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Monday, March 28, 2011

सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार


सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार
सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार

बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)

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मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लगता हैं कि एकता कपूर के स्ट्रार प्लस एवं उत्सव पर आने वाले टीवी धारावाहिको ज्यादा देखती हैं या फिर वह फिल्मी दुनिया की बहुचर्चित स्वर्गीय ललीता पंवार की आत्मा को अपने शरीर में प्रवेश कर चुकी हैं। हाल ही में ऐसा तब देखने को मिला जब प्रदेश सरकार ने बैतूल जिले की दो देव कन्याओं ताप्ती एवं पूर्णा के साथ अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया। पुराणो में उल्लेखीत कथा के अनुसार सूर्यवंशी में जन्मी मां ताप्ती का विवाह चन्द्रवंशी राजा सवरण के साथ हुआ था। दस नाते चन्द्रपुत्री मां पूर्णा भले ही ताप्ती की सहेली हो लेकिन रिश्तो में वह ताप्ती जी की बुआ सास कहलाती हैं। वैसे भी देखा जाता रहा हैं कि चन्द्र एवं सूर्य की आपस में पटरी नहीं बैठने के बाद भी ताप्ती एवं पूर्णा का बैतूल जिले से अलग - अलग दिशा में बहता जल प्रवाह भुसावल के पास इन दोनो सहेलियों के मिलन का हुआ हैं।
प्रदेश सूर्यवंश में जन्मे प्रतापी राजा राम की रामभक्त भाजपा अब इस जिले में बहने वाली दो प्रमुख धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नदियो के साथ भेदभाव करके अपनी अलग पहचान बनाने में लग हैं। बैतूल जिले की भैसदेही तहसील मुख्यालय स्थित काशी तालाब पुष्पकरणी से निकलने वाली चन्द्रपुत्री मां पूर्णा नदी जिसमें कभी वर्षभर पानी कल-कल कर बहते पानी को सहेज कर रखने के लिए एक मास्टर प्लान को लागू करने जा रही हैं। वैसे तो बैतूल जिले की सभी प्रमुख नदियों में अक्टुम्बर माह के समाप्त होते ही जल का प्रवाह दम तोडऩे लगता है। बैतूल जिले में ताप्ती 250 किलोमीटर तथा पूर्णा 90 किलोमीटर बहती हैं। इस समय जिले में करीब 90 किमी बहने वाली पूर्णा नदी के पुनर्जीवन के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। जिसमें करीब 67 करोड़ रूपए का प्लान तैयार किया गया है। तीन साल की अवधि में यदि इस प्लान पर सही तरीके से काम हुआ तो पूर्णा फिर से दुध की धारा के रूप में बहना शुरू हो लाएगी। सप्तऋषियों की प्यास बुझाने धरती पर आई पूर्णा सप्त ऋषियों के मन में आई खोट के चलते गाय के रूप में प्रगट होकर दुध की धारा बहाती हुई बैतूल जिले की सीमा से बाहर होकर भुसावल में ताप्ती से मिल गई। सरकारी मास्टर प्लान के तहत नदी के उपचार के लिए चुनने का कारण यह है कि नदी में बेस फ्लो स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। जलग्रहण क्षेत्र में उच्च रिसन क्षमता है। इसलिए कंटूर ट्रेंच, कंटूर बोल्डर वॉल, गली प्लग संख्या, कंटूर बंड मेढ़ बंधान, सोक पिट, खेत-तालाब, चेकडैम, स्टापडैम, ड्राप स्पिल वे, बोरीबंधान, तालाब, परकोलेशन टेंक, पुराने चेकडैम सुधार, पुराने तालाबों का सुधार, रिचार्ज साफ्ट, डाइक सहित अन्य तरीकों से यह उपचार का काम किया जाएगा। नदी के उपचार के लिए जिस फार्मूले को तैयार किया गया है उसमें आधारभूत जानकारी का संकलन किया जाएगा। इसके साथ ही परियोजना क्रियान्वयन दल द्वारा संपूर्ण जलग्रहण क्षेत्र एवं नदी पथ का भ्रमण व सर्वेक्षण, ग्रामीण सहभागी समीक्षा के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों एवं प्रस्तावित कार्यो की आयोजना, वाटर बजट एवं जल संरक्षण बजट तैयार करना, परिवार सर्वेक्षण एवं नेट प्लानिंग के माध्यम से प्रति खसराबार जल संरक्षण एवं जल संवर्घन संरचनाओं गतिविधियों का चयन, तकनीकी सर्वेक्षण एवं कम्प्यूटर के माध्यम से नक्शों एवं मानचित्रों का डिजीटलाईजेशन तकनीकी प्राक्कलन एवं स्वीकृति प्राप्त करना एवं डीपीआर तैयार कर ग्राम जनपद व जिला पंचायत से अनुमोदन कर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करना शामिल है। क्षेत्र के भौगोलिक स्थिति एवं भूमिप्रकार को ध्यान में रखकर जो रणनीति बनाई गई है। उसमें भूू जलस्तर में वृद्धि के लिए ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में अधिक से अधिक मृदा एवं जलसंरक्षण के काम किए जाएंगे। वहीं बेस फ्लो का स्तर ऊपर उठाने के लिए मध्य क्षेत्र में जलसंरक्षण एवं संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा।
