Pages

click new

Saturday, February 5, 2011

क्या मिल गया सरकार तुम्हे इमरजेंसी लगा के हमारी नसबंदी करा के......!

बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
toc news internet channel


लक्ष्य की पूर्ति के लिए कुंवारे की ही कर डाली नसबंदी

बैतूल। स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गांधी के शासनकाल में नसबंदी को लेकर हुई हाय:तौबा के बाद आई एस जौहर की बहुचर्चित फिल्म ''इमरजेंसी'' का बहुचर्चित गाना ''क्या मिल गया सरकार तुम्हे इंमरजेंसी लगा के हमारी नसबंदी करा के हमारी बंशी बजा के .....! '' आमला तहसील मुख्यालय की ताजी घटना के बाद लोगो की जुबां पर बरबस गुनगुनाने लगा हैं। बैतूल जिले में एक बार फिर जबरिया नसबंदी करवाने के सरकारी प्रयासो की पोल खोल कर रख दी इस घटना का मुख्यपात्र बीस साल का वह युवक हंै जो सरदर्द के लिए डाक्टर के पास आया था। वीरेन्द्र उर्फ मोनू आत्मज रामकिशोर मालवीय निवासी बढ़ई मोहल्ला आमला ने बताया कि उसे एक गोली दी गई थी जिसके बाद वह बेहोश हो गया। मोनू के साथ गया उसका मित्र जब मोनू के डाक्टर के पास से दस मिनट तक वापस न आने पर उसने पुछताछ की तो पता चला कि आपरेशन थियेटर में उसकी नसबंदी की जा रही है। इस घटना की जानकारी मोनू की मां श्रीमति विमला मालवीय को मिली तो उसने चिकित्सालय आकर हंगामा खड़ा कर दिया। अपने पुत्र को घर ले जाकर महिला एवं उसके पति रामकिशोर मालवीय ने आमला पुलिस थाना में इस बारे में रिर्पोट दर्ज करवाई। आमला थाना प्रभारी श्री घनघोरिया ने बताया कि इस संदर्भ में रिर्पोट दर्ज कर ली गई तथा जांच उपरांत दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जायेगा। इधर आमला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डां बी .पी . चौरिया ने स्वीकार किया कि इस तरह की घटना हुई लेकिन युवक स्वेच्छा से आया था तथा उसने अपना नाम रजिस्ट्रर में वीरेन्द्र के स्थान पर मोनू सोनी लिखवाया था। इधर घटना के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तथाकथित परिवारीक सदस्य श्रीमति सीमा चौरिया के पति डां बी पी चौरिया एवं अन्य दोषियो के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया है। शहरी क्षेत्र की इस प्रकार की घटनाओं के सामने आने के बाद सरकारी जनसंख्या नियंत्रण के आकड़ो पर भी शंका होने लगी है। मात्र लक्ष्यपूर्ति के लिए शासन के प्रयासों पर पानी फेरने के जब शहरी क्षेत्र आमला में कुंवारे युवक की नसबंदी कर दी जाती है तब दूरस्थ ग्रामीण अंचलो में क्या कुछ नहीं होता होगा।
सवाल तो अब उन सरकारी दावों पर भी होने लगा है जिसमें कहा गया है कि बैतूल जिले में इस समय कालापानी के नाम से मशहूर आदिवासी ब्लॉक भीमपुर में आदिवासियों ने परिवार नियोजन को अपनाकर लक्ष्य हासिल करने ब्लॉक को अव्वल नम्बर पर हंै। ब्लॉक में 31 मार्च 2011 के लिए निर्धारित नसबंदी ऑपरेशन का लक्ष्य 20 जनवरी को पूरा हो चुका है। भीमपुर सहित प्रदेश के सिर्फ दो ब्लॉक ही इस अवधी में सौ फीसदी लक्ष्य हासिल कर पाए है। विकास और भौगोलिक संरचना की विषमताओं की वजह से आदिवासी ब्लॉक भीमपुर को कालापानी के नाम से जाना जाता है। बावजूद इसके क्षेत्र के आदिवासी अब जागरूक हो रहे है। बीएमओ डॉ रजनीश शर्मा ने बताया कि परिवार नियोजन के लिए शासन ने वर्ष 2010-2011 को परिवार कल्याण वर्ष घोषित किया था जिसके तहत भीमपुर ब्लॉक को एक अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2011 तक 1430 नसबंदी ऑपरेशन कराने का लक्ष्य मिला था। आदिवासी अंचल ने इस लक्ष्य को ढाई माह पहले ही हासिल कर लिया है। ब्लॉक में 20 जनवरी तक आयोजित 37 शिविरों में कुल 1448 नसबंदी ऑपरेशन हुए है। जिनमें 1391 महिलाएं एवं 57 पुरूष शांिमल है। परिवार नियोजन भोपाल एवं नर्मदापुरम् संभाग में अव्वल आने पर भीमपुर ब्लॉक को पुरस्कार और प्रशस्तिपत्र से नवाजा गया है। बैतूल जिले के ग्रामीण अचंलो में गरीब - लाचार लोगो के साथ क्या प्रलोभन देकर या जबरिया नसबंदी नहीं करवाई जा रही होगी। जबसे ग्राम पंचायतो के सचिवो को एक माह में अनिवार्य रूप से दो लोगो की नसबंदी करवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है वहां पर अन्य शासकीय कर्मचारियों के क्या हाल होगें। अपनी नौकरी बचाने के लिए पूरे जिले में ऐसे कई लाचार बेबस लोग मिल जायेगें जो कि स्वेच्छा से नसबंदी नहीं करवाये होगें।

No comments:

Post a Comment