बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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पूरे प्रदेश में 5 सौ ज्यादा मामले दर्ज लेकिन दोषियो को नहीं मिली सजा
बैतूल, केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेरा ) तहत भेजे गये रूपए का किस तरह उपयोग किया जाता है.....? यदि वह देखना है तो एक बार मध्यप्रदेश के माडल बने बैतूल जिले में एक जरूर आइए ......!
2 फरवरी 2009 को यूपीए की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेरा ) के सफल क्रियाव्यन का प्रथम पुरूस्कार पाने वाली टीम के एक सदस्य के खिलाफ हाल ही में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने मामला दर्ज किया है। पुरूस्कार पाने वाले मुखिया के खिलाफ पूर्व में ही राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) मामला दर्ज कर चुकी है। वैसे तो ब्यूरो प्रदेश के हर दुसरे या तीसरे अफसर के खिलाफ अभी तक पांच सौ से अधिक मामले दर्ज कर चुकी है। राज्य सरकार के अधिन कार्य करने के कारण एक भी अधिकारी को सजा भले न मिली हो पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के द्वारा अपराध दर्ज करने से लोगो में यह विश्वास बना रहता है कि शायद इससे अधिकारियों की अवैध काली कमाई पर लगाम लग सके। केन्द्र में दो बार सरकार बनवा चुकी यूपीए की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी भले ही आज तक अपने स्वर्गीय पति राजीव गांधी द्वारा कहे गये एक रूपए में से 85 पैसे गायब होने का सच स्वीकार कर चुके है लेकिन बैतूल की इस इस ताजा घटना के बाद उन्हे पता लग जायेगा कि वह 85 पैसा कहां जाता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गांवो एवं ग्रामीणो के तथाकथित समग्र विकास के लिए भेजा जाने वाले एक रूपए के गांव तक नहीं पहुंचे पाने के पीछे कहानी का हाल ही में खुलासा हुआ। बैतूल जिले में पदस्थ रहे जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) बाबू सिंह जामोद पर शिकंजा कस गया है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ईओडब्ल्यू की भोपाल ईकाई ने की है। बाबू सिंह जामोद करीब डेढ़ महीने से सीहोर में पदस्थ हैं। जिला पंचायत सीईओ.. इससे पहले वे तीन साल तक बैतूल में जिला पंचायत सीईओ के पद पर पदस्थ थे। ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली थी कि बैतूल में पदस्थापना के दौरान उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया है और लाखों रुपए की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की है। ईओडब्ल्यू ने शिकायत की जांच के बाद सीईओ के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शिकायत में कहा गया था कि बैतूल जिले का चालीस फीसदी हिस्सा आदिवासी बहुल है। जिले के कई ब्लाक आदिवासी बहुल घोषित हैं। उनके लिए केंद्र सरकार से काफी राशि मुहैया कराई जाती है। श्री जामोद ने अपने तीन साल के कार्यकाल में जिले के दस जनपदो पंचायतो एवं ग्राम पंचायतो तक में उन्ही लोगो की पदस्थापना करवाई जो उनके अनुसार कार्य करते थे। ग्राम पंचायत से लेकर जनपदो तक से वे हर माह एक मोटी किश्त लिया करते थे। कमोबेश यही स्थिति प्रोजेक्ट अफसर की थी। उनके माध्यम से तकरीबन सभी सरकारी योजनाओं में खेल करते थे। जिले में जितनी सरकारी योजनाएं संचालित होती हैं, उनका भुगतान जिला पंचायत के माध्यम से होता है। बैतूल जिले में कपिलधारा कूप योजना में जिले की आधे से ज्यादा ग्राम पंचायतो के सचिवो के खिलाफ 22 करोड़ रूपए की वसूली के आदेश होने के बाद भी उनसे श्री जामोद ने कोई वसूली नहीं करवाई। जिले की 558 ग्राम पंचायतो के सचिवो एवं सरपंचो के खिलाफ आर्थिक अपराध एवं सभी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार करने के बाद भी उन्हे कारण बताओ नोटिस जारी करके अवैध ऊगाही भी की गई। धारा 40 के तहत उन्ही संरपचो एवं सचिवो को कार्यमुक्त किया गया जिनके द्वारा लेने - देन नहीं किया गया। