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Friday, March 11, 2016

प्रभारी मंत्री ने शौचालय, घाट, सड़कें व खान डायवर्सन की वास्तविक स्थिति जानी

प्रभारी मंत्री ने मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं का लिया जायजा
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 उज्जैन-> प्रवास पर आये जिले के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने आज बुधवार को सिंहस्थ मेला क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने शौचालय निर्माण की गुणवत्ता, सीवर लाईन, पेयजल व बिजली व्यवस्थाओं की वास्तविक स्थिति जानी। प्रभारी मंत्री भूखीमाता, दत्त अखाड़ा, उजड़खेड़ा, मुल्लापुरा और मंगलनाथ क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने टॉयलेट्स निर्माण में उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता परखी, निर्देश दिये कि सिंहस्थ का प्रत्येक कार्य गुणवत्तायुक्त हो। उनके साथ विधायक श्री अनिल फिरोजिया, संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, एडीजी व्ही.मधुकुमार, डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक एम.एस.वर्मा, मेला अधिकारी अविनाश लवानिया व इन्दौर नगर-निगम आयुक्त श्री सिंह मौजूद रहे।

       टॉयलेट्स निर्माण के निरीक्षण के दौरान प्रभारी मंत्री ने कार्य की गति तेज करने की आवश्यकता जताई। इस कार्य में सुलभ इंटरनेशनल या अन्य किसी एजेन्सी को भी सहभागी बनाने के लिये मेला अधिकारी से चर्चा की। बताया गया कि सुलभ इंटरनेशनल द्वारा अग्रिम राशि ली जाती है। प्रभारी मंत्री ने कहा कि इस सम्बन्ध में अग्रिम का प्रावधान किया जा सकता है। हमें सिंहस्थ में आने वाले साधु-सन्तों व श्रद्धालुओं को गुणवत्तायुक्त बेहतर सेवाएं देना है। प्रभारी मंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि टॉयलेट्स निर्माण में सीवर लाइन सही तरीके से कनेक्ट की जाये। सिंहस्थ के दौरान क्षेत्र में गन्दगी नहीं फैले, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये। मंत्री श्री सिंह ने मेला क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न मार्गों के आस-पास सार्वजनिक शौचालय की जानकारी मांगी।

       दत्त अखाड़ा झोन में करीब एक हजार मॉड्यूलर टॉयलेट्स भी रखे जायेंगे। ये टॉयलेट्स उन स्थानों पर उपयोगी होंगे, जहां सीवर लाइन कनेक्ट होने में कोई समस्या है। प्रभारी मंत्री ने मॉड्यूलर टॉयलेट्स का निरीक्षण करते हुए इन्हें उपयोगी बताया। मेला अधिकारी ने बताया कि टॉयलेट्स की साइज साधु-सन्तों की मांग के अनुसार बढ़ाई गई है। वर्तमान साइज उपयोग के लिये एकदम उपयुक्त है।

सुन्दर दिख रहे हैं घाट –प्रभारी मंत्री

       प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने लालपुल क्षेत्र पहुंच कर शिप्रा नदी पर बनाये गये घाटों की प्रशंसा करते हुए कहा कि घाट अब सुन्दर दिख रहे हैं। घाटों का दृश्य विहंगम बन पड़ा है। जल संसाधन विभाग द्वारा श्रद्धालुओं की स्नान सुविधा के लिये घाटों को बेहतर तरीके से बनाया गया है। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा नवनिर्मित घाटों पर लाल और सफेद रंगों से आकर्षक पेन्ट किया गया है। प्रभारी मंत्री ने मेला अधिकारी को यह भी निर्देश दिये कि घाटों के उपरी हिस्से में जहां सड़क किनारे कटाव है, वहां रेलिंग लगवाई जाये। प्रभारी मंत्री ने लालपुल के ठीक नीचे शिप्रा नदी को समतल कराने के भी निर्देश दिये है। जिससे यहा की सुन्दरता बरकरार रहे।

सड़कों की दोनों साइडों में भराव करवायें

       प्रभारी मंत्री ने अपने इस निरीक्षण में मुल्लापुरा क्षेत्र से लेकर चिन्तामन गणेश, उजड़खेड़ा तथा अन्य क्षेत्रों में सिंहस्थ मेला क्षेत्र के टॉयलेट्स निर्माण देखे। इस दौरान सड़क के विभिन्न हिस्सों में दोनों छोर पर रोड साइड उखड़ी हुई पाये जाने पर उन्होंने मेला अधिकारी को निर्देश दिये कि विभिन्न स्थानों पर रोड शोल्डर पूर्ण किये जायें। जहां रोड साइड उखड़ी है, उनको लाल मुरम से भरवाया जाये। इससे सड़कों के सौन्दर्य में वृद्धि होगी।

