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Sunday, August 4, 2013

नेता की हिस्ट्रीशीट खोलने पर जैसलमेर एसपी का ट्रांसफर

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जैसलमेर. यूपी की ईमानदार आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के मामले में अखिलेश सरकार को आड़े हाथों लेने वाली कांग्रेस खुद सवालों के घेरे में आ गई है. राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर आरोप लग रहा है कि उसने एक ईमानदार आईपीएस अफसर का तबादला इसलिए कर दिया क्योंकि उसने कांग्रेसी नेता के खिलाफ पुराने मामले की फाइल दोबारा खोल दी थी. आरोप है कि गहलोत सरकार ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलने पर जैसलमेर एसपी पंकज चौधरी का तबादला कर दिया. इस फैसले के खिलाफ जैसलमेर के स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों ने बंद का ऐलान किया है.

जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी को शहर में आए अभी 4 महीने भी नहीं बीते, तभी सरकार ने उन्हें तबादले का ऑर्डर थमा दिया. पंकज चौधरी का गुनाह ये है कि उन्होंने पोखरण से कांग्रेस के विधायक शालेह मोहम्मद और जैसलमेर के जिला प्रमुख अबदुल्ला फकीर के पिता और बुजुर्ग कांग्रेसी नेता गाजी फकीर के खिलाफ पुराने मामलों की फाइल खोली थी. कांग्रेस सरकार को अपने बुजुर्ग नेता के खिलाफ ये कार्रवाई इतनी नागवार गुजरी कि उसने पंकज चौधरी का ना सिर्फ तबादला बल्कि उन्हें नॉन फील्ड पोस्टिंग दे दी गई है. आपको बता दें कि ये पंकज चौधरी पहली फील्ड पोस्टिंग थी.

84 साल के गाजी फकीर और उनके परिवार का दबदबा किस कदर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब-जब किसी अफसर ने उनकी हिस्ट्रीशाट खोलनी चाही उसका तबादला हो गया. गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट सबसे पहले जुलाई 1965 में खोली गई थी. लेकिन 1984 में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट गायब कर दी गई. जुलाई 1990 को तत्कालीन एसपी सुधीर प्रताप सिंह ने फकीर की हिस्ट्रीशीट दोबारा खोली इसके महज 28 दिन बाद ही उनका तबादला कर दिया गया 21 साल बाद मई 2011 में कार्यवाहक एसपी गणपत लाल ने फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी, जबकि नियमों के मुताबिक एसपी ही किसी हिस्ट्रीशीट को बंद करने का अधिकार रखता है.

बीजेपी का आरोप है कि गाजी फकीर को बचाने के लिए ही कांग्रेस सरकार ने पंकज चौधरी का तबादला किया है. पंकज चौधरी की छवि एक सख्त और ईमानदार अफसर की थी. अवैध शराब बिक्री के खिलाफ उन्होंने जबरदस्त मुहिम छेड़ रखी थी, जिसके चलते शहर में रात 8 बजे के बाद शराब की अवैध बिक्री करीब-करीब बंद हो गई थी.

राज्य सरकार आरोपों से इनकार कर रही है. सरकार का कहना है कि पंकज चौधरी का तबादला प्रशासनिक फेरबदल के तहत किया गया है. इस फेरबदल में सूबे के 49 आईपीएस अफसरों का तबादला हुआ है, जिनमें से एक नाम पंकज चौधरी का भी है. हो सकता है कि गहलोत सरकार की दलील में दम हो, लेकिन सवाल ये है कि आखिर हर उस अफसर पर गाज क्यों गिरती है जो गाजी फकीर के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश करता है. कहीं ऐसा तो नहीं पंकज चौधरी जैसे कुछ और ईमानदार अफसर तबादलों की इस भीड़ में सियासी साजिश का शिकार हुए हैं.

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