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Friday, April 15, 2016

भाजपा को क्यों अचानक याद आए अम्बेडकर ?

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। भाजपा सहित आज अन्य पार्टियों के नेताओं में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की १२५वीं जयंती पर कार्यक्रमों के आयोजनों को लेकर न केवल केन्द्र सरकार बल्कि अन्य राजनीतिक दलों मेें होड़ सी मची हुई है सवाल यह है कि वर्षों बाद क्या डॉ. अम्बेडर को लेकर कार्यक्रमों के आयोजन से उन मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी, जिनके लिये अंबेडकर संघर्ष करते रहे, अधिकांश राजनीतिक दलों ने डॉ. अम्बेडकर के विचारों को कभी प्रमुखता नहीं दी, आखिर आज अचानक क्यों वे अम्बेडकर का गुणगान करने में लगे हुए हैं वर्षों से बिसारे हुए डॉ. अम्बेडकर अचानक क्यों याद आ रहे हैं, क्या दलित मतदाता चुनाव जिताने की जरूरी शर्त बन गए हैं। वर्षों से दलित मतदाताओं का मोह कांग्रेस सहित सभी पार्टियों से भंग हो गया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अचानक उत्तरप्रदेश में होनेवाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अचानक डॉ. अम्बेडकर का दामन थामकर उत्तरप्रदेश के दलित मतदाताओं को अपनी ओर लुभाने की पहल की है, यह उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में सत्ता की सीढ़ी दलितों के समर्थन से चढ़ी जाती है जिसका जीता जागता उदाहरण हैं मायावती, मायावती अभी तक दलितों के वोट बैंक के समर्थन के  भरोसे सत्ता की पायदान हासिल करती रही हैं, यही सब सोचकर अब भाजपा ने भी डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है, देखना अब यह है कि उसके इस प्रयास में उसे कितनी सफलता मिलती है और यह भी देखना है कि सत्ता की खातिर भाजपा और किन पार्टियों के नेताओं का सहारा आगे ले सकती है कि नहीं?

हालांकि पिछले दिनों भाजपा की केन्द्रीय सरकार के मुखिया मोदी के सहयोगी रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्वर्गीय इंदिरा गांधी की तारीफ करके यह संकेत तो दे दिये हैं कि यदि समय आया तो सत्ता की खातिर वह इंदिरा गांधी की भी जयजयकार कर सकते हैं, फिलहाल बात वोट की राजनीति की है जिसके कारण आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर के गुणगान गाने और अन्य नारों को छोड़कर जय भीम के नारे लगाने की ओर भाजपा कदम बड़ा रही है, सवाल यह भी उठता है कि क्या वह दीनदयाल और पं. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की तरह डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सिद्धांतों को भी अपनाएगी। हालांकि इस बात को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं तो वहीं लोग अम्बेडकर जी के वह वाक्य सूत्रों को जोड़कर यह कहते नजर आ रहे हैं कि क्या डॉ. अम्बेडकर ने जो कहा था वह भाजपा अपनाएगी कि नहीं यह अलग बात है डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि भारत जैसे देश में संभव है कि लोकतंत्र में तानाशाही आ जाए, राजनीति में भविष्य या व्यक्ति पूजा तानाशाही की ओर जाने वाली होती है सामाजिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र बेकार है,

राजनीति में उदारवाद और समानता के रास्ते पर चलना होगा, देखना अब यह है कि भाजपा डॉ. अम्बेडकर के इस कथन को कितना अंगीकार करती है या नहीं यह तो भविष्य बतायेगा। आज जिन डॉ. अम्बेडकर को भाजपा अंगीकार करने जा रही है उन्हीं अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकारों पर तो प्रदेश भारतीय जनता पार्टी हनन करने में लगी हुई है, जिन अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में देश के नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी गई है लेकिन भाजपा सरकार के प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के राज्य में उन्हीं अंबेडकर के लिखे संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं जिनकी १२५वीं जयंती पर उनकी जयजकार करने जा रही है। लेकिन दूसरी ओर उन्हीं के संविधान में दिये गये भारतीय नागरिकों को प्रदत्त अधिकारों में लगातार कटौती करने में लगी हुई है तभी तो राज्य में शिक्षा की क्या स्थिति है और सरकार की नीतियों के चलते सरकारी स्कूलों में नहीं निजी स्कूलों में लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो वहीं आज डॉ. अंबेडकर की दलित वोट की खारित जयजयकार लगाने वाले भाजपाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में उन्हीं अम्बेडकर के संविधान में दिये गये नागरिकों के प्रदत्त अधिकार स्वास्थ्य जैसी सेवाओं को नि:शुल्क प्रदान करने की बजाए राज्य के २७ जिलों की स्वास्थ्य सेवाएं भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के इशारे पर गुजरात के दीपक फ ाउंडेशन को सौंप दी गई हैं और जिसकी पहल ठेठ आदिवासी जिला अलीराजपुर से शुरू हो गई है, कुछ दिनों बाद यह व्यवस्था प्रदेश के २६ जिलों में लागू हो जाएगी, संविधान में प्रदेश के नागरिकों को नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराये जाने की भी व्याख्या है लेकिन प्रदेश में पानी की क्या स्थिति है यह वह भुक्तभोगी बता सकता है जिसे मीलों चलकर अपनी जरूरी कामकाज के लिये पानी लाना पड़ रहा है और पानी को लेकर राज्य की आधे से ज्यादा आबादी में त्राही त्राही मची हुई है।

एक ओर जहां डॉ. अम्बेडकर के द्वारा लिखित संविधान में प्रदत्त नागरिकों के अधिकारों में भाजपा सरकार कटौती कर रही है तो दूसरी ओर वोट की खातिर जय भीम बोलने की तैयारी में लगी हुई है, इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। जहां तक दलित वोट की खातिर डॉ. अम्बेडकर का दामन थामने में यह सरकार लगी हुई है इसको लेकर लोगों में यह चर्चा भी व्याप्त है कि डॉ. अम्बेडकर ने सिस्टम में भ्रष्ट आचरण के बारे में जो बाद कही थी क्या वह अब इस प्रदेश में लागू होगी, डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि कभी देश जब सोने की चिडिय़ा था तो पहले मुगलों ने लूटा, फिर अंग्रेजों ने और आज हमारे सिस्टम के लोग ही हमें लूटने में लगे हैं, देश भ्रष्टों का गड़ बन गया है सरकारों में रिकार्ड तोड़ घोटाले उजागर हो रहे हैं। अधिकारी व को-आपरेट जगत ने संसाधनों को लूटा, काली कमाई को बाहर छिपा दिया,

आज भले ही वोट की खातिर भाजपा के नेता अम्बेडकर का दामन थामने और जय भीम के नारे लगाने की तैयारी में लगे हुए हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या अम्बेडकर के द्वारा सिस्टम के भ्रष्ट आचरण ने छीन ली आजादी, काले धन में अव्वल जैसे वाक्यों को भी अपनाकर प्रदेश में चहुंओर फेल रही भ्रष्टाचार और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के साथ-साथ राजनेताओं द्वारा जिस तरह से कालेधन को बढ़ावा दिया जा रहा है उस पर क्या अंकुश लगाए सकेगी तभी उसका अम्बेडकर की जय-जय बोलने का काम सार्थक होता दिखाई देगा।     

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