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Wednesday, September 30, 2015

नरसिंहपुर के आ गए अच्छे दिन

आईएनएस न्यूज़ नरसिंहपुर,
नीरज राय(पप्पी)।
नरसिंहपुर. भाजपा का चुनाव पूर्व का नारा भाजपा को लायेंगे अच्छे दिन आएंगे, आ गई भाजपा और आ गए अच्छे दिन किसी को पता भी नही चला नरसिंहपुर की लोकतंत्र एक एक इकाई भाजपा के रंग मैं रंग गई आ गए अच्छे दिन किसी भी शासन के उपक्रम की कार्यप्रणाली और कांग्रेस के शासन काल के समय मैं अन्तर जनता महसूस ही नही कर पा रही रेत की अवैध तस्करी और जयादा बढ़ गई कैसे अच्छे दिन,अवैध शराब की बिक्री बढ़ गई,कैसे अच्छे दिन,शराब के शहर के हृदय स्थल का ठेका रात 11:00 बजे की जगह 12:00 बजे तक खुला रहता है आ गए अच्छे दिन,अपराध का ग्राफ और बढ़ गया आ गए अच्छे दिन,सट्टे का कारोबार बेलगाम चल रहा है,आ गए अच्छे दिन,जहाँ वहाँ जुए के फाड़ पुरातन काल से अनवरत जारी है आगये अच्छे दिन,मजदूर परेशान श्रम विभाग की कार्यप्रणाली से ,आगये अच्छे दिन, रोड पर हादसे सुनते थे अब तो नदियोँ के अवैध उत्खनन के गड्ढों मैं लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे है आ गए अच्छे दिन,अध्यापको के आंदोलन को कुचलने वाहनों को शासन के सुपरत करना पड़ा और खुद के वाहन को लेने जाने पर नाजायज रूपये देने पड़े आ गए अच्छे दिन,शहर मैं इतनी सफाई हो रही है कि मच्छर और आवारा जानवरो को खुला माहोल मिल रहा है जिससे बीमारियां फलीभूत हो रहे है आ गए अच्छे दिन, खैर ये लिस्ट अभी और भी है बाकी अगले अंक मै आपको नए कारनामो के साथ लगातार जारी रहेंगे।

टी.आई.शर्मा को संस्पेंड एवं अपराधियों को शीघ्र पकड़े

Present by - toc news

भोपाल (29 सितम्बर 2015)। एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने आज इंदौर में पत्रकारों पर गुंडो द्वारा किये गये हमले की निंदा की है और सबसे बड़े अपराधी टी.आई. बी.पी.शर्मा के निलंबन की मांग की है। टी.आई.बी.पी.शर्मा के समाने पत्रकार राहुल (आई.बी.सी.24), संदीप मिश्रा रेड लाईन (सिटी केवल) एवं मनोहर (साधना न्यूज) पर हमला किया गया। टी.आई.बी.पी.शर्मा ने जहां हमलावारों को पकडऩा था के स्थान पर अपराधियों को भगाने का समय दिया। इसलिये सबसे बड़ा अपराधी टी.आई.बी.पी.शर्मा है। अत: सर्व प्रथम टी.आई.बी.पी.शर्मा पर मुजरिम को भागने देने की धारा लगाकर प्रकरण दर्ज होना चाहिये। श्री शारदा ने घटना की निंदा की और प्रकरण की जांच करने की मांग की है। पुलिस अधीक्षक के रूप में जहां-जहां पदस्थ रहे जी.जी.पाण्डे के द्वारा पत्रकारों पर कई फर्जी प्रकरण दर्ज कराये गये है। इस तरह देखा जाये तो पुलिस निरंकुश हो चुकी है और वो अपराधियों के साथ मिलकर पत्रकारों को प्रताडि़त कर रही है।
पेट्रोल पंप के कवरेज के लिये गये पत्रकारों पर वहां के कर्मचारियों द्वारा हमला किया गया। जिसमें कई पत्रकारों को चोट आई। पत्रकारों ने विरोध स्वरूप रीगल चौराहे पर चक्काजाम किया है। एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा चक्काजाम में जहां हिस्सेदारी की है वहीं इस घटना का कड़े शब्दों में विरोध किया है

शिव आपकी और दिग्विजय सिंह की कृपा से अध्यापकों के पास खोने को कुछ नहीं बचा

माननीय मुख्यमंत्री महोदय,

अत्यन्त पीड़ा के साथ आपसे निवेदन कर रहे हैं कि कृपया आप अपने मूल स्वरूप को पहचानें।  आप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंतःकरण में स्थित अपने शिव को पहचानें। माननीय मुख्यमंत्री महोदय आप पहचानें कि आप किसके प्रतिनिधि हैं. वास्तविक प्रतिनिधि तो आप जनता के हैं न कि प्रशासन के। आप प्रशासन की भाषा क्यों बोल रहे हैं? आप याद कीजिए , आप भी अध्यापकों के धरना स्थल पर तब आए थे जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। आपने कहा था- अध्यापकों की सारी मांगें जायज हैं.अध्यापकों ने आप पर, आपकी पार्टी पर भरोसा किया। आपकी पार्टी के 12 साल और खुद आपके कार्यकाल के 10 वर्ष पूरा होने को हैं और आप अपने सफल कार्यकाल का जश्न मनाने वाले हैं। जब आप जश्न मना रहे होंगे तब अध्यापक संवर्ग इस बात के लिए खुद को कोस रहा होगा कि आपको तीन पंचवर्षीय देने के बाद भी अध्यापकों की स्थिति में परिवर्तन नहीं आया है।

माननीय मुख्यमंत्री महोदय आपने और आपकी पार्टी ने समान कार्य समान वेतन देने की घोषणा की थी. तब आपकी पार्टी को यह क्यों याद नहीं रहा कि हमने इस नौकरी की सेवाशर्तों को स्वीकार किया है? आपको तब यह क्यों याद नहीं रहा कि हम करारनामा पर काम करने वाले कर्मचारी हैं? क्या यह शिवराज को शोभा देता है कि वह अपनी कुर्सी के लिए झूठे वादे करे? कल जब कांग्रेस की सरकार थी तब आप हमें समर्थन देने मंच पर आते थे, तो क्या तब आप हमें भड़काने आते थे? यदि हां तो क्या ऐसी राजनीति करना आपको शोभा देता है? और यदि नहीं तो फिर जब कोई आज हमारे मंच पर आकर अपना समर्थन देता है तो आप उसका राजनैतिकरण क्यों कर देते हैं? और तब भी गेंद तो आपके ही पाले में है,आप अध्यापकों का हित करोगे तो अध्यापकों का हीरो तो आप ही होगे न.

माननीय मुख्यमंत्री महोदय, अध्यापक संविदा शिक्षक जिस पद पर काम कर रहा है उसके लिए वह पूरी तरह से योग्य तो है ही, कई उनमें से भी अधिक काबिलियत रखते हैं. इसलिए यदि आपके सलाहकार यह सोचते हैं कि अध्यापकों के मूवमेंट को अध्यापक नेताओं को विधायक की टिकिट आदि देकर आप कुचल दोगे तो यह आपके सलाहकारों की सबसे बड़ी भूल होगी. बल्कि ऐसा करने से अध्यापकों का आक्रोश और बढ़ेगा. आप यह समझ लीजिए कि आपकी दमनकारी नीति और शिक्षा विभाग के क्रूर मजाक ने अध्यापकों में नेताओं की एक बड़ी फौज खड़ी कर दी है. आपसे निवेदन है अध्यापक नेताओं को खरीदने- बेचने की मानसिकता से आपकी योजना श्रेष्ठ हो. किसी की ब्रांडिंग करने के लिए अरबों रुपए खर्च होते हैं, आप एक बार अध्यापकों की समस्याओं को जड़ से खत्म करने के बारे में सोचें. फिर देखें यह अध्यापक किस तरह आपको महानायक बनाए रखता है.

माननीय मुख्यमंत्री महोदय , आपने यह अनुभव किया होगा कि अध्यापक कार्यवाहियों और आपके प्रशासन की धमकियों से डरते नहीं हैं. क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों है? माननीय मुख्यमंत्री महोदय डरता तो वह है जिसके पास खोने को कुछ हो. अध्य़ापकों के पास खोने को है क्या? बहुत से अध्यापक हैं जो रिटायर्डमेंट के कगार पर हैं. वे किस कार्यवाही से डरें? नौकरी रहेगी तो एक दो साल और नौकरी कर लेंगे, और गई तो समझ लेंगे कि सरकार ने दो साल पहले रिटायर कर दिया. जिसके पास खोने को कुछ न हो वह कुछ भी कर सकता है, और आपकी और दिग्विजय सिंह की कृपा से अध्यापकों के पास खोने को कुछ नहीं है.

कृपया आप विचार करें, क्या आपने बिना आंदोलन किए अध्यापकों को कुछ दिया है ?

सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षा राज्य की जिम्मेदारी है. अच्छे शिक्षक नियुक्त करना राज्य की जिम्मेदारी है. आप राज्य के मुखिया हैं. यह आपकी ड्यूटी है कि अापके राज्य की शालाओं में बाधारहित अध्यापन हो. लेकिन ऐसा लगता है कि शिक्षा राज्य की जिम्मेदारी नहीं सिर्फ अध्यापकों की जिम्मेदारी है. और ये अध्यापक आपको सिरदर्द महसूस होते हैं. अगर ऐसा  नहीं होता तो आपने अध्यापकों की समस्याओं पर मौन धारण नहीं किया होता.

माननीय मुख्यमंत्री महोदय , इस आंदोलन के इतना उग्र होने का एक कारण आप स्वयं हैं. आप अध्यापकों से संवाद करने से भागते रहे हैं. अध्यापकों ने आपसे जब भी संवाद करने की कोशिश की आपने उन्हें 2017 की याद िदलाई. आपने २०१७ का जो समझौता क़िया उसे आप जबरन मध्यप्रदेश के अध्यापकों से हुआ समझौता बताने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि वह समझौता सिर्फ आपके और पाटीदार के बीच एक डीलिंग थी.माननीय मुख्यमंत्री महोदय आंदोलन और उसके बाद हुए समझौते के बाद पाटीदार को टिकिट आफर करते हुए एक बार भी नहीं सोचा कि लोग क्या सवाल करेंगे? आपने पाटीदार को टिकिट देकर अध्यापकों का हमेशा के लिए गिरवी नामा लिखा लिया? प्रदेश के दो लाख से अधिक अध्यापकों की भावनाओं के साथ खेलते हुए आपको जरा सा संकोच नहीं हुआ? आप बार- बार २०१७ की दुहाई देते हैं , यह २०१७ आखिर क्यों? आपने २००३ में चुनाव के पूर्व कहा था समान कार्य समान वेतन देने का. आज १२ साल होने जा रहे हैं , अभी तक नहीं दिया. जो वेतन शिक्षकों को २००६ में दिया वह वेतन आप २०१७ में देंगे. अध्यापक इस बात को क्यों माने? आखिर आपकी ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने अपने विधायक की टिकिट काटकर हमारे अध्यापक नेता को टिकिट दी ? किश्तों का वेतन पाटीदार ने स्वीकार किया था क्योंकि आपने उसकी सीट पक्की कर दी थी , उसे अध्यापक हितों से कुछ लेना- देना नहीं है.

यह आंदोलन क्यों हुआ, उसके मूल प्रश्नों पर विचार करें-

१. आपने अध्यापकों के तत्कालीन नेता को विधायक की टिकिट दी. यह सिद्ध करना जरूरी था कि अाम अध्यापक किसी  नेता के इशारों पर चलने मजबूर नहीं हैं.

२. जो समझौता २०१३ में हुआ, वह अध्यापकों को मंजूर नहीं था . इसी कारण संयुक्त मोर्चा टूट गया था. तब भी अध्यापक एकमुश्त छठावेतन चाहते थे और अब भी एकमुश्त छठावेतन चाहते हैं. वह मांग अधूरी रह गई थी, उसे पूरा कराने के लिए ही प्रदेश के अध्यापकों ने आंदोलन किया.

३. समान कार्य - समान वेतन  और शिक्षा विभाग में संविलियन की आपकी पार्टी की घोषणा थी जिसे आपने अभी तक पूरा नहीं किया है.अध्यापकों की सारी समस्याओं का अंत शिक्षक संवर्ग में संविलियन से ही संभव है. इसलिए एक-एक अध्यापक एक हो गया.

४. प्रदेश में २ लाख से अधिक अध्यापक - संविदा शिक्षक संवर्ग है. आपके अधिकारी आए दिन विसंगतिपूर्ण आदेश जारी करते हैं. जिनसे लाखों अध्यापक एक साथ प्रभावित हो जाते हैं. और जब अध्यापक समस्याओं के निराकरण के लिए आपके अधिकारियों के पास आते हैं तो कुत्ते की तरह दुतकार कर भगा दिए जाते हैं और समस्याओं के निराकरण की तो बात दूर है , ऊपर से कार्यवाही का खौफ दिखाते हैं. ऐसी स्थिति में अध्यापक आपसे बात करना चाहता है, और आप २०१७ का हवाला देकर संवाद करने से मना कर देते हैं. आप स्वयं ही देखें कि पाटीदार के अतिरिक्त आपने किस अध्यापक नेता से पिछले दो सालों में बात की है .

५. आप किश्तों में  दिए जा रहे जिस छठे वेतन की बात कर रहे हैं , उसमें भारी विसंगतियां हैं, एक तो ये कि उसकी अंतिम किश्त और समायोजन १ जनवरी २०१६ के पूर्व पूरा होना चाहिए क्योंकि छठे वेतन की अवधि यहां समाप्त हो जाता है. जब सभी को सातवा वेतन देय होगा तब हमें छठा वेतन दिया जाना समझ से परे है.दूसरी बात , वरिष्ठ अध्यापक और सहायक अध्यापक की अंतरिम राहत की गणना की गलती के कारण प्रत्येक सहायक अध्यापक को अंतरिम राहत में ४००० का नुकसान हो रहा है. जिसमें आज तीसरी किश्त दिए जाने की अवधि तक भी सुधार  नहीं किया गया.क्यों? अंतरिम राहत के आदेश में कम से कम १ दर्जन विसंगतियां हैं , जिसमें सुधार करना आपके अधिकारी उचित नहीं समझते.

७. स्वयं आपके अधिकारियों की जुबान में,

छठे वेतन का

२५ प्रतिशत सितम्बर २०१३ में

२५ प्रतिशत सितम्बर २०१४ में

२५ प्रतिशत सितम्बर  २०१५ में

इस प्रकार  छठे वेतन का ७५ प्रतिशत सितम्बर २०१५ तक आप स्वमेव पूरा कर रहे हैं.

और बचा हुआ

शेष २५ प्रतिशत सितम्बर २०१६ में पूरा करेंगे.

अध्यापक चाहते हैं कि आप समान कार्य समान वेतन की अंतिम किश्त सितम्बर २०१६ के बजाय आप सितम्बर २०१५ में पूरा कर समान कार्य का समान वेतन दें.

