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Wednesday, June 30, 2010

हमलावर लूटरों को गिरफ्तार करो: त्रिपाठी (आइसना)

आइसना प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक हमला
भोपाल//संवाददाता (टाइम्स ऑफ क्राइम)
ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यसक्ष श्री शिवशंकर त्रिपाठी ने प्रान्तीय अध्यक्ष म.प्र. अवधेश भार्गव पर हुए हमले की घोर निंदा करते हुये चेतावनी दी की पुलिस शीघ्र तीन दिवस में आरोपियों पर 307 का प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार करें। वर्ना भोपाल जिले से लेकर प्रदेश के हर जिले एवं राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन किया जावेगा। बागसेेवनिया पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए थाना प्रभारी गोपाल ठाकुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर किसी अन्य अधिकारी से जांच करने की हिदायत दी है। पत्रकार पर होने वाला हमला चौथे स्तम्भ को सीधी चेतावनी है उस पर क्षेत्रिय पुलिस की लापरवाही अपराधियों को संरक्षण दे रही है। उन नेताओं की भी जांच करने की चेतावनी दी की जो इन अपराधियों को बचाने का प्रयास कर रहें हैं। अगर तीन दिवस के अन्दर पुलिस प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाये तो मुख्यमंत्री का घेराव किया जावेगा। वहीं थाने की उदासीनता के खिलाफ प्रदेश भर में पत्रकार आन्दोलनरत हो जायेगें। साथ ही आइसना के प्रान्तीय महासचिव विनय जी. डेविड ने अवधेश भार्गव पर हुए हमले की निन्दा करते हुये प्रदेश के पत्रकारों को आन्दोलन के लिए तैयार रहने की अपील की है, अगर पुलिस द्वारा गुण्डा तत्वों को बचाया गया तो घेराव कर तीखा प्रदर्शन करेंगे वहीं प्रदेश के गृह मंत्री श्री उमा शंकर गुप्ता एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह से अनुरोध किया है कि पत्रकार पर हुए हमले को गम्भीरता से लेते हुये सही जांच हेतु निर्देश जारी करें जिससे प्रदेश के पत्रकारों में होने वाला क्रोध न भड़के और स्थिति सामान्य रहे। वहीं पत्रकार संघ मध्यप्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष श्री रामविलास शर्मा ने हमले की घोर भत्र्सना करते हेतु उच्चाधिकारियों को सलाह दी की अब बहुत हो गया पत्रकारों पर हमला हो रहे हैं, लूट की जा रही है, अपहरण को अन्जाम दिया जा रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ दिये बैठी है ये अन्याय अब नहीं चलेगें शीघ्र आन्दोलन किया जावेगा ताकी प्रशासन कुंभकरण नीदं से बाहर आये।

Thursday, June 10, 2010

बेटे की करतूत भुगते बाप

नईदुनिया के सम्पादक के विरूद्ध मानहानी का मामला

संवाददाता//अरविन्द बिलावर (बालाघाट//टाइम्स ऑफ क्राइम)

रिपोर्टर से सम्पर्क 95754 13595

दिनांक 07.05.2010 को सांय के समय करीब 7 बजे रूबवन्ती बाई पिता श्री झाडुलाल घोरमारे ग्राम कोचेवाली तहसील लॉजी जिला बालाघाट अपने घर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित हेण्डपंप पर पानी भरने एवं कपड़े धोने गई। कपड़े धोने के बाद वह घर पर लौट रही थी इतने में हवस और वासना से लिप्त आरोपी निरेन्द्र पिता का नाम जिगरा माना शाम का समय होने एवं अंधेरे का फायदा उठा कर बलात्कार करने की कोशिश की। पुलिस ने छेड़छाड़ की कोशिश का मामला दर्ज किया है ए.एस.आई. दौने जो की पुलिस थाना लॉजी में पदस्थ है उन्होंने ये जानकारी दी है एवं आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बालाघाट न्यायालय में केस दर्ज कर कार्यवाही शुरू कि गयी है। छेड़छाड़ मामला होने से पुलिस ने इस पर सविधान के नियमानुसार धाराएं 354 लगाकर तत्काल गिरफ्तार किया है। ए.एस.आई. दौने जी ने हमें यहां सारी जानकारी दी है। आरोपी के पिता श्री झाडुलाल घोरमारे ने यह मामला दिनांक 08.05.2010 को शाखा लॉजी यह शिकायत दर्ज कराई थी यह आरोप निरेन्द्र के ऊपर श्री झाडुलाल ने लगाया है और मामला थाना लॉजी जिला बालाघाट में दर्ज कराई है। इस मामले की तह जाने बगैर एक स्थानिय समाचार पत्र नईदुनिया ने इस खबर में पुत्र की जगह पिता को बलात्कारी बना कर खबर को दिनांक 15 जून 2010 को प्रकाशित कर दिया जिसको निरेन्द्र उर्फ जीगरा माना ने निराधार बताते हुये नईदुनिया के सम्पादक के विरूद्ध मानहानी का मामला दर्ज करवाया है। उक्त मामला आदिवासी एक्ट के तहत आदिवासी समाज कल्याण और बालाघाट न्यायालय में दर्ज किया गया है।

खिलखिलाते चुटकुले---4

1 वकील ने कहा- तलाक के मुकदमे के लिए मेरी फीस 20,000 रुपये है। बहुत ज्यादा है, मैंने कोर्ट मैरिज की थी, कुछ सौ रुपये लगे थे। वकील बोला-आजादी की कीमत तो ज्यादा ही होती है।
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2 प्रेमिका ने पूछा- डार्लिंग तुम मेरे लिए क्या- क्या कर सकते हो? तुम जो कहोगी , वह कर सकता हूं। क्या तुम उस पहाड़ की दूसरी ओर जा सकते हो ? क्यों, यहां किसी और को मिलने का टाइम दे रखा है क्या?
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3 संता (एक लड़के से)- बेटे, तुम्हारे पापा कहां हैं? लड़का: कारखाने गए हैं। संता: घर में खाना नहीं मिलता क्या ?
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4 सोनू- मैं बचपन में बहुत ताकतवर था...!बिट्टू- कैसे ? सोन- मां कहती है कि जब मैं रोता था तो सारा घर सिर पे उठा लेता था ..!
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5 सोन- मैं बचपन में बहुत ताकतवर था...! बिट्टू- कैसे ? सोनू- मां कहती है कि जब मैं रोता था तो सारा घर सिर पे उठा लेता था ..!
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6 शिक्षक- तुम स्कूल क्यों आते हो ? छात्र: विद्या के लिए सर! शिक्षक- तो सो क्यों रहे हो ? छात्र- आज विद्या नहीं आई है सर!
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7 संता-बंता जंगल से गुजर रहे थे। सामने से एक शेर आया तो बंता ने उस शेर की आंखों मे रेत फेंकते हुए कहा, अ-ब यहां से भागले संता। संता ने कहा, मैं क्यों भागूं? शेर की आंखों में रेत तो तूने फेंका है।
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8 संता- मेरा बेटा बहुत आज्ञाकारी है, मैं जो कहता हूं वही करता है! बंता- अच्छा जी। आजकल के ज़माने मैं ऐसा आज्ञाकारी बेटा, कमाल है! संता- बिल्कुल! मैंने उसे कह रखा है कि जो जी में आए करो!
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9 जीतो- जब मेरे पति रात को घर आते हैं तो उनकी कमीज पर लाल निशान लगे होते हैं! पूछने पर कहते हैं टमाटर के निशान है! तुम्हीं बताओ मुझे क्या करना चाहिये? प्रीतो- उस टमाटर को ढूंढ कर उसकी चटनी बनानी चाहिये!
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10 पति- गुलाब, कमल, गेंदा ये सब फूल तुम्हारे आगे कुछ भी नहीं। पत्नी: स्वामी आपको ऐसा क्यूं लगता है। पति- क्योंकि गोभी के फूल की बात ही कुछ और है।
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11 चेकअप के बाद डॉक्टर ने मरीज से पूछा- तुम्हें खांसते समय सबसे ज्यादा तकलीफ कब होती है? मरीज- जब पड़ोसी का कुत्ता मेरी खांसी का जवाब देना शुरू कर देता है।
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12 टीचर ने एक बच्चे से कहा कि लाइव क्रिकेट मैच पर एक निबंध लिखो। बच्चे ने लिखा, मैच नहीं हो रहा है क्योंकि बारिश हो रही है।
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13 पिता- रिजल्ट का क्या हुआ ? बेटा- एक अच्छी खबर है और एक बुरी। पिता- अच्छी खबर बताओ। बेटा- मैं पास हो गया। पिता-और बुरी खबर क्या है ? बेटा- यही कि अच्छी खबर गलत है।
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14. संता (बंता से)- शादी के लिए कैसी लड़की चाहिए। बंता: मुझे कम उम्र वाली लड़की चाहिए, संता: क्यों बंता: यार मुसीबत जितनी छोटी हो, उतना अच्छा हैं।
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15. मालिक (नौकर से )- तुम बाथरूम में क्यों घुस आए, क्या तुम्हे पता नहीं कि मैं नहा रहा हूं। नौकर- ग़लती हो गई। मैंने समझा कि मालकिन नहा रही हैं।
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16. एक बार एक शराबी गंगा नदी के सामने से जा रहा था। उसी रास्ते से एक पुजारी आ रहा था। उन दोनों के बीच टक्कर हो गई। पुजारी बोलता है- हर हर गंगे। शराबी बोलता है- फिर क्यों लिए पंगे। पुजारी- रुको हम तुम्हें अभी श्राप देते हैं। शराबी- अबे रुक ग्लास तो लाने दे।
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धर्म के ठेकेदार ने दिया मौत का ठेका

