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Thursday, June 23, 2011

कलेक्ट्रेट पहुंचने वालों के सूख रहे कंठ

सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (अन्नू भैया)
(नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम) प्रतिनिधि से संपर्क:- 94246 44958
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नरसिंहपुर। नरसिंहपुर जिले के प्रशासनिक मुख्यालय नरसिंह भवन कलेक्ट्रेट का जर्रा-जर्रा पिछले १५-२० दिनों सेबूंद-बंूद पानी को मोहताज है जिससे यहां के अधिकारी-कर्मचारी समेत जिले के कोने-कोने से आने वाले आम नागरिकों को बेहद परेशान होना पड़ रहा है। कलेक्ट्रेट में उत्पन्न हुए इस जल संकट से निपटने के लिये यहां की पेयजल व्यवस्था को नगर पालिका से बुलाये जा रहे पानी के टेंकर के सहारे चलाया जा रहा है ऐसी स्थिति में अधिकारियों से लेकर आमजनों तक के गले इसी पानी से तर हो रहे हैं। बताया जाता है कि शनिवार को कलेक्ट्रेट की मोटर जल जाने के बाद सुधार की दिशा में संबंधितों की कछुआ चाल से यह स्थिति निर्मित हुई है। जिस कलेक्ट्रेट में नागरिक अपनी समस्याओं के समाधान की आस लेकर आते हैं उसी कार्यालय की समस्या पिछले १५-२० दिनों से लंबित पड़ी है। जहां कलेक्टर सहित सभी विभागों के प्रमुख बैठे हों वहां ऐसा न खत्म होने वाला जल संकट शर्म की बात है।
सुधार की चाल मंथरगति से
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को मोटर खराब होते ही संपूर्ण नरसिंह भवन के नलों में पानी आना बंद हो गया। कुछ ही देर में यहां पानी के लिये हाहाकार मच गयी। सुधार हेतु तुरंत लोक निर्माण विभाग को सूचित किया गया। लोक निर्माण विभाग के कर्मियों ने जब मौके का मुआयना किया तो मोटर की सभी विद्युत सप्लाई दुरूस्त पायी गयी और अंदाजा लगाया गया कि शायद किसी अंदरूनी खराबी के कारण जल प्रवाह अवरूद्ध हुआ है। इसी दिन पीएचई विभाग का अमला नरसिंह भवन पहुंचा और उसने मोटर में खराबी पायी। अगले दिन रविवार को पीएचई द्वारा मोटर बाहर निकाली गयी। सोमवार और मंगलवार निकल जाने के बाद भी मोटर को सुधार हेतु नही डाला गया। बताया जाता है कि गत बुधवार को मोटर सुधरने भेजी गयी है देखना यह है कि पीएचई इस कार्य में कितना वक्त लगाता है।
शौचालय-मूत्रालय से आ रही दुर्गंध
पानी न होने की वजह से विगत पांच दिनों से कलेक्ट्रेट में सफाई का कार्य अवरूद्ध पड़ा है। शौचालय और मूत्रालयों की सफाई न होने के कारण उठने वाली दंर्गंध से लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है कलेक्ट्रेट भवन में प्रवेश करते ही शासकीय कर्मचारी व हितग्राहियों का हाथ खुद ब खुद रूमाल के साथ नाक तक पहुंच जाता है। पांच दिनों में पूरा भवन गंदगी और मक्खियों की भिन-भिनाहट की भेंट चढ़ चुका है।
इकलौता हैंडपंप भी खराब
अकेले मोटर ही खराब होती तो कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास लगे हैंडपंप से काम चलाया जा सकता था किंतु हैंडपंप भी लंबे समय से बिगड़ा होने से वह किसी तरह की राहत नही दे सका। यहां दूरदराज से आने वाले लोगों को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। नागरिक जल संकट की इस भयावह स्थिति में पानी मोल लेकर भी अपनी प्यास बुझा सकते थे लेकिन करीब एक माह से कलेक्ट्रेट की केन्टीन बंद होने से वे इस सुविधा से भी वंचित है। इस संबंध में जब डिप्टी कलेक्टर जीएस बामनिया से फोन पर संपर्क साधा गया तो वे कार्यालय में मौजूद नहीं थे, वहीं उनका मोबाइल फोन पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा था।

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