आप स्वयं विचार करें , आपने ७५ प्रतिशत राशि अपनी मर्जी से  दे दी है. केवल २५ प्रतिशत राशि देने में आपका बजट कैसे आड़े आ गया?

अधिकारियों के मुताबिक एक किश्त यानी छठे वेतन का २५ प्रतिशत देने में ४५० करोड़ रुपए का भार आता है लेकिन जब हम एक अतिरिक्त किश्त की मांग एक वर्ष पूर्व करते हैं तो वह कभी २२५० करोड़ तो कभी ३००० करोड़ और कभी तो १७ हजार करोड़ रुपए हो जाता है.

इससे यह स्पष्ट है कि या तो वे अभी सही तरीके से छठे वेतन का २५ प्रतिशत नहीं दे रहे हैं, या फिर आंकड़ों को जानबूझकर अधिक बता रहे हैं ताकि माननीय मुख्यमंत्री महोदय एक ही झटके में हमारी मांग को खारिज कर दें.

८. माननीय मुख्यमंत्री महोदय , आपकी उदारता जगजाहिर है. अध्यापकों से बात करने से जो आपको रोक रहा है, वह आपका परम शत्रु है. इस आंदोलन को प्रत्येक अध्यापक अपने अस्तित्व की लड़ाई समझकर चला रहा है. सबसे बड़ी बात हार और जीत दोनों को स्वीकार कर लड़ रहा है. शोषण के चरम पर पहुंच चुका अध्यापक इस बात से दुखी है कि आप उसके स्वयं के आंदोलन को किसी और के द्वारा भड़काया हुआ कहकर राजनैतिकरण कर रहे हैं. आप जिस भी व्यक्ति से अध्यापकों के मैटर पर सलाह ले रहे हैं , वह आपको भ्रमित कर रहा है.कृपया आप अधिकारियों से पूछें सिरफ २५ प्रतिशत अतिरिक्त राशि देने में इतना भारी- भरकम बजट कैसे?

जब समान कार्य समान वेतन दे ही रहे हैं तो संविलियन पर १७ हजार करोड़ रुपए किस बात के लगेंगे?

माननीय मुख्यमंत्री महोदय , अत्यंत आदरपूर्वक निवेदन है कि अध्यापकों की दोनों ही मांगें अत्यधिक संवेदनशील व पूर्णतया न्यायोचित हैं. अध्यापकों को किश्तों में छठा वेतन न तो तब मंजूर था, न अब मंजूर है.आशा है आप अपने मूल स्वभाव अनुसार खुले दिल से निर्णय लेगे.

भवदीय

आंदोलन से जुड़ा हुआ एक आम अध्यापक .
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500 करोड़ का घोटाला : मंत्री विजय शाह फंसे!

Toc news
तकनीकी संस्थाओं व इंजिनियरिंग कालेजों में छात्रवृत्ति का मामला

भोपाल  प्रदेश के इंजीनियरिंग व तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में छात्रवृत्ति के नाम पर हुए 5 सौ करोड़ के घोटाले की आंच तत्कालीन आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह तक पहुंच सकती है। इस मामले की जांच फिलहाल ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। दरआसल प्रदेश में बीते नौ सालों के दौरान हुए इस घोटाले की राशि एक हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। इसमें सर्वाधिक घोटाला वर्ष 2012-13 में हुआ है उस समय श्री शाह विभागीय मंत्री थे। इन मामलों मे ईओडब्ल्यू द्वारा अब तक तीन एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जबकि 25 मामलों में जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि मामले की जांच या तो सीबीआई को सौंपी जाएगी या फिर हाइकोर्ट की निगरानी में इसकी जांच हो सकती है। सीबीआई जांच में अमले की कमी आड़े आ रही है।
ऐसे हुआ घोटाला
प्रदेश में इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी कालेजों में अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के छात्रों को पढ़ाई के लिए राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है। छात्रवृत्ति सीधे कालेजों में जाती थी। शासन के नियम का कालेज संचालकों ने जमकर फायदा उठाया। एक छात्र के नाम तीन से चार कालेजों से छात्रवृति निकाली गई। यह सब आदिमजाति व अनुसूचित व अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से होता रहा। मामला सामने आने पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। कालेज संचालकों ने खुद को बचने और सरकारी राशि का गोल माल करने के लिए आला अधिकारियों के परिजनों को अपने कालेजों में नौकरी में रख लिया। आला अधिकारियों के परिजनों को बिना काम के चालीस से पचास हजार रुपए वेतन दिया जाता था। इसी कारण जिला प्रशासन और आदिमजाति कल्याण विभाग के अधिकारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करते थे।
जनहित याचिका पर हुई जांच
हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जनहित याचिका दायर होने के बाद ईओडब्ल्यू ने जांच तेज कर दी, लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा सहयोग न दिए जाने के कारण जांच गति नहीं पकड़ पा रही है। हाईकोर्ट के सत रुख के बाद विभागों ने अपने स्तर पर जांच का कार्रवाई शुरू कर दी है। कई जिलों के आदिमजाति कल्याण विभाग के अधिकारियों ने खुद जांच कर रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को भेजी है। कागज मिलते ही ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई तेज कर दी है

Tuesday, September 29, 2015

यमराज की गाड़ी का चालान बनाया. पढ़े

गाड़ी की नंबर प्लेट पर नंबर की जगह लिखा था यमराज


गुड़गांव. एक युवक को अपनी स्कॉर्पियो पर YAMRAJ लिखवाना महंगा पड़ गया। किसी ने इस गाड़ी का फोटो पुलिस कमिश्नर को वॉट्सऐप से भेज दिया। इसके बाद रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर इसके मालिक की पहचान की गई। मंगलवार को गाड़ी मंगवाकर उसका चालान कर दिया गया। चालान बिना नंबर प्लेट का किया गया। 

दो दिन पहले किसी ने एक स्कॉर्पियो की फोटो खींची। इस  फोटो खींचने वाले ने इसे पुलिस कमिश्नर को वॉट्सऐप से भेज दिया। सीपी ने जेसीपी ट्रैफिक भारती अरोड़ा को मामला सौंप दिया। 

यहां से आदेश के बाद जोनल ऑफिसर (हाइवे) की टीम ने रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर गाड़ी मालिक की पहचान की। यह गाड़ी गांव नाहरपुर रूपा के हंस एनक्लेव निवासी मनीष कुमार की थी। गाड़ी मालिक को बुलाकर बिना नंबर प्लेट का दो हजार रुपये का जुर्माना कर दिया गया। इसके बाद नंबर प्लेट पर नियमों के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नंबर भी लिखवाया गया। साथ ही हिदायत दी कि अगर भविष्य में ऐसा किया तो उस पर केस दर्ज हो सकता है। 

जोनल ऑफिसर एएसआई राजपाल सिंह ने बताया कि रजिस्ट्रेशन ब्रांच से नंबर लेकर गाड़ी मालिक की पहचान कर चालान किया गया।

रेशम केंद्र भदौर इस समय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की बारगाह बना

आईएनएस न्यूज़ नरसिंहपुर
रिपोर्टर पप्पी राय।

नरसिंहपुर शासकीय रेशम केंद्र भदौर इस समय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की बारगाह बना है।ताज़ा मामला सामने आया है जिसमे श्रमिकों  को गलत जानकारी देकर मजदूरों को भ्रमीत किया जा रहा है मजदूरो को कुछ वेतन देकर काम करवाया जाता है और हितग्राहियो को मिलने वाले भुगतान का पता ही नही चलता।आपको जानकारी के लिए बता दे कि हितग्राहियो को शशकीय योजना के अनुसार समूह मैं क्रीमी पालन कार्य हेतु 3800 अंडे रेशम विभाग द्वारा समूह को दिए जाते है जिनका पालन समूह करता है और ककून बनाने पर रेशम फेडरेशन उस ककून को खरीदता है और उसका भुगतान रेशम फेडरेशन द्वारा हितग्राहियों के बैंक कहते मैं जमा किया जाता है परंतु रेशम केंद्र द्वारा किस तरह काम किया जा रहा है हितग्राहियों को इस बात का पता ही नही चलता बस 100 या कुछ पैसे हाथो से देकर घास कटवाई जाती है शिकायत करने पर धमकी देकर बयां पलटबा दिए जाते हैं।इतना दिमाग सही काम मैं लगावा जाये तो शाशन की योजना जाया न जा पाये।बहरहाल हालात बदत्तर है आगाज आपके सामने है और अंजाम खुदा जाने।

5000 रु के लिये किया था कत्ल 3 आरोपी गिरफ्तार

Toc news
थादंला - थांदला खवासा पुलीस ने मात्र 15 दिनों मे अन्धें कत्ल का पर्दाफाश कर बडी सफलता प्राप्त की । गत दिनों 9.9.2015 कों ग्राम सेमलीया के चरवाह जंगल मे 3-4 दिन पुरानी अध जली लाश की सुचना मिली थी । जांच के दौरान ज्ञात हुआ की अज्ञात  आरोपी द्वारा हत्या कर लाश को जंगल मे फेंका गया है। जिस पर अज्ञात आरोपी के विरुद्ध धारा 302,201 भा.द.वी. का प्रकरण दर्ज किया गया। इस चुनोतीपुर्ण घटना के लिये पुलीस अधिक्षक श्री जी.जी. पाण्डेय, अतिरिक्त पुलीस अधिक्षक श्रीमती सीमा अलावा के द्वारा एक टीम गठीत कर एस.डी.ओ.पी थांदला एन.एस.रावत ,प्रभारी थाना थांदला आर.एस.राजपुत, चोकी प्रभारी खवासा उप निरीक्षक ओम प्रकाश साठे ,प्रधान आरक्षक दिग्वीजयसिंह प्रधान आरक्षक विजय सेैनी, एवं आरक्षक जितेन्द्र प्रहलाद को इस अन्धे कत्ल की गुत्थी सुलझाने की जिम्मेदारी दी।
              18.9.2015 को अज्ञात मृतक की पहचान रामेश्वर नागु डांगी निवासी आबापुरा ताल जिला रतलाम के रुप हुई। मृतक के पुत्र भागीरथ सेे ज्ञात हुआ की उसके पिता 6.9.2015 से मजुदर की तलाश मे खवासा-थांदला  की तरफ निकले थे परन्तु तब से घर नही पहुचा । गठित टिम को ज्ञात हुआ की रामेश्वर के पास मोबाईल भी था ओर वह भी उसके शव से बरामद नही हुआ। टीम ने मोबाईल की लोकेशन को ट्रेस कर एवं काल डिटेल निकाल कर 3 आरोपीयों  को धर दबोचा। आरोपी लुंजा गलीया , प्रकाश मुशी निवासी वडलीपाडा एवं सुखराम बालु सेमलीया को पकड़ पुछ ताछ मे आरोपीयों ने अपना जुर्म कबुलते हुए घटना घटीत करना स्वीकारा। अरोपीयों ने बताया कि रामेश्वर मजुदुर लेने आया थ ओर उसके पास पैसे भी अधिक होगें ये सोच कर पैसो की लालच मे उसकी हत्या कर लाश जंगल मे फैंक दी एवं उसका चेहरा जला दिया । उसकी जेब से 5000 रु ओेर उसका मोबाईल मिला था।
           आरोपीयों से मृतक का मोबाईल, 5000 रु तथा घटना मे प्रयुक्त की गई मोटरसाईकल जब्त की गई । इस अंधे कत्ल का मात्र 15 दिनों मे पर्दाफाश कर थांदला  पुलीस ने महत्वपुर्ण सफलता हासिल की।

रिश्वत लेने के मामले में जिला परियोजना अधिकारी को 1 साल का सश्रम कारावास

तीस हजार जुर्माना भी किया

रतलाम। कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना की किश्त जारी करने की एवज में रिश्वत मांगना जिला योजना अधिकारी टीवाय पारगी को भारी पडा है। न्यायालय ने उसे एक-एक साल के सश्रम कारावास और 15_15  हजार रुपए के जुर्माना से दण्डित किया है। न्यायालय में बयान से पलटने वाले फरियादी और एक साक्षी के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए है।
भृष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एमएस चंद्रावत ने सोमवार शाम इस बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया।

उन्होंने 47 वर्षीय आरोपी  टीवाय पारगी निवासी जवाहर नगर भोपाल को रिश्वत मांगने  और लेने के आरोपों में भरष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के दोषी ठहराते हुए दोनो धाराओं में 1-1 साल के सश्रम कारावास और 15-15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड नहीं देने पर 3-3 महीने का कारावास अतिरिक्त भुगताने के आदेश दिए। उपसंचालक अभियोजन एसके जैन ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस के दल ने 1 मार्च 2012 को कलेक्टोरेट स्थित जिला योजना कार्यालय में आरोपी को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।

पुलिस को उज्जैन निवासी पप्पू पिता विजय बोरासी ने कार्रवाई से पहले 29 फरवरी को लिखित शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि फरियादी का भाई आशीष बोरासी चापावत शिक्षा प्रचार-प्रसार समिति का अध्यक्ष है और समिति को रतलाम जिले के ताल-आलोट में कम्प्यूटर स्थापित कर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का 12 लाख रुपए का कार्य मिला था। समिति को इस कार्य की प्रथम किश्त के 7 लाख 16 हजार 400 रुपए जिला योजना कार्यालय से चैक द्वारा मिल गए थे और दूसरी किश्त के 4 लाख 80 हजार रुपए का चैक देने हेतु जिला योजना अधिकारी द्वारा 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। आरोपी ने 1 मार्च को जब 30 हजार रुपए लेकर उसे बुलाया, तब लोकायुक्त पुलिस ने उसे धरदबोचा था।

जैन ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान पप्पू बोरासी और आशीष बोरासी न्यायालय में बयान से पलट गए। उनके खिलाफ 9 जुलाई 2015 को अभियोजन ने शपथ पर मिथ्या कथन देने के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर कार्रवाई का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार न्यायालय ने दोनो के खिलाफ विविध न्यायिक प्रकरण दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए है। 

Monday, September 28, 2015

व्यापमं घोटाले में सीबीआई की कार्यवाही से पुर्व मंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती है

छात्रों को सरकारी गवाह बनाएगी

 व्यापमं घोटाले में सीबीआई
की कार्यवाही से पुर्व मंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती है

भोपाल (नी.प्र.) सीबीआई अब उन लोगों पर भी शिकंजा कसना चाहती है,जो रसूखदार अब तक सबूतों के अभाव में या बड़ी पहुँच के कारण गिरप्तारी से बच रहे थे।इन पर शिकंजा कसने के लिए उनके जरिये पास हुवे छात्रों को ही सरकारी गवाह बनाया जायेगा। साथ ही आरोपी बन चुके कुछ छात्रों और उनके अभिभावको को भी गवाह बनाने पर विचार किया जा रहा है। सीबीआई के एक उच्च अधिकारी के अनुसार सरकारी गवाह बनाने का निर्णय संबधित मामले का जाँच अधिकारी लेगा। उसे अगर लगता है कि आरोपी को सज़ा दिलाने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं है तो वह सीनियर अफसर से सलाह लेकर सरकारी गवाह बनाने की कोशिश कर सकता है।

