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Sunday, July 29, 2018

एससी/एसटी वर्गों के प्रकरणों का सही समय पर सही निराकरण ही संवेदनशीलता है : अतिरिक्‍त महानिदेशक मंगलम

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एससी/एसटी वर्गों के प्रकरणों का सही समय पर सही निराकरण ही संवेदनशीलता है : अतिरिक्‍त महानिदेशक मंगलम

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भोपाल । पीटीआरआई जहांगीराबाद में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता विषय पर आयोजित सेमीनार के द्वितीय दिवस अतिरिक्‍त महानिदेशक महिला अपराध श्री मंगलम् ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए हुए कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरणों में सही समय पर सही कार्यवाही ही संवेदनशीलता है। 
एससी/एसटी के प्रकरणों में 30 दिन में विवेचना पूर्ण करना संभव है। बशर्ते कि विवेचक एवं पर्यवेक्षक कायमी दिनांक से ही प्रकरण पर नजर रखें। कुछ मामलों में संभव है कि आरोपी की पहचान न होने अथवा फरार होने से समय लग सकता है। प्रकरण में विवेचना के दौरान सत्य को सामने लाया जाये और तदानुसार खात्मा खारजी की कार्यवाही की जा सकती है। अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में लंबे समय तक विवेचना प्रकरण को कमजोर करती है। आशा है कि आप सभी  सेमीनार के बाद अपने जिलों में जाकर पुनः चार्ज होकर तत्परता से कार्य करेंगे और प्रकरणों का निराकरण करें।
एससी/एसटी वर्गों के प्रकरणों का सही समय पर सही निराकरण ही संवेदनशीलता है : अतिरिक्‍त महानिदेशक मंगलम
मुख्य अतिथि श्री एस.एन. मिश्रा, प्रमुख सचिव आदिमजाति कल्याण ने कहा कि सुशासन एक अच्छा शासन तभी है जब वह सभी के लिए समान हो। जिस तरह हम अपने परिवार के बच्चों का पालन-पोषण करते हैं उसी तरह हमें इन वर्गों के लोगों के हितों का संरक्षण करना चाहिए। ऐसी सभी चीजों के संरक्षण एवं विकास पर ध्‍यान देना चाहिए जिससे इन वर्गों का जीवन संचालित होता है जैसे जंगल एवं वन्यप्राणियों की भी रक्षा करना चाहिए। 
जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने के लिए शासन डिजीटल प्रोजेक्ट लॉन्‍च करने वाली है। यह कार्य इसी वित्तीय वर्ष में पूर्ण किये जाने की संभावना है। एक अधिकारी को संवेदनशीलता का परिचय देते हुए एसटी/एससी वर्गों के लिए विभिन्‍न योजनाओं के तहत दी जाने वाली राहत राशि के संबंध में भी पूर्ण जानकारी रखकर छात्रवृति, आर्थिक सहायता एवं राहत राशि आदि दिलाने में पहल करनी चाहिए। इस तरह की राहत से भी व्‍यक्ति का जीवकोपार्जन सुलभ होने से अपराध कम होते हैं।
उन्‍होंने जानकारी दी कि शासन द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में 82 विशेष आवासीय कन्या शिक्षा केन्द्र बनाये जा रहे हैं। कक्षा 6 से 12 की 40 हजार छात्राओं के रहने एवं पढ़ने के लिए आवासीय स्कूल की व्यवस्था भी की गई है। अधिकारियों का दायित्‍व है कि संवेदनशीलता दिखाते हुए इन केंद्रों का समय-समय पर औचक नियंत्रण कर बच्चियों के रहने-खाने एवं शिक्षा संबंधी व्‍यवस्‍थाओं की जानकारी लें।
राज्य सरकार एससी/एसटी वर्गों के बच्‍चों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए नि:शुल्‍क प्रशिक्षण केंद्र संचालित कर रही है। इसकी जानकारी दूर-दराज इलाकों के बच्‍चों तक पहुंचाए। इसके बाद प्रोफेसर डॉ. असमां रिजवान, पीपुल्स यूनिवर्सिटी, ने 'अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर अत्याचार निवारण के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु पुलिस अधिकारी की संवेदनशीलता एक आवश्‍यकता' विषय पर जानकारी देते हुए प्रशिक्षणार्थियों से परिचर्चा की। श्री विजय बंसल, विधि अधिकारी अजाक शाखा ने एससी/एसटी अधिनियम 1989 एवं अपराधिक प्रकरणों की विवेचना के संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित महत्वपूर्ण न्याय दृष्टांत से प्रतिभागियों को अवगत कराया गया।
अतिरिक्‍त पुलिस महानिदेशक महिला अपराध श्री अन्वेष मंगलम ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ सेमीनार का समापन किया। उप पुलिस महानिरीक्षक अजाक श्री इन्दु प्रकाश द्वारा दो दिवसीय सेमीनार में सहभागिता के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया।
दो दिवसीय सेमीनार का संचालन सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्री अमृत मीना, अजाक द्वारा किया गया।

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