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Monday, July 11, 2016

राज्य में कई यूनियन कार्बाइडों की स्थापना के प्रयास में शिवराज

भोपाल // अवधेश पुरोहित ( toc news )
मप्र की राजधानी के वह वाशिंदे जिन्होंने १९८४ की वह भयंकर दिसम्बर की रात्रि को अमेरिकी कम्पनी यूनियन कार्बाइड से हुए गैस हादसे की पीढ़ा की याद आते ही उनके मन में क्या गुजरता होगा यह तो वही पीडि़त बता सकते हैं यही नहीं इस पीढ़ा के बाद आज भी उन पीडि़तों को ठीक से न्याय नहीं मिल पा रहा है और इसके लिए जहां भोपाल से लेकर वाशिंगटन तक लोग यूनियन कार्बाइड के द्वारा हुए दुनिया के भयंकरतम गैस रिसाव की इस घटना के दोषियों क ो सजा दिलाने के लिए वर्षों से परेशान हैं और आज तक उन गैस पीडि़त लोगों को ठीक से न्याय नहीं मिल पा रहा है लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में उद्योग एवं विकास की गंगा बहाने के फेर में राज्य अमेरिकी उद्योगपतियों से चर्चा करने का कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं जिससे कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में यूनियन कार्बाइड जैसी कम्पनियों की स्थापना हो सके, हालांकि इस तरह के उद्योग एवं विकास के नाम पर विदेशी उद्योगपतियों को राज्य में उद्योग लगाने के लिये कई बार वह अपने कुनबे और मण्डली के साथ विदेशी सैर-सपाटा कर चुके हैं

और इसमें अभी तक यदि हिसाब लगाया जाए तो करोड़ों रुपए खर्च हो गए हैं लेकिन उस अनुपात से राज्य में एक भी विदेशी उद्योग स्थापित नहीं हो सका, हालांकि विदेशी कम्पनियों द्वारा भारत में या उसके किसी राज्य में उद्योग लगाने के संबंध में अमेरिकी सीनेट की एक महिला सदस्य ने पिछले दिनों यह कहा था कि यहां वही उद्योगपति उद्योग लगा सकते हैं जिनके संबंध राजनेताओं से हों? राजनेताओं के उद्योगपतियों से कैसे संबंध होते हैं इसका जीता जागता उदाहरण है यूनियन कार्बाइड और तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं के संबंधों के गैस रिसाव की घटना के बाद जो खुलासा हुआ उससे तो यही जाहिर होता है कि राजनेताओं और उद्योगपतियों के कैसे संबंध होते हैं और इन संबंधों के चलते राजनेताओं को क्या-क्या लाभ देशी और विदेशी कम्पनियां पहुंचाती हैं,

इस बात का खुलासा भी यूनियन कार्बाइड की घटना के बाद जो तथ्य सामने आए उससे हो जाता है। लेकिन हमारे मुख्यमंत्री हैं जो इस बात की हट लगाए हुए हैं कि वह राज्य में विदेशी कम्पनियां स्थापित कराकर ही मानेंगे फिर चाहे उसके परिणाम भविष्य में लोगों को जो भी भुगतने पड़ें, यह उल्लेखनीय है कि राज्य में आज भी भयंकर प्रदूषण की मार से प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सतना, सीधी, रीवा, शहडोल, सिंगरौली और चितरंगी में स्थापित उद्योगों के द्वारा जिस तरह का प्रदूषण फैलाया जा रहा है उसकी वजह से इन जिलों में होने वाले नवजात शिशु कई घातक बीमारियों को अपने जन्म के साथ लेकर पैदा हो रहे हैं, राज्य सरकार इन जिलों और राज्यभर में स्थापित वर्तमान में कई ऐसी फक्ट्रियां हैं

जिनकी चिमनी से फैल रहे जहरीले धुएं के कारण जो वहां का वातावरण प्रदूषित हो रहा है उसे तो ठीक नहीं कर पा रही है जो कि अपने ही देश के हैं यदि विदेशी कम्पनियांं यहां स्थापित हो जाती हैं तो उनके  द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण की क्या स्थिति होगी इसका जीता जागता उदाहरण है ग्वालियर के मालनखोह में स्थापित कैडबरी चाकलेट की फैक्ट्री जिसके द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के खिलाफ राज्य का प्रदूषण मण्डल कोई कार्यवाही नहीं कर पाता है तो फिर राज्य में मुख्यमंत्री के सपने अनुसार विदेशी कम्पनियां जिनमें अमेरिका, चीन और जापान आदि देशों की कम्पनियां स्थापित होंगी तो उन पर यह सरकार और उसका प्रदूषण मण्डल कितना नियंत्रण रख पाएगा जबकि वह विंध्य सहित राज्य की अन्य क्षेत्र में स्थापित उद्योग जो दिन-रात प्रदूषण फैलाने में लगे हुए हैं उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पा रही है

जहां तक प्रदूषण के खिलाफ कार्यवाही का सवाल है तो राज्य के मुख्यमंत्री जब विदिशा के सांसद हुआ करते थे तब उन्होंने सोम डिस्टलरी के खिलाफ फैलाए जा रहे बेतवा के प्रदूषण के खिलाफ एक बाल्टी प्रदूषित पानी लेकर भोपाल में स्थित भोपाल में स्थित प्रदूषण मण्डल के कार्यालय में जाकर एक ईई का मुंह काला कर विरोध दर्ज किया हो लेकिन आज वह जब सत्ता के मुखिया हैं तब भी वह सोम डिस्टलरी जिसके बारे में अक्सर यह खबरें सुर्खियों में रहती हैं कि सोम के द्वारा बेतवा को प्रदूषण फैलाया जा रहा है उसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं तो फिर विदेशी कम्पनियों के द्वारा राज्य में प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाये रखने की क्या उम्मीद की जा सकती है। 

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