क्राइम रिपोर्टर//विनोद साहू (सागर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
विगत एक साल पहले रानगीर मंदिर के पुजारी पर रास्ते में गोली चलाने की घटना हुई थी। पिछले साल 8 जून की रात रानगीर मंदिर के पुजारी अनिल पंडा अपनी मोटर साइकल से रानगीर वापस जा रहे थे उसी समय अज्ञात युवकों ने मोटर साइकल को ओवरटेक करके गोली मार दी थी जो कि पुजारी के हाथ में लगी थी। पुलिस के काफी खोजबीन के बाद भी पुलिस को किसी प्रकार का सुराग नहीं मिला था और इस मामले में खात्मा लगाने का निर्णय लिया गया लेकिन विशे स्क्वाड ने सीएसपी श्री अमृत मीणा को गोपनीय सूचना दी कि इस घटना क्रम में स्थानीय लोगों का हाथ है। सीएसपी साहब ने इस घटना को नए सिरे से छानबीन की उनकी मेहनत का नतिजा यह निकला की अनिल पंडा पर गोली चलाने का कारण और बदमाशों को धर पकडा। विवेचना के बाद पुलिस ने सुभा नगर सागर निवासी राजेन्द्र पिता दुर्गा प्रसाद को इंदौर से कपड़े वहीं दूसरी और सदर निवासी रविकांत पिता पुरनचंद को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि अनिल की गाड़ी को ओवर टेक करके राजेन्द्र ने उन्हें गोली मारी थी। घटना के बाद श्याम ने राजेन्द्र को 40 हजार रूपये दिये चंूकी मौत का सौदा 80 हजार में हुआ था पर अनिल बच गया था। अनिल पंडा की मौत का ठेका श्याम दुबे ने दिया था और अपराधियों को बताया था कि मेरा भाई विनोद दुबे रानगीर में रहता है और पड़ोस में रहने वाले अनिल पंडा उसकी पत्नी को परेशान करता था इसलिए उसकी हत्या करवानी है। श्याम दुबे ने ही अपराधियों को रिवाल्वर उपलब्ध करवाई थी। ठेका मिलने पर राजेन्द्र अपने साथी के साथ अनिल की हत्या की रूपरेखा बनाई और सूचना मिलने पर की अनिल आज सागर में है तब राजेन्द्र और रविकांत ने सेंध लगाकर उन पर हमला किया। पुलिस एवं सीएसपी अमृत मीणा की भूमिका सराहनीय है। उन्हीं के अथक प्रयास कि बदौलत आरोपी आज सलाखों के पीछे हैं। इस पुरे घटना क्रम में स्पेशन स्क्वाड के प्रधान आरक्षक लक्ष्मण आरक्षक बीर सिंह, विक्रम एवं राजपाल की भूमिका सराहनीय रही। इस गोली कांड की गुत्थी सुलझाने में सीएसपी अमृत मीणा एवं उनका स्टाफ ने सराहनीय कार्य किया है। अन्यथा आज भी अपराधी कानून की पहुंच से बाहर होते और अप्रिय घटनाओं को अंजाम देते। च

सरगुजा जिला चिकित्सालय भगवान भरोसे

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
ग्रामीण तथा गरीब व्यक्ति ही जिला चिकित्सालय में इलाज कराने जाते हैं, जहां पर डॉक्टरों एवं कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। डॉक्टर सिर्फ पर्ची लिखने का ही काम कर रहे हैं तथा मरीजों को अपने घरों में चल रहे प्राइवेट क्लीनिक में संपर्क करने के लिए कहते हैं, क्योंकि अस्पताल में मरीजों से फीस नहीं ले सकते इसलिए घर बुलाकर मरीजों से कई प्रकार की जांच के नाम पर सैकड़ों रूपये वसूले जाते हैं। अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों एवं नर्सें भी कर्मचारी नेतागिरी में व्यस्त रहते हैं। मरीजों के परिजनों से कर्मचारियों द्वारा दुव्र्यवहार किया जाता है। अस्पताल परिसर में पानी की गंभीर समस्या हे, हैण्डपम्प बार-बार बिगड़ते रहते हैं। रात्रि में असामाजिक तत्व अस्पताल में घूमते रहते हैं, अस्पताल बिल्डिंग की छत से हमेशा गंदा पानी नीचे गिरता रहता है। गत प्रवास के समय मुख्यमंत्री द्वारा अस्पताल निरीक्षण के दौरान अस्पताल की अव्यवस्था को देखकर काफी नाराज हुए थे तथा व्यवस्था में सुधार हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे। अस्पताल में दवाइयों का हमेशा अभाव रहता है। अस्पताल के सामने स्थित दवाई दुकानें भी रात्रि में बंद हो जाती हैं, जिससे गंभीर अवस्था में लाए मरीजों के इलाज की दवाइयों के लिए भारी परेशानी हो जाती है। रेडक्रांस सोसायटी की दवा दुकान भी मरीजों की मददगार साबित न होने के कारण असफल रही। दवाइयों को ब्लैक में खरीदने व बेचने का कार्य निरंतर जारी है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ अधिकांश डॉक्टर तथा कर्मचारी स्थानीय हैं। सभी डॉक्टर अपने-अपने घरों में प्राइवेट रूप से क्लीनिक चला रहे हैं, इसलिए अस्पताल में मरीजों का इलाज करने में उन्हें कोई रूचि नहीं है। डॉक्टरों का पैथालॉजी लैब, एक्स-रे क्लीनिक, सोनोग्राफी क्लीनिक वालों से कमीशन तय रहता है तथा हर डॉक्टर मरीजों को अनिवार्य रूप से पैथालॉजी टेस्ट, एक्स-रे तथा सोनोग्राफी कराने के लिए विशेष दुकान से ही कराने का निर्देश मरीजों को देता है। आजकल तो दवाई दुकानदार भी डॉक्टरों को मरीजों को मरीजों की दवाई के लिए भेजने हेतु लैटर पेड, आकर्षक उपहार देते हैं ताकि डॉक्टर उन्हीं के नाम वाले लैटर पेड पर दवाई लिखें ताकि मरीज इन्हीं इन्हीं की दुकान से दवाई खरीदें। जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हेतु जिला प्रशासन से उपेक्षा है कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय चिकित्सकों के स्थानांतरण से समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। बाहर से आए चिकित्सक अस्पताल में ही मरीजों का इलाज करने में रूचि लेगे तथा मरीजों को राहत मिलेगी।