व्यापमं के इस बहुचर्चित मामले में प्रदेश के योग्य छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया इसमें पुलिस ने छात्रों को तो गिरप्तार कर लिया परन्तु इसके मुख्य किरदार अभी भी बहार घूम रहे रहे |
गोरतलब है कि कार्यवाही आगे बढ़ती है तो प्रदेश के एक पुर्व मंत्री जो मलाईदार पद पर थे वे अकूत सम्पति के मालिक बन गए व् परिवहन विभाग के 2012 में व्यापमं से हुवे आरक्षक भर्ती घोटाले में टी वी चैनलो सहित प्रिंट मिडिया व् सोशल मीडिया में हमेशा छाए रहते कि उनकी कभी भी गिरप्तारी हो सकती निश्चित वो गिरफ्तार होंगे तो भाजपा पर गहरा संकट आ सकता है क्यों कि मुख्य मंत्री ने उस पुर्व परिवहन मंत्री पर भरोसा किया था और उसी भरोसे को उक्त मंत्री ने व्यापमं घोटाले में बदल दिया।

   सूत्र बताते है की पुर्व मंत्री के पास इतनी धन सम्पदा है की वो कोई भी परिणाम प्रभावित कर सकते है चाहे चुनाव हो या जाँच एजेंसी ही क्यों न हो ? आम लोगो को सीबीआई से आशा है की उक्त मंत्री पर शिकंजा कसेगी।

मॉल में युवती से गैंगरेप, स्पा सेंटर मालिक व उसका दोस्त बने हैवान

Toc News @ Mon, 28 Sep 2015

गुड़गांव। दरिंदगी और हैवानियत की हद एक बार फिर गुड़गांव में दिखी है। शहर में स्थित एक मॉल के स्पा सेंटर में युवती से उसके मॉलिक ने अपने दोस्त की मिलकर गैंगरेप को अंजाम दिया।
मॉल में स्थित स्पा सेंटर के मालिक और उसका दोस्त युवती को घंटों अपनी हवस का शिकार बनाते रहे। इस दौरान वह चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन दरिदों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इतना ही नहीं उसे अपनी हवस का शिकार बनाने के साथ दरिंदों ने उसे इस कदर डराया है कि वह आज सदमे की स्थिति में है।

युवती को दिया प्रलोभन
गैंगरेप की घटना अंजाम देने के बाद स्पा मालिक ने पहले तो मामला शांत करने के डराया-धमकाया। फिर भी बात न बनी तो युवती को पैसा देकर चुप रहने का प्रलोभन दिया। बहरहाल युवती ने हिम्मत दिखाते हुए पुलिस थाने जाकर स्पा सेंटर मालिक व उसके दोस्त के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

गैंगरेप से सहमी है युवती
जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाली यह युवती हादसे के बाद से पूरी तरीके से सहम गई है। माता-पिता के मुताबिक, उनकी बेटी बहुत होनहार है। वह जिंदगी में कुछ करना चाहती है, लेकिन आज उसकी हालत देखकर रोना आ रहा है।

सदमे में माता-पिता
जिस बेटी पर माता-पिता का नाज है आज उसकी हालत देखकर आज वे बेहद दुखी हैं। पिता के मुताबिक, उनकी बेटी सदमे में है। वह किसी से बात करना तो दूर मिलना तक नहीं चाहती है। हमेशा मुस्कुराने वाली बेटी का गम रह-रहकर पिता चेहरे से बयां हो रहा है।

युवती पर रखता था नजर
युवती के मुताबिक, वह कई महीने से इस स्पा सेंटर में काम कर रही है। सेंटर मालिक की नजर उस पर थी। एक-दो बार उसे इशारे भी किए गए, लेकिन युवती ने इसकी अनदेखी की। इसके बाद भी स्पा मालिक उसे परेशान करने के लिए बहाने ढ़ूढ़ता रहता था।
कई महीने से कर रही है काम
जहां पर युवती से गैंगरेप की घटना हुई है, वह सोहना रोड पर है। मॉल का नाम-ओमाक्से है। इसी मॉल में स्पा सेंटर बना हुआ है। यह सेंटर काफी दिनों से संचालित है। युवती भी बतौर कर्मचारी इस सेंटर से जुड़ी हुई थी।

Sunday, September 27, 2015

विधानसभा फर्जी नियुक्ति मामले में दिग्विजय सिंह को जारी हुआ नोटिस

Toc news
भोपाल ।मध्यप्रदेश विधानसभा में फर्जी नियुक्तियों की जांच कर रही एसआईटी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है.  
.         दिग्विजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपनी सरकार के दौरान विधानसभा में कई फर्जी नियुक्तियां की हैं.
.        कांग्रेस महासचिव और तात्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर एसआईटी का शिकंजा कसता जा रहा है.
.        रविवार को दिग्वजिय के खिलाफ जहांगिराबाद पुलिस ने विभानसभा फर्जी नियुक्ति और प्रमोशन मामले में नोटिस जारी कर दिया.
.        नोटिस जारी होने के बाद एसआईटी की टीम दिग्विजय के भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित उनके घर पहुंची जहां टीम को वहां के किसी भी कर्मचारी ने कोई प्रतियक्रिया नहीं दी.
.       नोटिस के मुताबिक दिग्विजय को 30 सितंबर तक किसी भी हालत में एसआईटी के सामने अपना बयान दर्ज करना होगा.
.        दिग्विजय के अलावा एसआईटी ने मामले के आरोपी योगेश और उनकी पत्नी सुषमा को भी नोटिस जारी कर चार अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया है. आरोपी पति-पत्नी शिक्षक हैं.

रिटायर्ड अफसरों और पूर्व स्पीकर पर भी हैं आरोपी:
.          विधानसभा फर्जी नियुक्तियों मामले में एसआईटी ने एडिशनल सेक्रेटरी रमेश चंद्र उपाध्याय और अंडर सेक्रेटरी श्यामलाल चतुर्वेदी को आरोपी बनाया है. दोनों ही आरोपी अपने-अपने पद से रिटायर्ड हो चुके हैं. इन दोनों ही अफसरों पर फर्जी नियुक्ति करवाने का मामला सामने आया है.
.         वहीं इन ही आरोपों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को भी 3 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था.
.         हालांकि, अग्रिम जमानत होने की वजह से श्रीनिवास तिवारी को गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया.क्या है

पूरा मामला:
.       राजधानी की जहांगीराबाद पुलिस ने विधानसभा में फर्जी नियुक्ति मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी समेत 19 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ जिला कोर्ट में चार्जशीट पेश कर चुकी है.वहीं इसी महीनें करीब 15 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट चार्जशीट कोर्ट में पेश की जाएगी. अधिकांश आरोपियों ने कोर्ट से अग्रिम जमानत ली है.

क्या कहते हैं कानून और मानवाधिकार

Present by - toc news

क्या कहते हैं कानून और मानवाधिकार
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पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान आपके अधिकार
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आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-160 के अंतर्गत किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने या अन्य किसी स्थान पर नहीं बुलाया जाएगा।

उनके बयान उनके घर पर ही परिवार के जिम्मेदार सदस्यों के सामने ही लिए जाएंगे।

रात को किसी भी महिला को थाने में बुलाकर पूछताछ नहीं करनी चाहिए।

बहुत जरुरी हो तो परिवार के सदस्यों या 5 पड़ोसियों के सामने उनसे पूछताछ की जानी चाहिए।

पूछताछ के दौरान शिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाए।

गिरफ्तारी के दौरान अधिकार महिला अपनी गिरफ्तारी का कारण पूछ सकती है।

गिरफ्तारी के समय महिला को हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी।

महिला की गिरफ्तारी महिला पुलिस द्वारा ही होनी चाहिए।

सी.आर.पी.सी. की धारा-47(2) के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को ऐसे रिहायशी मकान से गिरफ्तार करना हो, जिसकी मालकिन कोई महिला हो तो पुलिस को उस मकान में घुसने से पहले उस औरत को बाहर आने का आदेश देना होगा और बाहर आने में उसे हर संभव सहायता दी जाएगी।

यदि रात में महिला अपराधी के भागने का खतरा हो तो सुबह तक उसे उसके घर में ही नजरबंद करके रखा जाना चाहिए।

सूर्यास्त के बाद किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

गिरफ्तारी के 24 घंटों के भीतर महिला को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा।

गिरफ्तारी के समय महिला के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने आने दिया जाएगा।

थाने में महिलाओं के अधिकार
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गिरफ्तारी के बाद महिला को केवल महिलाओं के लिए बने लॉकअप में ही रखा जाएगा या फिर महिला लॉकअप वाले थाने में भेज दिया जाएगा।

पुलिस द्वारा मारे-पीटे जाने या दुर्व्यवहार किए जाने पर महिला द्वारा मजिस्ट्रेट से डॉक्टरी जांच की मांग की जा सकती है।

सी.आर.पी.सी. की धारा-51 के अनुसार जब कभी किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाता है और उसे हवालात में बंद करने का मौका आता है तो उसकी तलाशी किसी अन्य स्त्री द्वारा शिष्टता का पालन करते हुए ली जाएगी।

तलाशी के दौरान अधिकार
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धारा-47(2)के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाएगी।

यदि महिला चाहे तो तलाशी लेने वाली महिला पुलिसकर्मी की तलाशी पहले ले सकती है।

महिला की तलाशी के दौरान स्त्री के सम्मान को बनाए रखा जाएगा।

सी.आर.पी.सी. की धारा-1000 में भी ऐसा ही प्रावधान है।

जांच के दौरान अधिकार
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सी.आर.पी.सी. की धारा-53(2) के अंतर्गत यदि महिला की डॉक्टरी जांच करानी पड़े तो वह जांच केवल महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी।

जांच रिपोर्ट के लिए अस्पताल ले जाते समय या अदालत में पेश करने के लिए ले जाते समय महिला सिपाही का महिला के साथ होना जरुरी है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) दर्ज कराते समय अधिकार
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पुलिस को निर्देश है कि वह किसी भी महिला की एफ.आई.दर्ज करे।

रिपोर्ट दर्ज कराते समय महिला किसी मित्र या रिश्तेदार को साथ ले जाए।

रिपोर्ट को स्वयं पढ़ने या किसी अन्य से पढ़वाने के बाद ही महिला उस पर हस्ताक्षर करें।

उस रिपोर्ट की एक प्रति उस महिला को दी जाए।
पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किए जाने पर महिला वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या स्थानीय मजिस्ट्रेट से मदद की मांग कर सकती है।

धारा-437 के अंतर्गत किसी गैर जमानत मामले में साधारणयता जमानत नहीं ली जाती है, लेकिन महिलाओं के प्रति नरम रुख अपनाते हुए उन्हें इन मामलों में भी जमानत दिए जाने का प्रावधान है।

किसी महिला की विवाह के बाद सात वर्ष के भीतर संदिग्ध अवस्था में मृत्यु होने पर धारा-174(3) के अंतर्गत उसका पोस्टमार्टम प्राधिकृञ्त सर्जन द्वारा तथा जांच एस.डी.एम. द्वारा की जानी अनिवार्य है।

धारा-416 के अंतर्गत गर्भवती महिला को मृत्यु दंड से छूट दी गई है .

Saturday, September 26, 2015

कर्ज मे डूबी सरकार खरीद रही 80 करोड़ का जेट प्लेन

भोपाल। जीना है तो घी पीकर जिओ चाहे उधार ही क्यों ने लेना पड़े। इसी तर्ज पर प्रदेश सरकार चल रही है। हजारों करोड़ के कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौरों व सैर सपाटों को लिए जेअ प्लेन खरीदने जा रही है। 80 करोड़ की लागत वाला यह दो इंजन वाला पेवर टरबाइन जेट ऐयरो प्लेन है।
दरअसल विमान की कमी से जूझ रही सरकार को मुख्यमंत्री दौरे के लिए किराए के प्लेन से काम चलाना पड़ रहा है। विमान खरीदी के लिए बीते माह कैबिनेट ने करीब 80 करोड़ रुपए की लागत से विमान खरीदने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। इसके साथ ही सरकार ने इसे खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। तीन अक्टूबर तक इच्छुक कंपनियों को अपने प्रस्ताव राज्य सरकार को देने होंगे। इसमें कोई भी कंपनी शामिल हो सकती है, लेकिन बिड के लिए किसे बुलाया जाए, इसका अधिकार सरकार के पास होगा।
क्या होगा पुराने विमानों का
इस समय राज्य सरकार के हवाई बेड़े में एक विमान और तीन हेलीकॉप्टर हैं लेकिन इसमें से सिर्फ दो ही रनिंग पोजिशन में हैं। एक हेलीकॉप्टर (बी 430) को डिस्पोज ऑफ करने की प्रक्रिया विमानन विभाग पिछले छह माह से कर रहा है, लेकिन अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है।

ढाई साल से विचारधीन था प्रस्ताव
जेट प्लेन की खरीदी का प्रस्ताव करीब ढाई साल से विचारधीन था। इसके लिए अपर मुख्य सचिव अजय नाथ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी जिसने जेट प्लेन खरीदने की अनुशंसा की थी।

हवाई पट्टियों का करना होगा विस्तार
नया विमान आने के बाद प्रदेश की 30 हवाई पट्टियों का विस्तार करना पड़ेगा। यह विमान भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के अलावा सिर्फ नीमच, मंडला, दतिया, छिंदवाड़ा, सतना, सीधी और उमरिया हवाई पट्टी पर ही उतर पाएगा। इसकी वजह यह है कि लगभग 100  करोड़ रुपए कीमत के नए विमान के टेक ऑफ और लैडिंग के लिए न्यूनतम 5 हजार फीट का रनवे होना चाहिए। प्रदेश में कुल 5 एयर पोर्ट और 37 हवाई पट्टियां है।

यह क्षति पूर्ति
इस विमान में टाइप सर्टिफिकेट अनिवार्य है, जिसे डीजीसीए ने मान्य किया हो।
यह विमान पूरी तरह से वीएफआर और आईएफआर उपकरर्णों लैस हो, जिसे डीजीसीए ने मान्य किया हो।
इसमें वे इंजन लगे हो जो थ्रस्ट रिवर्सल सिसटम पर आधारित हो।
इन इंजनों में आग्जीलरी पावर यूनिट का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।
इस विमान की क्षमता छह से सात यात्री और दो पायलट वाली होना जरूरी होगी।
साथ ही तीस मिनट अतिरिक्त उड़ान भरने लायक ईधन की क्षमता वाले हो।
रखरखाव और मरमत और उपकरण उपलब्ध कराने की लिए कंपनी का प्रतिनिधि का देश में होना जरूरी है

साभार: (बिच्छू रोज़ाना)

