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Saturday, April 23, 2011

क्रिश्चियन अस्पताल शहडोल मूलत: नेशनल मिशनरी सोसाइटी की संपत्ति एन एम एस आई धर्मान्तरण के सख्त खिलाफ


क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
क्राइम रिपोर्टर से सम्पर्क : 9407170100

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शहडोल . रामाबाई हास्पिटल के नाम से विख्यात जिसका मालिक रामाबाई को ही लोग जानते व मानते थे। किन्तु बाद में पता लगा कि यह अस्पताल इवेन्जेलिकल लूथरन संस्था का है और जो बलपूर्वक इस पर काबिज हो गया। उन्होने बताया कि वास्तविकता यह है कि उक्त अस्पताल की भूमि सन 1953 में मद्रास में स्थित संस्था नेशनल मिशनरी सोसाइटी के तत्कालीन जनरल से्रक्रेटरी एस जे डोरइस्वामी के द्वारा शहडोल के ही किशोरीलाल अग्रवाल से क्रय की गयी थी जो किम आज भी राजस्व अभिलेखोंमें दर्ज है। नेशनल मिशनरी सोसाइटी के द्वारा उक्त अस्पताल शहडोल जिले में 24 सितम्बर 1957 को प्रारंभ किया गया था, जिसकी प्रथम चिकित्सा अधीक्षक डा. रामाबाई गोपाल थी जो कि जिले की प्रख्यात चिकित्सक रहीं।
संरक्षको द्वारा बताया गया कि डा. रामाबाई का विवाह इवेन्जेलिकल लूथरन चर्च के पास्टर प्रोफेसर सी बी राव के साथ हुआ थ। सी बी राव के साथ विवाह होने के कारण कालान्तर में नेशनल मिशनरी सोसाइटी के अस्पताल में इवेन्जेलिकल लूथरन चर्च संस्था दाखिल हुई। संरक्षकों द्वारा उक्त समय के दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए बताया गया कि सी बी राव एवं डा. रामाबाई गोपाल राव के द्वारा उक्त संपत्ति की देखरेख एवं लिखा पढ़ी नेशनल मिशनरी सोसाईटी के संरक्षक की हैसियत से ही की जाती रही। यही विश्वास था कि प्रोफेसर सी बी राव एवं डा. रामाबाई के निधन के बाद भी नेशनल मिशनरी सोसाइटी संस्था ने गरीबों के हितार्थ द्वारा खोले गए इस चेरिटी अस्पताल में कभी भी दखल नहीं दिया। किन्तु जब डा. दीपक पाल ने संस्था की उक्त संपत्ति को हड़पने की दृष्टि से संपत्ति को अपने नाम पर करा लिया, तब संस्था ने अपनी संपत्ति की सुरक्षा हेतु केश दायर किया।
केस जीतने के उपरांत नेशनल मिशनरी सोसाइटी संस्था ने जिले में एक सर्व सुविधा संपन्न अस्पताल की आवश्यकता को देखते हुए इसाई महासंघ के जिलाध्यक्ष प्रयास कुमार प्रकाश एवं इसाई महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. क्रिस्टी अब्राहम, को इस अस्पताल के देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी एवं अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने का एस्टीमेट मांगा है। उन्होने बताया कि हमारा प्रथम कर्तव्य जिले की जनता को अच्छा अस्पताल देने का है एवं डा. दीपक पाल अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए जिले की जनता को आधुनिक सुविधायुक्त अस्पताल पाने की राह में रोडा बने हुए हैं। उपरोक्त संपत्ति को जालसाजी से हड़पने के आरोप में डा. ेदीपक पाल पर भा. द. वि. की धारा 420, 120 बी, 467, 468 एवं 471का प्रकरण पंजीबद्ध है जिसमें वे माननीय उच्च न्यायालय से सशर्त जमानत पर हैं।
डा. दीपक पाल के द्वारा अस्पताल का पंजीयन भी फर्जी एवं अधूरी जानकारी के आधार पर दिया गया है। एवं उक्त अस्पताल मे नब्बे प्रतिशत कर्मचारी आज भी बिना पंजीयन का नवीनीकरण कराए अस्पताल में कार्यरत हैं। उक्त विषय पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की चुप्पी भी संदेहास्पद है। डा. दीपक पाल ने जालसाजी से नेशनल मिशनरी सोसाइटी की संपत्ति को अपनी बताते हुए स्थानीय केंद्रीय सहकारी बैंक में गिरवी रखकर लोन भी ले लिया, जिसकी शिकायत करने पर स्थानीय कोतवाली पुलिस जांच भी कर रही है। डा. दीपक पाल को डा. दीपक पाल कहें या डा. नटवरलाल धर्मान्तरण के आरोप पर संरक्षकों ने डा. दीपक पाल से पूछा है कि वे बताए कि नेशनल मिशनरी सोसाइटी के द्वारा अब तक कितने धर्मान्तरण कराए गये हैं। नेशनल मिशनरी सोसाइटी आफ इंडिया एक नान प्राफिटेबल संस्था है जो कि भारतीय परंपराओं पर जन हित के काम करती है।
धर्म का प्रचार तो सभी धर्म के पुजारी करते हैँ किन्तु डा. दीपक पाल द्वारा स्वयं क्रिश्चियन होते हुए धर्मान्तरण का आरोप लगाना सर्वथा शर्मनाक है। उन्होने डा. दीपक पाल को नसीहत देते हुए कहा कि उक्त अस्पताल के स्वामित्व का मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, अत: माननीय उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए निर्णय का इंतजार करें व अनावश्यक बयानबाजी या समाचार प्रकाशित करके देश की एकता और अखण्डता को तोडऩे का घिनौना कार्य न करें अन्यथा उनके विरूद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने हेतु प्रयास किया जा सकता है। डा. दीपक पाल द्वारा छपवाए गये उक्त भडक़ाऊ समाचारों के लिए शहडोल के इसाई समाज के धर्मगुरूओं की बैठक गत दिवस हुई। उक्त बैठक में समाज के जिलाध्यक्ष प्रयास कुमार प्रकाश, प्रदेश उपाध्यक्ष डा. क्रिस्टी लुइस अब्राहम, पास्टर एस के आशावान, इत्यादि उपस्थित हुए। बैठक में डा. पाल द्वारा छपवाए गये समाचारों की कड़ी निन्दा की गयी एवं जनापेक्षा की गयी कि ऐसे गंदे समाचारों पर ध्यान न दिया जाये।

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