Pages

click new

Saturday, April 30, 2016

अब शिवराज को घेरने में लगे अधिकारी और भाजपाई

भोपाल // अवधेश पुरोहित
Present by  - toc new
 भारी बहुमत से भले ही प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही हो तो वहीं दूसरी ओर सत्ता और संगठन में सबकुछ सामान्य सा दिखाई दे रहा हो और शिवराज सरकार की लोकप्रियता के चर्चे मध्यप्रदेेश में ही नहीं पूरे देश में हो रहे हों, यहीं नहीं भाजपा के लोग उनकी तारीफों में कसीदे पढ़ते नजर आ रहे हों, लेकिन यह सब केवल दिखावटी ही नजर आ रहा है, शिवराज सरकार की गलत नीतियों से परेशान होकर भाजपा के कई नेता और राज्य के अधिकारियों के मन में कहीं न कहीं असंतोष पनप रहा है। शायद यही वजह है कि अब शिवराज को चाहे भाजपा के नेता हों या अधिकारी किसी न किसी तरह से परेशान करने में लगे हुए हैं, मुख्यमंत्री के ससुराल पक्ष से जुड़ा परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा का मामले को लेकर भले ही शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेसी नेता के खिलाफ न्यायालय में मामला दायर कर रखा हो लेकिन सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों और कानून के जानकारों मेें चल रही चर्चाओं से जो खबरें छन-छनकर आ रही हैं उसमें यह दावे किये जा रहे हैं कि यह मामला शिवराज और शिवराज के परिवार के लिये बहुत ही परेशानी भरा होगा और आज भले ही इस मामले को लेकर शिवराज और उनके सिपहसालार तरह-तरह के बयान देकर लोगों को संतुष्ट करने में लगे हुए हों लेकिन कानून के जानकारों की निगाह में इस मामले को लेकर जो दावे किये जा रहे हैं उससे तो यही लगता है कि समय कितना भी लगे लेकिन शिवराज और उनके परिवार पर कभी भी गाज गिर सकती है। यह उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह के प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते ही भारतीय जनशक्ति के महामंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की  धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के द्वारा अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदी का मामला उजागर किया था उस मामले में कहीं किसी अधिकारी या भाजपा के नेता का कोई सहयोग नहीं था, यह अलग बात है कि प्रहलाद पटेल द्वारा दिये गये लोकायुक्त को आवेदन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और उसे अन्य कार्यवाहियों के साथ जोड़ दिया गया हो और लोकायुक्त ने इस मामले में क्लीनचिट दे दी गई हो और यह मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन परिवहन आरक्षक भर्ती का मामले को लेकर कभी भी शिवराज और उनके परिवार पर कभी भी गाज गिर सकती है जहां तक इस मामले को कांग्रेसियों तक पहुंचाने का सवाल है तो इसमें जहां भाजपा नेताओं की अहम भूमिका रही तो वहीं वित्त विभाग के एक अधिकारी ने इस मामले केे इस संबंध में जानकारी देने में अहम भूमिका एक आरटीआई कार्यकर्ता के साथ निभाई वह भी चर्चा में है तो वहीं भाजपा के नेताओं ने भी डम्पर मामले के बाद इस प्रमाणित परिवहन आरक्षण भर्ती मामले को भी विरोधियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह आज भी निभा रहे हैं, देखना अब यह है यह मामला आगे क्या रंग लाएगा लेकिन यह जरूर है कि कानून के जानकारों के दावे पर यदि भरोसा करें तो यह मामला भी जिस तरह से शिवराज सरकार के दौरान व्यापमं का महाघोटाला हुआ वैसा ही यह मामला इस प्रदेश की राजनीति के लिये एक एतिहासिक निर्णय होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। आगे न्याय और भगवान महाकाल पर निर्भर है कि वह इस मामले को कहां किस तरह अंजाम तक पहुंचाएंगे। 

जुर्माना और दंडित करने का जेएनयू का फैसला अस्वीकार्य: उमर, अनिर्बान

Toc news
नई दिल्ली : जेएनयू के विद्यार्थियों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासन का फैसला अस्वीकार्य है और उच्च स्तरीय जांच समिति की जांच बस ‘हास्यास्पद’ है। छात्र संघ ने इस मामले पर देशव्यापी अभियान की धमकी दी है।

