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Saturday, January 2, 2016

पुलिस का चेहरा, बदतमीज़ी और बेईज़्ज़ती

(लिमटी खरे)
Toc News
सिवनी. नया साल इस तरह से पुलिस के नये चेहरे को लेकर आयेगा इसका भान सपने में भी नहीं था। पुलिस के द्वारा 31 दिसंबर और 01 जनवरी की दर्म्यानी रात में दो जिम्मेदार संपादकों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया है उसको पाठकों के समक्ष रखा जा रहा है अब पाठक ही फैसला करें और अपना निर्णय दें।
0 वर्ष 2015 की आखिरी रात में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक लिमटी खरे, दैनिक हिन्द गजट के संपादक शरद खरे एवं एक अन्य कर्मचारी सादिक खान रोज़ की तरह ही लगभग साढ़े ग्यारह पौने बारह बजे बारापत्थर स्थित अपने कार्यालय से घर को रवाना हुये।
0 सर्किट हाउस चौराहे पर खाकी वर्दी वाले सिपाहियों के द्वारा दोनों के दो पहिया वाहनों को रोका गया। इसके बाद यातायात प्रभारी जगोतनी मसराम के द्वारा दोनों को नये साल की बधाईयां दी गयीं। इसी बीच नगर पुलिस अधीक्षक राजेश तिवारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने भी बाकायदा गर्मजोशी के साथ नये साल की बधाईयां लीं और दीं। राजेश तिवारी के द्वारा पूछा गया कि क्या हो गया कैसे रूके हैं? इसके जवाब में हमने बताया कि पुलिस ने गाड़ी रोकी है, रूटीन चैकिंग है, अभी कागज़ वगैरह दिखाकर चले जायेंगे।
0 राजेश तिवारी के द्वारा मौके पर तैनात पुलिस को निर्देश दिये जाते हैं। इसके बाद हमने राजेश तिवारी को बताया कि ये वे ही अधिकारी (रघुराज चौधरी) हैं जिन्होंने 25 दिसंबर को भी हमारी गाड़ी रोककर जमकर हुज़्ज़त की थी। पांच सौ रूपये का चालान काटा जा रहा था। हमने पांच सौ दिये पर चालान नहीं काटा गया। हमने बताया कि उस दिन भी इनके (रघुराज चौधरी) के द्वारा बदतमीज़ी की गयी थी।
0 इसी बीच दैनिक हिन्द गजट के संपादक शरद खरे ने सीएसपी का ध्यान आकर्षित कराया कि रघुराज चौधरी इस समय भी लोगों से बदतमीज़ी से बात कर रहे हैं। इस पर सीएसपी ने पूछा कि आप कौन हैं। हमने बताया कि ये दैनिक हिन्द गजट के संपादक हैं। फिर क्या था, अमूमन शांत चित्त और धीर गंभीर रहने वाले सीएसपी राजेश तिवारी हत्थे से उखड़ गये और उन्होंने यातायात प्रभारी को निर्देश दिये कि इन दोनों (जबकि मौके पर हम तीन लोग थे) का मुलाहजा कराओ।
0 सर्किट हाउस चौराहे पर सीएसपी राजेश तिवारी इस कदर चीख रहे थे मानो वे आम जुआरी, सटोरिये या जरायमपेशा व्यक्ति से बात कर रहे हों। इसके बाद शातिर बदमाशों की तरह पुलिस ने दोनों संपादकों को यातायात पुलिस के वाहन में बैठाया और लेकर कोतवाली चले गये। कोतवाली में दोनों जिम्मेदार संपादकों को इस तरह बैठाया गया मानो वे शातिर चोर या अपराधी हों।
0 इसके बाद सीएसपी कोतवाली पहुंचे और उन्होंने यातायात प्रभारी को फिर डांट पिलायी कि दोनों के साथ क्या बातें कर रहीं हैं। जाकर मुलाहजा करवाओ और अगर कोई बात हो तो धारा 353 का मामला कायम कर दो। दोनों संपादक पुलिस के इस बर्ताव से बेहद आश्चर्य में थे।
