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Sunday, May 28, 2017

बिजली के बिल बकाया पर किसानों की सम्पत्ति जब्त सोम डिस्लरी पर सरकार मेहरबान


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TOC NEWS // अवधेश पुरोहित

भोपाल। वर्षों पहले सोम डिस्टलरी के सेहतगंज स्थित परिसर में आयोजित एक समारोह में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा अपने उद्बोधन में यह कहकर सबको चौंका दिया था कि अरोरा बंधुओं की तिजोरी पर लक्ष्मी मैया की कृपा बनी रहे …. ?

सोम डिस्टलरी के कार्यक्रम में इस तरह का उद्बोधन किया गया था तो राजनीति में तरह-तरह की चर्चाएं चली थीं लेकिन उस दिन से लेकर आज तक प्रदेश की सत्ता पर चाहे कांग्रेस रही हो या भाजपा ऐसा नहीं लगता कि सोम डिस्टलरी के प्रबंधक अरोरा बंधुओं पर सरकार की कृपा नहीं रही हो, पता नहीं यह कृपा लक्ष्मी देवी की अरोरा बंधुओं की तिजोरी के कारण है या कोई अन्य कारण, जो भी हो लेकिन चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की हर सरकार हमेशा अरोरा बंधुओं पर मेहरबान रहती है।
इसका जीता जागता उदाहरण है सोम डिस्टलरी को हर तरह से मदद पहुंचाना फिर चाहे वह एमपीएसआईडीसी के कर्ज की वसूली का मामला हो या फिर देशी शराब की बकाया वसूली का मामला हो या फिर मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल की बकाया राशि का मामला, यही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के समय तो सोम के द्वारा १२० करोड़ से ज्यादा चेक और ड्राफ्ट का संदिग्ध मामला भी हो, ऐसे एक नहीं अनेकों मामले सोम को लेकर हैं लेकिन फिर भी सरकार सोम पर सरकार तो मेहरबान है ही।
सोम डिस्टलरी द्वारा बेतवा प्रदूषण को लेकर उठे हंगामे के बाद विधानसभा की याचिका समिति द्वारा आये दो प्रतिवेदन भी इस बात को उजागर करते हैं कि अब तो कार्यपालिका ही नहीं विधायिका भी सोम की खनक के आगे प्रभावित होती नजर आ रही है। याचिका समिति के ३०वां प्रतिवेदन भाग-दो जो एक मई १९९८ को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया था उसके अनुसार सोम के संचालकों द्वारा अपने राजनैतिक प्रभाव के चलते सोम डिस्टलरी के प्रबंधन में तमाम मनमानी पाई गई तो वहीं उसी विधानसभा की याचिका समिति के ४२वाँ प्रतिवेदन जो कि दस जुलाई २०१३ को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया उसके अनुसार सोम को पाक-साफ घोषित कर दिया गया, इन दोनों याचिका समिति की रिर्पोटों को लेकर यह चर्चा आम है कि सच्ची रिपोर्ट कौन और झूठी रिपोर्ट कौन?
इस प्रश्न की खोज में हर कोई लगा हुआ है। खैर, यह विधायिका से जुड़े लोग जानें कि इस ४२वें प्रतिवेदन की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें कितनी सही हैं और कितनी गलत इसका परीक्षण करने में लोग लगे हुए हैं और समय आने पर न्यायालय की शरण में तो जााएंगे ही तो वहीं ग्रीन ट्रिब्यूनल के साथ-साथ विधानसभा की याचिका समिति में वह तथ्य रखने की तैयारी में लोग लगे हुए हैं जिनके माध्यम से ४२वें प्रतिवेदन की सिफारिशों और अनुशंसाओं पर पुन: विचार करने का निवेदन किया जाएगा।