अपनी प्रतिक्रिया में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि हास्यास्पद जांच के आधार पर दंडात्मक कार्रवाई बस अस्वीकार्य है और संघ इसे खारिज करता है। खुद कन्हैया कुमार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कन्हैया कुमार ने ट्वीट किया, ‘जेएनयूएसयू हास्यास्पद समिति के आधार पर प्रशासन की ओर से दंड दिए जाने को खारिज करता है। अपने खिलाफ फैसले को ‘अस्वीकार्य’ करार देते हुए अनिर्बान और उमर ने आरोप लगाया कि प्रशासन की कार्रवाई आरएसएस की शह पर परेशान करने जैसी है।

जेएनयू ने नौ फरवरी के विवादास्पद कार्यक्रम के सिलसिले में कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि पीएचडी स्कॉलर उमर और अनिर्बान को अलग अलग अवधियों के लिए निष्कासित कर दिया है।

Wednesday, April 27, 2016

बड़ा फर्जीवाड़ा : भोपाल के समाचार पत्रों की प्रसार संख्या 5 अरब से अधिक

Toc news
भोपाल, 26 अप्रैल 2016। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भोपाल से 186 समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की प्रसार संख्या 5 अरब 12 करोड़ 76 लाख 75 हजार 317 है। भोपाल की आबादी 1 करोड़ 91 लाख 7051 के अनुसार अगर हम यह मान ले कि प्रति परिवार द्वारा 2 समाचार पत्र ही खरीदे जाते है, तब भी 5 अरब तक नहीं पहुंच पायेंगे। यह संख्या 4 करोड़ मान सकते है। हम यहां फिलहाल कुछ ही समाचार पत्रों की प्रसार संख्या दे रहे हैं। बाकी विस्तृत खबर आपको 2 मई तक उपलब्ध करा पायेंगे कि मध्यप्रदेश में कितने समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं और उनकी प्रसार संख्या सब मिलाकर कितनी होगी। जबकि मध्यप्रदेश की आबादी 7 करोड़ 26 लाख तक की मान सकते हैं।

1. पत्रिका : 2 लाख 75 हजार 501, 2. दैनिक भास्कर : 2 लाख 35007, 3. प्रदेश टुडे : 2 लाख 23 हजार 141, 4. राजएक्सप्रेस : 2 लाख 11 हजार 883, 5. दैनिक जागरण : 1 लाख 62 हजार 300, 6. नव दुनिया : 1 लाख 25 हजार 467, 7. नवभारत : 1 लाख 8 हजार 194, 8. सांध्य प्रकाश : 87 हजार 2073, 9. अमन का ऐलान : 75 हजार, 10. सिटी टुडे : 75 हजार, 11. दबंग दुनिया : 75 हजार, 12. हरीभूमि : 75 हजार, 13. नई दुनिया : 75 हजार, 14. पीपुल्स समाचार : 75 हजार, 15. समय जगत : 75 हजार, 16. स्वतंत्र समय : 75 हजार, 17. जन-जन जागरण : 74 हजार, 18. अग्निबाण : 73 हजार 845, 19. स्वदेश : 72 हजार, 20. जनता सरकार : 71 हजार 865, 21. हिन्दुस्तान एक्सप्रेस : 71 हजार 250, 22. हक एवं इंसाफ : 70 हजार, 23. राष्ट्रबोध : 69 हजार, 24. रोजगार निर्माण : 66 हजार, 25. देशबंधु : 66 हजार

यह जो 5 अरब का हमने आंकड़ा दिया है वर्तमान में सिर्फ 50 समाचार पत्र-पत्रिकाओं का है। यदि यह आंकड़े सही है तो हम मान सकते हैं कि भोपाल में शत-प्रतिशत साक्षारता हो चुकी है। कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि केन्द्र और राज्य सरकार को लूटने का बड़ा षडय़ंत्र है और इसमें प्रमुख हाथ रजिस्टार न्यूज पेपर ऑफ इंडिया के अधिकारियों पर उगंली उठती है। आखिर वो भौतिक रूप से समाचार पत्रों की प्रसार संख्या का आंकलन क्यों नहीं करते। इस प्रसार संख्या को देखकर भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