पत्नी को सांप ने काटा, पति को आया हार्टअटैक।दोनो का निधन

Toc news
मंदसौर जिले के सीतामऊ तहसील के ग्राम सालरीया मे आज एक साथ पति पत्नी की निकली शवयात्रा।
सालरिया में एक महिला को कल रात्रि में खेत से घर लौटते समय साप ने काट लिया था जिससे महिला की मौत हो गयी थी और उसके पति को सितामऊ अस्पताल में पत्नी के शव के पोस्टमार्टम के टाइम पर घर के बाहर ओटले पर बैठे बैठे अटैक आया ओर  अस्पताल ले जाते समय रास्ते मे ही मौत हो गई ।
पत्नी भोमरबाई पति बद्रीलाल खारोल निवासी सालरिया दोनो की इस तरह एक के बाद एक  हुई अचानक मौत के बाद सालरीया मे सन्नाटा छाया रहा।

दीनदयाल की हुई हत्या, फिर से हो जांच: गोविंदाचार्य

Present by - toc news

के.एन. गोविंदाचार्य
सामाजिक चिंतक के.एन. गोविंदाचार्य ने पं दीनदयाल उपाध्याय की मौत की फिर से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में दीनदयाल जी की मौत हुई थी, उससे साफ लग रहा था कि उनकी हत्या की गई थी। पर, तत्कालीन सरकार द्वारा कराई गई जांच में इसे हत्या नहीं माना गया था।
आज केंद्र में ऐसी सरकार है जो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करा सकती है और सारे सही तथ्य लोगों के सामने आ सकते हैं। गोविंदाचार्य ने नाम लिए बगैर मौजूदा केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।

वह शुक्रवार को यहां प्रेस क्लब में दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। भारतीय नागरिक परिषद की तरफ से आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था, ‘एकात्म मानववाद और समृद्ध भारत।’

गोविंदाचार्य ने कहा कि तत्कालीन सरकार के समय कराई गई जांच में बताया गया था कि उनकी मौत का कारण हत्या नहीं कुछ और रही है। पर, यह सही बात नहीं लगती। जिन परिस्थितियों में दीनदयाल जी की शव मिला था, उससे यह साफ था कि उनकी हत्या की गई है। हत्या में भी अंतरराष्ट्रीय साजिश दिखती है।

कारण, उस समय पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच लड़ाई चल रही थी। इस लड़ाई में एक पक्ष सोवियत संघ और दूसरा अमेरिका था। दोनों ही पूरी दुनिया पर अपना वर्चस्व बनाने के लिए ऐसे लोगों को समाप्त करा देने पर तुले थे जो उनकी नीतियों से सहमत नहीं थे।
(Source. AU)

पत्रकारों पर फर्जी एफ आई आर दर्ज कराने वाला फर्जी बंगाली डॉक्टर एलोपैथिक ईलाज करते धराया,


  • देवास जिले के खातेगांव मे फर्जी बंगाली डाक्टर धराया
  • S.d.m.तहसीलदार b.m.o.और पुलिस ने मिलकर की कार्वाही
  • झोला छाप डाक्टर कई सालो से कर रहे थे जनता की जान के सांथ खिलवाड़
  • कार्वाही के बाद फर्जी डाक्टरों में हड़कम्प ।फर्जीयो ने अपने अपने क्लिनिक किये बंद

Toc news @ khategao

मेडिकल ऑफिसर ने कहा जारी रहेगी कार्वाही--------कन्नौद : खातेगांव में बीएमओ, एसडीएम, तहसीलदार की बड़ी कार्यवाही.....फर्जी बंगाली डॉक्टर एलोपैथिक ईलाज करते धराया... इंडो एलोपैथिक की मान्यता की डिग्री पर कर रहा था एलोपैथिक ईलाज .... और मरीजो की जान से हो रहा था खिलवाड़...तीन सदस्य टीम ने कार्यवाही करते हुए पंचनामा बनाकर दवाइयो को सील किया है लेकिन बंगाली डॉक्टर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। ये तो एक क्लीनिक है ऐसे कई गांवो में बंगालियों का डेरा है जो की ग्रामीणों के साथ उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे है।प्रशासन अब सक्रीय हुआ है अब देखना है।की फर्जी झोलाछाप बंगाली डॉक्टर से ग्रामीणों की जान से हो रहे खिलवाड़ को रोकने में प्रशासन कितना कामयाब होता है....

ये भी वही फर्जी बंगाली डाक्टर है जो पत्रकारों के खिलाफ झुटा आवेदन देकर अपने आपको डाक्टर बतारहा था ।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वो फर्जी डाक्टर अपना अपना क्लिनिक बंद करके भाग गए है जो पुलिस को गुमराह कर रहे थे

8959402485 तहसीलदार नरेन्द्र यादव
9406864609 sdm राजकुमार नागराज

9893801590 bmo डॉ. शेलेन्द्र परिहार

प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं किया तिरंगे का अपमान: मोदी सरकार..

Present by @ Toc news : 26, Sep. 2015

अमरीकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित तौर पर तिरंगे झंडे पर दस्तख़त करने को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया है और लोगों ने इस बात के लिए मोदी की कड़ी आलोचना की और कहा कि मोदी ने राष्ट्र ध्वज का अपमान किया है।

जानकारी के अनुसार अमरीका दौरे पर गए नरेंद्र मोदी ने तिरंगे पर दस्तख़त करके शेफ़ विकास खन्ना को सौंप दिया था विकास, नरेंद्र मोदी के साथ ही अमरीका के दौरे पर हैं उन्होंने नरेंद्र मोदी के फॉर्च्यून 500 कंपनियों के सीईओ के साथ डिनर का मेन्यू तैयार किया था तय कार्यक्रम के अनुसार विकास को ये झंडा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को सौंपना था लेकिन ऐसी ख़बरें हैं कि आलोचना के बाद अधिकारियों ने ये झंडा वापस ले लिया।


( सोशल मीडिया पर ये मामला वायरल होने के बाद सरकार की ओर से इस पर सफ़ाई भी आ गई )

प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो के डीजी फ्रेंक नोरोन्हा ने  को बताया- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तिरंगे के अपमान की ख़बरें बिलकुल निराधार हैं पीएम ने झंडे पर ऑटोग्राफ़ नहीं दिए। उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्र ध्वज पर नहीं बल्कि एक मेमेंटो पर दस्तख़त किए थे इसमें अशोक चक्र भी नहीं था इस लिहाज़ से ये राष्ट्र ध्वज की श्रेणी में आता ही नहीं

( गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर साफ़ लिखा है कि राष्ट्र ध्वज पर कुछ भी लिखना मना है )

ई इन ए न्यूज़ के मुताबिक़ कांग्रेस ने प्रधानमंत्रि्र की आलोचना की और कहा, आप कितने भी ऊंचे पद पर क्यों ना हों, राष्ट्र ध्वज आपसे ऊपर है आपको ये बात समझनी चाहिए कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, प्रधानमंत्री को अपने भीतर झांकना चाहिए और तिरंगे के सम्मान के लिए ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए क्योंकि तिरंगे का सम्मान 125 करोड़ भारतीयों की ज़िम्मेदारी है और ख़ासतौर से प्रधानमंत्री की

गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ तिरंगे पर कुछ भी लिखना प्रतिबंधित है ट्विटर पर लोग लिख रहे हैं कि इस लिहाज से नरेंद्र मोदी ने झंडे पर दस्तख़त कर क़ानून का उल्लंघन किया है

@janonymous लिखते हैं, बड़ी हैरानी की बात है कि इतने कूटनीतिकों और सरकारी अधिकारियों से घिरे रहने के बाद भी नरेंद्र मोदी ऐसा कर बैठे. क्या उन्हें किसी ने बताया नहीं कि तिरंगे पर कुछ भी लिखना अपराध है।

@jeenkaraka ने लिखा, ये एक अपराध है. और भारतीय दंड संहिता के अनुसार मोदी पर कार्रवाई होनी चाहिए.

@tpjayakumar ने लिखा, "विदेशी सरजमीं पर राष्ट्र ध्वज का अपमान करने वाले नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. शर्म की बात है।

वहीं प्रकाश झा नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, अब लोग तिल का ताड़ बना देंगे. मोदी विरोधी बस अब शुरू हो जाएंगे ।

करन सिंह ने लिखा, ये तिरंगा झंडा नहीं है. इस तस्वीर को फ़ोटो शॉप्ड किया गया है. बेवजह का विवाद खड़ा करने के लिए,
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पीडब्ल्युडी का कार्यपालन यंत्री एन.एस. यादव 10 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार

Toc News
सागर लोकायुक्त का छापा।टीकमगढ़ के पृथ्वीपुर में पदस्थ है यादव। खुद के घर से ही रंगे हाथों पकड़ा गया।
ठेकेदार मुकेश दुबे से सड़क निर्माण का रुका हुआ भुगतान करने के लिए ले रहा था रिश्वत।

मोदी ने तोड़ा फ्लैग कोड? सरकार की सफाई-जिस झंडे पर साइन किया वह तिरंगा नहीं

मोदी के ऑटोग्राफ वाला तिरंगा दिखाते विकास खन्ना।

Present by - toc news
मोदी के ऑटोग्राफ वाला तिरंगा दिखाते विकास खन्ना।
न्यूयॉर्क. केंद्र सरकार ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मेंमेंटो (तीन रंग के झंडे) पर मशहूर शेफ विकास खन्ना को ऑटोग्राफ दिया था, वह तिरंगा नहीं था। इस मुद्दे पर विवाद सामने आने के बाद प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के डीजी फ्रैंक नोरोन्हा ने बयान दिया है। उनका कहना है कि जिस झंडे पर पीएम ने ऑटोग्राफ दिया था, उस पर अशोक चक्र नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम के हाथों तिरंगे का अपमान होने की खबर झूठी है।
इससे पहले मीडिया में खबर आई थी कि पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में मशहूर शेफ विकास खन्ना को कथित तौर पर ऑटोग्राफ वाला तिरंगा दिया था। इस पर विवाद हो गया था। वह इसलिए क्योंकि नियमों के मुताबिक तिरंगे पर कुछ भी लिखा नहीं जा सकता। विकास यह तिरंगा अमेरिकी प्रेसिडेंट ओबामा को देने वाले थे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी और टॉप कंपनियों के सीईओज के साथ गुरुवार रात हुए डिनर के लिए विकास खन्ना और उनकी टीम से डिशेज तैयार की थीं। विकास का कहना है कि मोदी ने डिनर के बाद उन्हें गिफ्ट में यह ऑटोग्राफ वाला झंडा दिया था।
क्या कहता है फ्लैग कोड ऑफ इंडिया?
26 जनवरी, 2002 से लागू फ्लैग कोड तीन पार्ट में है। इसके पार्ट 3 (सेक्शन 5) में इंडियन फ्लैग के मिसयूज के बारे में बताया गया है। इसके प्वाइंट 3.28 में साफ लिखा है कि तिरंगे पर किसी भी तरह से कुछ भी लिखना नहीं चाहिए। कुछ भी लिखना या साइन करना फ्लैग कोड का उल्लंघन है।
मोदी ने लगाया था गले: विकास
पंजाब के अमृतसर में जन्मे शेफ विकास खन्ना ने बताया कि उन्होंने गुरुवार को पीएम और सीईओज की मीटिंग और डिनर के लिए 26 डिशेज तैयार की थीं। यह भारत के अलग-अलग फेस्टिवल में परोसी जाने वाली डिशेज थीं। विकास के मुताबिक, डिनर के बाद मोदी ने उन्हें गले लगाया और अपने ऑटोग्राफ वाला तिरंगा गिफ्ट किया। बता दें कि न्यूयॉर्क के फाइव स्टार होटल वॉल्डोर्फ एस्टोरिया में हुए डिनर में लॉकहीड मार्टिन की प्रेसिडेंट मार्लिन ए ह्यूसन, फोर्ड मोटर के प्रेसिडेंट मार्क फील्ड्स, पेप्सिको कंपनी की सीइओ इंदिरा नूई, जॉनसन एंड जॉनसन के प्रेसिडेंट जार्ज मेस्क्विटा समेत दुनिया के कई बड़ी कंपनियों के सीईओ शामिल हुए थे।

मुद्रा बैंक' योजना

💰 मुद्रा बैंक' योजना 💰
 

👉🏿 प्रधानमन्त्री मुद्रा बैंक योजना के तहत छोटे उद्यमियों को कम ब्याज दर पर 50 हजार से 10 लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा.
👉🏿मुद्रा का मतलब है माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA).
👉🏿मुद्रा बैंक छोटे उद्यमियों को 50 हजार से 10 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज सस्ती ब्याज दर पर देगा.
 👉🏿मुद्रा बैंक के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) के उद्यमियों को प्राथमिकता पर कर्ज दिए जाएंगे.
👉🏿मुद्रा बैंक का मकसद युवा, शिक्षित और प्रशिक्षित उद्यमियों को मदद देकर मुख्यधारा में लाना है.
👉🏿इस व्यवस्था के तहत तीन तरह के कर्ज दिए जाएंगे, शिशु, किशोर और तरुण. अगर आप बिजनेस शुरू कर रहे हैं तो आपको शिशु कैटेगरी का लोन दिया जाएगा. यह लोन कवर 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होगा.
👉🏿किशोर कैटेगरी के तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये तक का लोन दिया जाएगा. वहीं तरुण कैटेगरी के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा.
👉🏿 इस योजना में उन इकाइयों को सहायता दी जाएगी जो मालवाहक तथा व्यक्तिगत परिवहन जैसे ऑटो रिक्शा, लघु मालवाहक परिवहन गाड़ियों, तिपहियों, ई-रिक्शों, सवारी कारों, टैक्सियों आदि जैसी परिवहन तथा व्यक्तिगत गाड़ियों की खरीद करेगी।
👉🏿 सैलून, ब्यूटी पार्लर, जिम्नेजियम, बुटीक, सिलाई दुकान, ड्राइ क्लीनिंग, साइकिल एवं मोटर साइकिल मरम्मत दुकान, डीटीपी एवं फोटोकॉपी सुविधा, दवा दुकान, कूरियर एजेन्ट आदि के लिए ऋण सहायता।
👉🏿 निम्नलिखित गतिविधियों के लिए सहायता उपलब्ध करायी जाएगी जैसे – पापड़ बनाना, अचार बनाना, जैम/ जेली बनाना, ग्रामीण स्तर पर कृषि उत्पाद संरक्षण, मिठाई की दुकानें, लघु सेवा खाद्य स्टॉल, एवं दिन प्रतिदिन की कैटरिंग/ कैन्टीन सेवाएं, कोल्ड चेन गाड़ियाँ, शीत गृह, बर्फ बनाने वाली इकाइयां, आइसक्रीम बनाने वाली इकाइयां, बिस्कुट, ब्रेड एवं बन बनाने वाली इकाइयां, आदि।
👉🏿हाथकरघा, विद्युतकरघा, चिकनकारी, जरी एवं जरदोजी कार्य, परंपरागत इम्ब्रॉयडरी एवं हाथ के काम, पारंपरिक रंगरेजी एवं मुद्रण, कपड़ों के डिजाइन, बुनाई, सूत कताई, कम्प्यूटरीकृत इम्ब्रॉयडरी, स्टिचिंग एवं नॉन गारमेंट वस्त्र उत्पाद जैसे कि बैग बनाने, गाड़ी की एक्सेसरीज, फर्नीशिंग एक्सेसरीज आदि कार्यकलापों के लिए सहायता।
👉🏿योजना का लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक जाकर एक फार्म भरना होगा। इसमें 50 हजार रुपए तक, 50 हजार से पांच लाख रुपए तक और पांच लाख से दस लाख रुपए तक लोन बेहद कम कागजी कार्यवाही पर मिलेगा। लोनधारी को एटीएम कार्ड की तरह बैंक से लोन कार्ड मिलेगा।  इसमें लोन की सीमा तय होगी। कार्ड से लोनधारी जितना पैसा निकालेगा उसे उतनी राशि पर ही एक फीसदी ब्याज लगेगा.....
आप भी इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ ले एवम् अपने परिचित के जरूरतमंद लोगो को भी इसका लाभ दिलाने जानकारी दे तथा उन्हें बैंको तक पहुचाएं..

