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Sunday, November 1, 2015

दलित अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में सांकेतिक आक्रोश प्रदर्शन किया

Present by - Toc News

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
जयपुर। हरियाणा में दलित परिवार के दो मासूम बच्चों के जिन्दा जलाये जाने और इसके बाद इस हृदय विदारक घटना के सम्बन्ध में पूर्व सेनाध्यक्ष और भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री वी के सिंह के निंदनीय मनुवादी बयान के विरुद्ध सांकेतिक आक्रोश व्यक्त करने के लिए 23.10.15 को दलित-आदिवासियों ने यहां जयपुर स्थित डॉ. आंबेडकर सर्किल पर कैंडल जलाकर प्रदर्शन किया। मृत मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि दी और वी के सिंह के इस्तीफे की मांग की गयी। अमानवीय घटना को मानवता पर कलंक बताया गया।

इस अवसर पर आयोजित संक्षिप्त परिचर्चा तथा प्रदर्शन में हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन की और से मैंने और HRD के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष श्री रूपचन्द मीणा झिरवाल जी ने भाग लिया।

अधिकतर वक्ताओं ने दो मासूम बच्चों को ज़िंदा जलाये जाने पर तो दुःख और आक्रोश व्यक्त किया ही साथ ही रक्षा राज्य मंत्री वी के सिंह के बयान----"कोई कुत्ते को पत्थर मारे तो सरकार दोषी नहीं!"----की कड़े शब्दों में निंदा भी की गयी। सभी का एक मत कहना था कि ऐसी सामन्ती और मनुवादी सोच के लोगों के हाथों में सत्ता का होना भारत का दुर्भाग्य है। इस पर आक्रोश व्यक्त करते हुए सभी ने वी के सिंह के तुरंत इस्तीफे की माँग की और मासूम बच्चों के हत्यारों को फांसी दी जाने की मांग की गयी।

परिचर्चा में इस विषय में चिंतन करने पर जोर दिया गया कि आखिर दलित और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जावें? इस बारे में मेरी ओर से जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को दुखद मानते हुए चिन्ता व्यक्त की गयी और दलित-आदिवासी जनप्रतिनिधियों को हमारे साथ खड़े होने के लिए मजबूर किये जाने का सुझाव दिया गया।

क्योंकि हमारे मान-सम्मान और जीवन की रक्षा करने की हमारे जन प्रतिनिधियों की संवैधानिक जिम्मेदारी है। जिसका अधिकतर वक्ताओं ने समर्थन किया। इसके अलावा वक्ताओं ने दलित और आदुवासियों के मध्य और आपसी सांगठनिक एकता को मजबूत किये जाने के साथ-साथ बाबा साहब को जानने और बाबा साहब के सिद्धांतों पर अमल करने पर भी जोर दिया।

इस सांकेतिक विरोध और आक्रोश प्रदर्शन की ख़ास बात यह रही की शार्ट नोटिस पर केवल वाट्स एप पर जारी मेसेज के अनुसार इसे आयोजित किया गया। जिसमें भारी संख्या में युवाओं ने तथा कुछ महिलाओं ने भी भाग लिया। इस घटना पर युवाओं ने खुलकर अपना गुस्सा व्यक्त किया तथा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाये जाने की मांग की गयी।

दुखद पहलु यह रहा कि अग्रिम सूचना दिए जाने के उपरान्त भी मनुवादी मीडिया के प्रतिनिधि प्रदर्शन स्थल पर नहीं आये। ऐसे में हमें सोशल मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग किये जाने की जरूरत है।

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