Sunday, April 24, 2016

आगंनवाडी मे नही आते बच्चे अधिकारीयो कि लापरवाई

Toc news

अशोकनगर- चन्देरी ग्राम पंचायत कडराना के ग्राम करमई मे रास्ता बन्द होने के कारण आगंनवाडी मे बच्चे नही आ रहे क्योकि आगंनवाडी गॉब के अन्त मे बनी हुई है
आगंनवाडी कार्यकर्ता व आपकी आवाज एक समाजिक संगठन राष्ट्रिय अध्यक्ष व आशा सहयोगी पुजा पटेल द्घारा कई बार सचिव व अधिकारीयो से शिकायत की मगर अभी तक कोई कारवाई नही हुई है
आगंनवाडी कार्यकर्ता ने वताया पहले आगंनवाडी के लिये सीधा रास्ता था जब बच्चे आते थे मगर अब रास्ते  मे भुमिस्वामी ने अपना मकान बना लिया है  जिस कारण गॉब से आने बाला रास्ता बंद हो गया
अब छोटे बच्चो को पुरा गॉब घुमकर आना पडता है जिसके कारण बच्चो ने आना बन्द कर दिया
आगंनवाडी कार्यकर्ता व आपकी आवाज एक समाजिक संगठन कि राष्ट्रिय अध्यक्ष व आशा सहयोगी पुजा पटेल जिला अधिकारीयो से मॉग करती है आगंनवाडी व स्कुल के लिये रास्ता वनबाया जाये या आगंनवाडी गॉब मे चलबाई जाये
जिससे शासकिय योजनाओ का लाभ बच्चो को मिल सके

ब्युरोचीफ अशोकनगर  महावीर सिंह राजपूत 8871141035

Saturday, April 23, 2016

किसी और के लिए सजा था मंडप, दुल्हन कोई और ले गया।

Toc news
छतरपुर। समाज में दहेज के लिए कई बार महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है तो कई बार रिश्ते तोड़ दिए जाते हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसी ही घटना सामने आई है जहां दहेजलोभियों ने दहेज के लिए रिश्ता तोड़ दिया। लेकिन कहते हैं कि रिश्ते तो उपर बनते हैं धरती में तो बस उन्हें मिलाया जाता है।

मामला चंदला थाना के छपरा गांव का है। रामशिरोमण ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह विराहुलपुरवा गांव के नत्थू पाल के दोनों बेटे रामप्रकाश व प्रमोद कुमार के साथ तय किया था। किन्तु दहेज को लेकर वर-वुध पक्ष में विवाद हो गया। विवाद के बाद नत्थू लाल ने बारात निकलने के दो घंटे पहले रिश्ता तोड़ दिया।

शादी टूटने से जश्न के घर में मातम फैल गया। लेकिन इंसानियत का फरिश्ता बनकर आए सुद्धा पाल ने लड़की के परिजनों को साहस देते हुए इंसानियत की मिसाल पेश की। सुद्धा पाल ने अपने दोनों बेटों का विवाह निर्धारित लग्न व समय में बिना किसी दहेज के कराया। इस विवाह की जानकारी मिलते ही विवाह समारोह में क्षेत्रीय विधायक आरडी प्रजापति भी पहुंचे और वर-वधुओं को आशीर्वाद दिया।  

Friday, April 22, 2016

बाबूलाल गौर ने पूरे प्रदेश की महिलाओं का अपमान किया है: अक्षय हुँका

Toc News
           आज आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओ ने पार्टी प्रदेश सचिव व राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अक्षय हुंका के नेतृत्व में में म.प्र. गृह मंत्री बाबूलाल गौर के घर के सामने विरोध प्रदर्शन किया जिन्हें पुलिस द्वारा भाजपा सरकार की शह पर गिरफ्तार किया गया।

           ज्ञातव्य हो कि आज एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा सरकार के प्रमुख मंत्री बाबुलाल गौर एक महिला के साथ छेड़छाड़ करते हुए मीडिया कर्मियो द्वारा सरेआम पकड़ाए गये थे। ये खबर आज सुबह से ही मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई थी।

