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Monday, July 25, 2016

कलेक्टर कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम की उड़ रही धज्जियां

Toc News
समयसीमा में नहीं मिलती आवेदन की जानकारी
सुनवाई की जगह होती है पेशी

छिंदवाड़ा-आम जनमानस को समयसीमा में चाही गई जानकारी प्रदान करने और शासकीय कार्यों में पादर्शिता लाने की मंशा से शासन द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अमल में लाया गया था लेकिन जिले के कलेक्टर कार्यालय में ही इस अधिनियम को मजाक बनाकर रख दिया गया है तो हम अन्य विभागों से क्या आस रख सकते है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी शासकीय संस्था से किसी भी प्रकार की जानकारी धारा 6(1) के आवेदन के तहत निर्धारित 30 दिवसों में सम्बंधित विभाग में नियुक्त लोकसूचना या सहायक लोकसूचना अधिकारी को आवेदन कर प्राप्त कर सकता है और निर्धारित समय अवधि में जानकारी न मिलने या अपूर्ण जानकारी मिलने पर धारा 19(1) के तहत सम्बंधित प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन कर सकता है नियमानुसार प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदक एवं जिसके विरुद्ध अपील की गई है उसके समक्ष सुनवाई कर निर्धारित अधिकतम 45 दिवसों में अपील का निराकरण करना होता है।
        दुर्भाग्यवश सूचना के अधिकार अधिनियमों के प्रावधानों के तहत जिला कलेक्टर कार्यालय में कार्य न होकर इसे मजाक बनाकर अधिनियम का घोर उल्लंघन अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।
         जिला कलेक्टर कार्यालय में जब किसी जानकारी को प्राप्त करने हेतु लोकसूचना अधिकारी को आवेदन दिया जाता है तो निर्धारित 30 दिवसों में कोई भी जानकारी आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई जाती है जिससे व्यथित होकर जब आवेदक जिला कलेक्टर महोदय के समक्ष प्रथम अपील प्रस्तुत करता है तो नियमानुसार एवं निर्धारित समय अवधि में न ही जिला कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों द्वारा आवेदक को सुनवाई की सूचना दी जाती है और न ही प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला कलेक्टर महोदय के द्वारा सुनवाई की जाती है बल्कि इसके विपरीत जिला कलेक्टर कार्यालय में प्रथम अपील की सुनवाई की जगह अन्य प्रकरणों के निराकरण हेतु लगने बाले कलेक्टर कोर्ट के दौरान ही आवेदक की पेशी की जाती है और तारीख पर तारीख देकर उसे 10-12 महीने तक बुलाया जाता है जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम में प्रथम अपील के निराकरण के सम्बन्ध में स्पष्ट उल्लेख है कि सम्बंधित अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्धारित अधिकतम 45 दिवसों में आवेदक और अनावेदक की उपस्थिति में सुनवाई कर प्रथम अपील का निराकरण करना होता है।

          कलेक्टर कार्यालय के अतिरिक्त जिले के अधिकतर विभागों के प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला कलेक्टर महोदय हैं इस कारण कलेक्टर कार्यालय एवं अन्य विभागों से जानकारी प्राप्त नहीं होने पर जब आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला कलेक्टर महोदय के समक्ष प्रथम अपील प्रस्तुत करता है तो उसे सुनवाई की जगह लंबी पेशी का सामना करना पड़ता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के उल्लंघन के साथ ही साथ आवेदक के मौलिक अधिकारो का भी हनन है।
जिला कलेक्टर कार्यालय के सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रति इस उदासीन और लापरवाह रवैये से कैसे इस अधिनियम का लाभ आम जनमानस को मिल पायेगा और कैसे शासन की मंशा साकार हो पाएगी यह चिंतनीय प्रश्न है।
इस स्थिति में सुधार आना बहुत जरुरी है।

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