वैसे वीरेन्द्र जैन का यह सार्वजनिक खत नरेन्द्र मोदी के नाम है लेकिन आप इसे भाजपा के राखी सावंत के नाम लिखा गया पत्र भी समझ सकते हैं। भाजपा ने आगामी चुनाव के लिए अपने इसी राखी सावंत को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है और भाजपा के राखी सावंत ने अपने प्रचार अभियान की शुरूआत भी कर दी है। वीरेन्द्र जैन मानते हैं कि जिस तरह से राखी सावंत दुष्प्रचार के जरिए भी अपना प्रचार प्रसार बनाकर रखती हैं उसी तरह नरेन्द्र मोदी भी अपने आपको प्रासंगिक बनाये रखने में माहिर हैं।
श्रीमान, नरेन्द्र मोदीचुनाव अभियान समिति प्रमुख, भारतीय जनता पार्टी भाजपा की सर्वोच्च कार्यकारिणी ने आपको चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन चुना है। मैं मानता हूं कि कार्यकारिणी ने उक्त पद के लिए सही चुनाव किया है क्योंकि प्रचार और दुष्प्रचार के लिए आप भाजपा में सर्वोत्तम व्यक्तियों में से एक हैं। पिछले दिनों आप जिस तरह से असली नकली समर्थन और विरोध के सहारे भाजपा और देश की राजनीति के केन्द्र में आये हैं यह लगभग उसी तरह से है जिस तरह कि निरंतर सुर्खियों में बनी रहने वाली राखी सावंत ने तत्कालीन लोकप्रिय बाबा रामदेव से विवाह का प्रस्ताव रख कर उनकी लोकप्रियता में से भी अपनी चर्चा का कुछ हिस्सा चुरा लिया था। वैसे तो भाजपा जिसका पूर्वनाम जनसंघ रहा है, का सारा विकास ही प्रचार व्यवस्था पर आधारित है अन्यथा हिन्दू साम्प्रदायिकता से प्रभावित और पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को मिला कर बने एक छोटे से वोट बैंक के अलावा आपकी पार्टी ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं करती थी। इसके उलट गान्धी जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेता की हत्या पर आपकी पार्टी के पितृ संगठन आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगने के कारण लोग उसे नकारात्मक रूप से लेते थे। चीन के साथ सीमा विवाद होने और लड़ाई छिड़ने से पहले तक देश की संसद में कम्युनिष्ट पार्टी और समाजवादी ही मुख्य विपक्ष की भूमिका में रहे। स्मरणीय है कि 1977 में केन्द्र में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनते समय जनता पार्टी में नकली रूप से विलीन आपकी पार्टी ने सूचना प्रसारण मंत्रालय लेने की ही ज़िद की थी और कभी फिल्मी पत्रकार रहे लाल कृष्ण अडवाणी ने यह मंत्रालय हथियाया था। उस दौरान संघ की विचारधारा से जुड़े सर्वाधिक लोग सूचना माध्यमों में प्रविष्ट हुए जिनकी लिंक अभी तक चली आ रही है। दुष्प्रचार के मामले में आपके संगठन का यह हाल है कि कभी आरएसएस को रियुमर स्पोंसरिंग संघ अर्थात अफवाह फैलाने वाला संघ के नाम से जाना गया था। जो है, उसकी जानकारी देना प्रचार कहलाता है किंतु जो नहीं है उसकी स्थापना करने के प्रयास को अफवाह कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि आज़ादी के बाद देश में हुए अधिकांश साम्प्रदायिक दंगों में अफवाहों की मुख्य भूमिका रही है जिसके लिए आप का संगठन बदनाम है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का राजनीतिक लाभ हमेशा स्थान विशेष के बहुसंख्यक वर्ग को मिलता है और चुनावी लाभ बहुसंख्यकों की पार्टी को मिलता है, यही कारण है कि फैलायी गयी साम्प्रदायिकता में सम्बन्धित क्षेत्र के बहुसंख्यकों के राजनीतिक संगठनों का हाथ होता आया है। भाजपा के फैलाव का लम्बे समय तक यही आधार रहा है इसलिए जब भी भाजपा अपने विस्तार के बारे में सोचती है तब उसे साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण सक्षम व्यक्ति की याद आती है। मोदीजी आपके चयन के पीछे आपकी इसी क्षमता को आधार बनाया गया है जिसे आप भी जानते हैं, व पार्टी की नजरों में सुपात्र बने रहने के प्रयास में रहते हैं। संयोग से आप एक औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से विकसित होते रहे राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं अतः प्रचार के सहारे उसका मुखौटा लगा कर उसे अपने पक्ष में रखने का भी एक अवसर मिला हुआ है। मुझे लगता है कि आपका संगठन बदलते समय की पहचान करने में कुछ भूल कर रहा है। यह सूचनाक्रांति और तकनीक का युग है जिसने अपने दौर को अधिक यथार्थवादी और पारदर्शी बनाया है किंतु आपका संगठन अभी भी उसी पुराने अफवाहें फैलाने, गलत