0 जब दोनों को लेकर पुलिस अस्पताल पहुंची तब वहां मौजूद चिकित्सक के द्वारा मुलाहज़ा फार्म पढ़ा ही जा रहा था कि अचानक ही एक सिपाही प्रकट हुए और उन्होंने चिकित्सक को मोबाईल देते हुये कहा कि टीआई साहब से बात कर लें। चिकित्सक ने नगर कोतवाल से बात की और बिना किसी परीक्षण के ही मुलाहज़ा फार्म भर दिया गया। दोनों संपादकों के द्वारा बार बार आग्रह किया जाता रहा कि उनका रक्त परीक्षण कराया जाये ताकि पता लग सके कि हकीकत क्या है? इसके जवाब में चिकित्सक ने कहा कि साहब से बात हो गई है, हमारे यहां रक्त परीक्षण नहीं होता है। चिकित्सक के द्वारा महज़ दो लाईन में लिख दिया गया कि कंज्यूम्ड अल्कोहल बट नॉट एंटॉक्सीकेटेड अर्थात अल्कोहल का सेवन किया है पर नशे में नहीं हैं।
0 इसके बाद दोनों को फिर शातिर बदमाशों की तरह यातायात पुलिस के वाहन में कोतवाली ले जाया गया। कोतवाली में पुलिस अधीक्षक के सामने चर्चा हुयी। सुलझी सोच के धनी पुलिस अधीक्षक ए.के. पाण्डेय के द्वारा मामले की जानकारी ली गयी। उन्होंने 25 दिसंबर और 31 दिसंबर के वीडियो फुटेज़ मांगे। इसके बाद रात लगभग ढाई बजे दोनों को बिना किसी अपराध की कायमी के छोड़ दिया गया।
0 इस पूरे मामले को क्या माना जाये। इस तरह की हरकतों से सुलझी सोच के धनी शांत चित्त सीएसपी राजेश तिवारी आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं?
0 समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के कैमरापर्सन का कैमरा पांच अक्टूबर को छुड़ा लिया गया था। इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज़ है। रात डेढ़ बजे कैमरा पर्सन को एसडीओपी के द्वारा थाने बुलाया जाता है, हम भी साथ जाते हैं। रात को जबरन ही परेशान किया जाता है। इसके बाद सीएसपी राजेश तिवारी ने हमें फोन कर बताया कि कैमरा मिल गया है और कैमरा पर्सन को वापस कर दिया गया है, जब तहकीकात हुयी तो बात गलत निकली।
0 इसके बाद दैनिक हिन्द गजट कार्यालय पर 14 फरवरी को बम पटकने के आरोपी हिन्द गजट आते हैं, वाद विवाद करते हैं। इसकी सूचना नगर कोतवाल को दी जाती है। रात एक बजे फिर शांत चित्त एसडीओपी राजेश तिवारी का फोन आता है। उन्हें कहा जाता है कि हम नींद में हैं। हमने इसकी सूचना आई.जी. जबलपुर को उसी समय दी कि हमें जबरन ही देर रात फोन करके परेशान किया जाता है।
0 हमने 33 साल के पत्रकारिता जीवन में नई दिल्ली, रायपुर, भोपाल, रीवा, जबलपुर, नागपुर आदि अनेक प्रदेशों के ख्यातिलब्ध अखबारों में काम किया है। इस दौरान जिन भी जिलों में रहे हैं वहां की पुलिस थानों के रिकॉर्ड से इस बात को तस्दीक किया जा सकता है कि हमारा चाल चलन कैसा है? क्या हम आदतन आपराधिक प्रवृत्ति के हैं? क्या हम सरकारी काम में बाधा डालने के आदी हैं?
0 यह है पूरा घटनाक्रम, आप पाठक ही फैसला करें कि सिवनी में अमन चैन कायम है या फिर कुछ और। अगर आपको लगता है कि पुलिस की कार्यवाही सही है तो आपका फैसला सिर आँखों पर।

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