पूर्णा नदी के जलसंग्रहण और भूजल रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। पूर्णा नदी के उपचार के लिए मनरेगा से 1033.150, आदिम जाति कल्याण विभाग से 450, जलसंसाधन विभाग से 950, आईटीडीपी भैंसदेही से 480, बीआरजीएफ बैतूल से 250, जन सहभागिता से 152 और राजीव गांधी जलग्रहण मिशन से 15 लाख रूपए की राशि की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें उपचार का कार्य किया जाएगा। नदी उपचार के लिए विभिन्न स्तर पर समितियों का गठन और उनके प्रशिक्षण के लिए भी अलग-अलग व्यवस्थाएं प्लान में शामिल है।पूर्णा नदी के तमाम उपचार के बाद यह माना जा रहा है कि 31 मार्च 2013 की स्थिति में चयनित जलग्रहण क्षेत्र के उभयनिष्ठ बिंदू पर पर्याप्त जलप्रवाह के रूप में निश्चित रूप से पूर्णा नदी को पुर्नजीवन मिलेगा। जिससे करीब सात हजार हेक्टेयर सिंचाई के रकबे में वृद्धि होने से 800 हेक्टेयर कृषि का रकबा बढ़ेगा।
वहीं 28 ग्रामों में भूजलस्तर में वृद्धि होगी। क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण होगा।इस प्लान की प्रस्तुति मुख्यमंत्री के समक्ष हो चुकी है और उन्हें भी यह प्लान बेहद पसंद आया है और इस पर काम भी शुरू हो चुका है।कुछ इसी तरह कह महत्वाकांक्षी योजना ताप्ती को लेकर जल संसाधन विभाग एवं आरइएस विभाग ने भी बनाई थी जिसके तहत ताप्ती नदी के 250 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में 25 छोटे स्टाप डेप एवं 250 से अधिक ओव्हरफ्लो रपटो के निमार्ण की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी लेकिन योजना को मूर्त रूप मिलता उसके पहले ही योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
बैतूल जिले के राजनेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के सूर्यपुत्री मां ताप्ती के प्रति उपेक्षाजनक व्यवहार के चलते बैतूल जिले में अपार जल क्षमता वाली ताप्ती में भले ही ऊपरी जल प्रवाह बंद हो जाता हैं लेकिन 250 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब साढे चार सौ से अधिक ऐसे डोह एवं गहरे गडडे हैं जो कि दो सौ से ढाई सौ फिट गहरे हो सकते हैं जिसमें साल भर पानी भरा रहता हैं। यह कोई साधारण बात नही हैं कि हर आधा किलोमीटर पर ताप्ती में कोई न कोई जल सग्रंह के सैकड़ो विशाल भंडार हैं , जहां पर बारहमास पानी की कमी नहीं होती हैं। भले ही ताप्ती नदी ऊपरी तह पर बह नही पाती हैं लेकिन पूरी की पूरी नदी सुखी नहीं पाती हैं। नदी का आंतरिक बहाव मई जून मास में भी देखने को मिलता हैं जअ कोई नदी के बीचो- बीच पोखर या गडड खोदता हैं।
ताप्ती के जल संग्रहण के पीछे की कहानी भले ही पिता एवं पुत्री के स्नेह का प्रतिक हो लेकिन बैतूल जिले में यदि ताप्ती का जल प्रवाह यदि छोटे - छोटे रपटे डेमो या ओव्हर फ्लो डेमो को बना कर किया जाता हैं तो ताप्ती नदी के किनारे बसे सैकड़ो गांवो एवं हजारो हैक्टर भूमि का उद्धार हो सकता हैं लेकिन जिस प्रदेश सरकार को ताप्ती के नाम मात्र से चिढ़ हो वह भलां उस नदी को क्यों महत्व देगी जिसके महात्म के आगे गंगा - यमुना तक नतमस्तक हैं। प्रदेश गान में अपनी उपेक्षा के बाद अब नदी के जल संग्रहण के प्रति उपेक्षित बहन के प्रति शनि महाराज की नज़रे कहीं शिवराज सरकार के पतन का कारण न बन जाए। वैसे भी शनि महाराज लोहे के रूप में प्रदेश सरकार के मुखिया के डम्पर कांड पर अपनी नज़र केन्द्रीत करने वाले हैं।

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