           इस घटना की जानकारी मिलते ही श्री अक्षय ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से अपील की, कि ऐसे मंत्री को तुरंत पद से हटा दिया जाए और तुरंत सभी साथियों के साथ बाबूलाल गौर के निवास पर पहुंच कर उनसे मिलने और उनके इस्तीफे की मांग करने पहुंचे, लेकिन उनकी आवाज को दबाने के लिए सभी को गिरफ्तार कर लिया गया।

           महिला के साथ इतनी अभद्रता करने के बाद भी बाबूलाल गौर को शर्म नहीं आई और उन्होंने मीडिया वालों को सफाई दी की वो तो महिलाओं को जल्दी जल्दी बस में चढ़ने बोल रहे थे, जबकि वीडियो से स्पष्ट है की उन्होंने अभद्रता की। उक्त घटना पर किसी भी तरह की क्षमा माँगने की बजाय आम आदमी कि आवाज़ को दबाया जा रहा है।

           उपरोक्त सारे घटना क्रम से एक बात तो साफ हो गई है कि जिस सरकार के गृहमंत्री ही इस प्रकार की घटना में शामिल हैं उस प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा की उम्मीद करना ही बेमानी है और इसलिए ही मध्य प्रदेश महिला अपराधो का गढ़ इसीलिए बना हुआ है।

           आम आदमी पार्टी मांग करती है की गृहमंत्री बाबूलाल गौर को उनके पद से हटाया जाय और यदि शीघ्र ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी पूरे प्रदेश में इसके खिलाफ आंदोलन करेगी.

श्री स्वामी सहित चार को कारण बताओ नोटिस जारी

Toc News 
नरसिंहपुर 21 अप्रैल 2016.
श्री व्ही.के. स्वामी सहायक यंत्री आर.ए.बी.एल.एस. करेली को एक आदेश द्वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 119 के मतदान केन्द्र क्रमांक 27,28, 89, 90, 91, 92, 93, 94, 97, 115 बी.एल.ओ. सुपरवाईजर हेतु नियुक्त किया गया है। तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी करेली ने पत्र द्वारा सूचित किया है कि श्री स्वामी निर्वाचन नामावली शुद्धिकरण के कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं और ना ही तहसील कार्यालय में उपस्थित हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि श्री स्वामी द्वारा आदेश की अवहेलना कर राष्ट्रीय महत्व के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की है, उनका यह कृत्य स्वेच्छाचारिता, कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, जो मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम एक तथा दो एवं तीन के अंतर्गत दंडनीय है।
       श्री स्वामी कारण बतायें कि क्यों न उक्त कृत्य के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिरोपित की जावे। कारण बताओ नोटिस का जबाव नोटिस प्राप्ति के 3 दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें, अन्यथा की स्थिति में यह मान लिया जावेगा कि श्री स्वामी को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और श्री स्वामी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जावेगी, जिसके लिए वे व्यक्तिगत रूप से जबावदार होंगे। यह आदेश श्री सिबि चक्रवर्ती एम. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी किया गया है

श्री धापोड़कर को कारण बताओ नोटिस
नरसिंहपुर 21 अप्रैल 2016.
श्री नितिन धापोड़कर सहायक प्रबंधक पी.आई.यू.- 2 एम.जे.एस.वाई. नरसिंहपुर को एक आदेश द्वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 119 के मतदान केन्द्र क्रमांक 87, 88, 127, 128, 129, 130, 131, 132, 133, 134 बी.एल.ओ. सुपरवाईजर हेतु नियुक्त किया गया है। तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी करेली ने पत्र द्वारा सूचित किया है कि श्री धापोड़कर निर्वाचन नामावली शुद्धिकरण के कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं और ना ही तहसील कार्यालय में उपस्थित हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि श्री धापोड़कर द्वारा आदेश की अवहेलना कर राष्ट्रीय महत्व के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की है। श्री धापोड़कर का यह कृत्य स्वेच्छाचारिता, कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, जो मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम एक तथा दो एवं तीन के अंतर्गत दंडनीय है।
       श्री धापोड़कर कारण बतायेंगे कि क्यों न उक्त कृत्य के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिरोपित की जावे। कारण बताओ नोटिस का जबाव नोटिस प्राप्ति के तीन दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें, अन्यथा की स्थिति में यह मान लिया जावेगा कि उन्हें इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जावेगी, जिसके लिए वे व्यक्तिगत रूप से जबावदार होंगे। यह कारण बताओ नोटिस श्री सिबि चक्रवर्ती एम. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरसिंहपुर द्वारा जारी किया जा चुका है।