तो वहीं एक ओर जहां सतना सहित प्रदेश के तमाम बिजली के बकायादार किसानों की सरकार सम्पत्ति जब्त करने की तैयारी कर रही है तो वहीं सोम डिस्टलरी जिस पर कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंदसिंह के तारंाकित प्रश्न क्रमांक २८३२ के अनुसार लाखों रुपया बकाया होने की बात सरकार द्वारा अपने १९ मार्च २०१५ को दिये गये जवाब में स्वीकार किया कि सोम डिस्टलरी पर बिजली बिल की बकाया राशि जमा न करने के कारण ४९.९२ लाख रुपये बकाया हैं और इसके भुगतान की वसूली का मामला न्यायालय में विचाराधीन है पता नहीं सरकार के इस तरह के जवाब के बाद और कितनी राशि सोम डिस्टलरी पर बकाया होगी, लेकिन सवाल यह उठता है कि सोम डिस्टलरी जैसे बकायादारों पर इस तरह की वसूली के मामले में हीला हवाली क्यों की जाती है तो वहीं प्रदेश के उन अन्नदाताओं जिस पर हजारों रुपये बिजली का बिल बकाया होता है उनकी सम्पत्ति जब्त किये जाने की कार्यवहाी की जाती है, सरकार की इस तरह की नीति को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं।
सवाल यह भी उठता है कि एक ओर जहां सतना में विद्युत विभाग द्वारा वहां के जिले के किसानों जिन पर हजारों रुपए की बकाया बिजली राशि बाकी है उनकी सम्पत्ति को जब्त किए जाने की कार्यवाही क्यों की जा रही है। पिछले दिनों सतना के रामनगर डीसी क्षेत्र के विद्युत बकायादार रामधार पटेल जिन पर विद्युत विभाग की बकाया राशि ९६०० रुपये थी तो उसकी वसूली के लिये दो पहिया वाहन जब्त किये गये, ऐसा ही मामला उसी जिले के बिजौरा के रामराजा पटैल का भी है जिन पर ७३०० रुपए बकाया थे तो उनके दो पहिया वाहन जब्त किए गए इसी प्रकार बिजली बकाया के कर्जधार राजभान पटेल जिन पर १५८०० रुपये बकाया थे उनकी बाइक जब्त की गई।
इसी प्रकार ग्राम मड़कारा के बकायादारा किसान राम शिरोमणि पटेल पर १०८९१ रुपये बकाया होने पर उनका स्कूटर व शिवप्रसाद पटेल से १३०० रुपये की सूलने व दो नग पंखे जब्त किये गये वहीं अमरपाटन डीसी के अंतर्गत आने वाले ग्राम मोहोरिया में बकायादार मनीष यादव जिन पर २१००० के पम्प व दो पहिया वाहन व मझला साकेत से १५५०० रुपये के लिये टीवी व पंखा इसी प्रकार कोदूलाल चौधरी जिन पर साढ़े ११ हजार बकाया थे उनकी साइकिल व घरेलू सामान, शिवधारी चौधरी से ५३०० की साइकिल व राजराम साकेत से २३०० रुपये के दो पंखे कुर्क किये गये।
सरकार की इस तरह की दोहरी नीति को लेकर यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर सरकार उद्योगपतियों, अन्नदाताओं में फर्क क्यों नहीं समझता और ऐसे उद्योगपति अपनी स्थापना से लेकर आज तक सरकार को विभिन्न मामलों में करोड़ों रुपये का कर्ज ले चुके हैं और उनसे वसूली के लिये उससे जुड़े अधिकारियों द्वारा जिस तरह की हीलाहवाली बरती जा रही है उसको लेकर भी तमाम सवाल उठते हैं और लोग यहां तक कहते नजर आते हैं कि भजकलदारम् की खनक के चलते आखिर सोम जैसे कारोबारी से जो कि अपने कारोबार से क्षेत्र ही नहीं बल्कि बेतवा को प्रदूषित करने में लगा हुआ है तो वहीं करोड़ों रुपये की राशि बैंकों से कर्ज ले रखी है और उसकी ठीक से आज भी अदायगी नहीं हो पा रही है, तो वहीं इसी प्रदेश में भाजपा के शासन के चलते विद्युत की बकाया राशि होने पर कई किसानों को जेल तक जाना पड़ा। आखिर, यह दोहरी नीति से सोम जैसे कारोबारियो को सरकार कब तक उपकृत करती रहेगी और किसानों की छोटी राशि होने के बाद उनका घर गृहस्थी का सामान और वाहन जब्त कराती रहेगी?

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