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भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार पूरे जोर शोर से अपनी उपलब्धियां गिनवाने में व्यस्त है। एक ओर सरकार कर्ज से जूझ रही है वहीं दूसरी ओर चुनाव से पहले अन्य प्रदेशों में विज्ञापन के जरिए अपने कामकाज से वाह वाही लूटने का प्रयास कर रही है।
जबकि सरकारी खजाने की सेहत हर दिन गिरती जा रही है। पेट्रोल पर वैट कम करने के लिए सरकार राजस्व में घाटे का हवाला देती है। लेकिन जनता की गाड़ी कमाई को दूसरे राज्यों में विज्ञापन पर खर्च कर रही है।हाल ही में गैर हिंदी भाषी राज्य में सरकार विज्ञापन के जरिए प्रदेश और खुदकी इमेज बिल्डिंग के काम में जुट गई है।
इन विज्ञापनों में शिवराज सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों को दर्शाया है। मध्यप्रदेश सरकार की उपलब्धियों का प्रदर्शन अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है। चाहें फिर वह हिंदी भाषी राज्य हों या फिर गैर हिंदी भाषी राज्य। चुनाव से पहले सरकार की ब्रांडिंग का ये मामला चर्चा का विषय है। विज्ञापन में सरकार ने जनता से जुड़ा सभी क्षेत्रों में विकास होने का दावा किया गया है। विज्ञान में किसान, महिला सुरक्षा, अच्छी सड़क, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में बताया गया है।
शिवराज सरकार की ब्रांडिंग करने के लिए सरकार ने कर्नाटक, तमिलनाडु और गुडरात जैसे राज्यों में विज्ञापन दिए हैं।मध्यप्रदेश सरकार पर करीब दो लाख करोड़ का कर्ज है। सरकार दावा करती आई है कि इस कर्ज की रकम को उसने विकासकार्यों में लगाया है। लेकिन सच्चाई कुछ ओर ही बयान करती है। प्रदेश के खजाने की हालत बेहद खराब है। नौबत तो ओवरड्राफ्ट तक की आ चुकी है। लेकिन सरकार अपनी उपलब्धियां गिनवाने में करोड़ों खर्च कर रही है।
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