लोकायुक्त की जांच पर थेटे ने उठाए सवाल

Present by - toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकायुक्त की स्थापना जिस उद्देश्य से की गई थी लगता है इस समय लोकायुक्त उस उद्देश्य की दिशा से भटक गया है, यही वजह है कि उसकी जांच की कार्यप्रणाली का एक बार नहीं अनेकों बार तरह-तरह के सवाल खड़े किए गए हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के द्वारा खरीदे गए डम्परों की जांच के समय भी तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं और समाज से जुड़े लोगों ने तरह-तरह के सवाल खड़े किए थे, यही नहीं डम्पर जाँच के मामले में आज भी यह प्रश्न लोगों के जेहन में है कि डम्पर मामले को लेकर तत्कालीन राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी के महासचिव प्रहलाद पटेल द्वारा जो मामला लोकायुक्त में दर्ज किया गया था उस मामले पर क्या कार्यवाही हुई,

यह ना तो लोकायुक्त सूचना के अधिकार के तहत लोगों द्वार लगाई गए आवेदनों में बताई गई और ना ही हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा सत्र के दौरान लोकायुक्त के द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदनों में डम्पर काण्ड में लोकायुक्त द्वारा की गई जांच का पूरा विवरण तक नहीं दिया गया। इससे यह साफ जाहिर होता है कि लोकायुक्त कहीं ना कहीं अपने उद्देश्यों से भटक गया है। यूं तो भ्रष्टाचार मिटाने और इस तरह के मामलों में कार्यवाही करने के लिये लोकायुक्त द्वारा अपना एक टेलीफोन नम्बर भी सार्वजनिक किया गया है,

लेकिन जब भी उस टेलीफोन पर फान लगाओ वह व्यस्त ही मिलता है इससे यह साफ जाहिर है कि लोकायुक्त केवल और केवल दिखावे की कार्यप्रणाली अपना रहा है यूँ तो ऐसे कई मामले हैं जिनको लेकर लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर तमाम सवाल उठते रहे हैं, हाल ही में प्रदेश के एक आईएएस रमेश थेटे द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त पुलिस की  कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया है कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा लगातार झूठे प्रकरण दर्ज किये जाते हैं ऐसे प्रकरणों में हमेशा न्यायालय ने दोषमुक्त किया है,

ऐसा आरोप लगाते हुए राज्य के बाल संरक्षण आयोग के सचिव रमेश थेटे ने अपने पत्र में लिखा है, पत्र में उन्होंने लिखा है कि लोकायुक्त द्वारा दर्ज पूर्व के प्रकरणों में उन्हें न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया है थेटे के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अभियोजन की स्वीकृति मांगी है इस पर थेटे ने मुख्यमंत्री से न्याय की मांग करते हुए कहा है कि ऐसे सभी अभियोजन पर अविलम्ब निर्णय लिया जाए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए, गौरतलब है कि थेटे के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने उज्जैन के एक मामले को लेकर प्रकरण दर्ज किया है, इस पर अभियोजन के लिये सरकार से मंजूरी मांगी गई है,

थेटे ने मुख्यसचिव और मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि उज्जैन में पदस्थापना के दौरान वह न्यायालय के पीठासीन अधिकारी थे, सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार ऐसे पद पर रहते हुए दिये गये निर्णयों पर मामला दर्ज नहीं किया जा सकता, कुल मिलाकर रमेश थेटे द्वारा लिखे गये पत्र में उन्होंने जो बिन्दु उठाए हैं और पिछले कुछ वर्षो से लोकायुक्त और उसकी पुलिस पर जिस तरह की कार्यप्रणाली के आरोप पिछले दिनों लगते रहे हैं,

यही नहीं लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर उठने वाले सवाल से यह साफ जाहिर हो जाता है कि कहीं न कहीं लोकायुक्त और उसके अधीनस्थ कर्मचारी दबाव के चलते जांच प्रक्रिया को अंजाम देते रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के द्वारा खरीदे गए डम्पर मामला है, हालांकि यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है इस पर कुछ लिखना और कहना उचित नहीं होगा,

लेकिन लोगों में यह चर्चा का विषय है कि लोकायुक्त कहीं न कहीं दबाव में जांच प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है ऐसा ही एक मामला कांग्रेस के विधायक डॉ. गोविंद सिंह का है जिसमें उनके द्वारा शिवराज मंत्रीमण्डल की तत्कालीन शिक्षामंत्री अर्चना चिटनीस पर देवपुत्र नामक एक पत्रिका को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का था। लेकिन डॉ. गोविंद सिंह द्वारा इस मुद्दे को लेकर आज भी यह कहा जा रहा है कि यह जांच प्रक्रिया निष्पक्षता से नहीं हुई है इसको लेकर वह न्यायालय की शरण लेंगे। ऐसे एक नहीं अनेकों मामले हैं जिनमें लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं।

डम्पर मामले के समय प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा एक बार नहीं अनेकों बार डम्पर मामले की लोकायुक्त द्वारा की जा रही जांच को लेकर यह सवाल खड़े किए गए हैं कि जो लोकायुक्त पुलिस मुख्यमंत्री के अधीनस्थ काम करती है उससे सही जांच की क्या उम्मीद की जाए, साथ ही लोकायुक्त जो कि एक संवैधानिक पद पर पदस्थ हैं उनके द्वारा दीवाली के अवसर पर सपरिवार मुख्यमंत्री के निवास पर मिलने जाने को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे और लोग यहां तक चर्चा करते नजर आए कि जब डम्पर मामले की जांच लोकायुक्त द्वारा की जा रही है, ऐसे समय में मुख्यमंत्री से उनके निवास पर जाकर मिलना क्या उचित है।

यही नहीं लोकायुक्त के परिजनों पर भी शासन द्वारा उसी दौरान लाभ पहुंचाने को लेकर भी सवाल उठे थे । जहां तक लोकायुक्त की कार्यप्रणाली का सवाल है तो उसको लेकर जहां राजनेताओं ने तो सवाल खड़े किए ही हैं अब एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रमेश थेटे द्वारा सवाल खड़े किए जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं।

Friday, September 25, 2015

व्यापम घोटाले में सीबीआई की कई स्थानों पर छापामार कारवाई

व्यापम घोटाले में सीबीआई की बड़ी करवाई
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापामार कारवाई

Toc News
भोपाल- व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच अपने हाथों में लेने के बाद सीबीआई ने पहली बार एक साथ करीब 40 जगहों पर छापामार कार्रवाई की है। इनमें भोपाल, इंदौर, लखनऊ, विदिशा, रीवा, जबलपुजर, उज्जैन, इलाहाबाद शहर शामिल हैं।

सीबीआई पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के विदिशा जिले में स्थित सिरोंज के घर पर भी सीबीआई की टीम पहुंची। लक्ष्मीकांत इस समय जेल में हैं।

40 अफसर सीबीआई टीम में...
सीबीआई को व्यापमं घोटाले की जांच का जिम्मा जुलाई में सौंपा गया था। इसके लिए 40 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी अग्रवाल कर रहे हैं।

क्या है व्यापमं घोटाला
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मध्य प्रदेश में उन पदों की भर्तियां करता है, जिनकी भर्तियां म.प्र. लोक सेवा आयोग नहीं करता। इसके तहत प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम होते हैं। घोटाले की बात उस वक्त सामने आई जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टरों की भर्ती परीक्षा के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया जिनके पास एग्जाम में बैठने तक की योग्यता नहीं थी। सरकारी नौकरियों में करीब हजार से ज्यादा और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा भर्तियां शक के घेरे में हैं। इस घोटाले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही है।

कैसे सामने आया था व्यापमं घोटाला?
- व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं। लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। उसे मुंबई के पॉश होटल से गिरफ्तार किया गया था। उसके इंदौर स्थित घर से कई करोड़ रुपए का कैश बरामद हुआ था। पुलिस के मुताबिक, एमबीबीएस डिग्री रखने वाले सगर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को एमबीबीएस कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया थ

फार्मासिस्ट खोल सकेंगे क्लीनिक

भोपाल: प्रदेश में भी फार्मासिस्ट क्लीनिक खोल कर मरीजों को सलाह दे सकते है।फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने फार्मेसी प्रेक्टिस अधिनियम 2015 में इस प्रकार के प्रावधान की अनुशंसा की थी जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया और पुरे देश के लिए लागु कर दिया गया।

इस अधिनियम के अंतर्गत फार्मासिस्ट क्लीनिक खोल के समान्य बिमारियों पर मरीज को सलाह दे सकते है एवम् चिकित्सक के समान परामर्श शुल्क भी ले सकते है।

प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता विवेक मौर्य ने इसका स्वागत करते हुये सरकार से फार्मासिस्ट को चिकित्सक की भांति दवा लिखने तथा फार्मासिस्ट को ग्रामीण चिकित्सक (रूरल मेडिकल ऑफिसर)अथवा मेडिसिन ऑफिसर का दर्ज़ा देने की मांग की है।

Thursday, September 24, 2015

व्यापमं के आरोपी शर्मा की जान को खतरा ..!

Present by - toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल. मध्यप्रदेश के इतिहास में  सदी का सबसे बड़ा महाघोटाला व्यापमं जिसको लेकर प्रदेश के सत्ताधीश तो विपक्षी पार्टियों के नेता और वह छात्र-छात्रायें और उनके अभिभाषक परेशान हैं और कई इस महाघोटाले के आरोपों में घिरे हुए हैं यही नहीं इस व्यापमं घोटाले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिजनों पर भी तरह-तरह के आरोप लग चुके हैं।

 व्यापमं सदी का वह घोटाला है जिसमें प्रदेश के कई प्रभावशाली लोग भी इसके संदेह के घेरे में हैं तो वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोगों पर भी आरोप लग चुके हैं और इसी व्यापमं की जांच के चलते अभी तक प्रदेश में ४५ लोगों से ज्यादा गवाहों और उससे जुड़े लोगों की मौत भी हो चुकी है, तो राष्ट्रीय टीवी चैनल के एक पत्रकार अक्षय सिंह की मौत भी इसी व्यापमं के कारण हुई है।

यही नहीं व्यापमं मामले को लेकर राज्य के पूर्व शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित, कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना, लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओपी शुक्ला सहित कई छात्र-छात्राएं और उनके अभिभाषक इन दिनों जेल में हैं, व्यापमं मामले में आरोपी और पूर्व शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को जेल में जान का खतरा है, इस बात का खुलासा एमपी इंटेलीजेंस पहले ही इस बारे में जेल प्रबंधन को अवगत करा चुका है और अब इस तरह की शंका सीबीआई ने जेल विभाग को इस खतरे से आगाह किया है,

सूत्रों के मुताबिक १६ सितम्बर को सीबीआई टीम जेल पहुंची थी वहां पूछताछ के संबंध में पत्र सौंपने के अलावा उन्होंने व्यापमं मामले के सभी आरोपियों की सुरक्षा बढ़ाने की सलाह जेल प्रबंधन को दी थी, इस संबंध में सीबीआई सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से इस मामले के गवाहों की असमय मौत हो रही है उसे देखते हुए उनकी सुरक्षा जरूरी है, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जेल में कोई कैदी लक्ष्मीकांत शर्मा पर हमला कर सकता है, जानकारी मिली है कि पूर्व शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सभी व्यापमं घोटाले के आरोपी इस समय कुछ लोगों के निशाने पर हैं

यह सभी लोग संविदा शिक्षक, सब-इंस्पेक्टर, वन रक्षक भर्ती के अलावा पीएमटी सहित करीब -करीब एक दर्जन मामलों के आरोपी हैं जो डेढ़़ साल से भी ज्यादा समय से जेल में बंद हैं सूत्रों के अनुसार सीबीआई एक सप्ताह के अन्दर पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से पूछताछ करनेवाली है अभी तक शर्मा ने जो बयान एसटीएफ और एसआईटी को दिये हैं वही बयान अगर उन्होंने सीबीआई को दे दिये तो प्रदेश के प्रभावशाली लोग बेनकाब होंगे जिनमें एक भाजपा से जुड़ी नेत्री सहित तीन कद्दावर नेता शिकंजे में आ सकते हैं

फिलहाल बयानों के कारण इन लोगों पर प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है व्यापमं मामले में अब तक गवाह जांच अधिकारी और एक पत्रकार सहित लगभग ४५ लोगों की मौतें हो चुकी हैं, हालांकि भोपाल जेल अधीक्षक मंसाराम पटेल का इस संबंध में कहना है कि व्यापमं मामले से जुड़े सभी आरोपियों की सुरक्षा पर हमारी नजर है और उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है पूरे समय उनकी निगरानी की जा रही है वह कहते हैं कि जहां तक शर्मा का मामला है तो उनसे मिलने की अनुमति परिजनों के अलावा किसी को नहीं है, परिवार में तीन लोगों के नाम दर्ज हैं, उन्हीं से नियमानुसार मिलने दिया जाता है, बाहर कोई भी बात हो लेकिन जेल में सभी सुरक्षित हैं।

हिन्द न्यूज सर्विस

पत्रकारों के खिलाफ आन्ध्र प्रदेश के एक वकील ने लगाया जनहित याचिका

Toc News

हैदराबाद। देश का आईना कहे या फिर लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ अब यह तबका भी शक क्या यकीन के दायरे में है। आन्ध्र प्रदेश के एक एडवोकेट ने बढ़ती पत्रकारों एवं अखबारों एवं उनके काम करने के तरीके एवं पत्रकारों की शिक्षा पर सवाल उठाये हैं।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि यदि डाॅक्टर, वकील, ईंजीनियर,वैज्ञानिक, पाईलट, इंडियन पुलिस सर्विसेस सब की एक निर्धारित परीक्षा एवं शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है तो देश का आईना या लोकतन्त्र के चौथा स्तम्भ कहलाने वाले पत्रकारों की भी पत्रकारिता मे डीग्री का होना अनिवार्य होना चाहिए अर्थात पत्रकार वही हो जिसके पास पत्रकारिता की डिग्री होनी चाहिए और अखबारों , न्यूज चैनलों के दफ्तरों में भी RTI लागू हों ।
कुछ तथ्यों को पेश करते हुए याचिकाकर्ता ने बताया कि कथित पत्रकार एवं अखबार, न्यूज चैनल संचालक किसी के खिलाफ लिखने में नहीं सोचते चाहे तथ्य हो या ना हों हवाला सूत्रों का दिया जाता है जबकि सूत्र कई मामलों मे झूठे पाये गये या तो सूत्र थे ही नही।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पत्रकार अपनी लेखनी को बचाने के लिए सूत्र शब्द का उपयोग अब तकिया कलाम हो गया है।

