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Tuesday, July 3, 2018

भाजपा में सीनियर आईएएस दीपाली रस्तोगी को लेकर मचा बवाल: शिवराज सरकार के मंत्री को आया गुस्सा गालियां दी, कहा-अपनी सोच सुधारें

भाजपा में सीनियर आईएएस दीपाली रस्तोगी के लिए इमेज परिणाम
सीनियर आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी
TOC NEWS @ www.tocnews.org
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर सवाल उठा चुकी सीनियर आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी ने अब आईएएस अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में कहा है कि अच्छा अधिकारी उसी को माना जाता है, जो नेता की इच्छा के हिसाब से काम करता है। उनके इस लेख के बाद से बवाल मच गया है।
एक बार फिर वो भाजपा और नेताओं के निशाने पर आ गई है। उनके इस तरह से सवाल खड़े करने पर शिवराज सरकार के मंत्री ने जवाबी हमला किया है। मंत्री लाल सिंह आर्य ने उनकी इस सोच को गलत बताया है। बताते चले कि दीपाली रस्तोगी 1994 बैच की  आईएएस है। उनके पति मनीष रस्तोगी, जो खुद सीनियर आईएएस है, कुछ दिन पहले ही ई-टेंडरिंग टेंपरिंग घोटाले को उजागर करने को लेकर चर्चाओं में रहे है।
दरअसल, मंत्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि मैं नहीं मानता कि अफसर नेताओं के इशारों पर काम करते हैं।सरकार द्वारा जनहित के किसी भी काम को कभी रोका नहीं गया। अगर IAS होते हुए वो इस तरह से सोचती हैं तो ये सोच उचित नहीं है।गौरतलब है कि आईएएस दीपाली रस्तोगी एक अंग्रेजी अखबार के लेख में लिखा है कि अच्छा आईएएस अधिकारी वही माना जाता है जो नेता की इच्छा के अनुरूप काम करें। इतना ही नहीं बगैर राजनीति आका के बोलने से पहले ही उसकी इच्छा जान ले, उसके अमल के लिये तैयार हो जाता है।
नेताओं के डर से ऐसे अधिकारी मुंह नहीं खोलते। सेवा करने के लिए बने आईएएस सेवा का व्यवहार ही नहीं करते। लोग हमारा सम्मान सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि हमारे पास नुकसान और फायदा पहुंचाने की ताकत होती है। हम लोगों की कोई दूरदृष्टि नहीं, नेताओं को खुश करने वाले निर्णय लेते हैं ।व्यवस्था सुधारने के लिए दरअसल हम काम ही नहीं करते और यह डर रहता है कि व्यवस्था बेहतर कर दी तो कोई पूछेगा ही नहीं ।
दीपाली ने यह भी कहा कि हम लोग लोक सेवा नहीं करते, देश से कोई लगाव भी नहीं। बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और लग्जरी जीवन जी रहे हैं। दीपाली ने यहां तक कह दिया कि देश में सही न्याय होता तो हमारी कौम बहुत ही पहले खत्म हो जाती या दुर्लभ होती । लेटरल एंट्री के सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नेताओं को खुश करने उनके हिसाब से काम करने ,झूठ और सच को सही और गलत में अंतर खत्म करने के मूल विचार खत्म हो गए हैं।

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