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Tuesday, September 26, 2017

मुख्यमंत्री की घोषणा मात्र से पूरी नहीं होगी किसानों की मंशा आगामी चुनावी बिसात बिछा गये प्रदेश के मुखिया

TOC NEWS // देवराज डेहरिया

सिवनी -ंउचय जिले के केवलारी विकासखण्ड के अंतर्गत कृषि उपज मंडी पलारी में खण्ड स्तरीय कृषक संगोष्ठी एवं तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समेत कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन, सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते, केवलारी विधायक रजनीश ठाकुर, सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन, बरघाट विधायक कमल मर्सकोले, भाजपा जिला अध्यक्ष नीता पटेरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष मीना बिसेन, जिला पंचायत उपाध्यक्ष चंद्रशेखर चतुर्वेदी, केवलारी जनपद पंचायत अध्यक्ष रंजना शशिकान्त ठाकुर सहित अनेक वरिष्ठ भाजपायी नेता, जिला पंचायत व जनपद पंचायत सदस्य तथा कई हजारों की संख्या में आमजन एवं कृषक शामिल हुये।

ज्ञात होवे कि इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा नवनिर्मित मंडी प्रांगण का लोकार्पण एवं मंडी रोड निर्माण का भूमिपूजन किया गया। पश्चात इसके मंच में पहुंचते ही सर्वप्रथम उन्होने माईक संभाला और किसानों से चिंता न करने की बात कहकर आयोजित कृषक संगोष्ठी व तकनीकी प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य रबी की फसल के समय कम सिंचाई वाली कौन सी फसल बोई जावे, इसके बारे में उन्होने वैज्ञानिकों से किसानों को सलाह देने की बात कहकर मंचासीन हो गये। पश्चात इसके वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को बताया गया कि अगली कम पानी वाली फसल की बौनी एवं कम लागत में अधिक उत्पादन के कई गुण बताये गये। लगभग तीन से चार कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दी गई।

इसके बाद स्थानीय विधायक ठाकुर रजनीश सिंह ने मुख्यमंत्री से 21 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपते हुये कहा कि अल्प वर्षा से नष्ट हुई खरीफ की फसल सोयाबीन, धान, मक्का, उड़द, मूंग आदि फसलों की नुकसानी का तत्काल सर्वे कर मुआवजा देने की मांग की, उन्होने कहा कि फसल बीमा के लाभ किसान भाईयों को दिलायें जावे। साथ ही छिंदवाड़ा जिले में बने माचागोरा बांध से भीमग-सजय़ बांध में पानी गिराये जाने की भी मांग रखी ताकि किसानों को कम से कम एक या दो पानी अगली कम पानी वाली फसलों के लिये मिल सके। इसके बाद फग्गनसिंह कुलस्ते सांसद द्वारा भी अल्प वर्षा से नुकसानी का जिक्र कर अगली फसल वैज्ञानिकों के बताये अनुसार बौने की सलाह दी। पश्चात इसके कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा कम लागत में अधिक उत्पादन के बारे में बताकर किसानों को कृषि यंत्र खरीदने पर अनुदान देने की बात कही।

ज्ञात होवे कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि किसान पराम्परागत खेती एवं मौसम पर आधारित खेती छोड़कर वैज्ञानिक तरीके से नये किस्म की खेती करें, और उसका लाभ उठायें उन्होने कहा कि पुरानी पद्धति से की जा रही खेती के कारण किसानों को प्रत्येक सीजन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। जिससे किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। साथ ही उन्होने वहीं मुख्यमंत्री ने माइक लेकर उनको वैज्ञानिकों के लिये तालियां बजाने की बात कही । इसके बाद जब संबोधन के लिये माइक सम्भाला तो मुख्यमंत्री के एक-ंउचयएक शब्द में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां -हजयलक रही थी। उन्होने उद्बोधन के दौरान कहा कि अब तक किसी भी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री इतनी देर नहीं रहा होगा मैं आप लोगों के बीच अपनी समस्याओं को सुनने और उसका समाधान करने आया हुं।

वहीं मुख्यमत्री ने सिवनी कलेक्टर गोपाल चंद डॉड को कहा कि वे आज दिनांक से लेकर 31 अक्टूबर तक बी-ंउचय1 एवं खसरा सभी के घर-ंउचयघर फ्री में पहुंचा देवें। साथ ही उन्होने राजस्व संबंधित जिले के समस्त अधिकारियों को निर्देश देते हुये तीन माह की अवधि के अंदर अविवादित, बंटवारा, सीमांकन और नामान्तरण के प्रकरण का निराकरण किया जावे, अन्यथा उन्हे एक लाख रूप्ये का जुर्माना किया जावेगा। साथ ही उन्होने कहा कि यदि तीन माह की अवधि के पश्चात अविवादित बंटवारा, सीमांकन और नामान्तरण के प्रकरण लाने वाले व्यक्ति को एक लाख रूप्या ईनाम दिया जायेेगा। एवं कहा कि ईनाम की राशि संबंधित अधिकारी के वेतन से काटी जावेगी। जिसकी लापरवाही से यह प्रकरण लंबित रहा है। साथ ही उन्होने कृषि की आय को दुगना करना प्रदेश के किसानों के लिये सिर्फ नारा नहीं रहेगा।