श्री मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ
नरसिंहपुर 21 अप्रैल 2016.
श्री आर.पी. मिश्रा सहायक प्रबंधक पी.आई.यू.- 2 एम.जे.एस.वाई. नरसिंहपुर को एक आदेश द्वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 119 के मतदान केन्द्र क्रमांक 106, 107, 108, 109, 110, 119, 120, 121, 122, 126 बी.एल.ओ. सुपरवाईजर हेतु नियुक्त किया गया है। तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी करेली ने पत्र द्वारा सूचित किया है कि श्री मिश्रा निर्वाचन नामावली शुद्धिकरण के कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं और ना ही तहसील कार्यालय में उपस्थित हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि श्री मिश्रा द्वारा आदेश की अवहेलना कर राष्ट्रीय महत्व के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की है। उनका यह कृत्य स्वेच्छाचारिता, कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, जो मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम एक तथा दो एवं तीन के अंतर्गत दंडनीय है।
       श्री मिश्रा कारण बतायेंगे कि क्यों न उक्त कृत्य के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिरोपित की जावे। कारण बताओ नोटिस का जबाव नोटिस प्राप्ति के तीन दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें, अन्यथा की स्थिति में यह मान लिया जावेगा कि उनको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जावेगी, जिसके लिए वे व्यक्तिगत रूप से जबावदार होंगे। यह कारण बताओ नोटिस श्री सिबि चक्रवर्ती एम. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरसिंहपुर द्वारा जारी किया जा चुका है।

श्री जैन को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ
नरसिंहपुर 21 अप्रैल 2016.
श्री जे.के. जैन सहायक प्रबंधक पी.आई.यू.- 2 पी.एम.जे.एस.वाई. नरसिंहपुर को एक आदेश द्वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 119 के मतदान केन्द्र क्रमांक 224, 225, 226, 227, 228, 229, 230, 250, 251, 256 बी.एल.ओ. सुपरवाईजर हेतु नियुक्त किया गया है। तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी करेली ने पत्र द्वारा सूचित किया है कि श्री जैन निर्वाचक नामावली शुद्धिकरण के कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं और ना ही तहसील कार्यालय में उपस्थित हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि श्री जैन द्वारा आदेश की अवहेलना कर राष्ट्रीय महत्व के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की है। श्री जैन का यह कृत्य स्वेच्छाचारिता, कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, जो मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम एक, दो एवं तीन के अंतर्गत दंडनीय है।
       श्री जैन कारण बतायेंगे कि क्यों ना उक्त कृत्य के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिरोपित की जावे। कारण बताओ नोटिस का जबाव नोटिस प्राप्ति के 3 दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें। अन्यथा की स्थिति में यह मान लिया जावेगा कि उनको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जावेगी, जिसके लिए वे व्यक्तिगत रूप से जबावदार होंगे। यह जानकारी श्री सिबि चक्रवर्ती एम. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरसिंहपुर ने दी है।

