास करते है। वसूलबाज अपने आपको पत्रकार बताते हुए एक प्रेसकार्ड जेब से निकालकर दिखाया और धमकाने लगे। इसका मतलब हैं कि इन गुण्डों ने पत्रकारिता की पवित्रता का इस्तेमाल वसूलीबाजी भी कर रहे है। वहीं अपने आपको पत्रकारिता से जुड़ी एक संस्था का सदस्य भी बताते है। फर्जी पत्रकार बनकर वसूली करने वाले इस शख्स ने आकर गाड़ी को खीचने के आर्डर हो गये है और कहा कि भोपाल एस.पी. श्री अंशुमान को बता दिया है उन्होंने ही कहा हैं कि गाड़ी को उठा लाओ उन्हीं के कहने पर हम लोग गाड़ी उठाने आये है इस पर जब पार्टी ने आदेश दिखाने की बात कही तो जीतू सोलंकी ने फर्जी कागजात दिखाते हुए पुलिस को बुलाने की धमकी दे डाली वहीं पुलिस थाने में सेटिगबाज पुलिसकर्मी से मोबाइल पर बात की और पार्टी से बात कराया मोबाइल पर थाना एम.पी. नगर का एक पुलिसकर्मी रंजीत मिश्रा था जो बोल रहा था कि पुलिस अधीक्षक अंशुमान सिंह के आदेश पर ही हम आपको कह रहे हैं कि इन लोगों का गाड़ी सौप दें मैं थाना एम.पी.नगर से पुलिस भेज रहा हूं। वहीं मुकेश नामक कर्मी को भेजने की बात कहीं।
टाटा फाइनेंस के तयशुदा गुण्डे जीतू एस. सोलंकी 
दो पुलिसकर्मी चीता लेकर घटनास्थल पर आ गये 

इस घटना के करीब पन्द्रह मिनट बाद ही वसूलीबाज के कहने पर दो पुलिसकर्मी चीता लेकर घटनास्थल पर आ गये (तस्वीर में) और इन गुण्डों का समर्थन करने लगे। इसी दौरान घटना स्थल पर कुछ पत्रकार इक_ा हो गये जिन्होंने इस अवैध अड़ीबाजी की कहानी की जानकारी नगर पुलिस अधीक्षक से बताई तो सब दूध का दूध पानी का पानी हो गया। वहीं चीता से पहुंचे, नगर पुलिस अधीक्षक ने चीता पुलिसवालों से रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि बताते हुए अपने रजिस्टर में रिपोर्ट दर्ज की और थाने जाकर इन अड़ीबाजों पर कार्यवाहीे करने की बात कहने लगे परन्तु आज दिवस तक कोई कार्यवाहीं नहीं हो सकी।

फर्जी पत्रकार बनकर अड़ीबाजी 

जीतू सोलंकी जैसे वसूलीबाजों ने पुलिस और कुछ पत्रकारों से सांठ-गांठ कर रखी है वहीं बकायदा जेब में प्रेस कार्ड रखकर घूमते है जबकि इनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहता, जीतू सोलंकी जैसे फर्जी लोगों के कारण ही पत्रकारिता बार-बार बदनाम होती रही है। ऐसे फर्जी लोगोंं के खिलाफ शीघ्र प्रकरण दर्ज कर कार्यवाहीं की जाना चाहिए जो पत्रकारिता की आड़ में फाइनेंस कम्पनियों के लिए अड़ीबाजी वसूली करते हैं जिससे पत्रकारिता और पत्रकारों की छवि धूमिल हो रही है।  फर्जी पत्रकार बनकर पुलिस कर्मियों से सांठ-गांठ करने की शिकायत भी वरिष्ठ अधिकारियों से की गई है अब देखना हैं कि सही कार्यवाहीे कब तक होती है।

वसूली के लिए पुलिस अधीक्षक के नाम का इस्तेमाल 

इन अड़ीबाजों के हौसलें इतने बुलंद है कि फाइनेंस कम्पनी के तय गुण्डे छोटे मोटे पुलिस कर्मियों से सेंटिग करके अपनी दुकान चलाते है वहीं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का सीधे नाम लेने से भी नहीं चूकते, कोई जानकार अगर अधिकारियों से बात करने की बात कहे तो ये लोग थाने में सेटिंग किये गये पुलिस वालों से उनके मोबाइल नम्बर पर अपने मोबाइल पर बात करवा कर पूरी तरह डराते धमकाते है अगर कोई झांसें में आ जाये तो ये लोग प्राप्त रकम से हिस्सा बांटते है। कुछ पुलिस कर्मी भी इनका साथ खुलेआम देते है और उच्चाधिकारी के नाम पर डरा-धमका कर वसूली करवाते हैं अगर पुलिस अधीक्षक महोदय इस मामले को गंभीरता से लेते है और सही जांच करवाते है तो कई लोग की पोल खुल जायेगी।

वसूलीबाजों ने किस किस से की सेटिंग 

वसूलीबाज जीतू एस. सोलंकी ने उक्त समयावधि में किस-किस पुलिस कर्मियों और अन्य लोगों से मोबाइल लगाकर बात की और उनके माध्यम से डराया धमकाया जांच की जाना चाहिये वर्ना पुलिस विभाग के नाम का दुरूपयोग करने वाले ये लोग जनता को यू ही डरा धमका कर लूटते फिरेगें और पुलिस विभाग हाथ मलता रह जाएगा।

वसूलीबाज गाड़ी हथिया कर फरार हो जाते 

उक्त घटना के दौरान कई पत्रकार स्थल पर पहुंच गये थे जिस कारण वसूलीबाज जीतू सोलंकी एवं उसका साथी अपने षडय़ंत्र में कामयाब नहीं हो सके। वर्ना ये लोग पुलिस वालों की मदद से गाड़ी हासिल कर फरार हो जाते।

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