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Wednesday, May 4, 2011

कृषि उपज मंडियों में सहकारी समितियों के दलाल सक्रिय किसानों का माल घटिया

बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क : 74895 92660
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बैतूल । बैतूल जिले के सबसे बड़े जिला सहकारी बैंक पर अनाज व्यापारियों का एकाधिकार हो गया हैं। पूरे जिले में सहकारी समितियों के पदाधिकारी कृषि उपज मंडियों एवं सहकारी समितियों में दलालों के माध्यम से किसानों का गेहूं मानक आधार पर सहीं न बता कर दलालों के माध्यम से सौदेबाजी कर कम मूल्य में खरीद रहे हैं।
सहकारी समितियों के पदाधिकारियों द्वारा बैतूल कृषि उपज मंडियों में पहले तो बारदान की कमी का बहाना बता कर किसानों को गेहंू नहीं खरीदा जा रहा हैं। देर रात्री में दलालों एवं कुछ व्यापारियों के माध्यम से उन दूर - दराज से आए किसानों का गेहूं घटिया बताने के बाद देर रात्री में औने -पौने दामों में खरीदा जा रहा हैं। समर्थन मूल्य के बहाने सीधे -सीधे किसानों का गेहूं कुछ दलालों के माध्यम से खरीदा जा रहा हैं। बैतूल जिले में यूं तो समर्थन मूल्य पर किसानों ंंका गेहंू खरीदने के लिए जिला सहकारी बैंक के अधिनस्थ 91 सहकारी समितियां कार्यरत हैं। जिले की सहकारी समितियां विपणन सहकारी समितियों के माध्यम से गम्पर गेहूं की खरीदी तो कर रही हैं लेकिन किसानों को कम गांव-खेड़ों से गरीब, मजबूर किसानों का गेहूं औन-पौने दामों में खरीद रहे व्यापारियों को उपकृत करने में लगी हुई हैं। वारदान की कमी का बहाना पूरे जिले भर में एक जैसा ही हैं। आमला ब्लॉक की ससुंद्रा सोसाइटी में बारदाना खत्म होने के कारण गेहूं की तथाकथित खरीदी तो बंद कर दी है लेकिन गांव के आसपास के जाति विशेष के व्यापारियों का माल चुपके -चुपके खरीदा जा रहा हैं। किसानों को किये गए पुराने चेक भुगतानों की जांच की जाए तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता हैं।
वैसे देखा जाए तो पूरे जिले भर में प्राय: प्राय: सभी सहकारी समितियों में सप्ताह भर से किसान सोसाइटी के चक्कर कांट रहे हैं, लेकिन अभी तक किसानों को इस संबंध में राहत नहीं मिल पाई है। गेहूं खरीदी के लिए आमला ब्लॉक में कुल 8 केंद्र बनाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक बोरदेही केंद्र को छोडक़र ससुंद्रा सहित सभी केंद्रों पर बारदाने की कमी सामने आ रही है। किसान मुंकदराव साबले के मुताबिक किसान केंद्रों पर गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन खरीदी नहीं होने के कारण उन्हें परिवहन का फिजूल खर्च सहना पड़ रहा है। किसानों की इसी मजबूरी का व्यापारी फायदा उठाकर उनका गेहूं कम दामों में खरीद रहा हैं। खास बात यह भी है कि बारिश होने से उत्पादन खराब होने का खतरा भी पूरे समय किसानों के सिर पर मंडराता रहता है। इसलिए वह औने-पौने दामों पर व्यापारियों को अपना गेहूं बेच रहा हैं।
एक अन्य के किसान कल्लू रामदीन पाटील के मुताबिक खरीदी केंद्रों पर हो रही इन अव्यवस्थाओं में जल्द सुधार की आवश्यकता है। ब्लॉक के तीन खरीदी केंद्रों पर इन दिनों माल का उठाव नहीं होने के कारण खरीदी प्रभावित हो रही है। इन दिनों गेहूं की आवक जोरों पर है, पर कैंपस में न तो तौल के लिए जगह है और न ही बारदाने हैं। इसके चलते शाहपुर में शनिवार को खरीदी नहीं हो पाई। यही हालत भौंरा और बीजादेही के खरीदी केंद्रों पर भी है। यहां भी गेहूं की आवक अच्छी है। उठाव नहीं होने के कारण खरीदी नहीं हो रही है। इस सप्ताह के प्रथम दिवस तक बारदाने नहीं पहुंचे तो इन केंद्रों पर भी खरीदी बंद हो जाएगी। शाहपुर खरीदी केंद्र के सहायक प्रबंधक अमरलाल यादव ने बताया कि वर्तमान में करीब 11 हजार क्विंटल से अधिक की खरीदी संस्था में हो चुकी है। अभी लगभग 7 हजार बोरे गेहूं आने की उम्मीद है। वहीं 17 क्विंटल गेहूं कैंपस में खुले आसमान में रखा है।
शुक्रवार को बारदाने भी खत्म हो गए इसके चलते शनिवार को खरीदी नहीं हुई। भौंरा के सुनील पवार ने बताया कि यहां 58 सौ क्विंटल गेहूं की खरीदी हो चुकी है। इतना ही गेहूं आने की उम्मीद है। 800 क्विंटल गेहूं स्टॉक है। बीजादेही के सुरेश पवार ने बताया कि इस वर्ष 7 क्विंटल गेहूं पिछले वर्ष से अधिक आ चुका है। स्टॉक में 18 सौ क्विंटल गेहूं रखा है। बारदाना आने और स्टॉक उठने के बाद खरीदी की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों के बाद मुलताई, बैतूल, भैसदेही कृषि उपज मंडियों में तो सहकारी समितियों के प्रबंधक से लेकर सेल्समेन तक अनाज व्यापारियों के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। देर रात्री तक पूरी मंडिया दलालों से भरी रहती हैं। ऐसे किसानों को जिनका गेहूं घठिया एवं सरकारी माप दण्ड पर खरा नहीं उतराता हैं उन्हे घेर कर रखने के बाद उनसे सौ से दो सौ रूपए दलाली लेकर उनका गेहूं औन-पौने दामों पर व्यापारियों को नगद में तथा बाद में उन्हीं व्यापारियों द्वारा समितियों को बेच दिया जाता हैं। बैतूल जिले में एक जैसे नामों पर भुगतान करने के सौ सवा सौ मामले प्रकाश में आए हैं जिनमें सभी अनाज व्यापारी हैं जो किसान बन कर अपना समर्थन मूल्य पर गेहूं बेच चुके हैं। जीन दनोरा सहकारी समिति के प्रबंधक समिति कार्यालय में मौजूद न रह कर गांव - गांव व्यापारियों के साथ जाकर उनके लिए गेहूं खरीदी कर रहे हैं।

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