सरगुजा जिला चिकित्सालय भगवान भरोसे

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
ग्रामीण तथा गरीब व्यक्ति ही जिला चिकित्सालय में इलाज कराने जाते हैं, जहां पर डॉक्टरों एवं कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। डॉक्टर सिर्फ पर्ची लिखने का ही काम कर रहे हैं तथा मरीजों को अपने घरों में चल रहे प्राइवेट क्लीनिक में संपर्क करने के लिए कहते हैं, क्योंकि अस्पताल में मरीजों से फीस नहीं ले सकते इसलिए घर बुलाकर मरीजों से कई प्रकार की जांच के नाम पर सैकड़ों रूपये वसूले जाते हैं। अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों एवं नर्सें भी कर्मचारी नेतागिरी में व्यस्त रहते हैं। मरीजों के परिजनों से कर्मचारियों द्वारा दुव्र्यवहार किया जाता है। अस्पताल परिसर में पानी की गंभीर समस्या हे, हैण्डपम्प बार-बार बिगड़ते रहते हैं। रात्रि में असामाजिक तत्व अस्पताल में घूमते रहते हैं, अस्पताल बिल्डिंग की छत से हमेशा गंदा पानी नीचे गिरता रहता है। गत प्रवास के समय मुख्यमंत्री द्वारा अस्पताल निरीक्षण के दौरान अस्पताल की अव्यवस्था को देखकर काफी नाराज हुए थे तथा व्यवस्था में सुधार हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे। अस्पताल में दवाइयों का हमेशा अभाव रहता है। अस्पताल के सामने स्थित दवाई दुकानें भी रात्रि में बंद हो जाती हैं, जिससे गंभीर अवस्था में लाए मरीजों के इलाज की दवाइयों के लिए भारी परेशानी हो जाती है। रेडक्रांस सोसायटी की दवा दुकान भी मरीजों की मददगार साबित न होने के कारण असफल रही। दवाइयों को ब्लैक में खरीदने व बेचने का कार्य निरंतर जारी है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ अधिकांश डॉक्टर तथा कर्मचारी स्थानीय हैं। सभी डॉक्टर अपने-अपने घरों में प्राइवेट रूप से क्लीनिक चला रहे हैं, इसलिए अस्पताल में मरीजों का इलाज करने में उन्हें कोई रूचि नहीं है। डॉक्टरों का पैथालॉजी लैब, एक्स-रे क्लीनिक, सोनोग्राफी क्लीनिक वालों से कमीशन तय रहता है तथा हर डॉक्टर मरीजों को अनिवार्य रूप से पैथालॉजी टेस्ट, एक्स-रे तथा सोनोग्राफी कराने के लिए विशेष दुकान से ही कराने का निर्देश मरीजों को देता है। आजकल तो दवाई दुकानदार भी डॉक्टरों को मरीजों को मरीजों की दवाई के लिए भेजने हेतु लैटर पेड, आकर्षक उपहार देते हैं ताकि डॉक्टर उन्हीं के नाम वाले लैटर पेड पर दवाई लिखें ताकि मरीज इन्हीं इन्हीं की दुकान से दवाई खरीदें। जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हेतु जिला प्रशासन से उपेक्षा है कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय चिकित्सकों के स्थानांतरण से समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। बाहर से आए चिकित्सक अस्पताल में ही मरीजों का इलाज करने में रूचि लेगे तथा मरीजों को राहत मिलेगी।

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ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
ग्रामीण तथा गरीब व्यक्ति ही जिला चिकित्सालय में इलाज कराने जाते हैं, जहां पर डॉक्टरों एवं कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। डॉक्टर सिर्फ पर्ची लिखने का ही काम कर रहे हैं तथा मरीजों को अपने घरों में चल रहे प्राइवेट क्लीनिक में संपर्क करने के लिए कहते हैं, क्योंकि अस्पताल में मरीजों से फीस नहीं ले सकते इसलिए घर बुलाकर मरीजों से कई प्रकार की जांच के नाम पर सैकड़ों रूपये वसूले जाते हैं। अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों एवं नर्सें भी कर्मचारी नेतागिरी में व्यस्त रहते हैं। मरीजों के परिजनों से कर्मचारियों द्वारा दुव्र्यवहार किया जाता है। अस्पताल परिसर में पानी की गंभीर समस्या हे, हैण्डपम्प बार-बार बिगड़ते रहते हैं। रात्रि में असामाजिक तत्व अस्पताल में घूमते रहते हैं, अस्पताल बिल्डिंग की छत से हमेशा गंदा पानी नीचे गिरता रहता है। गत प्रवास के समय मुख्यमंत्री द्वारा अस्पताल निरीक्षण के दौरान अस्पताल की अव्यवस्था को देखकर काफी नाराज हुए थे तथा व्यवस्था में सुधार हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे। अस्पताल में दवाइयों का हमेशा अभाव रहता है। अस्पताल के सामने स्थित दवाई दुकानें भी रात्रि में बंद हो जाती हैं, जिससे गंभीर अवस्था में लाए मरीजों के इलाज की दवाइयों के लिए भारी परेशानी हो जाती है। रेडक्रांस सोसायटी की दवा दुकान भी मरीजों की मददगार साबित न होने के कारण असफल रही। दवाइयों को ब्लैक में खरीदने व बेचने का कार्य निरंतर जारी है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ अधिकांश डॉक्टर तथा कर्मचारी स्थानीय हैं। सभी डॉक्टर अपने-अपने घरों में प्राइवेट रूप से क्लीनिक चला रहे हैं, इसलिए अस्पताल में मरीजों का इलाज करने में उन्हें कोई रूचि नहीं है। डॉक्टरों का पैथालॉजी लैब, एक्स-रे क्लीनिक, सोनोग्राफी क्लीनिक वालों से कमीशन तय रहता है तथा हर डॉक्टर मरीजों को अनिवार्य रूप से पैथालॉजी टेस्ट, एक्स-रे तथा सोनोग्राफी कराने के लिए विशेष दुकान से ही कराने का निर्देश मरीजों को देता है। आजकल तो दवाई दुकानदार भी डॉक्टरों को मरीजों को मरीजों की दवाई के लिए भेजने हेतु लैटर पेड, आकर्षक उपहार देते हैं ताकि डॉक्टर उन्हीं के नाम वाले लैटर पेड पर दवाई लिखें ताकि मरीज इन्हीं इन्हीं की दुकान से दवाई खरीदें। जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हेतु जिला प्रशासन से उपेक्षा है कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय चिकित्सकों के स्थानांतरण से समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। बाहर से आए चिकित्सक अस्पताल में ही मरीजों का इलाज करने में रूचि लेगे तथा मरीजों को राहत मिलेगी।

