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Saturday, March 12, 2016

मंत्री बृजमोहन को दान में मिली करोड़ों की सम्पत्ति

बृजमोहन को दान में मिली करोड़ों की सम्पत्ति
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Present by _ toc news
अक्सर काले धन को सफ़ेद करने रास्ता ढूंढा जाता है और इसी के चलते लोग अपनी अवैध धन से अर्जित संपत्तियों को दान या गिफ्ट में लेकर उसे वैध कर लेते हैं जिससे इनकम टैक्स विभाग को बिना स्रोत बताये, बिना टैक्स पटाये संपत्ति में कई गुना इजाफा हो जाता है और उक्त संपत्ति वैध हो जाती है ।

आर टी आई कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह द्वारा आर टी आई के तहत प्राप्त दस्तावेजों से इस खेल में बड़ा सवाल खड़ा किया है ।

प्रदेश के सबसे धनी और कद्दावर माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल धर्म कर्म के मामले में दान दिये जाने के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं । पर इस बार प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार मंत्री जी ही दान लेते नजर आ रहे हैं मंत्री बृजमोहन को ही शंकर नगर और मोवा की बेशकीमती जमीन दान में मिली है । इसके पीछे कहीं काले धन को सफ़ेद करने का प्रयास तो नही, दस्तावेजों की माने तो ये इसी तरफ इशारा करते हैं । हाल ही में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भाई गोपाल अग्रवाल से एक करोड़ बयालीस लाख पचास हजार रूपये मूल्य की मोवा स्थित 9583 वर्गफुट जमीन दान में ली है गौर करने वाली बात यह है की दान में ली गयी इस जमीन के चारों ओर मंत्री बृजमोहन की पत्नी और भाई यशवंत की ही जमीने हैं । इससे इस बात की आशंका और गहरी हो जाती है कि अवैध रुपयों से भाइयों के नाम ख़रीदे गए जमीनों को कहीं दान के माध्यम से वैध करने का प्रयास तो नहीं। इसी प्रकार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की धर्मपत्नी श्रीमती सरिता अग्रवाल ने भाईं मुकेश दिनेश और मौसा जगदीस जयपुरिया सभी निवासी महाराष्ट्र से ग्राम शंकर नगर की करोडो रुपयो की क्रमश 10500 व 4000 वर्गफीट कुल 14500 वर्गफीट दान में ली है और दोनों ही जमीन आस पास में लगी हुई है मंत्री बृजमोहन और उनकी पत्नी को लगातार दान पर दान से सम्पति मिलना काले धन को सफ़ेद बनाने के गंभीर भ्रष्टाचार की आशंका को जन्म देता है । दान में मिली जमीन को अपने नाम दर्ज कराने वर्तमान में शंकर नगर निवासरत मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और उनकी पत्नी ने झूठा शपथ पत्र देते हुए अपना पता भी रामसागर पारा बता्या है।

तकनीकी पहलुओं पर गौर किया जाये तो आम तौर पर किसी भी संपत्ति को खरीदने उस मूल्य का स्त्रोत, इनकम टैक्स विभाग में बताना पड़ता है जैसे उन रूपयों की कमाई कैसे की गयी है आदि आदि। साथ ही आमतौर पर जमीन की खरीदी बिक्री का रजिस्ट्री शुल्क 6% तक होता है पर संपत्ति दान में लेने से दान का पंजीयन शुल्क 1.25% हो जाता है जिससे शासन को सीधे 4.75% का नुक्सान होता है और दान लेने वालो को रुपयो को स्त्रोत भी नहीं बताना पड़ता इस प्रकार काले धन को सफ़ेद करने का यह सब से आसान व सरल उपाय है ।

सुलगते सवाल :-

1. मंत्री बृजमोहन और उनकी पत्नी को दान लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

2. दान देने वाले के पास उक्त संपत्ति खरीदने के लिए उतना पैसा कहाँ से आया?

3.मंत्री बृजमोहन और उनकी धर्मपत्नी को निवास मामले में झूठा शपथ पत्र देने की आवशयकता क्यों पड़ी ?

4. लगातार भाई व् पत्नी की जमीन से लगी भूमि दान लेने का क्या कारण ?

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