बयानियां करने, और सच्ची खबरों को दबाने के लिए मीडिया को खरीदने पर भरोसा कर रहा है। यही कारण है कि सूचना माध्यमों पर इतना धन लुटाने के बाद भी आपको फेंकू के नाम से जाना पहचाना जा रहा है, और अपनी पार्टी के पुराने सदस्यों की सक्रियता बढाने के अलावा आप अभी तक कोई नई ज़मीन नहीं तोड़ सके हैं और न ही किसी नये वर्ग का समर्थन हासिल कर सके हैं जबकि आपके केन्द्रीय भूमिका में पदार्पण से एनडीए निरंतर घटता जा रहा है । गुजरात में विकास की सारी सच्चाइयां सामने आ चुकी हैं व आर्थिक आंकड़ों के समानांतर मानव विकास सूचकांक की दयनीय दशा भी सामने आती जा रही है। कुपोषित लड़कियों के लिए आपके इस कथन पर कि वे अपनी फिगर बनाने के लिए डायटिंग कर रही हैं, आपकी पार्टी तक के लोग शर्मिन्दगी महसूस कर चुके हैं। उद्योगों को आकर्षित करने के लिए आपने जिस तरह से सुविधाएं लुटायी हैं उससे जनहित में लगने वाले बजट में कमी होना स्वाभाविक है और उस पर भी आपने प्रदेश को सर्वाधिक कर्ज़ वाला राज्य बना कर छोड़ दिया है। आपके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार सिद्ध हो रहे हैं और आप उनसे त्यागपत्र लेने में भी हिचक रहे हैं। ये बातें अब इस पारदर्शी समय में अधिक दिनों तक छुपी नहीं रह सकतीं। संवाद के साधनों के रूप में अब मोबाइल और इंटरनेट आ गये हैं, व जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिससे सारे षड़यंत्रों के अंतर्सम्बन्ध अधिक आसानी से तलाशे जा सकते हैं। चाहे 2002 के नर संहार हों या सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी, तुलसी प्रजापति, की हत्याएं, हरेन पांड्या की हत्या, या इशरतजहाँ एनकाउंटर आदि, इन सबकी असलियत सामने आ सकती है और निष्पक्ष जाँच एजेंसियों व विशेष अदालतों के सहारे अपराध की जड़ों तक पहुँचना सम्भव हो सकता है। यदि आपकी इन अपराधों के अपराधियों के साथ सहानिभूति नहीं थी तो आपको अपने गर्वीले गुजरात में हुए इन अपराधों के प्रति चिंतित, दुखी, और अपराधियों को सजा दिलवाने के प्रति संकल्पित क्यों नहीं पाया गया। पता नहीं ऐसे पारदर्शी समय में आप अपने समर्थकों को इतना अधिक नासमझ क्यों समझते हैं कि आप किसी भी तरह बरगलाते रहें पर वे सच्चाई तक नहीं पहुँच सकेंगे जबकि चौबीस घंटे के समाचार चैनलों की संख्या भी इतनी बढ चुकी है कि उनमें कम से कम कुछ दो तो ऐसे होते हैं जो बिकने के लिए तैयार नहीं होंगे और सचाई को सामने ला ही देंगे। विधानसभा चुनाव के दौरान आपने इंटरनेट पर अपने नकली प्रशंसक बनवाये पर उसकी सचाई सामने आ गयी। , गत अक्टूबर में लन्दन की एक कम्पनी ने ट्विटर के आंकड़ों का पर्दाफाश करते हुए यह गड़बड़ी पकड़ी थी और बताया था कि दस लाख फालोअर्स का दावा करने वाली साइट के आपके आधे से अधिक फालोअर्स नकली हैं। यह सचाई भी सामने आ चुकी है कि आप अपना प्रचार अभियान अमेरिका की प्रचार कम्पनी से चलवाते हैं और उत्तराखण्ड की आपदा के समय 15000 गुजरातियों को बचा कर लाने के दुष्प्रचार पर आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी सफाई देनी पड़ी थी, तथा पूरे देश में मजाक बना था। आपने कार के ड्राइवर की गलती से मारे गये पिल्लों के प्रतीक से जो बात कहने की कोशिश की थी वह भी गलत प्रतीक के चयन के कारण आपकी नफरत को प्रकट कर गयी व आपको सफाई देना पड़ी थी। पर सवाल यह बना रहा कि आपने ऐसे ड्राइवर को सजा देने या हटाने की जगह उन्हें बने क्यों रहने दिया और उनकी रक्षा क्यों करते रहे। आरोपी माया कोडनानी, अमित शाह, या कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आपके चहेते क्यों बने रहे? अपनी लोकप्रियता की झूठी हवा बनाने के लिए अपनी आमसभा में पाँच पाँच रुपयों का टिकिट लगाने की नाटकीयता भी फेल हो गयी और उस योजना को वापिस लेना पड़ा। सच तो यह है कि आपको सम्भावित प्रधान मंत्री पद प्रत्याशी के रूप में प्रचारित करने का यह खेल आपके गरेवान तक पहुँच सकने वाले कानून के हाथों को कुछ और देर तक भटकाने के प्रयास भर हैं, पर देर ही हो सकती है अब अन्धेर नहीं हो सकता। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में आपकी ही पार्टी के मंत्री उसी थाने और जेल में जाने लगे हैं जिनका उन्होंने ही उद्घाटन किया था। इति, वीरेन्द्र जैन भारत का एक नागरिक।
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