सरगुजा में अफसरों की कमीशनखोरी

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
प्रदेश के पंचायत मंत्री रामविचार नेताम के गृह जिले की पंचायतों में चुनकर पदस्थ किये गये उपअभियंताओं की कमीशनखोरी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। जिले में हो रहे गुणवत्ता विहीन कार्य इसका जीवंत उदाहरण हैं। सरगुजा पंचायत मंत्री के गृह जिले के जनप्रतिनिधि भी इन तथाकथित घूंसखोर अफसरों से, बिना चढ़ोत्री के कार्य स्वीकृत नहीं करा पा रहे हैं। फिर आम आदमी की क्या मजाल कि, किसी समस्या को लेकर साहब के दर्शन भी कर पाएं। यहां तक कि इन तथाकथित कमीशनखोर अफसरों की मिलीभगत से शासन की जनकल्याणकारी योजनाएँ भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रही है। पंचायत मंत्री श्री रामविचार नेताम के गृह जिले सरगुजा की जनपद तथा जिला पंचायत में पदस्थ उपअभियंताओं का भाव इतना बढ़ चुका है कि इनके द्वारा कार्य के प्रत्येक चरण में कमीशन की मोटी रकम की मांग बेखौफ की जाती है। सीधे ठेकेदारों तथा सरंपचों से सौदा करने वाले उपअभियंताओं का आलम ये है कि जिन ठेकेदारों तथा पंचायतों के सरपंचों द्वारा भेंट परोस दी जाती है उनके कार्य तत्काल स्वीकृत कर राशि भी आवंटित कर दी जाती है। इसके विपरीत जिन ठेकेदारों तथा सरपंचों से सौदा नहीं पट पाता या तो उन पंचायतों व ठेकेदारों के कार्य टाल दिये जाते हैं या फिर उन्हें चक्कर काटने पर मजबूर कर दिया जाता है। इन दागनुमा घूसखोर अफसरों के कारण गांव-गांव में विकास का दावा करने वाली जिला पंचायत व जनपद पंचायत की पोल उस समय खुल जाती है जब पंचायतों में पुल, पुलिया, सड़क निर्माण, कांक्रीटीकरण, स्कूल भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंच निर्माण अन्य राष्ट्रीय ससम विकास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य स्वीकृत कराने के लिये आए दिन कई पंचायतों के जनप्रतिनिधि जिला पंचायत तथा जनपद पंचायतों के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं। फिर भी उन्हें कार्यों की स्वीकृति नहीं मिल पाती जैसे-तैसे कार्यों की स्वीकृति मिल भी जाती है तो कमीशनखोरी अफसरों को चढ़ोत्री न चढ़ाने के कारण राशि स्वीकृत नहीं की जाती है। जिससे विकास कार्यों की गति वहीं थम जाती है। पंचायतों में पदस्थ उपअभियंताओं की दिन दुगुनी रात चौगुनी कमीशनखोरी की कमाई से विकास व निर्माण कार्यों का हाल बेहाल हो चुका है। जनपद व जिला पंचायत मेंं कार्यरत उपअभियंताओं की आंखों में ठेकेदारों द्वारा मिलने वाली कमीशनखोरी की ऐसी पट्टी बंधी हुई है कि उन्हें ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता तथा उपयोग की जाने वाली निर्माण सामग्री से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसे तथाकथित कमीशनखोर अफसर नियमानुसार इतना भी वक्त नहीं निकाल पाते कि जिले की पंचायतों में ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों व निर्माण कार्यों का अवलोकन कर सकें। उपअभियंताओं तथा ठेकेदारों की मिली भगत से बड़ी आसानी से पंचायत मंत्री के गृहजिले के भोले-भाले ग्रामीणों की आंखों में धूल झोंक कर घटिया व निम्न दर्जे के निर्माण व विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। जिले की अधिकांश पंचायतों में विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने बताया कि यहां जैसे-तैसे कार्य स्वीकृत तो हो जाते हैं पर सरपंच द्वारा कमीशनखोरी अफसरों को कमीशन नहीं देने के कारण राशि स्वीकृत नहीं की जाती, जिससे कार्य आधे-अधूरे में ही रूक जाता है। इसी प्रकार गांव में जो निर्माण व विकास कार्य कराए जा रहे हैं वह भी गुणवत्ता विहीन है। कुछ कार्य तो ऐसे हैं, जिनका अंतिम मूल्यांकन का कार्य सिर्फ को सजाने-संवरनेे की पंचायतमंत्री रामविचार नेताम की मंशा अधूरी न रहे पाए।

किसानों को छला उद्यानिकी ने

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
किसान हितैषी होने का दावा करने वाली राज्य सरकार के कार्यकाल में ही यदि किसानों से छल कर दिया जाए तो सरकार के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्यजनक स्थिति और क्या हो सकती है सरगुजा जिले के उद्यानिकी अमले के क्रियान्वयन में गड़बड़ी कर राज्य सरकार को बदनाम करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। सब्जी, बीज वितरण के नाम पर सरकार को लाखों रूपये का चूना लगाते हुए कागजों में सब्जी बीज वितरण की कार्यवाही पूरी कर दी है। उल्लेखनीय है कि कतिपय भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की षिकायत के बाद सब्जी-बीज वितरण में लाखों रूपये के घोटाले का मामला उजागर हुआ। इस मामले में खबर प्रकाशित होते ही यहां जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया, वहीं उद्यानिकी अमले के पांव तले जमीन खिसक गई। जानकारी के अनुसार समविकास योजना की राशि से उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों सब्जी बीज और कीट की खरीदी कर वितरण किया जाना था उद्यानिकी विभाग सब्जी-बीज और कीट वितरण में इस तरह हिल हवाला किया गया कि किसानों को न तो क्वालिटी वाली बीज मिल पाया और न ही प्रमाणिकता वाले जैविक खाद। इस मामले में जो प्रमुख तथ्य सामने आये हैं उसके मुताबिक उद्यानिकी विभाग द्वारा मात्र करेला और लौकी के बीज का ही वितरण किया है। वह भी बीज घटिया स्तर का निकला, इसके अलावा जैविक कीटनाषक ऐसे थमाए गए कि उसकी प्रमाणिकता पर संदेह खड़ा हो गया। लाखों रूपये का वारा-न्यारा कर उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्जी-बीज वितरण की कार्यवाही कागजों में पूरी कर दी गई। बताया जाता है कि उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्जी-बीज वितरण की कार्यवाही कागजों में पूरी कर गई। बताया जाता है कि उद्यानिकी के निचले स्तर से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की सांठ-गांठ होने के कारण गड़बडिय़ों को लेकर पूरा अमला खामोश रहा। शिकायत के बाद सब्जी-बीज वितरण में घोटाला उजागर हुआ अब इस मामले को लेकर जांच शुरू हो जाने से उद्यानिकी की अफसरों के पसीने छूटने लगे हैं।

फॉसी पर झूली युवती

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर बलराम शर्मा से सम्पर्क : 99263 33470

विन्ध्यनगर एनटीपीसी परियोजना के सेक्टर एनएच-1 कालोनी में रह रही युवती ने गत 20 मई की शाम को अपने कमरे में लगे पंखे से लटक कर जीवन लीला समाप्त कर ली। विन्ध्यनगर थानान्तर्गत युवती द्वारा इस परिस्थिति में उठाये गये इस कदम को लेकर नगर में तरह-तरह की चर्चायें हो रही है। प्राप्त जानकारी अनुसार कुमारी जानू दीवान 20 वर्ष, 20 मई की शाम दुपट्टे को फांसी का फंदा बनाकर पंखे में झूल गई। बताया गया कि, कमरे में खटपट की आवाज सुन युवती के पिता विश्वनाथ एवं मॉं ने दरवाजा तोड़ कर फांसी का फंदा काट कर नीचे उतारा, तब तक युवती ने दम तोड़ दिया। मिली जानकारी के अनुसार मृतिका इसके पूर्व भी ब्लेड से कलाई की नस काटी थी एवं मिट्टी का तेल सिर पर डाल कर आत्महत्या की कोशिश की थी। मौके पर पहुॅंची पुलिस टीम ने मृतिका के शव का पंचनामा तैयार कर मर्ग कायम की एवं अंत्य परीक्षण कराने के उपरान्त शव परिजनों को सौंप दिया। प्राप्त जानकारी अनुसार युवती ने अपनी एक सहेली के एटीएम से चार दिनों पूर्व रूपये निकाल लिया था। जिस पर साथी, सहेलियों व परिजनों द्वारा डाटा-फटकारा गया था।

निगाही परियोजना में अपराधी ने किया मॉं-बेटे की हत्या

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली//टाइम्स ऑफ क्राइम)

