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Thursday, June 16, 2016

लोकायुक्त के आरोपी सचदेवा को बिजली कंपनी का नया सीजीएम बनाने की तैयारी

अवधेश पुरोहित @ ttoc news
भोपाल। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले यह दावा करते हों कि न खाएंगे और न खाने देंगे लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के इस मामले में नीति कुछ अलग ही है, यहां खाओ और खाने दो की नीति पर यह शासन चल रहा है। शायद यही वजह है कि इस सरकार के सत्ताधीशों की पहली पसंद भ्रष्ट अधिकारी हैं और ऐसे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप होने के बावजूद भी उन्हें पदोन्नतियां देना या मलाईदार विभाग पर बैठाने में यह सरकार पीछे नहीं रहती है शायद यही वजह है कि बिजली कंपनी के ग्वालियर रीजन के नए मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) एमके सचदेवा बनने जा रहे हैं।

उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार को लेकर जांच शुरु हो चुकी है। इसी जांच को लेकर पहले भी उसकी नियुक्ति नहीं हो पाई थी, लेकिन अब उनकी नियुक्ति को लेकर स्थिति साफ बताई जा रही है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्य महाप्रबंधक कप्तान सिंह के सेवानिवृत्ति होने के बाद वरिष्ठता के क्रम में कंपनी के महाप्रबंधक ए सके त्रिवेदी का नंबर था, पर अब सचदेवा को ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रंधक बनाया जा रहा है।
सचदेवा की पदोन्नति से रीजन के अधिकारी खुश नहीं थे इसलिए उनके आने से पहले ही उनके विरोध में बगावत के सुर बुलंद हो गए तथा इसी बीच उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज हो गई जिसमें उनके कार्यकाल में मुरैना में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप को सामने लाया गया था।

अधिकारियों में सचदेवा के प्रति विरोध एवं उन पर लोकायुक्त की जांच शुरू होने के डर से एमडी पोरवाल ने उनको ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रबंधक, नहीं बनाया था तथा इस विरोध को थमने के लिए कंपनी के सबसे वरिष्ठ एवं शांत स्वभाव के महाप्रबंधक एसके उपाध्याय को होशंगाबाद से लाकर ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रबंधक बना दिया। उपाध्याय के मुख्य महाप्रबंधक बनने के बाद सचदेवा के आने की संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी थीं इसलिए फिर से कंपनी में शांति छा गई और विरोध खत्म हो गया था। कंपनी  प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी में ईमानदार अधिकारियों की कमी नहीं है उन्हें इस पद पर बैठाया जा सकता है, लेकिन एमडी पोरवाल एसके सचदेवा को ही लाना चाहते हैं। नियमानुसार जिस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त में जांच चल रही हो उसे जिम्मेदार पद पर नहीं बिठाया जा सकता है।

उदाहरण के रूप में डॉ. अयंगर जो प्रदेश के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन हैं तथा उनके खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है तथा ईओडब्ल्यू में भी जांच चल रही है उनको प्रशासन में जीआरएमसी के डीन पद पर पदस्थ कर दिया था जिस पर उनके खिलाफ गुरुचरण सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी उन्हें जांच के दौरान डीन जैसे महत्वपूर्ण पद पर नहीं बैठाया जाना था लेकिन क्यों बैठाया गया इस पर उच्च न्यायालय की  ग्वालियर खण्डपीठ ने गत दिवस आखिरी मौका देते हुए १५ दिन के अन्दर जवाब पेश करने का आदेश जारी किया इस मामले को देखते हुए कम्पनी के अधिकारी न्यायालय में भी याचिका लगाने की तैयारी कर चुके हैं इसके बाद भी कम्पनी जिसमें बाद में कम्पनी की फजीहत होना तय माना जा रहा है।  

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