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह है कि बैतूल में पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे अरूण भटट् और बाबू सिंह जामोद की पूरी टीम ने पंचायती राज्य का सत्यानाश करने मेें कोई कसर नहीं छोड़ी। जिला कलैक्टर एवं जिला पंचायत की सफल क्रियाव्यन टीम के मुखिया होने के नाते अरूण भटट ने बैतूल जिले में सर्वश्रेष्ठ क्रियाव्यन के लिए यूपीए अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से पुरूस्कार प्राप्त किया था। उस समय श्री जामोद भी श्री भटट् के साथ ही दिल्ली पहुंचे थे। इस साल भी बैतूल को सर्वश्रेष्ठ कार्य योजना का पुरूस्कार मिलना था लेकिन सेटिंग नहीं जम सकी और श्री जामोद के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने अपराध दर्ज कर लिया। बैतूल के पूर्व कलैक्टर श्री अरूण भटट् एवं वर्तमान कलैक्टर श्री विजय आनंद कुरूील के खिलाफ भी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा पूर्व में कुछ इसी प्रकार का मामला दर्ज किया है। बाबूसिंह जामोद ने दो साल अरूण भटट् तथा एक साल विजय आनंद कुरूील की कप्तानी में पारी खेली जिसमें वे बैतूल से जाने के बाद वे ईओडब्ल्यू के हत्थे शिकंजे में चढ़ गये। श्री जामोद ने अपनी तीन साल की पदस्थापना के दौरान सबसे ज्यादा गड़बड़ी नरेगा और वाटरशेड मिशन में की गई है। फोटोकापी मशीन, कंप्यूटर और प्रिंटर की खरीदी में भी भारी गड़बड़ी की गई है। इधर बैतूल जिले मेें श्री जामोद पर शिंकजा कसने के बाद जिले में पदस्थ रहे जनपद पंचायतो के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की बैचेनी बढऩे लगी है। जिला पंचायत बैतूल के मीडिया प्रभारी अनिल गुप्ता का कहना है कि पूरे प्रदेश में ऐसे कई मामले आइ एस अधिकारियो के खिलाफ दर्ज होते रहते है लेकिन कार्यवाही किसी पर भी नहीं होती है। श्री गुप्ता का मानना है कि कार्यवाही न होने से अधिकारियों में रूपए कमाने की चाहत बढ़ जाती है और यही रूपए बाद में ऐसी जांचो एवं मामलो को प्रभावित करता है। बैतूल जिले में पदस्थ रहे पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जामोद के खिलाफ दर्ज मामले के बाद बैतूल जिले के राजनैतिक एवं प्रशासनिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
2 फरवरी 2009 को यूपीए की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेरा ) के सफल क्रियाव्यन का प्रथम पुरूस्कार पाने वाली टीम के एक सदस्य के खिलाफ हाल ही में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने मामला दर्ज किया है। पुरूस्कार पाने वाले मुखिया के खिलाफ पूर्व में ही राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) मामला दर्ज कर चुकी है। वैसे तो ब्यूरो प्रदेश के हर दुसरे या तीसरे अफसर के खिलाफ अभी तक पांच सौ से अधिक मामले दर्ज कर चुकी है। राज्य सरकार के अधिन कार्य करने के कारण एक भी अधिकारी को सजा भले न मिली हो पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के द्वारा अपराध दर्ज करने से लोगो में यह विश्वास बना रहता है कि शायद इससे अधिकारियों की अवैध काली कमाई पर लगाम लग सके। केन्द्र में दो बार सरकार बनवा चुकी यूपीए की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी भले ही आज तक अपने स्वर्गीय पति राजीव गांधी द्वारा कहे गये एक रूपए में से 85 पैसे गायब होने का सच स्वीकार कर चुके है लेकिन बैतूल की इस इस ताजा घटना के बाद उन्हे पता लग जायेगा कि वह 85 पैसा कहां जाता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गांवो एवं ग्रामीणो के तथाकथित समग्र विकास के लिए भेजा जाने वाले एक रूपए के गांव तक नहीं पहुंचे पाने के पीछे कहानी का हाल ही में खुलासा हुआ। बैतूल जिले में पदस्थ रहे जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) बाबू सिंह जामोद पर शिकंजा कस गया है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ईओडब्ल्यू की भोपाल ईकाई ने की है। बाबू सिंह जामोद करीब डेढ़ महीने से सीहोर में पदस्थ हैं। जिला पंचायत सीईओ.. इससे पहले वे तीन साल तक बैतूल में जिला पंचायत सीईओ के पद पर पदस्थ थे। ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली थी कि बैतूल में पदस्थापना के दौरान उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया है और लाखों रुपए की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की है। ईओडब्ल्यू ने शिकायत की जांच के बाद सीईओ के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शिकायत में कहा गया था कि बैतूल जिले का चालीस फीसदी हिस्सा आदिवासी बहुल है। जिले के कई ब्लाक आदिवासी बहुल घोषित हैं। उनके लिए केंद्र सरकार से काफी राशि मुहैया कराई जाती है। श्री जामोद ने अपने तीन साल के कार्यकाल में जिले के दस जनपदो पंचायतो एवं ग्राम पंचायतो तक में उन्ही लोगो की पदस्थापना करवाई जो उनके अनुसार कार्य करते थे। ग्राम पंचायत से लेकर जनपदो तक से वे हर माह एक मोटी किश्त लिया करते थे। कमोबेश यही स्थिति प्रोजेक्ट अफसर की थी। उनके माध्यम से तकरीबन सभी सरकारी योजनाओं में खेल करते थे। जिले में जितनी सरकारी योजनाएं संचालित होती हैं, उनका भुगतान जिला पंचायत के माध्यम से होता है। बैतूल जिले में कपिलधारा कूप योजना में जिले की आधे से ज्यादा ग्राम पंचायतो के सचिवो के खिलाफ 22 करोड़ रूपए की वसूली के आदेश होने के बाद भी उनसे श्री जामोद ने कोई वसूली नहीं करवाई। जिले की 558 ग्राम पंचायतो के सचिवो एवं सरपंचो के खिलाफ आर्थिक अपराध एवं सभी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार करने के बाद भी उन्हे कारण बताओ नोटिस जारी करके अवैध ऊगाही भी की गई। धारा 40 के तहत उन्ही संरपचो एवं सचिवो को कार्यमुक्त किया गया जिनके द्वारा लेने - देन नहीं किया गया। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह है कि बैतूल में पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे अरूण भटट् और बाबू सिंह जामोद की पूरी टीम ने पंचायती राज्य का सत्यानाश करने मेें कोई कसर नहीं छोड़ी। जिला कलैक्टर एवं जिला पंचायत की सफल क्रियाव्यन टीम के मुखिया होने के नाते अरूण भटट ने बैतूल जिले में सर्वश्रेष्ठ क्रियाव्यन के लिए यूपीए अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से पुरूस्कार प्राप्त किया था। उस समय श्री जामोद भी श्री भटट् के साथ ही दिल्ली पहुंचे थे। इस साल भी बैतूल को सर्वश्रेष्ठ कार्य योजना का पुरूस्कार मिलना था लेकिन सेटिंग नहीं जम सकी और श्री जामोद के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने अपराध दर्ज कर लिया। बैतूल के पूर्व कलैक्टर श्री अरूण भटट् एवं वर्तमान कलैक्टर श्री विजय आनंद कुरूील के खिलाफ भी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा पूर्व में कुछ इसी प्रकार का मामला दर्ज किया है। बाबूसिंह जामोद ने दो साल अरूण भटट् तथा एक साल विजय आनंद कुरूील की कप्तानी में पारी खेली जिसमें वे बैतूल से जाने के बाद वे ईओडब्ल्यू के हत्थे शिकंजे में चढ़ गये। श्री जामोद ने अपनी तीन साल की पदस्थापना के दौरान सबसे ज्यादा गड़बड़ी नरेगा और वाटरशेड मिशन में की गई है। फोटोकापी मशीन, कंप्यूटर और प्रिंटर की खरीदी में भी भारी गड़बड़ी की गई है। इधर बैतूल जिले मेें श्री जामोद पर शिंकजा कसने के बाद जिले में पदस्थ रहे जनपद पंचायतो के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की बैचेनी बढऩे लगी है। जिला पंचायत बैतूल के मीडिया प्रभारी अनिल गुप्ता का कहना है कि पूरे प्रदेश में ऐसे कई मामले आइ एस अधिकारियो के खिलाफ दर्ज होते रहते है लेकिन कार्यवाही किसी पर भी नहीं होती है। श्री गुप्ता का मानना है कि कार्यवाही न होने से अधिकारियों में रूपए कमाने की चाहत बढ़ जाती है और यही रूपए बाद में ऐसी जांचो एवं मामलो को प्रभावित करता है। बैतूल जिले में पदस्थ रहे पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जामोद के खिलाफ दर्ज मामले के बाद बैतूल जिले के राजनैतिक एवं प्रशासनिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
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