Pages

click new

Saturday, March 19, 2016

प्रदेश में 500 से अधिक रेत खदानें भाजपाईयों की

Toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सत्ता पर काबिज होने के दिनांक के बाद उनके ही विधानसभा क्षेत्र बुधनी से जो अवैध कटाई, अवैध वन खनन और अवैध रेत का कारोबार का भी श्रीगणेश हुआ है, स्थिति यह है कि जिस तरह से पूरे प्रदेश में विगत दस वर्षों से शिवराज सिंह चौहान की सत्ता चल रही है उसी तरह से राज्य का शायद ही कोई ऐसा कस्बा या गांव नहीं बचा हो जहां इन खनिज माफियाओं का वर्चस्व न हो, हालांकि यह सब खेल राज्य में सक्रिय मंत्रियों, अधिकारियों सत्ता के दलालों और ठेकेदारों के रैकेट की मिलीभगत के कारण यह कारोबार दिन-दूना रात चौगुना फल-फूल रहा है और सरकार इस कारोबार पर बंदिश लगाने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है, हालांकि राज्य में चल रहे इस तरह के अवैध खनन के कारोबार पर बंदिश लगाने का काम की पहल केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा की जाने की नीति बनाई गई है

जिसके तहत जहां खनन मंत्रालय द्वारा सैटेलाइट की इमेज से जहां खनन कारोबारियों पर निगरानी रखी जाएंगी तो वहीं मोदी मंत्रीमण्डल के सहयोगी प्रकाश जावड़ेकर द्वारा चम्बल के पूर्व दस्युओं के हवाले चंबल में चल रहे अवैध उत्खनन के कारोबार पर निगाहे रखने की योजना बनाई जा रही है, खनिज माफियाओं के सामने यह सरकार इस तरह से नतमस्तक है कि वह इनके कारोबार में सरकार और उसके कप्रशासनिक अधिकारी कोई खलल पैदा नहीं कर पा रहे हैं और जो करता है उसे सबक सिखाने से लेकर मौत के घाट तक उतारने में यह माफिया पीछे नहीं रहता है, इस तरह की घटनायें शिवराज के राज्य में प्रदेश में आयेदिन घट रही हैं, स्थिति यह है कि बेकाबू खनिज माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह अधिकारियों, कर्मचारियों की हत्यायें, जानलेवा हमले और उनपर वाहन चढ़ाने में भी नहीं हिचकते, इस तरह के दर्जन भर से अधिक मामलों में सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना इस बात का सबूत है कि प्रदेश में चल रहे रैकेट के संरक्षण में चलते रेत माफियाओं के हौंसले बुलंद हो रहे हैं,

प्रदेश में रेत और पत्थर माफियाओं द्वारा अपने-अपने अंचलों में एक केन्द्रीय मंत्री और राज्य सरकार के मुखिया के संरक्षण में अवैध उत्खनन के कारण उक्त घटनाओं को अंजाम दिये जाने का बेखौफ उत्पाद जारी है, ऐसा आरोप कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा द्वारा भी लगाया गया है, ग्वालियर-चंबल संभाग के केंद्रीय मंत्री और मालवांचल में सरकार के मुखिया के संरक्षण में यह कारेाबार फलफूल रहा है माफिया खूनी संघर्ष करने से निडर होकर कानून को चुनौती देते हुए करोड़ों-अरबों रुपये का अवैध खनन कर सरकारी खजाने को चूना लगाने में लगे हुए हैं,

ऐसा कांग्रेस का आरोप है तो वहीं कांग्रेस यह भी आरोप लगाने से भी नहीं चूक रही है कि इस समय प्रदेश में लगभग ५०० से अधिक रेत की अवैध खदानें और रेत का अवैध परिवहन कर रहे डम्पर भाजपा नेताओं के ही हैं तो वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता का कहना है कि वर्ष २००८ में मुरैना के तत्कालीन आकाश त्रिपाठी व हरिसिंह यादव पर फायरिंग, वर्ष २०११-१२ में मुरैना जिले के खनिज अधिकारी आरके कनेरिया पर पांच बार जानलेवा हमला, वर्ष २०१२ में सराय छोला थाने और सिविल लाइन थाने पर हमला कर ट्रेक्टरों और डम्परों को छुड़ाया गया, इसी वर्ष में वन चौकियों पर दो दर्जन माफियाओं द्वारा हमला किया गया तो वहीं वर्ष २०१३ में मुरैना के देवरी हाईवे के पास चेकिंग पाइंट पर तैनात एसएफ के सब इंस्पेक्टर की गोली मारकर हत्या की गई, मुरैना में आईपीएस नरेन्द्र कुमार की हत्या की गई तो रीवा और जबलपुर में खनिज अधिकारियों पर जानलेवा हमला किया गया,

देवास जिले में महिला तहसीलदार पर जीप चड़ाकर जान से मारने की घटना को अंजाम देने की कोशिश की गई रेत माफियाओं के हौंसले तो यहां तक बड़े हुए हैं कि बुरहानपुर में ताप्ती नदी की घटना भी रेत माफियाओं को सरकार के संरक्षण का सरकारी दस्तावेज बन चुकी है, ऐसे एक नहीं अनेकों मामले आये दिन कहीं न कहीं घटते ही रहते हैं लेकिन इन पर सरकार बंदिश लगाने में नाकाम साबित होती नजर आ रही है स्थिति यह है कि जहां प्रदेश के वनों और नदियों में पनडुब्बी के माध्यम से अवैध रेत खनन का कारोबार प्रदेश में दिन दूना-रात चौगुना पनप रहा है उसके चलते जहां प्रदेश की जलवायु पर तो प्रभाव पड़ ही रहा है तो वहीं दूसरी ओर राज्य के उस सरकारी खजाने पर जो इन दिनों कंगाली की हालत में हैं और सरकार को अपने जरूरी कामकाज चलाने के लिये धड़ाधड़ बाजार से कर्जा लेना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में इस अवैध खनिज माफियाओं पर बंदिश लगाई जाए तो सरकार को प्रतिमाह करोड़ों की राजस्व की प्राप्ति होगी।

No comments:

Post a Comment