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Thursday, January 14, 2016

अखबार मालिकों की गुंडई और दुस्साहस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कई आदेश दिए

Toc News
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने अखबार मालिकों की गुंडई और दुस्साहस को संज्ञान लेते हुए वकीलों को निर्देश दिया कि वे वेज बोर्ड मांगने के कारण अखबारों से निकाले गए या ट्रांसफर किए गए या किसी रूप में प्रताड़ित किए गए मीडियाकर्मियों के डिटेल दाखिल करें. मीडियाकर्मियों के वकीलों के तर्क को अदालत ने गंभीरता से सुनने के बाद रजिस्ट्री को कहा कि राज्यों से जो रिपोर्ट मंगाई गई है उसे वकीलों को अधिकृत रूप से मुहैया कराया जाए ताकि वो अध्ययन करके रिपोर्ट अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकें और उसी पक्ष में मीडियाकर्मियों के साथ हो रहे नकारात्मक व्यवहार का उल्लेख करें.

अदालत ने पूरे मामले की अगली सुनवाई के लिए छह हफ्ते बाद आने को कहा. इसके अलावा एक अन्य बड़ा डेवलपमेंट ये रहा कि मजीठिया मामले में जो केस नंबर एक है, दैनिक जागरण के कुछ कर्मियों से जुड़ा, उसके वकील अब परमानंद पांडेय नहीं होंगे. उनकी जगह कर्मियों ने कालिन गोंजाल्विस को वकील नियुक्त किया है. चर्चा है कि दैनिक जागरण के अन्य कर्मी भी परमानंद पांडेय को अपने वकील के रूप में न रखने को लेकर सक्रिय हैं और जल्द ही कोई बड़ा डेवलपमेंट हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट मे मंगलवार को मजीठिया मामले की जब सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगई ने देश भर के अखबारो में मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं करने पर न सिर्फ नाराजगी जताई बल्कि पत्रकारों के दुखों को अदालत के संज्ञान में लाने के लिए वकीलों से कहा. वकीलों ने बहस के दौरान कोर्ट के बताया कि अदालत द्वारा दिए गए समय के भीतर कई राज्यों ने मजीठिया वेज बोर्ड के इंप्लीमेंटेशन पर स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की है. इस कारण पूरा मामला टलता जा रहा है और मीडियाकर्मियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. जस्टिस गोगई ने पीड़ित पत्रकारों को दो सप्ताह में एडिशनल एफिडेविट पेश करने को कहा. साथ ही सभी राज्यों को भी आदेश दिया कि वो दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी

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