अवधेश पुरोहित // TOC NEWS
भोपाल । पिछले दिनों सरकारी तामझाम और करोड़ों रुपये प्रचार-प्रसार के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने बुढ़ापे की काशी नर्मदा के जीर्णोद्धार को लेकर जो नमामि देवी नर्मदे यात्रा का आयोजन किया था उसका लाभ किसे कितना मिला, यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि आगामी तीस सितम्बर से कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ङ्क्षसह की छ: महीने की नर्मदा यात्रा प्रारंभ होने जा रही है
उस यात्रा को लेकर भाजपा के नेताओं में चिंता व्याप्त है और वह इस यात्रा से कांग्रेस को लाभ होने क ा दावा करते नजर आ रहे हैं हालांकि इसकी काट भी निकालने में इन दिनों भाजपा के नेता लगे हुए हैं जहां तक बात दिग्विजय सिंह की इस यात्रा को लेकर की जाए तो यह यात्रा पूरी तरह से गैर राजनैतिक है और इस यात्रा में न तो कोई शासकीय तामझाम है और न ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह इस यात्रा को लेकर देश दुनिया में विज्ञापनों के माध्यम से इसे प्रचारित किया जा रहा है,
यह यात्र दिग्विजय सिंह और उनकी धर्मपत्नी के साथ-साथ उनके परिजनों की अपनी यात्रा है और इस यात्रा का उद्देश्य गैर राजनैतिक है, यह अलग बात है कि इस यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह के अपने समर्थक जो कि पूरे प्रदेश में मौजूद हैं और जिनकी संख्या लाखों में हैं वह दिग्विजय सिंह के साथ इस यात्रा में भाग लेने पहुंचेंगे जिसकी वजह से इस यात्रा का माहौल क्या होगा यह भविष्य बताएगा भले ही दिग्विजय सिंह द्वारा यह दावा किया जा रहा हो कि यह यात्रा पूरी तरह से गेर राजनीतिक है,
लेकिन इस यात्रा का स्वरूप क्या होगा यह तो आने वाला भविष्य बताएगा और इस यात्रा का लाभ कांग्रेस को कितना मिलेगा यह भी भविष्य के गर्त में है लेकिन यह जरूर है कि विधानसभा चुनाव २०१८ के पूर्व दिग्विजय सिंह की इस नर्मदा यात्रा को लेकर भाजपा के नेताओं की नींद उड़ी हुई है और वह यह मानकर चल रहे हैं कि इस यात्रा का लाभ कांग्रेस को अवश्य मिलेगा भले ही कांग्रेस के नेता इस बात को नकार रहे हों, लेकिन इस यात्रा के परिणाम कांग्रेस के लिये सुखद होंगे ऐसा राजनीति के जानकार मानकर चल रहे हैं।
क्योंकि दिग्विजय सिंह की अपनी राजनीतिक शैली है और उस शैल्ी के चलते वह जहां-जहां से इस यात्रा के दौरान गुजरेंगे अपना प्रभाव जरूर छोड़ते जाएंगे और उनके इस प्रभाव से भाजपा को कितना नुकसान पहुंचेगा इसका आंकलन तो भाजपा के मिशन-२०१८ में ही पता चलेगा। मामला जो भी हो लेकिन यह जरूर है कि दिग्विजय ङ्क्षसह की इस नर्मदा यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की चिंता जरूर बढ़ गई है।
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