Monday, September 21, 2015

बिल्डकॉन को प्रशासनिक शह प्रशासन की मनमानी, अवैध खनन के विरोधकर्ताओं पर उल्टा मामला दर्ज

*खुद के खेतों में खनन रोकना भारी पड़ा आदिवासियों को
*प्रशासनिक संरक्षण में खुद रही थी सरकारी जमीन
शिवपुरी ब्यूरो
प्रशासन एक जिले में बिल्डकॉन कम्पनी के मैनेजर की भूमिका में आ गया है कथित राजनैतिक दबाव में आकर अपनी ही जमीन पर अवैध खनन रुकवाने वाले आदिवासियों पर पुलिस ने बिल्डकॉन के कर्ताधर्ता की रिपोर्ट पर से पत्रकार संजय बेचैन सहित अन्य आदिवासियों के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि आदिवासियों की कृषि योग्य भूमि पर फोरलेन निर्माण में लगी बिल्डकॉन कम्पनी द्वारा अपनी मशीनरी लगाकर खेतों को खदानों में बदलने का जो सिलसिला शुरू किया था, इस अवैध खनन का आदिवासियों ने विरोध किया था। तत्समय तमाम मीडिया की मौजूदगी में मौके पर आदिवासियों के सरकारी पट्टे की भूमि पर अवैध खनन चलते पाया गया और बिल्डकॉन की मशीनरी जिसमें तमाम डम्पर और जेसीबी आदि से खनन होता मिला जिसका आदिवासियों ने पुरजोर विरोध किया और तमाम मशीनरी को जब्त करने की माँग की मगर मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने अपने संरक्षण में इस अवैध खनन में लगी मशीनों को मौके से छोड़ दिया। इस घटना को लेकर आदिवासी समुदाय पिछले एक हफ्ते से लगातार विरोध कर दोषियों पर कार्यवाही की मांग कर रहा था किन्तु सत्ता प्रतिष्ठान से नजदीकी रिश्तों के चलते बिल्डकॉन के दबाव में जिला कलेक्टर और पुलिस प्रशासन इस हद तक उतारू हो गया कि उसे सही और गलत की परिभाषा ही समझ नहीं आई। अपने ही खेतों को खदान में बदलने का विरोध करने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों पर झूठा मुकदमा साजिशन दर्ज करा दिया गया।
बम्हारी थाना पुलिस ने पत्रकार संजय बेचैन सहित विरोध कर रहे अन्य आदिवासियों पर मारपीट का मुकदमा दर्ज कर लिया जबकि इस पक्ष द्वारा बिल्डकॉन की दादागिरी के खिलाफ की गई शिकायत पर पुलिस और प्रशासन ने कोई एक्शन लेना मुनासिब नहीं समझा। अब इस घटनाक्रम को लेकर माहौल और गर्माता दिखाई दे रहा है। मौके पर खुद चुके खेत जिनकी मुरम का इस्तेमाल फोरलेन बनाने में किया गया है इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहाँ अवैध उत्खनन प्रशासनिक संरक्षण में चला है, न केवल यहाँ बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इसी दबंगई से सत्ता प्रतिष्ठान का लाभ उठाकर यह कम्पनी मनमाना काम कर रही है। प्रशासन ने अजीबो गरीब कार्यवाही करते हुए उल्टे विरोध कर्ताओं पर ही कार्यवाही कर डाली जबकि अवैध खनन मामले में अवैध खनन कर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही आज दिनांक तक संस्थित नहीं की है। इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि जिले में प्रशासनिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ताक पर रख कर खुद प्रशासनिक संरक्षण में अवैध खनन को शह दे रहे हैं। यहां बता दें कि इस घटनाक्रम से एक दिन पूर्व ही कलेक्टर की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन कर पुलिस, वन, राजस्व और माइनिंंग विभाग को निर्देश दिए गए कि अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए और दूसरे ही दिन करई कैरऊ के आदिवासियों के पट्टे की भूमि पर फोरलेन निर्माण कम्पनी के कर्ताधर्ताओं की तमाम मशीनरी डम्पर, जेसीबी आदि खेतों पर खनन करते दिखाई दिए जिसका सहरिया क्रांति संगठन ने पट्टाधारकों के साथ इस खनन का विरोध जताया मौके पर तमाम मशीनरी जो इनके खेतों पर खड़ी थी उसे भी जब्त करने की मांग की मगर दो थानों की पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने इनकी एक नहीं सुनी उल्टे प्रशासन के समक्ष कम्पनी की ओर से इन्हें धमकाया गया, बाद में भी धमकियां दी गई जिस पर गत 19 सितम्बर को फिर से सहरियाओं ने प्रदर्शन कर अवैध खनन कर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की मगर इनकी फरियाद नहीं सुनी गई।
नहीं है प्रशासन पर जबाव-
*क्या आदिवासियों को दी गई सरकारी पट्टे की भूमि पर खनन का अनुबंध किया जा सकता है?
*फोरलेन निर्माण में प्रयुक्त खनिज और उसकी चुकता की गई रायल्टी का सत्यापन क्या अब से पूर्व मायनिंग विभाग ने किया?
* पट्टे की जमीन पर उत्खनन की अनुमति प्रशासन के किस अधिकारी ने दी और यदि अनुमति नहीं थी तो उत्खनन कर रही मशीनरी को बजाए जब्त करने के कैसे छोड़ा गया?
*जिले भर में अवैध उत्खनन का सिलसिला चल रहा है मगर प्रशासन मौन क्यों है वह सिर्फ इक्का दुक्का कार्यवाही अवैध परिवहन पर करता है जबकि उत्खनन को छूट दी जा रही है।
*आदिवासियों की कृषि पट्टे की भूमि का लैण्ड यूज किसने और किस नियम से बदला?
*पुलिस ने अपने ही खेतों पर खनन रुकवाने की मांग कर रहे कमजोर सहरियाओं की अनसुनी कर कम्पनी की गलत गतिविधियों को कैसे संरक्षण दिया? उल्टे विरोध कर्ताओं पर कार्यवाही किसके दबाव में की गई?
ये तमाम सवाल अब फिजा में तैर रहे हैं जिनका जबाव कथित राजनैतिक दबाव में प्रशासन न दे रहा हो मगर आने वाले कल में यह मामला जब न्यायालय में उठेगा तब इतनी आसानी से प्रशासन कन्नी नहीं काट पाएगा।
इनका कहना है-
प्रशासन ने किस दबाव के वशीभूत होकर यह कार्यवाही की है यह समझ से परे है। अवैध उत्खननकर्ताओं को कार्यवाही से अछूता कैसे रखा गया है, इसकी जाँच के लिए लोकतांत्रिक ढंग से उच्च अथॉर्टी के समक्ष अपनी बात रखेंगे। मैं अपील करता हूं कि कोई भी आदिवासी भाई इस मामले में कतई कोई उत्तेजना न बरते, इस मामले में जो भी वैधानिक तरीका होगा उसी के अनुरूप हम अपनी बात रखेंगे।
संजय बेचैन

Sunday, September 20, 2015

बेहोश पड़े व्यक्ति के ऊपर पाट दी गई सड़क

Toc news
 कटनी: मध्य प्रदेश के कटनी जिले में बेहोश पड़े 45 साल के एक शख्स पर सड़क बनाने के दौरान कथित तौर पर मुरम डालकर पाट दिए जाने से उसकी मौत हो गई। पुलिस ने सड़क निर्माण कंपनी के डंपर चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) कमला जोशी ने बताया कि मृतक की पहचान बहोरीबंद तहसील के खडरा गांव के निवासी लटोरी बर्मन के रूप में की गई है। वह शुक्रवार शाम को कुंआ गांव में मेला देखने गया था। वहां से वापस लौटने के दौरान काफी नशे में होने के कारण वह अधबनी सड़क पर गिर गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद सड़क निर्माण में लगे डंपर ने रात में उस पर मुरम डाल दी और रोड रोलर ने मुरम को समतल कर बर्मन को कथित तौर पर दफन कर दिया। उन्होंने कहा कि दूसरे दिन सुबह जब बर्मन घर नहीं पहुंचा तो परिजन ने उसकी खोज की, तब देखा घर के सामने निर्माणाधीन सड़क पर मलबे में बहुत खून और युवक की चप्पले पड़ी हुई थीं। जब गौर से पास जाकर देखा तो उसका शव सड़क के मलबे की नीचे दबा हुआ था। जोशी ने बताया कि पुलिस ने युवक के शव को बरामद कर इसका पोस्टमार्टम कराकर शव परिजन को सौंप दिया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सड़क बनाने वाली कंपनी के डम्पर चालक के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (ए) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।

सिंघवी का खान घोटाला क्या सीएम तक जाएगा

Present by - Toc News

दो सौ करोड़ रुपए का जो खान घोटाला एसीबी ने उजागर किया है, क्या वह राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे तक जाएगा। यह सवाल इसलिए उठा है कि इस मामले में राज्य सरकार के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी भी गिरफ्तार है। इस मामले में एक केन्द्रीय मंत्री की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चर्चा है कि इस केन्द्रीय मंत्री की वजह से ही खान घोटाला उजागर हुआ है। भाजपा हाई कमान तक यह बात पहुंचाई गई कि राजस्थान में खान विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार हो रहा है। यह बात भी जानकारी में लाई गई कि खान विभाग सीधे सीएम राजे के अधीन है, क्योंकि खान राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा तो नाम मात्र के मंत्री है। इस बात की पुष्टि रिणवा के ताजा बयान से भी होती है। घोटाले के उजागर होने के बाद रिणवा ने साफ कहा कि खान आवंटन से संबंधित कोई भी फाइल उनके पास नहीं आती है।

अब सवाल उठता है कि आखिर अशोक सिंघवी किसके कहने पर खुला भ्रष्टाचार कर रहे थे? सिंघवी अभी सीएम राजे के अधीन आने वाली एसीबी के कब्जे में है। अभी सिंघवी वो ही बोलेंगे जो एसीबी कहेगी। एसीबी सीएम के कितने दबाव में है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब 16 सितम्बर को यह घोटाला उजागर हुआ तो एसीबी के डीजी नवदीपसिंह और आईजी दिनेश एनम सीएम से मिलने के लिए विधानसभा भवन गए। यहां यह सवाल महत्वपूर्ण है कि एसीबी के ये दोनों अधिकारी सीएम से मिलने क्यों गए?

क्या एसीबी के पास इतने अधिकार नहीं है कि वे अपने स्तर पर किसी आईएएस को गिरफ्तार कर सके। एसीबी की दयनीय स्थिति को देखते हुए ही अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग होने लगी है। बताया जाता है कि जिस केन्द्रीय मंत्री ने घोटाले को उजागर करने में भूमिका निभाई नहीं मंत्री अब सीबीआई जांच की मांग भी इधर-उधर से करवा रहा है। यदि सीबीआई की जांच होती है तो यह राजनीतिक दृष्टि से सीएम के लिए नुकसानदेय होगा। राजे पहले ही ललित गेट मामले में उलझी हुई है। इसी वजह से पहले संसद ठप रही और अब राजस्थान विधानसभा नहीं चलने दी जा रही हैं।सिंघवी का खान घोटाला क्या सीएम तक जाएगा

दो सौ करोड़ रुपए का जो खान घोटाला एसीबी ने उजागर किया है, क्या वह राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे तक जाएगा। यह सवाल इसलिए उठा है कि इस मामले में राज्य सरकार के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी भी गिरफ्तार है। इस मामले में एक केन्द्रीय मंत्री की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चर्चा है कि इस केन्द्रीय मंत्री की वजह से ही खान घोटाला उजागर हुआ है। भाजपा हाई कमान तक यह बात पहुंचाई गई कि राजस्थान में खान विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार हो रहा है। यह बात भी जानकारी में लाई गई कि खान विभाग सीधे सीएम राजे के अधीन है, क्योंकि खान राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा तो नाम मात्र के मंत्री है। इस बात की पुष्टि रिणवा के ताजा बयान से भी होती है। घोटाले के उजागर होने के बाद रिणवा ने साफ कहा कि खान आवंटन से संबंधित कोई भी फाइल उनके पास नहीं आती है।

अब सवाल उठता है कि आखिर अशोक सिंघवी किसके कहने पर खुला भ्रष्टाचार कर रहे थे? सिंघवी अभी सीएम राजे के अधीन आने वाली एसीबी के कब्जे में है। अभी सिंघवी वो ही बोलेंगे जो एसीबी कहेगी। एसीबी सीएम के कितने दबाव में है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब 16 सितम्बर को यह घोटाला उजागर हुआ तो एसीबी के डीजी नवदीपसिंह और आईजी दिनेश एनम सीएम से मिलने के लिए विधानसभा भवन गए। यहां यह सवाल महत्वपूर्ण है कि एसीबी के ये दोनों अधिकारी सीएम से मिलने क्यों गए?

