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Sunday, December 16, 2018

नरसिंहपुर : शुगर मिल मालिकों का शाही फरमान, 1 वर्ष में 6 किस्तों में करेंगे गन्ना किसानों का भुगतान

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नरसिंहपुर : शुगर मिल मालिकों का शाही फरमान, 1 वर्ष में 6 किस्तों में करेंगे गन्ना किसानों का भुगतान 
TOC NEWS @ www.tocnews.org
जिला ब्यूरो चीफ, जिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179
  • किसानों को खैरात की तरह मांगनी, पड़ेगी खून पसीने की कमाई
  • शुगर मिल मालिकों का शाही फरमान,1 वर्ष में 6 किस्तों में करेंगे गन्ना किसानों का भुगता
नरसिंहपुर। गन्ना-गन्ना-गन्ना जिले में शुगर उधोगपतियों एवं नेताओं के बीच इन दिनों सिर्फ गन्ना किसानों एवं उनके साथ किये जा रहे शुगर मिलों की मनमानियों की चर्चा है,प्रदेश में गन्ना उत्पादन में सर्वोच्च प्राथमिकता बाले जिले में गन्ना किसानों की इतनी व्यापक स्तर पर अनदेखी अब तक सरकार द्वारा की गई है, मंगलवार को मध्यप्रदेश में नवीन जनादेश का बिगुल बज गया है.
 
भाजपा की शिवराज सरकार को 3 बार मुख्यमंत्री बनाकर जनता ने उन्हें सेवा का पर्याप्त अवसर दिया था, नरसिंहपुर जिले में गन्ना किसानों का आक्रोश कहीं न कहीं भाजपा एवं उनके जनप्रतिनिधियों के लिए घातक सिध्द हुआ,इस बार मध्यप्रदेश में सरकार परिवर्तन की बड़ी वजहों में किसानों की अनदेखी एवं एससीएसटी एक्ट पर सवर्णों की नाराजगी रही है,और पूरे 15 वर्षों के बाद जुगाड़ से ही सही लेकिन कांग्रेस दोबारा सत्ता में वापसी कर रही है,
 
मौजूदा हालातों में पिछले वर्ष हुआ विशाल किसान आंदोलन के बाबजूद भी शुगर मिल मालिकों की मनमानियां,आगामी सरकार एवं जनप्रतिनिधियों के लिए माथापच्ची का विषय बन सकती हैं।

एक वर्ष में टुकड़ों में देंगे किसानों का पैसा

हाल ही में करेली शुगर मिल द्वारा बाकायदा नोटिस रूपी फरमान चस्पा कर किसानों का भुगतान करने के लिए शर्तें रख दी हैं,नोटिस में स्पष्ट रूप से छः किस्तों में किसानों को गन्ने की फसल का भुगतान किए जाने की बात शुगर मिल प्रबंधन द्वारा लिखी गई है,जिसमे 30 प्रतिशत भुगतान गन्ना प्रदाय के 21 वें दिन,15 प्रतिशत उपरोक्त भुगतान के एक माह उपरांत, 15 प्रतिशत राशि उपरोक्त भुगतान के एक माह बाद,5 प्रतिशत उपरोक्त भुगतान के एक माह बाद एवं अंतिम किस्त के रूप में 20 प्रतिशत राशि आगामी पिराई सत्र प्रारंभ होने पर दी जावेगी,आशय स्पष्ट है,किसानों को अपनी ही फसल के भुगतान के लिए पूरे एक वर्ष फैक्ट्रियों के चक्कर लगाने होंगे,और इस प्रकार किसानों की एकमुश्त रकम जो बहुत काम पड़ सकती थी, फुटकर-फुटकर कर बर्बाद कर दी जाएगी,
 
आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इतने बड़े तानाशाही फरमान के बाद भी जिले के सभी दलों के दिग्गज नेताओं द्वारा अब तक इस फरमान का विरोध नही किया गया,बहरहाल मजबूर किसान दवी जुबान में अपना विरोध प्रकट कर रहा है,या फिर शोसल मीडिया पर लिखकर अपने आक्रोश को शान्त करने का प्रयास कर रहा है,क्योंकि फसल बेचने की भी मजबूरी है,और शुगर मिल मालिकों के रसूख के आगे नतमस्तक होना भी मजबूरी है,और हों भी क्यों न.. जब राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गज इन उधोगपतियों के आगे भीगी बिल्ली बन जाते हैं,तो देश का अन्नदाता कब तक अपने खेत खलिहानों को छोड़कर इन उधोगपतियों का मुकाबला करेगा...?

क्या कांग्रेस सरकार सुधार पाएगी,किसानों की मनमानियां

भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय जिले में चल रहे व्यापक किसान आंदोलन के बाबजूद भी भाजपा सरकार शुगर मिल मालिकों को की कार्यप्रणाली को सुधार पाने में असफल साबित हुई है,और भाजपा के मंत्री एवं विधायकों की बात को भी शुगर मिल मालिकों द्वारा दरकिनार कर अपनी मनमानी जारी रखी गई थी, जिस पर लगातार कांग्रेस एवं अन्य किसान नेताओं द्वारा सरकार का विरोध किया जाता रहा है, लेकिन अब वही चैलेंज कांग्रेस के सामने है जो कभी भाजपा के सामने था,किसानों की समस्याएं वही हैं,शुगर मिलें वही हैं बस सरकार बदल गई है,अब किसानों की पूरी उम्मीदें कांग्रेस सरकार से हैं,की पिछले वर्ष का रुक हुआ करोड़ों का धन एवं वर्तमान फसल का शीघ्र भुगतान सरकार ही कराएगी,अब ऐंसी स्थिति में कांग्रेस सरकार के लिए भी यह बड़ी चुनौती होगी।

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