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Wednesday, December 21, 2016

हरामखोरी की भी हद होती है, अपने ही पत्रकार कर्मचारी की रकम जीम गया "प्रदेश टुडे"



*हरामखोरी की भी हद होती है, अपने ही पत्रकार कर्मचारी की रकम जीम गया "प्रदेश टुडे"*

TIMES OF CRIME @ TOC NEWS

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भोपाल. एेसे हरामखोरों को पाप पड़ेगा, इनके बच्चों को कीडे़ पडेगें. घुटघुट कर मरेंगें, ये सब नही होगा तो क्या होगा, मेहनत की कमाई पर सेंध मारने वालों के लिए यही बदुआ निकल रही है उन पत्रकारों की जिन्होंने "प्रदेश टुडे" समाचार पत्र में अपनी जी- जान लगाकर नौकरी की, दिल लगाकर सेवा करते रहै वक्त पर इनके लिए दुश्मनी भी ले डाली, उनको विश्वास पर रखकर ह्रिदेश दिक्षित और सतीश पीलपीले ने अपनी औकात अनुसार निपटा दिये.

PRADESH TODAY के लिए चित्र परिणाम
सतीश पीलपीले 
मामला इनकी दुकान "प्रदेश टुडे" में नौकरी करने वाले नितिन दुबे जो विशेष संवाददाता की पोस्ट पर अप्रैल 2011 में ज्वाईन किया था "प्रदेश टुडे" संस्थान से ही नितिन दुबे की जनसम्पर्क मध्यप्रदेश शासन से अधिमान्यता भी जारी हुई थी, वही संस्थान ने प्रतिमाह 20 हजार रुपये की सेलरी तय कर कार्य करवाया परन्तु सरकार को चूना पोतने वालों ने केवल बैक में सेलरी के 13 हजार रुपये जमा करवायें बाकी की रकम भुकक्खड़ जीम गये. रुपये न देने के बहुत से कारण होगें है कहकर शेष रकम बाद में नगद देने का कह कर टालते रहें. सरकारी व्यवस्थाओं में सेंध लगाने में माहिर "प्रदेश टुडे" के इन  लोंगों ने कई पत्रकारों को इसी तरह निपटाया हैं अगर पीड़ित द्वारा दी गई शिकायत पर जांच की जाती है तो इनकी काली करतूतें जग जाहिर हो जायेगीं.

आज 20 दिसम्बर 2016 को "प्रदेश टुडे" प्रबंधक का शिकार हुएे नितिन दुबे ने श्रम आयुक्त को लिखित शिकायत देकर शेष वेतन और पी एफ की रकम दिलाने एवं क्षतिपूर्ति राशी सहित किये गये इस घोर अपराध के विरुद्ध पुलिस में ह्रिदेश दिक्षित और सतीश पीलपीले पर प्रकरण अपराध दर्ज कर न्याय दिलाने की मांग की है.

ज्ञात हो कि इन लुटेरों के खिलाफ थाना एपी नगर में पहले भी अनेक शिकायते लंबित है पुलिस भी इनकी काली करतूतों पर कार्यवाही करने से घबराती है जिस वजह से इनके होंसलें बुलंद है. आइसना पत्रकारों को लुटने वालों की निंदा करती है.

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