क्या एसीबी के पास इतने अधिकार नहीं है कि वे अपने स्तर पर किसी आईएएस को गिरफ्तार कर सके। एसीबी की दयनीय स्थिति को देखते हुए ही अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग होने लगी है। बताया जाता है कि जिस केन्द्रीय मंत्री ने घोटाले को उजागर करने में भूमिका निभाई नहीं मंत्री अब सीबीआई जांच की मांग भी इधर-उधर से करवा रहा है। यदि सीबीआई की जांच होती है तो यह राजनीतिक दृष्टि से सीएम के लिए नुकसानदेय होगा। राजे पहले ही ललित गेट मामले में उलझी हुई है। इसी वजह से पहले संसद ठप रही और अब राजस्थान विधानसभा नहीं चलने दी जा रही हैं।सिंघवी का खान घोटाला क्या सीएम तक जाएगा

दो सौ करोड़ रुपए का जो खान घोटाला एसीबी ने उजागर किया है, क्या वह राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे तक जाएगा। यह सवाल इसलिए उठा है कि इस मामले में राज्य सरकार के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी भी गिरफ्तार है। इस मामले में एक केन्द्रीय मंत्री की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चर्चा है कि इस केन्द्रीय मंत्री की वजह से ही खान घोटाला उजागर हुआ है। भाजपा हाई कमान तक यह बात पहुंचाई गई कि राजस्थान में खान विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार हो रहा है। यह बात भी जानकारी में लाई गई कि खान विभाग सीधे सीएम राजे के अधीन है, क्योंकि खान राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा तो नाम मात्र के मंत्री है। इस बात की पुष्टि रिणवा के ताजा बयान से भी होती है।

घोटाले के उजागर होने के बाद रिणवा ने साफ कहा कि खान आवंटन से संबंधित कोई भी फाइल उनके पास नहीं आती है। अब सवाल उठता है कि आखिर अशोक सिंघवी किसके कहने पर खुला भ्रष्टाचार कर रहे थे? सिंघवी अभी सीएम राजे के अधीन आने वाली एसीबी के कब्जे में है। अभी सिंघवी वो ही बोलेंगे जो एसीबी कहेगी। एसीबी सीएम के कितने दबाव में है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब 16 सितम्बर को यह घोटाला उजागर हुआ तो एसीबी के डीजी नवदीपसिंह और आईजी दिनेश एनम सीएम से मिलने के लिए विधानसभा भवन गए।

यहां यह सवाल महत्वपूर्ण है कि एसीबी के ये दोनों अधिकारी सीएम से मिलने क्यों गए? क्या एसीबी के पास इतने अधिकार नहीं है कि वे अपने स्तर पर किसी आईएएस को गिरफ्तार कर सके। एसीबी की दयनीय स्थिति को देखते हुए ही अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग होने लगी है। बताया जाता है कि जिस केन्द्रीय मंत्री ने घोटाले को उजागर करने में भूमिका निभाई नहीं मंत्री अब सीबीआई जांच की मांग भी इधर-उधर से करवा रहा है। यदि सीबीआई की जांच होती है तो यह राजनीतिक दृष्टि से सीएम के लिए नुकसानदेय होगा। राजे पहले ही ललित गेट मामले में उलझी हुई है। इसी वजह से पहले संसद ठप रही और अब राजस्थान विधानसभा नहीं चलने दी जा रही हैं।

40 इंजीनियर निलंबित, 275 ब्लैक लिस्टेड

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी प्रदेश की सड़के

इस साल 40 इंजीनियर निलंबित, 275 ब्लैक लिस्टेड

भोपाल। प्रदेश में सड़क निर्माण में किस तरह से भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है सरकार की कार्रवाई से समझा जा सकता है। लोक निर्माण विभाग द्वारा इस वर्ष छह माह में ने केवल 60 इंजीनियरों को निलंबित किया गया बल्कि पौने तीन सौ ठेकेदारों के नाम काली सूची में भी डाले गए हैं। सरकार की इस कार्रवाई से नाराज बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अर डीसी में काम नहीं करने कीधमकी दी है।

दरअसल प्रदेश में इस साल बीते पांच-छह साल पहले बनी सड़कों की खोद-खोदकर जांच की जा रही है, उससे तो दाल में कुछ काला भी लगता है। कारण चाहे जो हो, सड़कें बेहद खराब हो रही हैं, इस बदहाली को जनता भुगत रही है और सरकार बदनाम हो रही है।
उधर लोक निर्माण और आरडीसी के अधिकारियों के द्वारा मनमाने तरीके से की जा रही कार्रवाई से नाराज बिल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सभी ठेकेदारों को पत्र लिखकर आरडीसी रोड डेवलपेंट कारपोरेशन में काम न करने को कहा है साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र ही लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है। मध्य प्रदेश सरकार भले ही रोज यह दावा करे कि प्रदेश में सड़कों का जाल बिछा दिया और सड़कों की हालत बहुत अच्छी है,

सड़क निर्माण बंद
मध्यप्रदेश में सड़कों के निर्माण का कार्य लगभग बंद हो गया है। लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण के लिए बनाई गई गाइड लाइन और अधिकारियों के रवैए से ठेकेदारों न काम बंद कर दिया है। ठेकेदारों ने सड़क निर्माण हेतु बनाए गए नियमों और अधिकारियों के रवैए की जानकारी लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह और प्रमुख सचिव लोक निर्माण प्रमोद अग्रवाल को भी दी थी। फिर भी कुछ नहीं हुआ। अधिकारियों की मनमानी कार्रवाई का असर सड़कों के निर्माण पर पड़ रहा है। यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। स्थिति यह है कि ठेकेदारा अधूरे कार्य छोड़ रहे हैं। प्रदेश में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि ठेकेदार यहां काम नहीं करना चाह रहे हैं

बिच्छू रोज़ाना

रक्‍तदान क्यों.....?

रक्‍तदान

खून चढाने की जरूरत:-

जीवन बचाने के लिए खून चढाने की जरूरत पडती है। दुर्घटना,  रक्‍तस्‍त्राव,  प्रसवकाल और ऑपरेशन आदि अवसरों में शामिल है,  जिनके कारण अत्‍यधिक खून बह सकता है और इस अवसर पर उन लोगों को खून की आवश्‍यकता पडती है। थेलेसिमिया,  ल्‍यूकिमिया,  हीमोफिलिया जैसे अनेंक रोगों से पीडित व्‍यक्तियों के शरीर को भी बार-बार रक्‍त की आवश्‍यकता रहती है अन्‍यथा उनका जीवन खतरे में रहता है। जिसके कारण उनको खून चढाना अनिवार्य हो जाता है।

रक्‍तदान की आवश्‍यकता:-

इस जीवनदायी रक्‍त को एकत्रित करने का एकमात्र् उपाय है रक्‍तदान। स्‍वस्‍थ लोगों द्वारा किये गये रक्‍तदान का उपयोग जरूरतमंद लोगों को खून चढानें के लिये किया जाता है। अनेक कारणों से जैसे उन्‍नत सर्जरी के बढतें मामलों तथा फैलती जा रही जनसंख्‍या में बढती जा रही बीमारियों आदि से खून चढाने की जरूरत में कई गुना वृद्वि हुई है। लेकिन रक्‍तदाताओं की कमी वैसी ही बनी हुई है। लोगों की यह धारणा है कि रक्‍तदान से कमजोरी व नपूसंकता आती है, पूरी तरह बेबूनियाद है।  आजकल चिकित्‍सा क्षेत्र में कॅम्‍पोनेन्‍ट थैरेपी विकसित हो रही है,  इसके अन्‍तर्गत रक्‍त की इकाई से रक्‍त के विभिन्‍न घटकों को पृथक कर जिस रोगी को जिस रक्‍त की आवश्‍यकता है दिया जा सकता है इस प्रकार रक्‍त की एक इकाई कई मरीजों के उयोग में आ सकती है।

रक्‍त कौन दे सकता है?

ऐसा प्रत्‍येक पुरूष अथवा महिला:-

जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो।

जिसका वजन (100 पौंड) 48 किलों से अधिक हो।

जो क्षय रोग, रतिरोग, पीलिया, मलेरिया, मधुमेंह, एड्स आदि बीमारियों से पीडित नहीं हो।

जिसने पिछले तीन माह से रक्‍तदान नहीं किया हो।

रक्‍तदाता ने शराब अथवा कोई नशीलीदवा न ली हो।

गर्भावस्‍था तथा पूर्णावधि के प्रसव के पश्‍चात शिशु को दूध पिलाने की 6 माह की अवधि में किसी स्‍त्री से रक्‍तदान स्‍वीकार नहीं किया जाता है।

कितना रक्‍त लिया जाता है?

प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्‍त का क्षय होता रहता है ओर प्रतिदिन नया रक्‍त बनता है रहता है।

एकबार में 350 मिलीलीटर यानि डेढ पाव रक्‍त ही लिया जाता है (कुल रक्‍त का 20 वॉं भाग)

शरीर 24 घंटों में दिये गये रक्‍त के तरल भाग की पूर्ति कर लेता है।

ब्‍लड बैंक रेफ्रिजरेटर में रक्‍त 4 - 5 सप्‍ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

क्‍या रक्‍तदान से दाता का कोई लाभ होता है?

हॉं। रक्‍तदान द्वारा किसी को नवजीवन देकर जो आत्मिक आनन्‍द मिलता है उसका न तो कोई मूल्‍य ऑंका जा सकता है न ही उसे शब्‍दों में व्‍यक्‍त किया जा सकता है। चिकित्‍सकों का यह मानना है कि रक्‍तदान खून में कोलेस्‍ट्रॉल की अधिकता रक्‍त प्रवाह में बाधा डालती है। रक्‍त दान शरीर द्वारा रक्‍त बनाने की क्रिया को भी तीव्र कर देता है। रक्‍त के कणों का जीवन सिर्फ 90 से 120 दिन तक का होता है। प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्‍त का क्षय होता रहता है और नया रक्‍त बनता जाता है इका हमें कोई अनुभव नहीं होता। बहुत से स्‍त्री-पुरूषों ने नियमित रूप से रक्‍त दान करने का क्रम बना रखा है। अतः आप भी नियमित रूप से स्‍वैच्छिक रक्‍तदान करें,  जिससे रक्‍त की हमेशा उपलब्‍धता बनी रहे कोई सुहागिन विधवा न बने,  वृद्व मॉ-बाप बेसहारा न हो, खिलता यौवन असमय ही काल कलवित न हो आज किसी को आपके रक्‍त की आवश्‍यकता है,  हो सकता है कल आपको किसी के रक्‍त की आवश्‍यकता हो अतः निडर होकर स्‍वैच्छिक रक्‍त दान करें।

विनय जी. डेविड
जनहित में जारी

Saturday, September 19, 2015

बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ गौर का पुतला दहन आज

भोपाल। कांग्रेस कार्यकर्ता राजधानी की बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ गृहमंत्री बाबूलाल गौर का पुतला दहन आज सुबह 11.30 बजे सिंधी कॉलोनी चौराहे के पास करेंगे।
जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष फैजान खान ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि राजधानी में आए दिन घटित हो रही क्राइम की घटनाओं से आम जनता का पुलिस पर भरोसा उठता जा रहा है। चोरी, डकेती, बलात्कार, चाकू बाजी, अड़ीबाजी की घटनाएं अब तो दिन दहाड़े होने लगी हैं। गुडे-बदमाशों को पुलिस का जरा सा भी भय नहीं रहा। उन्होंने कहा कि दोपहर 11.30 बजे सिंधी कॉलोनी चौराहे पर कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालत के खिलाफ गृहमंत्री बाबूलाल गौर का पुतला दहन किया जाएगा। बाद में कांग्रेस कार्यकर्ता गृहमंत्री के निवास पर जाकर कानून व्यवस्था शीघ्र सुधारने के लिए ज्ञआपन देंगे। 

बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ गौर का पुतला दहन आज

भोपाल। कांग्रेस कार्यकर्ता राजधानी की बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ गृहमंत्री बाबूलाल गौर का पुतला दहन आज सुबह 11.30 बजे सिंधी कॉलोनी चौराहे के पास करेंगे।
जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष फैजान खान ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि राजधानी में आए दिन घटित हो रही क्राइम की घटनाओं से आम जनता का पुलिस पर भरोसा उठता जा रहा है। चोरी, डकेती, बलात्कार, चाकू बाजी, अड़ीबाजी की घटनाएं अब तो दिन दहाड़े होने लगी हैं। गुडे-बदमाशों को पुलिस का जरा सा भी भय नहीं रहा। उन्होंने कहा कि दोपहर 11.30 बजे सिंधी कॉलोनी चौराहे पर कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालत के खिलाफ गृहमंत्री बाबूलाल गौर का पुतला दहन किया जाएगा। बाद में कांग्रेस कार्यकर्ता गृहमंत्री के निवास पर जाकर कानून व्यवस्था शीघ्र सुधारने के लिए ज्ञआपन देंगे। 

अदर वर्ल्ड किंगडम: यहां महिलाएं समझती हैं पुरुषों को जानवर, कराती हैं गुलामी

महारानी की गाड़ी को खीचता पुरुष गुलाम। (देश के बारे में बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री से यह दृश्य लिया गया है।)

महारानी की गाड़ी को खीचता पुरुष गुलाम। (देश के बारे में बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री से यह दृश्य लिया गया है।)
इंटरनेशनल डेस्क। 21वीं सदी में कोई भी किसी की गुलामी नहीं करना चाहता। भारत जैसे देश में आमतौर पर महिलाओं को गुलामी सहनी पड़ती है। लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां पुरुष महिलाओं की गुलामी करते हैं। हैरत की बात तो यह है कि यहां महिलाएं पुरुषों को गुलामी के लिए ही रखती हैं।
'वुमन ओवर मेन' मोटो वाले इस देश का शासन भी महिला के हाथ में है। यह देश 'अदर वर्ल्ड किंगडम' है, जो 1996 में यूरोपियन देश चेक रिपब्लिक से बना था। इस देश की रानी पैट्रिसिया-1 है, जिसका यहां एकछत्र राज चलता है। हालांकि, इसे अन्य राष्ट्रों ने देश का दर्जा नहीं दिया है। इस देश की राजधानी ब्लैक सिटी है।
चेक रिपब्लिक में स्थित इस देश का अपना झंडा, करेंसी, पासपोर्ट और पुलिस फोर्स है। यहां की मूल नागरिक सिर्फ महिलाएं हैं। यहां पुरुषों को जानवर ही समझा जाता है। पुरुष गुलामों से ऊपर कुछ भी नहीं माने जाते हैं। इस देश के निर्माण में दो मिलियन डॉलर (12 करोड़ रुपए) की लागत आई थी।

महारानी के लिए कुर्सी
इस अनोखे देश में दूसरे देश से आने वाले पुरुषों को रानी के लिए सोफा या कुर्सी बनानी पड़ती है, जिस पर वह बैठती हैं। यहां गुलाम को अगर शराब पीने को मिलती है तो वह मा‍लकिन के पैरों पर डाली जाती है और इसके बाद ही गुलाम इसे पी पाता है।
महारानी पैट्रिसिया-1 को ही देश के कानून में परिवर्तन करने का अधिकार है। उन्होंने इस देश की नागरिकता चाहने वाली महिलाओं के लिए कुछ नियम बनाए हैं।
- कोई भी अपनी सहमति से संबंध बनाने की उम्र तक पहुंच गई हो।
- उसके पास कम से कम एक पुरुष नौकर होना चाहिए।
- अदर वर्ल्ड किंगडम के सभी नियमों का पालन करने वाली होनी चाहिए।
- महिला को कम से कम पांच दिन महारानी के महल में बिताने होंगे।

क्या सुविधाएं हैं...
तीन हेक्टयर यानी 7.4 एकड़ की भूमि पर बने देश में कई इमारते हैं। 250 मीटर का ओवल ट्रैक, छोटी झील और घास के मैदान हैं। यहां मुख्य इमारत महारानी का महल है। यहीं से पूरे देश का शासन चलता है। यहां दावत हॉल, लाइब्रेरी, दरबार, यातना गृह, स्कूल रूम, जिम और कैदियों को रखने वाले जेल तहखाने हैं। इसके अलावा यहां स्विमिंग पूल, रेस्टोरेंट और वांडा नाइटक्लब भी हैं।