देश में पहली बार अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग उज्जैन में

सिंहस्थ मेला क्षेत्र में धूल की समस्या से निजात के लिये अभी पायलट स्तर पर एक विशेष प्लास्टिक पॉलीमर का छिड़काव किया गया है। इस तकनीक के उपयोग से किसी समतल भूमि या खेतों में अस्थायी सड़क का निर्माण करने के पश्चात पॉलीमर छिड़काव कर उस स्थान से धूल उड़ना बन्द हो जाती है। मेला क्षेत्र में धूल के गुबार से मुक्त रखने के लिए ग्लोबल रोड टेक्नालॉजी का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए प्रायोगिक तौर पर कम्पनी ने मंगलनाथ क्षेत्र में करीब 100 मीटर लम्बी और 80 मीटर चौड़ी सड़क पर छिड़काव किया। कम्पनी द्वारा किये गये पॉलीमर छिड़काव का अवलोकन प्रभारी मंत्री ने किया। इससे उस क्षेत्र में धूल का उड़ना बिलकुल बन्द हो गया है। प्रारम्भिक रूप से कम्पनी द्वारा किये गये डैमो का अच्छा परिणाम मिलने के पश्चात मेला क्षेत्र में धूल भरी सड़कों से निजात के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इस पॉलीमर से पूरी सिंहस्थ अवधि में धूल की समस्या से निजात मिल सकती है। टेक्नालॉजी के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इस टेक्नालॉजी का सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में उपयोग किये जाने पर विचार किया जाकर अन्तिम निर्णय लिया जायेगा।

रेलवे लाईन के 60 फीट नीचे से खान नदी का रास्ता

       प्रभारी मंत्री ने सिंहस्थ के लिये खान डायवर्शन योजना कार्य का निरीक्षण किया। लालपुल के नजदीक रेलवे पुशिंग पाइंट पर पहुंच कर उन्होंने करीब 100 मीटर लम्बाई में बनाई जा रही टनल को देखा। रेलवे लाइन के नीचे निर्मित की जा रही इस टनल की गहराई 60 फीट है। 60 फीट की गहराई से खान नदी को निकालने के लिए ड्रिलिंग मशीन द्वारा यह कार्य दिन रात किया जा रहा है। इस कार्य में प्रतिमीटर लगभग एक लाख रूपये खर्च हो रहा है। भूमि के अन्दर हार्ड रॉक आने से कार्य अत्यन्त दुरूह हो गया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने प्रभारी मंत्री को समय-सीमा में कार्य पूर्ण करने की बात कही। इस रेलवे पुशिंग पाइंट पर विश्वस्तरीय डिटबिच मशीन का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ सहायक मशीनें भी कार्य कर रही हैं।

प्रभारी मंत्री बोले एक्सीलेंट वर्क

       खान डायवर्शन योजना का निरीक्षण साड़ूमाता पाइंट पर पहुंच कर भी किया गया। इस पाइंट पर लगभग सात मंजिला उंची इमारत जितनी गहरी खुदाई लेवलिंग के उद्देश्य से करना पड़ी है। यहां भी सख्त चट्टानों के आने से कार्य अत्यन्त मुश्किल हो गया है। विभाग द्वारा अभी योजना की लम्बाई के 16वें किलो मीटर पर काम यहां किया जा रहा है। इस मुश्किल प्रोजेक्ट को जिस जज्‍बे के साथ अंजाम दिया जा रहा है, उसे देखकर प्रभारी मंत्री के मुंह से बरबस निकला “एक्सीलेंट वर्क”। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सख्त चट्टानों के अलावा यहां पर गहरी खुदाई में पाइप शिफ्टिंग, मटेरियल को नीचे से ऊपर पहुंचाने, 14 टन वजनी पाइप को नीचे उतारने, हाईटेंशन लाइन की स्थिति में ब्लास्टिंग और मिट्टी धसकने जैसी कई समस्याएं आ रही हैं। गहरी खुदाई होने के कारण लगभग दो से चार करोड़ रूपये पानी को लिफ्ट करके बाहर फैंकने में खर्च हुए हैं। फिर भी समय-सीमा में इस कार्य को पूरा कर लिया जायेगा। इस पाइंट पर 30 से 40 प्रकार की विभिन्न मशीनों का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के लिये किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सम्पूर्ण खान डायवर्शन योजना में 90 पोकलेन मशीन, 12 क्रेन और 18 डोजर मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेलवे पाइंट छोड़कर लगभग 15 किलो मीटर लम्बाई में योजना का कार्य पूरा किया जा चुका है।

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