अवधेश पुरोहित // TOC NEWS
भोपाल। पिछले नगरीय निकाय चुनावों में अधिकांश जगहों पर अपने विभीषणों के कारण पार्टी को जो हार हुई है उसकी संभावना आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भितरघातियों का सामना न करना पड़े, ऐसे अपने विभीषणों से निपटने के लिये पार्टी अपनी एक खुफिया विंग बनाने जा रही है जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी में अब गुटबाज सांसदों, विधायकों, अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों की खैर नहीं है।
ऐसे लोगों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए भाजपा आलाकमान तगड़ी जासूसी कराएगी। अभी सत्ता और संगठन की गतिविधियों के लिए सरकार पर निर्भर रहने वाली भाजपा का लगातार फेल हो रही सरकारी खुफिया तंत्र पर भरोसा नहीं रहा है। पार्टी अब अपनी खुद एक खुफिया विंग बनाने जा रही है। यह जासूसी विंग संगठन की गतिविधियों के अलावा नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर रखेगा। यह जासूस बकायदा पार्टी मुख्यालय को प्रत्येक जिले का फीडबैक दिया करेंगे।
सत्तारूढ़ पार्टी इस गोपनीय तथा महत्वपूर्ण काम के लिए अलग से विंग बनाने जा रही है, इसका नाम पॉलीटिकल फीडबैक एण्ड सनालिसिस विंग रखा जाएगा। इस विंग में हर जिले से फीडबैक देने लिए जासूसों की नियुक्ति की जाएगी, जिसे कन्वीनर और असिस्टेंट कन्वीनर का नाम दिया जा सकता है। खास बात यह होगी कि इस पद के लिए जिन लोगों की नियुक्ति की जाएगी, वह राजनीतिक पृष्ठ भूमि से जुड़े नहीं होंगे।
भाजपा के यह जासूस विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान होंगे जो कि राजनीतिक समझ रखने के साथ संबंधित क्षेत्रों के अंतर्गत निवासरत क्षेत्र की भौगोलिक, सामाजिक जानकारी रखने वाले भी होंगे। इस विंग में नियुक्त प्रदेश संगठन महामंत्री स्तर से की जाएगी जिसकी रिपोर्ट संघ को भी भेजी जाएगी। भाजपा के यह जासूस अपने पेशे में रहते हुए लूप लाइन में रहकर बिना किसी प्रचार-प्रसार के अपने मिशन पर काम करेंगे तथा गोपनीय तरीके से संबंधित जिले के सांसद, विधायक, भाजपा जिलाध्यक्ष, नगरीय निकाय अध्यक्ष, पार्टी के समर्थित जिला व जनपद पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों आदि प्रमुख पदों पर आसीन पदाधिकारियों की खुफिया जानकारी पार्टी को सीधे भेजा करेंगे। साथ ही संगठन की गतिविधियों, नेताओं के बीच की गुटबाजी के साथ ही इस बात की भी जानकारी भेजेंगे कि क्षेत्र में कौन-कौन से काम पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं,
कौन से कामों से पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है। जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार, जनता के बीच उानकी स्वीकार्यता, आगामी चुनाव को देखते हुए, उनकी स्थिति आदि की जानकारी भी वह जासूस पार्टी आलाकमान को दिया करेंगे। सरकारी खुफिया तंत्र से भाजपा का भरोसा इस कारण उठ गया क्योंकि वर्ष २०११ में किसान आंदोलन के दौरान प्रदेशभर में कई हजार किसान ट्रैक्टर-ट्रालियां और बैलगाडिय़ां लेकर भाजपा में सीएम हाउस पर प्रदर्शन करने जा पहुंचे थे। इन किसानों ने राजधानी में ७२ घंटे तक पूरी तरह जाम लगा रखा था, लेकिन इसकी भनक सरकारी इंटेलीजेंस आईबी, सीआईडी तक को नहीं लगी,
जिससे किसानों को वापस भेजना मुश्किल हो गया। इसी प्रकार वर्ष २०१५ में किसानों ने पिपरिया, बैतूल, हरदा, छिंदवाड़ा सतना, जबलपुर, इंदौर, सीहोर, रायसेन आदि जिलों में प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी और दोनों तरफ से भारी पथराव होने के कारण कई लोगों को चोटें आई थीं। इस घटना की पहले से जानकारी जुटाने में सरकारी खुफिया विभाग नाकाम रहा था।
इस घटना से सरकार की खासी किरकिरी हुई तथा साथ ही कई बार सत्ता और संगठन को विपक्ष की घेराबंदी का शिकार भी होना पड़ा। इसी प्रकार जुलाई २०१७ में प्याज सहित अन्य फसलों के सही दाम नहीं मिलने से प्रदेश भर में किसानों ने बड़े पैमाने पर हंगामा किया। मंदसौर में छ: लोगों की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई। किसानों ने हजारों टन प्याज सड़कों पर फेंक दी और हाईवे पर जाम लगा दिया था।
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