गले लगकर सोने का नया बिजनेस, एक घंटे में कमा लेती हैं 3 हजार रुपए

अपने कस्टमर के साथ जैकी सैमुअल।

अपने कस्टमर के साथ जैकी सैमुअल।
रॉचेस्टर। नींद का मजा लेते ये दोनों किसी आम कपल के जैसे ही नजर आ रहे हैं, लेकिन घंटे भर बाद ये तस्वीर बदल भी सकती है। हो सकता है कि एक घंटे बाद जैकी सैमुअल किसी दूसरे पुरुष के साथ ये बेड शेयर कर रही हों। दरअसल, न्यूयॉर्क के रॉचेस्टर की रहने वाली 32 वर्षीय जैकी सैमुअल एक प्रोफेशनल कडलर (गले लगाने वाली) हैं। वो इस तरह अनजान मर्दों की स्नगलिंग (लिपटकर सोना) के जरिए मदद कर अपनी पढ़ाई और बेटे का खर्च उठा रही हैं। वो रोजाना यूं सोने के बदले में 360 डॉलर (करीब 14 हजार रु.) और एक घंटे के 60 डॉलर (करीब साढ़े 3 हजार रु.) लेती हैं।
पढ़ाई का निकाल रहीं खर्च
पैसों की कमी के चलते जैकी ने स्नगलिंग (लिपटकर सोना) के इस प्रोफेशन को अपनाया। उनका कहना है कि इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। मुझे अपनी पढ़ाई और अपने बच्चे के लिए यह काम करना पसंद है। जैकी एक हफ्ते में सैनिकों से लेकर पेंशनर तक तकरीबन 30 पुरुषों के साथ इस तरह वक्त बिताती हैं। कई बार आने वालों में महिलाएं भी होती हैं।
प्रोफेशन को बुरा मानते हैं लोग
जैकी के अनुसार, इस दौरान किसी भी तरह की अश्लील हरकत पर पाबंदी है। साथ ही, अंडरगारमेंट्स से ढके शरीर के किसी भी हिस्से को छूने पर पाबंदी है, लेकिन फिर भी लोग इस पेशे को बुरा मानते हैं। हालांकि, मेरे बिजनेस से ज्यादातर लोग बेखबर हैं, लेकिन इस प्रोफेशन के चलते कॉलेज से उसे निकाले जाने की धमकी भी मिली थी। वहीं, उसके क्लासमेट्स उसे वेश्या तक बुलाते हैं।
ऑनलाइन करती हैं प्रचार
जैकी बताती हैं कि उसके कुछ पुराने कस्टमर ऐसे हैं, जिनकी पत्नियों की मौत हो चुकी है। कुछ ऐसे भी हैं, जो पहली बार लड़की के साथ सोना का अनुभव लेना चाहते हैं। कुछ अपनी घरेलू परेशानियों से घिरे हैं। जैकी अपनी सर्विस का ऑनलाइन प्रचार भी करती हैं। उनका कहना है कि प्रोस्टीट्यूशन का 

स्मार्ट गांव योजना (श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन)

 Sep 19, 2015

स्मार्ट सिटी के बाद केंद्र सरकार ने अब स्मार्ट गांव बनाने की योजना के तहत श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन को मंजूरी दी है। इस मिशन के तहत अगले तीन सालों के भीतर देश के गांवों के 300 क्लस्टरों को विकसित किया जाएगा, जिस पर कुल 52 हजार करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी। इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 5142.08 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

इस मिशन का उद्देश्य गाँवों को स्मार्ट गांव में बदलना, स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, महानगरों की ओर पलायन रोकना और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना है।

इस मिशन का लक्ष्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विकास क्षमताओं का उपयोग करना है। इससे पूरे क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।

इस योजना के तहत राज्य सरकारें ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वयन के लिए तैयार रूपरेखा के अनुरूप क्लस्टरों की पहचान करेगी।

ग्रामीणों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिलेंगी

इस मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए कौशल विकास के विशेष व्यवस्था होगी।

पहले चरण में गांवों के 100 क्लस्टर (समूह) लिए जाएंगे।

प्रत्येक क्लस्टर में 25 से 50 गांवों को शामिल किया जा सकता है।

निर्धारित मानक के हिसाब से मैदानी क्षेत्रों के क्लस्टर में 50 हजार की आबादी और पहाड़ी और समुद्र तटीय क्षेत्रों में 15 हजार की आबादी को शामिल किया जाएगा।

पहले चरण में सभी राज्यों में कम से कम एक क्लस्टर होगा।

बड़े राज्यों में आबादी के अनुसार क्लस्टर बनाए जाएंगे।

इन क्लस्टरों से आर्थिक गतिविधियों, कौशल विकास, स्थानीय उद्यमिता के साथ ही कई सुविधाएं मिलेंगी ताकि स्मार्ट गांवों का एक क्लस्टर बन सके।

देशभर में ग्रामीण-शहरी अंतर मिटाने को 2019-20 तक 300 ग्रामीण क्लस्टर बनाए जाएंगे।

एक क्लस्टर की आबादी 25-50 हजार लोगों तक की होगी।

इस मिशन में पंचायत स्तर की योजनाओं का धन का उपयोग किया जाएगा।

राज्य सरकार निर्धारित मानक के आधार पर क्लस्टर में शामिल होने वाले गांवों की सूची तैयार करेगी।

पुरानी योजना ‘पुरा' (PURA-Provision of Urban Amenities to Rural Areas) में 13 समूहों में काम शुरू किया गया था, जिनमें से केवल चार में कुछ काम हुआ, शेष में काम शुरू नहीं हो सका। पुरानी योजना में केवल स्वयंसेवी संस्थाओं और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी थी, लेकिन एक जांच रिपोर्ट के बाद इसमें केंद्र व राज्य सरकारों की हिस्सेदारी को आवश्यक किया गया है।

पांच माह की गर्भवती थी पिटाई के कारण गर्भ में हुई बच्चे की मौत घटना

ससुरालियों ने दहेज़ के लिये की जान से मारने की कोशिश।
Toc News
बिजनौर।मोहल्ला लाल सराय निवासी नसीम अहमद की पुत्री अफसाना परवीन को उसके पति मुकीम ने अपने परिवार के साथ मिलकर की जान से मारने की कोशिश।
अफसाना पांच माह की गर्भवती थी पिटाई के कारण गर्भ में हुई बच्चे की मौत घटना आज दोपहर बारह से एक के बीच की है।



नीमच ब्लास्ट: पति का सिर 45 फीट दूर तो पत्नी का सिर छत पर टंगा

Toc News @ indore
इंदौर। पिछला शनिवार पेटलावद के लिए हादसे और मौत का पैगाम लेकर आया था, जिसमें एक मकान में हुए ब्लास्ट ने 94 लोगों की जान ले ली थी। वहीं यह शनिवार नीमच के सिंगोली में दो लोगों के लिए मौत का संदेश ले आया। नीमच जिले से करीब 80 किलोमीटर दूर पीपरवा गांव में एक मकान में शुक्रवार देर रात ब्लास्ट होने से एक दंपती की मौत हो गई। ब्लास्ट इतना जबरदस्त था कि दंपती के चीथडे़ उड़ गए। पति का सिर करीब 45 फीट दूर पड़ा मिला। जबकि पत्नी का सिर छत पर पड़ा हुआ था। पुलिस के मुताबिक हादसा घरेलू स्टोव से हुआ, जबकि कलेक्टर नंदकुमारन का कहना है कि ब्लास्ट की तीव्रता को देखते हुए मकान में विस्फोटक सामग्री रखे होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। जांच के लिए बीडीएस और एफएसएल की टीम रवाना हो गई है।

छत फाड़कर हवा में उड़े चीथड़े
मृतक उदयलाल अपनी पत्नी नर्मदा बाई के साथ पीपरवा गांव के इस मकान में रहता था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उदय ससुराल में ही रह रहा था। रात करीब 1 बजे हम गहरी नींद में थे कि अचानक जोरदार धमाके की आवाज आई। बाहर आकर देखा तो ब्लास्ट उदय के मकान में हुआ था। ब्लास्ट के बाद उदय का सिर घर से करीब 45 फीट दूर बाहर पड़ा मिला। वहीं कुछ अंग हवा में उछलते हुए आसपास बिखर गए।


सबसे बड़ा सवाल - घरेलू  स्टोव फटने से कैसे उड़ सकती है छत

घटना के बाद सिंगोली टीआई ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह बात सामने आई है कि स्टोव फटने से यह हादसा हुआ है। लेकिन वे इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि स्टोव फटने से इतना बड़ा ब्लास्ट कैसे हो सकता है? उधर, नीमच कलेक्टर नंदकुमारन ने स्वीकार किया कि घरेलू स्टोव से इतना बड़ा ब्लास्ट होना संदिग्ध लग रहा है। उन्होंने आशंका जताई है कि ब्लास्ट डिटोनेटर के कारण भी हो सकता है। साथ ही कहा कि प्रशासन को यह सूचना मिली है कि मृतक ने दूसरा विवाह किया था। हम अपने स्तर पर इस पहलू की भी जांच करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एफएसएल टीम इस बात की जांच करेगी कि मृतकों के शरीर पर कहीं कोई केमिकल तो नहीं था। शाम तक इसका खुलासा हो जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले शनिवार को भी पेटलावद में एक मकान में विस्फोट हुआ था। इस भीषण हादसे में 94 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में सभी कलेक्टर और एसपी को यह चेतावनी दी थी कि यदि उनके जिले में इस प्रकार की कोई अनहोनी हुई तो पूरी जवाबदारी संबंधितों की रहेगी।

सरकार ने 13 हजार करोड़ का आधार कार्ड का ठेका बिना निविदा दिया

Toc News
मुंबई, 19 सितम्बर। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली एक जानकारी के मुताबिक, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 13 हजार करोड़ रुपये की यूआईडीएआई की आधार कार्ड परियोजना का ठेका बिना निविदा जारी किए दे दिया था। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी।

आरटीआई कार्यकता अनिल गलगली ने आरटीआई के तहत यूआईडीएआई अधिकारियों, जन सूचना अधिकारी एस.एस.बिष्ट तथा उप निदेशक सह पीआईओ आर.हरीश से जानकारी मांगी थी, जिन्होंने परियोजना में व्यय की गई राशि से संबंधित सवालों का जवाब दिया। परियोजना के प्रमुख नंदन नीलेकनी थे।

जवाब में यूआईडीएआई अधिकारियों ने खुलासा किया कि परियोजना का ठेका कुल 13,663.22 करोड़ रुपये का था, जिसे बिना कोई निविदा निकाले ही ठेकेदारों को दे दिया गया। मई 2015 तक 90.3 करोड़ आधार कार्ड जारी करने में पहले ही 6,563 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

सूचना के मुताबिक, इस व्यापक परियोजना के लिए कुल 25 कंपनियों को विभिन्न जिम्मेदारियां दी गई और उनका मनोनयन रिक्वेस्ट फॉर इंपैनेलमेंट 19 मई, 2014 के दिशा-निर्देशों के आधार पर किया गया। गलगली ने आईएएनएस से कहा, “यह चौंकाने वाला है, क्योंकि सिविल सोसायटी समूहों व सर्वोच्च न्यायालय सहित लोगों के विभिन्न वर्गो ने निजता का अधिकार के बारे में गंभीर चिंता जताई है, क्योंकि 125 करोड़ जनता के व्यक्तिगत आंकड़े निजी कंपनियों के हाथ जा रहे हैं।” उन्होंने आधार कार्ड के ठेके प्रदान करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूआईडीएआई मामले में एक जांच का आदेश देने की अपील की।

साइबर कानून विशेषज्ञ सह शोधकर्ता हर्षित शाह ने कहा, “प्रत्येक भारतीय के फिंगर प्रिंट व आयरिस के संवेदनशील आंकड़े निजी कंपनियों के हाथ असुरक्षित हो सकते हैं।” सूचना के मुताबिक, कुछ कंपनियों को एक से अधिक परियोजना का ठेका दिया गया जिनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, मैक एसोसिएट्स, विप्रो, एचसीएल, एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, नेशनल इंफॉमेर्टिक्स सेंटर, साजेम मॉफरे सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड, एल1 आइडेंटिटी सॉल्यूशन, टॉटेम इंटरनेशनल लिमिटेड, लिंकवेल टेलीसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, सांई इंफोसिस्टम्स इंडिया लिमिटेड, जियोडेसिक लिमिटेड, आईडी सॉल्यूशंस, एनइआईएसजी, एसक्यूटीसी, टेलीसिमा कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

इसके अलावा एक ठेका लेने वालों में रिलायंस कम्युनिकेशन, टाटा कम्युनिकेशंस, एयरसेल, भारती एयरटेल, बीएसएनएल तथा रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
Source NRP

पूर्व पुलिस महानिदेशक नन्दन दुबे के खिलाफ जांच प्रकरण दर्ज

ब्रेकिंग न्यू
INS News
भोपाल. मप्र लोकायुक्त ने प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री नन्दन दुबे के खिलाफ जांच प्रकरण क्रमांक 103/2015 दर्ज कर जांच शुरू की।


काटजू में शिशु की मौत के बाद 9 कर्मचारियों के निलंबन पर हंगामा और हड़ताल

Toc News @ bhopal
भोपाल।राजधानी के काटजू अस्पताल में इलाज के दौरान हुई शिशु की मौत मामले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में स्वास्थ विभाग ने एक डॉक्टर समेत 8 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। कर्मचारियों के निलंबन से नाराज साथी कर्मचारियों ने शनिवार को अस्पताल में जमकर हंगामा किया। कर्मचारी निलंबन प्रक्रिया को गलत बताते हुए हड़ताल पर चले गए हैं।
गौरतलब है कि 13 अगस्त को इलाज के लिए काटजू अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इससे नाराज परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया था। परिजनों के हंगामे के बाद हरकत में आए स्वास्थ विभाग ने मामले की जांच के बाद शनिवार को अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योति खरे, 6 नर्स और 2 आया को निलंबित कर दिया है। इससे नाराज अन्य कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी।

काटजू अस्पताल की घटना यह थी :
गत 13 अगस्त को दोपहर साढ़े बारह बजे से दोपहर एक बजे के बीच मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भोपाल में पदस्थ कर्मचारी रवि पुरोहित ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती ममता पुरोहित को प्रसव हेतु काटजू अस्पताल में भर्ती कराया था जहां रात्रिकालीन ड्यूटी पर पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. ज्योति खरे  एवं वहां पदस्थ तृतीय श्रेणी कर्मचारियों द्वारा प्रसूता के उपचार उचित तरीके से नहीं किया गया तथा अपने पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती गई।

परिणामस्वरुप 14 अगस्त को प्रात: श्रीमती ममता पुरोहित का आपरेशन किये जाने से पूर्व ही बच्चे की गर्भ में ही मृत्यु हो गई। श्रीमती ममता पुरोहित अपना चेकअप 28 जनवरी,2015 से स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. ज्योति खरे के प्रायवेट क्लीनिक एचएक्स-3, विंडसर एस्टेट,फेज़-2, चूना भट्टी, कोलार रोड, भोपाल पर नियमित रुप से करवा रही थी। जांच में यह बात प्रमाणित पाई गई जिस पर डा. ज्योति खरे को निलम्बित कर दिया गया और निलम्बन काल में उनका मुख्यालय कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक भोपाल कर दिया गया।