प्रदेश सरकार इसके लिये प्रतिबद्ध है। हम निश्चित रूप से प्रदेश में कृषि को लाभ का धन्धा बनाके रहेंगे। कृषक प्रदेश की जनता के अन्नदाता हैं। और सभी के लिये देवता तुल्य हैं। कृषकों को शासन द्वारा बिना ब्याज के ऋण खाद बीज खरीदी में अनुदान स्वाइल हेल्थ कार्ड के माध्यम से उचित बीज एवं खाद की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-ंउचयसाथ उचित मूल्य दिलाने के लिये शासन प्रतिबद्ध है। 11 सितंबर से प्रारंभ हुई भावान्तर योजना के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में पहली बार ऐसी कोई योजना लाई गई है जो कृषक को उसके उत्पादन का उचित मूल्य दिलायेगी।

साथ ही उन्होने कहा कि 10 लाख से लेकर दो करोड़ रूप्ये खेती संबंधी लोन बैंक से दिलाया जावेगा एवं गारंटर शिवराजसिंह चौहान और भाजपा सरकार होगी। उन्होने कहा कि साहूकार के खिलाफ कानून कड़ा कानून बनाया जावेगा यदि साहूकार द्वारा मूल से ज्यादा लाभ लेने पर साहूकार को जेल भेजा जावेगा। उन्होने कहा कि भूमिहीन लोगों को मकान आवास उपलब्घ कराया जावेगा। 2022 तक हर गरीब का पक्का मकान बनेगा साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 15 अक्टूबर से स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया जावेगा और 2 अक्टूबर तक चलेगा। लेकिन चिंतन का विषय यह है कि मुख्यमंत्री से उम्मीद आस लगाये किसानों को आखिरकार नरवस ही होना पड़ा।

उन्होने किसानों के कर्ज माफी से स्पष्ट इनकार कर नुकसानी का सर्वे होगा और मुआवजा मिलेगा, आप चिंता न करें जैसे शब्द बोलकर पल्ला -हजयाड़ लिया। और अपनी सरकार की योजनाओं का खूब बखान किया। जैसे प-सजय़ने वाले छात्र-ंउचयछात्राओं के लिये साईकिल, ड्रेस, फीस छात्राओं को बारहवी में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने पर किसी भी कालेज में प्रवेश के बाद पूरी फीस का खर्चा सरकार उठायेगी। जैसी अनेकों पुरानी योजनाओं का उनके द्वारा बखान किया गया। कुल मिलाकर अल्प वर्षा के कारण चिंतित किसानों को मुख्यमंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों के माध्यमों से किसानों को अगली फसल कौन सी बौना है और किस तरह से बौना है इसके बारे में जानकारी दिलाई।

मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की गई जिससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ी हो। अधिकांशतः किसान निराश ही अपने घर वापस हुये। न ही मुख्यमंत्री ने किसानों और स्थानीय विधायक रजनीशसिंह की अति आवश्यक मांग थी कि छिंदवाड़ा जिले में बनें माचागोरा बांध से भीमग-सजय़ बांध में पानी गिराये जाने का जिक्र भी नहीं किया। कुल मिलाकर किसानों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री उनके जख्मों में मरहम लगायेंगे, लेकिन उन्होने ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की जिससे किसानों को थोड़ी भी राहत महसूस हुई हो। वहीं पुराने अलाप की सर्वे होगा ही, मुआवजा मिलेगा ही लेकिन इसकी कोई समय सीमा नहीं बताई कि कबसे सर्वे प्रारंभ होगा और कब तक किसानों को मुआवजा मिलेगा।

कुल मिलाकर 15 से 20 हजार जनता जिसमें अधिकतर किसानों की भावनाओं भले ही वे सम-हजय गये कि इतनी मात्रा में किसान भाई आये लेकिन उन्होने ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की जिससे किसान संतुष्ट हुये हों। इस कार्यक्रम को देखकर यहि प्रतीत हुआ कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अगली बोई जाने वाली कम पानी की फसल के बारे में किसानों को अधिक से अधिक जानकारी देना था। और किसानों को आगाह कराना था कि रबी की फसल के सीजन में ऐसी कोई फसल न बोया जावे जिसमें अधिक पानी की आवश्यकता हो। कुल मिलाकर यह कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी के हिसाब से सफल रहा है। परंतु किसानों के हिसाब से असफल ही साबित हुआ।

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