रिपोर्टर बलराम शर्मा से सम्पर्क : 99263 33470 -

गत दिवस 7 मई को बैढऩ कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत निगाही परियोजना के सेक्टर नं0-12 में स्थित ड्यूटी पर गये एन.सी.एल. कर्मचारी गुलाम मोहम्मद के आवास में एक ही परिवार के चार सदस्यों पर हथौड़ा से प्राणघातक प्रहार कर मॉं-बेटे की नृशंस हत्या तथा दो बहनों को गम्भीर रूप से घायल कर दिया। इस दोहरे हत्याकाण्ड से सिंगरौली क्षेत्र में दहशत का वातावरण निर्मित करने वाले अपराधी को गत दिवस घटना के चार-पॉंच घंटे बाद शक्तिनगर पुलिस के सहयोग से भागने के प्रयास के दौरान सिंगरौली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। सिंगरौली जिला पुलिस अधीक्षक अनुराग के अनुसार आरोपी ने घर में लूट के उद्देश्य से अकेले ही वारदात को अंजाम दिया। गिरफ्तार आरोपी का नाम सतीष सिंह पुत्र शेषनाथ सिंह, उम्र-26 वर्ष, मूलनिवासी ग्राम-सरदासपुर, थाना-रसड़ा, जिला-बलिया (उ.प्र.) का है तथा वर्तमान में निगाही परियोजना के सेक्टर-15 में आवास क्र0-बी-831 में रहता था। जो निगाही परियोजना के सेक्टर नं.-12 में स्थित बी-664 में आवंटित आवास में सीनियर मैकेनिक के पद पर कार्यरत गुलाम मोहम्मद व उनके परिजनों से पूर्व परिचित था। पुलिस अधीक्षक अनुराग के अनुसार आरोपी संतोष के पिता शेभनाथ सिंह भी निगाही परियोजना में कार्यरत हैं। उक्त के सन्दर्भ में प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ कि आरोपी तीन वर्ष पूर्व गुलाम मोहम्मद के घर में उनके बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने आता था, किन्तु पिछले एक वर्ष से नहीं आ रहा था। घटना तिथि को संतोष दोपहर में गुलाम मोहम्मद के घर में उस समय गया जब वह ड्यूटी पर थे। पूर्व से परिचित होने के कारण उसने उनके घर में बैठ कर चाय नाशता किया और फि र वापस लौट गया। उधर जब गुलाम मोहम्मद की पत्नी श्रीमती नूरजहॉं नमाज पढ़ रहीं थी और बड़ी पुत्री रजिया खातून बाथरूम में नहा रही थी तथा बेटा जावेद अख्तर उम्र 16 वर्ष सो रहा था तभी कुछ देर बाद आरोपी हथौड़ा लेकर वापस लौटा और दरवाजा खटखटाया, जिस पर छोटी बेटी ने जब दरवाजा खोला तो उसने उसके सिर पर हथौड़ा से प्रहार कर दिया। इसके बाद वह नमाज पढ़ कर उठ रही नूरजहॉ के सिर पर हथौड़ा से घातक प्रहार किया, जहॉं उनकी मौत हो गईं। इसके बाद आरोपी नींद से जागे पुत्र जावेद को भी हथौड़ा मारकर घायल कर दिया और इसके बाद नहाकर बाहर निकली पुत्री रजिया पर हथौड़ा से प्रहार किया तथा अचेत होने पर 23 हजार नगदी व कुछ गहनें लेकर बाहर से दरवाजा बन्द करते हुए भाग गया। लगभग एक घंटे बाद जब पुत्री रजिया होश में आई तब उसने खिड़की खोलकर पड़ोसियों को पुकारा, जिनके द्वारा दरवाजा खोला गया एवं पुलिस को सूचित करते हुए बेहोश पड़े सभी घायलो को नेहरू चिकित्सालय जल्द पहुॅंचाया गया। जहॉं डाक्टरों ने जावेद को मृत घोषित कर गम्भीर रूप से घायल दोनों पुत्रियों का उपचार शुरू कर दिया गया। कम चोट के चलते कुछ अच्छी हालत में रही रजिया से पूछतॉछ के दौरान संतोष नामक व्यक्ति का नाम सामने आया। पुलिस अधीक्षक अनुराग के अनुसार आरोपी की तलाश में चारो तरफ नाकेबन्दी कर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के शक्तिनगर व अनपरा थाना को भी सूचित कर नाकेबन्दी कराई गई। इस दौरान सूचना मिली की आरोपी बस में बैठकर शक्तिनगर कि तरफ गया है। इस सूचना पर तत्काल शक्तिनगर थाना प्रभारी से सम्पर्क किया गया तथा एक टीम शक्तिनगर भेजी गई, जहॉं शक्तिनगर पुलिस की सहयोग से आरोपी संतोष को धर दबोचा गया। आरोपी के पास से 23 हजार रूपये बरामद हुए तथा पूछतॉछ के दौरान आरोपी ने लूट के उद्देश्य से वारदात को अंजाम देना स्वीकार करते हुए लूटी गई सामग्री वारदात के दौरान पहने गये कपड़े तथा हथौड़ा को बरामद करा दिया हैं, जिसके विरूद्ध हत्या व लूट का प्रकरण दर्ज कर पूछतॉछ हेतु रिमाण्ड में लिया गया। उधर गम्भीर रूप से घायल दोनों लड़कियों को वाराणसी रेफर कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक अनुराग के अनुसार आरोपी संतोष के विरूद्ध वर्ष 1995 में बैढऩ थाना में जहॉं चोरी का अपराध दर्ज है, वहीं छत्तीसगढ़ व अन्य जगहों पर भी अपराध करने की चर्चाएं हैं, जिसकी जानकारी मंगायी गयी है।

भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के आरोप में छह पुलिसकर्मी निलंबित

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
कानपुर। भ्रष्टाचार तथा अवैध वसूली समेत कई आरोपों से घिरे छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। कानपुर पुलिस के उप पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि निलंबित पुलिसकर्मियों में नवाबगंज पुलिस स्टेशन के एसएसआई उत्तम कुमार मौर्य, रायपुरवा पुलिस स्टेशन के सिपाही राम मोहन शुक्ला, जगजीवन राम, पुलिस लाइन का सिपाही विपिन प्रकाश, अरविंद कुमार और रमाकांत शामिल है। गौरतलब है कि रायपुरवा के सिपाहियों को वाहन चेकिंग के दौरान जबरन पांच सौ रुपए वसूलने के आरोप में, नवाबगंज के एसएसआई को भ्रष्टाचार के आरोप में और तीन अन्य सिपाहियों को लापरवाही तथा अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित किया गया है। इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। अगर यह दोषी पाये गये तो इनके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीआईजी कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक अवैध वसूली और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों की सूची बन रही है और शीघ्र ही कुछ और पुलिसकर्मियों पर गाज गिर सकती है। चदहेज के लिए महिला की छत से फेंककर हत्या कानपुर। कानपुर के लोहार खेड़ा में दहेज के लिए 35 साल की एक महिला को ससुरालियों ने घर की छत से नीचे फेंक दिया। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पुलिस ने महिला के पति को अरेस्ट कर लिया है। पुलिस के मुताबिक रानी उर्फ गुड्डी की शादी बिठूर के राम प्रसाद से 18 साल पहले हुई थी। शादी के बाद से ही दोनों में अनबन शुरू हो गई थी। दोनों 16 साल से अलग रह रहे थे। बड़े-बुजुर्गों के समझाने पर रानी 2 साल से पति के साथ रह रही थी। दोनों का एक डेढ़ साल का बच्चा भी है। रानी के परिवार वालों का आरोप है कि ससुराल वाले उसे दहेज के लिए परेशान कर रहे थे। इसी के चलते उसकी हत्या कर दी गई। महिला की मौत से गुस्साए उसके परिजनों ने नर्सिंग होम के बाहर जमकर हंगामा भी किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू में किया। उधर, पुलिस ने राम प्रसाद को अरेस्ट कर लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए बैंक मैनेजर जी

