श्योपुर। कलेक्टर पन्नालाल सोलंकी पर 2 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया गया है। यह घोटाला 35 समितियों के माध्यम से किया गया एक सुनियोजित घोटाला था परंतु जल्दबाजी के कारण पकड़ा गया। कलेक्टर ने ऐसी 35 समितियों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें शासकीय योजनाओं का पैसा दे दिया जो रजिस्टर्ड ही नहीं थीं। पहले खाते खुले, पैसे ट्रांसफर हुए फिर रजिस्ट्रेशन कराया गया। इन समितियों के माध्यम से कई हेर-फेर किए गए। आरोप है कि सबकुछ कलेक्टर के निर्देश पर किया गया। मध्यप्रदेश के महालेखागार कार्यालय एवं सामान्य प्रशासन विभाग के कार्मिक सचिव को भेजी शिकायत में श्योपुर के हनुमान सेंगर ने आरोप लगाया हैं कि श्योपुर के आदिवासी विकास खण्ड कराहल में 35 फल-फूल सागभाजी एवं उद्वहन सिंचाई समिती बनाकर कलेक्टर ने दो करोड़ की राशि का हेरफेर किया हैं। कलेक्टर ने भारतीय स्टेट बैंक को पत्र लिखकर समितियों का पंजीयन किए जाने के पहले ही बैंक खाते खुलवा दिए। इसी के साथ ही आदिवासियों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का पैसा इन खातों में डलवा दिया। सहकारिता विभाग के नियमों के अनुसार समिती अपना खाता पंजीयन के उपरांत ही सीसीबी बैंकों में ही खोल सकती हैं। जबकि इन समितियों के खाते पहले खोले गये और वह भी भारतीय स्टेट बैंक में। पंजीयन उपरांत इन खातों को सीसीबी में स्थानांतरित करा दिया गया। इसी के साथ ही कलेक्टर ने मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर दबाव बनाकर निजी स्त्रोतों से काम कराया और इनका भुगतान समितियों के माध्यम से कर दिया। घटिया निर्माण कार्यों को विद्युत वितरण कंपनी ने अस्वीकृत कर दिया। इसी प्रकार ओलावृष्टि के लिए प्राप्त की गई राशि में भी समितियों के माध्यम से हेर फेर कर एक ही फर्म को भुगतान कर दिया गया।
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