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (टाइम्स ऑफ क्राइम)-

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401 -

गाजियाबाद, मोदीनगर क्षेत्र के तलहेटा गांव की सिंडिकेट बैंक के ब्रांच मैनेजर गंगाशर ण को सीबीआई की ऐंटी करप्शन ब्रान्च ने घूस लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। आरोप है कि मैनेजर किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के लिए रिश्वत मांग रहा था। आरोपी मैनेजर को एक किसान की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया है। उसके कब्जे से सीबीआई टीम ने रिश्वत में दिए गए 3600 रुपये भी बरामद कर लिए हैं। गांव तलहेटा के कई किसानों ने सीबीआई की ऐंटी करप्शन ब्रांच से सिंडिकेट बैंक के ब्रान्च मैनेजर गंगाशरण की शिकायत की थी। सोमवार को जब ब्रान्च मैनेजर ने तत्पदर्शी नाम के किसान से 3600 रुपये की रिश्वत ली, सीबीआई (ऐंटी करप्शन ब्रान्च) की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में सीबीआई की ओर से मोदीनगर थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है। सीबीआई की टीम देर शाम तक बैंक में पेपरों की जांच करती रही। शिकायत करें यहां सीबीआई ऐंटी करप्शन ब्रान्च ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोगों से सहयोग मांगा है। ब्रान्च के एसपी निर्भय कुमार ने बताया कि यदि केंद्र सरकार के विभाग में कोई व्यक्ति घूस मांगता है या अन्य तरीके से भ्रष्टाचार करता है तो उसकी शिकायत ब्रान्च के फोन नंबर -0120-2751955, 09968081901 और 0120-2704001 पर फोन पर की जा सकती है। यह ब्रान्च वेस्टर्न यूपी के 20 जिलों में कार्रवाई करती है।

शासकीय सम्पत्ति हलाल डॉ.सुषमा ठाकुर लाल

शासन को चूना लगाने वाली डॉ. श्रीमति सुषमा ठाकुर की विभागीय जांच शुरु, अब दरवाजे, खिड़की खोलकर डिलेवरी कराने वालों की बारी
भोपाल// अनिल शाक्य (टाइम्स ऑफ क्राइम)
देर आये दुरूस्त आये...? कहावत अब जिला प्रशासन होशंगाबाद के लिये सटीक बैठती नजर आ रही है। ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' ने अपने 15 से 21 अप्रैल 2010 के अंक में ''डॉक्टर सुषमा डायन शासन को लगा रही चूना'' शीर्षक से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉ. श्रीमति सुषमा ठाकुर (वर्मा) की काली करतूतों की पोल खोली थी वहीं पिपरिया में शासकीय बंगले पर जबरियां कब्जे का विस्तृत प्रकाशित कर शासन को पहुंचाने वाली छति पर प्रकाश डाला था, जिस पर जिला कलेक्टर होशंगाबाद कार्यालय में सजगता से लिया और प्रकाशित खबर और शिकायत पर जांच के आदेश जारी कर दिये। जांच करने के आदेश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी होशंगाबाद को डॉ. श्रीमति सुषमा वर्मा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपरिया की प्रकाशित खबर एवं शिकायत की जांच आवश्यक कार्यवाही 15 दिवस के अन्दर करने हेतु पाबन्द किया गया है। ज्ञात हो कि डॉ. सुषमा वर्मा अपनी काली कमाई के आगे अनोखे षडय़ंत्रों को अन्जाम देती रही है। वहीं शासकीय बंगले पर विगत चार-पांच सालों से कब्जा बनाई बैठी है। वहीं प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही ने इस चंडाल चौकड़ी को सरकारी सम्पत्ति पर कब्जा जमाने के लिये खुब सहारा और मौका प्रदान किया डॉ. सुषमा वर्षों से विवादों के साये में उलझी हुई है। उनकी षडय़ंत्रकारी नीतियों के आगे क्षेत्रिय प्रशासन की बोलती बन्द रहती है डॉ. सुषमा वर्मा की जच्चा-बच्चा से वसूली आये दिन सुरखियाँ बटोरती रहती हैं। ढेरों फर्जीवाड़ा और शिकायतों के बाद भी यहां के अधिकारी ना जाने क्यों इसके आगे भीगी बिल्ली बने रहते हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. सुषमा वर्मा ने जिला चिकित्सा अधिकारी को एक शिकायत में बयान करवाने के लिये पसीने छुड़ा दिये वहीं चिटिंग बाजी कर किसी न किसी बहाने प्रशासन को बेवाकूफ बनाती रही है। विभाग ने कई बार डॉ. वर्मा को टाईम लिमिट पत्र भी थमाये परन्तु कुछ अधिकारी की मिलीभगत के चलते यह षडय़ंत्रकारी डॉ. ठाकुर अपनी चालों में सफल हो गई। वहीं 2007 में बच्चा गिरने की घटना ने इस डॉक्टर के भेष में डायन की पोल-खोल कर रख दी। पोल खुलने से बौखलाई डॉ. वर्मा ने अपने अधीनिस्त कर्मचारियों को बे वजह परेशान किया। रूपयों की हवस में भूखी डायन ने कभी परवाह नहीं की मानवता भी कोई धर्म है। वहीं भोग विलसता की पूर्ति के लिये सरकारी तंत्र का खुलेआम इस्तेमाल किया अब देखना यह है कि कब तक ये सेटिंग बाज सम्बंधित अधिकारी इस डॉ. सुषमा को बचाकर उसकी हाँ में हाँ करते और जांचों को गुमराह कर क्लीनचिट देते रहेंगे। परन्तु इन अधिकारियों को यह जान लेना चाहिए की पाप का घड़ा भर के जब फूटता है तो कोई हथेली लगाने वाला नहीं रहता।

आबकारी विभाग, ठेकेदारों पर मेहरबान

म.प्र. में वैसे तो नई आबकारी नीति लागू हो गई हैं, किन्तु ढ़ाबों और होटलों में शराब पीने वालों पर मुकदमा बनाने वाला आबकारी विभाग अपने ठेकेदारों पर नकेल नहीं लगा पा रहा है। ठेकेदार अवैध अहाते चला रहें हैं, खुले आम रात 12 बजे तक संचालित होने वाले इन अड्डों में कई तो राष्ट्रीय राजमार्ग भोपाल में स्थित हैं। न पुलिस कुछ करना चाहती न आबकारी विभाग...
रिपोर्टर // उमेश पाण्डेय (भोपाल//टाइम्स ऑफ क्राइम)
म.प्र. सरकार ने वर्ष 2010 -11 के लिये नई आबकारी नीति घोषित कर यह ढिंढोरा पीटा था, कि इस नीति से शासन राजस्व में बढ़ोतरी होगी साथ ही ठेकेदारों द्वारा किये जाने वाले शराब के अवैध कारोबार पर भी अंकुश लगेगा। किन्तु जो नई आबकारी नीति लागू की गई है। उसमें तो शासन के राजस्व में सेंध लग गई है, हां केवल ठेकेदारों को ही लाभ पहुंच रहा है। शासन की आबकारी नीति में प्रथम वर्ष के लायसेन्सी (ठेकेदार) को चाहे वह देसी दारू का हो अथवा विदेशी दारू का अहाता संचालन की अनुमति (लायसेंस) नहीं दिया जायेगा। लायसेन्स के द्वितीय वर्ष में ठेके की रकम का दस प्रतिशत रकम अहाता लायसेन्स फीस के रूप में लेकर अनुमति दी जाती है। किन्तु राजधानी की आधे से ज्यादा दुकाने प्रथम वर्ष की लायसेन्सी हैं। उन्हें अहातों की अनुुमति भी नहीं है। किन्तु धड़ल्ले से अहाते चल रहे हैं। ग्वालियर रोड पर, इंदौर रोड पर, सागर रोड पर, तथा शहर के पाश इलाकों में थानों के समीप ही अहाते चल रहे हैं। कहीं भी कभी भी बैठकर पीने की उत्तम व्यवस्था, 'ए.सी.अहाताÓ के बोर्ड देखे जा सकते हैं।अभी कुछ दिनों से होटल व ढ़ाबों में बैठकर शराब पीने वालों पर आबकारी विभाग व पुलिस ने प्रकरण दर्ज करना शुरू किये हैं किन्तु उन्हीं के संरक्षण में नियमों की धज्जियां उड़ाते इन अहातों के विरूद्ध आंख मूंद कर विभागीय अधिकारियों का बैठ जाना समझ से परे हैं। इन अवैध अहातों का संचालन करने वाली कोई भी दुकान 80 लाख से तीन-चार करोड़ के ठेके से कम नहीं है। यदि इसका दस प्रतिशत लायसेन्स फीस में शासन को मिलता तो राजस्व में बढ़ोतरी होती किन्तु यह पुलिस आबकारी विभाग और ठेकेदार की तिकड़ी की जेब में जा रहा है।

Tuesday, June 8, 2010

प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक

प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक















प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक
















प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक







पुलिस बागसेवनियां अपराधियों के आगे नतमस्तक

प्रान्तीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव पर प्राणघातक
भोपाल//संवाददाता (टाइम्स ऑफ क्राइम)

भोपाल पुलिस की संदिग्ध कार्यप्रणाली का एक अध्याय और जोड़ दिया है। बागसेवनियां पुलिस ने अपराधियों के चरण में अपने मुण्ड को नस्मस्तक करने वाली पुलिस ने फिर खाकी वर्दी को कंलकित कर अपराधियों के हौसलों को बुलन्द कर दिया। आखिर चतुर चालाक पुलिस ने वो सब कर दिखाया जो मानवता को मुंह चिड़ा रहा है। जान लेवा हमला करने वाले आरोपियों को रातो रात सेटिंग कर छोड़ दिया गया। वहीं मीडिया कर्मी अपने अध्यक्ष पर हुए हमले की जानकारी मांगते रहे तो थाने के सिपाही सही जानकारी नहीं देते हुए फोन काट देते थे। घटना दिनांक 4 जून 2010 रात 7:30 बजे की है घटना साकेत नगर के मकान क्रं. 282/9ए भोपाल की है जहां चार लड़कों सहित एक ने ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष को अपने जाल में फंसा कर बुलाया और राडों, पाइपों से सिर हाथ और शरीर पर ताबड़तोड़ हमला कर जान से निपटाने की पूरी कोशिश की परन्तु अवधेश भार्गव की सहन क्षमता के आगे अपराधियों के इच्छा पूरी नहीं हुई और वहीं घटना स्थल पर घण्टे पहले से खड़ी थी चीता। पुलिस वायरलेस पर मैसेज चला तो चीता के सिपाहियों ने मकान में दस्तक दे दी फिर सभी आरोपियों ने सिपाहियों से चर्चा की और फरार हो गये वहीं पीछे से पुलिस बल आने पर हमले की षडय़ंत्र कारी जाहिदा खान उर्फ आईशा उम्र 22 मुख्य आरोपी देवेन्द्र पाटीदार उम्र 24 गिरफ्त में आ गये जिसे पुलिस ने थाना सेवनियां ले आई। मोबाइल पर सूचना मिलते ही ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स के प्रान्तीय महासचिव विनय जी डेविड थाना बाग सेवनियां पहुंच गये और वहां का जो हाल देखा तो हथप्रभ रह गये। सिर से लबालब खून बह रहा था हाथ पैर में सूजन चढ़ गई थी हाथ की हड्डियां टूट चूकीं थी सिर पर बड़े-बड़े घाव थे जिसने 45 से 50 टांके आये। जान जोखिम में थी परन्तु बागसेवनिया सिर्फ नौ लाईन की एफ.आई.आर. लिखने में पूरे डेढ़ घण्टे लगा दिये 108 चिकित्सा वाहन खड़े होने के बावजूद टाइम खोटी किया वहीं आरोपी महिला जाहिदा और देवेन्द्र पाटीदार हंसते मुस्कराते थाने में मोबाइल फोनों पर इधर उधर टहलते नजर आये जबकि अपराधियों के मामले में पुलिस की तत्परता शून्य थी जानलेवा हमला करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और आरोपी समय रहते फरार हो गये। कानून व्यवस्था सुदृढ़ बताने वाली पुलिस और उनके चीता सिपाहियों की पोल खुल गई। वहीं छटाक सी एफ.आई.आर. में डेढ़ घण्टे लगाये गये ज्ञात हो कि आधा घण्टा और बित जाता तो अवधेश भार्गव की खून बहने से मौत हो जाती। ये है कानून व्यवस्था हमारे भोपाल की। जैसे-तैसे 108 में रख कर अवधेश भार्गव को हमीदिया ले जाया गया जहां इलाज के दौरान सिर पर करीब पचास टांके लगाये गये वहीं नांक पर टांका लगा। हाथ की हड्डियां टूट गई, पूरे शरीर में चोट के निशान बता रहे थे कि अपराधियों की मंशा हत्या करने की थी। सिर पर चोट के लिए हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों ने सी.टी. स्कीन करवाने की कोशिश की परन्तु उस समय मशीन खराब होने की वजह से सुबह के लिए टाल दिया गया। एक्स-रे आने के बाद सारी रिपोर्ट के बाद डॉक्टरों ने इलाज किया वहीं हाथ और पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया। हड्डी डॉक्टरों ने एम.एल.सी. रिपोर्ट बनाई जिसे लेकर वहां उपस्थित सिपाही वापस आ गये जबकि मेन एम.एल.सी. सिर की चोट की बाकी रह गई जिसे देखे बिना थाना बासेवनिया पुलिस ने कुछ भा.ज.पा. नेताओं के दबाव में आकर बिना सोचे समझे जांच किये बिना फरयादी के बयान लिए बिना वही, फरयादी के बयान लिए बिना वहीं सबसे गंभीर बात बिना एम.एल.सी. और घायल फरयादी की जानकारी लिए बिना जमानत पर छोड़ कर इतिश्री कर ली। थाना प्रथानी ने जमानत देते ही छुट्टी पर रवाना हो गये वहीं आज 10 तारीख तक आरोपियों को पकडऩे की कोई कोशिश नहीं कि गई।

एफ.आई.आर. में घपलेबाजी

बागसेवनियां में पदस्थ सहायक उपनिरिक्षक ने अवधेश भार्गव के बयान तो लिए कुछ और एफ.आई.आर. कुछ और लिखी धारा की घोटालेबाजी करने के लिए मात्र करार देने की कोशिश की गई, ''स्पॉट रिर्पोटरÓÓ के सामने ये सब चला रहा था, आरोपियों ने षडय़ंत्र करके बुलाया रॉडे और लौहे के पाईपों से सिर फाड़ डाला हाथ पैर तोड़ डाले, इन्सूरेन्स की आड़ में बीस हजार रूपये की मांग की पैसे नहीं मिलने पर आरोपी देवेन्द्र पाटीदार, आरोपी पीयूष आरोपी जाहिदा उर्फ आईशा एवं अन्य दो आरोपी पहले से जो वहां थे दरवाजा बन्द कर लिया और देवेन्द्र पाटीदार ने हमला शुरू कर दिया वहीं चार युवकों ने सिर पर कई वार किये। वार के बाद इन लोगों ने एक कुर्सी पे भार्गव को बैठा कर रस्सी से जाहिदा ने बान्ध दिया और रूपये की मांग की रूपये नगद नहीं देने पर जेब की तालाशी ली। फिर जेब से गाड़ी मारूति की चाबी लेकर भाग गये और बेग लेकर ए.टी.एम. कार्ड ले लिया और फिल्मी स्टाइल में मारते हुए ए.टी.एम. का पास वर्ड लिया साथ ही गले की सोने की चेन आदि 4500/- (चार हजार पांच सौ रूपये) छुड़ा लिये जिसको पुलिस ने अपनी व्यवस्था भाषा में 4500/- व एक सोने की चेन नहीं मिली गिर गई बताया। पुलिस ने यहां पर पूरी कोशिश की। कि आरोपियों को बचा लने की जबकि ये मामला अपहरण, लूट, हत्या की कोशिश षडय़ंत्र पूर्वक योजना बनाकर हत्या करने का था जिसे श्रीमान पुलिस ने मात्र धारा 342, 323/506/34 का बना कर आरोपियों को राहत दे दी।

लोभी बैतूल पुलिस को चाहिए पैसा

1. झूठे प्रकरणों में पुलिस दिखाती है रूचि।
2. म.प्र. में ऐसा एक मात्र थाना जहां पहले दर्ज होती है फर्जी एफ.आई.आर.।
3. गृह मंत्रीजी, क्या ऐसा ही होगा आपके रहते।
बैतूल // अपराध संवाददाता (टाइम्स ऑफ क्राइम)
देश भक्ति जन सेवा का नारा देने वाली पुलिस या वरिष्ठ अधिकारी अपने कर्तव्यों पर कितना उतरते हैं। यह बात सभी अच्छी तरह जानते एवं समझते हैं। यदि पुलिस अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदार लगन शीलता से करती तो स्थिति कुछ और होती। पुलिस ने नोटों के लालच में अपना मान सम्मान भी खो दिया है। यही कारण है कि पुलिस की विश्वसनीयता पर आम आदमी का विश्वास उठ गया है। पुलिस अचानक ही संदेहास्पद स्थिति के घेरे में है। बैतूल जिले की तहसील थाना चिचौली में एक घटना सामने आई है, जिसे महिला के विरूद्ध आरोपी ने पहले एफ. आई. आर. दर्ज कराई एवं बाद में उसके घर जाकर मन चाहे ढंग से छेड़छाड़ की। पुलिस ने महिला की द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों ने महिला के साथ घिनौनी हरकतें की। जब महिला अपने साथ हुई ज्यादतियों को लेकर थाने पहुंची तो ज्ञात हुआ कि आरोपीगण अपनी बचत के लिए पहले ही योजना बद्ध तरीके से रिपोर्ट दर्ज करा चुके हैं। बैतूल थाना क्षेत्रान्र्तगत यह पहला मामला नहीं है, जिसमें यह मान लिया जाए कि तृटिवश ऐसा हो गया होगा। पुलिस ने अपनी आदत मेें इस चीज को वाकायदें शामिल कर लिया है, कि इसलिए भी कि इसमें किसी को पार्टी बनाकर धर्नाजित किया जाए। आवेदिक रामदुलारी बाई का यह पहला मामला नहीं। ऐसा ही एक और मामला झठी शिकायत का सामने आया है। पुलिस द्वारा दोनों की रिपोर्ट तैयार कर कार्यवाही इस उद्देश्य से की गई कि कोई भी छोटी-बड़ी घटना मामले में घटित न हो। कुल मिलाकर बैतूल जिला मुख्यालय व प्रदेश में सरकार के अपेक्षानुरूप कार्य नहीं हो रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि चिचौली में आतंकराज का बोलबाला है इस घटनाक्रम से महिलाओं का जीवन सुरक्षित नही है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ टीम ने पीडि़त महिला से अपना पक्ष जाना जो इस तरह से है। पुलिस ने अपनी आदत मेें इस चीज को वाकायदें शामिल कर लिया है, कि इसलिए भी कि इसमें किसी को पार्टी बनाकर धर्नाजित किया जाए। आवेदिक रामदुलारी बाई का यह पहला मामला नहीं। ऐसा ही एक और मामला झठी शिकायत का सामने आया है। पुलिस द्वारा दोनों की रिपोर्ट तैयार कर कार्यवाही इस उद्देश्य से की गई कि कोई भी छोटी-बड़ी घटना मामले में घटित न हो। कुल मिलाकर बैतूल जिला मुख्यालय व प्रदेश में सरकार के अपेक्षानुरूप कार्य नहीं हो रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि चिचौली में आतंकराज का बोलबाला है इस घटनाक्रम से महिलाओं का जीवन सुरक्षित नहीं है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ टीम ने पीडि़त महिला से अपना पक्ष जाना जो इस तरह से है। ''थाना चिचोली की रामदुलारी जोजे के साथ इतनी घिनौनी घटना घटने के बाद पुलिस सकते में आई और फिर आरोपियों पर कार्यवाही हुई। जबकि पुलिस आरोपियों की प्रथम रिपोर्ट के आधार पर फरियादी चुप्पी साधकर बैठ गई थी। यदि रामदुलारी नहीं आती तो आरोपी। विकास एवं कैलाश सारे राह घूमते नजर आते। सोचनीय पहलू यहां यह है कि पुलिस कितनी गंदगी युक्त सोच रखती है कि पैसे से मतलब रखो किसी की इज्जत आबरू लुटे हमें क्या लेना। घटना बैतूल जिले के ग्राम मलाजपुर थाना चिचोली की है, यहां कि रामदुलारी जोजे गुटानी उम्र (50) वर्ष के साथ आरोपी गण उसी ग्राम के विकास उर्फ गब्बर, कैलाश ने पहले तो खेत की मेढ़ बढ़ाने की बात को लेकर झगड़ा किया। तथा रामदुलारी के समझाईश को तब्बजो देकर उसकी लात घूसों से मारपीट कर दी। मेरे द्वारा चिल्ला चोट करने पर बीच बचाव का प्रयास मेरी पुत्र वधु ललता ने किया तो विकास ने उसे भी गालियां दी और कहां कि यदि तूझे अपनी इज्जत प्यारी है तो यहां से चली जा तेरी सास को तो में निपटा कर ही मानूंगा। भला सास की आबरू लूटते बहू कैसे देख सकती थी। प्रतिकार स्वरूप उसने आरोपी विकास से बचाने का पूरा प्रयास किया। ललता की इज्जत हुई तार-तार सास को बचाने के प्रयास में जुटी पुत्र वधु ललता को भी विकास ने अपना शिकार बनाया। ललता की साड़ी पकड़कर खींची जिससे की खींचतान में साड़ी तीन जगह से फट गई। आरोपी ने साड़ी को शरीर से जुदा कर दिया। इसके बाद उसने पूरी ताकत से ललता का ब्लाऊस व पेटीकोट फाड़कर जार-जार कर दिया। जब भी ललता अपने आपको बचाने का प्रयास करती रही, आरोपी विकास को तो वासना का भूत सवार था। तो उसने ललता के जमीन पर पटक कर उसकी पेंटी भी उतारने की कोशिश की। बेचारी बेबस ललता की ताकत कहां तक काम करती। उसको निर्वस्त्र कर दिया। इसके बाद दोनों ही आरोपी विकास एवं कैलाश ने इज्जत लूटने की कोशिश की थी। सारे घटनाक्रम की गवाह लड़की रानी है। पुलिस ने डाली ढील आरोपी विकास एवं कैलाश ने पहले ही थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर अपने आप को बचा लिया था। लेकिन महिला के पक्ष को ध्यान में रखकर पुलिस ने अपनी औपचारिकता का निर्वहन किया। पुलिस ने दल-बल से सबल आरोपियों के अपने प्रयासों से बताया। पुलिस तो स्पष्ट कह रही है कि हमारी और से मजबूरन रामदुलारी बाई के पक्ष में प्रकरण दर्ज करना पड़ा। मामला चूंकि एससी वर्ग का है इस कारण आरोपियों पर कार्यवाही का चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया जहां से 15 मई 2010 को उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस ने नहीं की कपड़ो की जप्ती पुलिस ने अपनी और से सिर्फ औपचारिकता निभाई है यही वजह है कि उसने अभी तक ललता बाई की लाल साड़ी, ब्लाऊस और पेटीकोट जब्त नहीं किया है। बल्कि पुलिस का ये कहना है कि ये वस्त्र तुम अदालत में दिखाना। घटना की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी ''रामपाल शर्मा से पक्ष जाना तो उनका कहना था कि आरोपी विकास एवं कैलाश की तरफ से रिपोर्ट की गई थी। इस कारण पुलिस चुप थी। जैसे ही महिला का मामला आया तो पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी। श्री शर्मा से जब पूछा गया कि मामले में जांच अधिकारी एस.डी.ओ.पी मौन हैं तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वह एस.डी.ओ.पी साहब का मोबाईल नम्बर जानते ही नहीं है।