श्री श्रीवास्तव को कारण बताओ नोटिस जारी
नरसिंहपुर 21 अप्रैल 2016.
श्री वी.पी. श्रीवास्तव सहायक प्रबंधक पी.आई.यू.- 2 पी.एम.जे.एस.वाई. नरसिंहपुर को एक आदेश द्वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 119 के मतदान केन्द्र क्रमांक 11, 12, 13, 14, 15, 19, 36, 37, 38, 39 बी.एल.ओ. सुपरवाईजर हेतु नियुक्त किया गया है। तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी करेली ने पत्र द्वारा सूचित किया है कि श्री श्रीवास्तव निर्वाचक नामावली शुद्धिकरण के कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं और ना ही तहसील कार्यालय में उपस्थित हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा आदेश की अवहेलना कर राष्ट्रीय महत्व के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की है। उनका यह कृत्य स्वेच्छाचारिता, कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, जो मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम एक और दो एवं 3 के अंतर्गत दंडनीय है।
       श्री श्रीवास्तव कारण बतायेंगे कि क्यों न उक्त कृत्य के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिरोपित की जावे। कारण बताओ नोटिस का जबाव नोटिस प्राप्ति के 3 दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें। अन्यथा की स्थिति में यह मान लिया जावेगा कि उनको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है ओर उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जावेगी। जिसके लिए वे व्यक्तिगत रूप से जबावदार होंगे। यह नोटिस श्री सिबि चक्रवर्ती एम. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरसिंहपुर ने जारी किया है।

सिविल सर्विस डे पर वर्कशॉप आयोजित

Toc news
नरसिंहपुर.
 सिविल सर्विस डे के उपलक्ष्य में गुरूवार को स्थानीय कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में वर्कशॉप (कार्यशाला) आयोजित की गयी।
       कार्यशाला के प्रारंभ में नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उद्बोधन का विडियो कांफ्रेंस प्रसारण को उपस्थित अधिकारियों- कर्मचारियों ने देखा- सुना।
       कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों- कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर श्री सिबि चक्रवर्ती एम. ने कहा कि संविधान के अनुसार तथा जनता की अपेक्षा के अनुसार सभी अधिकारी- कर्मचारी कार्य करें, सामान्य जनों को सुविधाएं उपलब्ध कराकर अपने कत्र्तव्य का पालन करें। प्रशासनिक अधिकारी सुशासन की भावना से कार्य करके देश, प्रदेश, जिले के लोगों का जीवन बेहतर बनायें। एक व्यक्ति की सोच पूरी दुनिया को बदल सकती है, जैसे कि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने अहिंसा को ध्यान रखकर आंदोलन चलाकर देश को आजाद कराया। जन समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारी- कर्मचारी संवेदनशील रहें। पदों पर रहकर लोक सेवा करने के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। टीम बनाकर कार्य करने से सफलता अवश्य मिलती है। पद से नहीं लोगों से जुड़कर जन समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। डेली अप- डाउन करने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों को सचेत करते हुए जिला कलेक्टर ने कहा कि सभी अपने- अपने कार्य क्षेत्र में मुख्यालय बनाकर रहें। श्री चक्रवर्ती ने नरसिंहपुर में पदस्थ सभी अधिकारियों- कर्मचारियों को अपने कार्यालयों में और आसपास स्वच्छता बनाये रखने का संकल्प लेने का आव्हान किया।
       कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक श्री मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि जिले के सभी अधिकारी- कर्मचारी लोक सेवा की भावना से कत्र्तव्य पालन करें। देश में लोक सेवा की परम्पराओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि जन साधारण के लिए हमारी सेवाएं सहजता से उपलब्ध होना चाहिए। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री प्रतिभा पाल ने कहा कि हम संविधान के प्रति प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना ही हमारे संविधान का निचोड़ है। अपर कलेक्टर डॉ. जे.पी. दुबे ने भी कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त किये। आभार व्यक्त किया संयुक्त कलेक्टर श्री जी.एस. धुर्वे ने तथा संचालन किया सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक श्री महेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने।

Thursday, April 21, 2016

क्षिप्रा के जल से नहीं नर्मदा के जल में लगाएंगे पांच करोड़ लोग डुबकी

Toc news
भोपाल। कल से शाही स्नान के साथ सिंहस्थ की शुरुआत हो जाएगी और २२ अप्रैल से २१ मई तक चलने वाले इस सिंहस्थ में लगभग पांच करोड़ लोग शामिल होकर लोग क्षिप्रा में आस्था की डुबकी लगाएंगे लेकिन जिस मोक्षवाहिनी क्षिप्रा में यह डुबकी लगाएंगे उसमें क्षिप्रा का नहीं बल्कि नर्मदा का जल होगा। इस सिंहस्थ मेले में लाखों श्रद्धालु हालांकि अपनी धार्मिक आस्था के मुताबिक क्षिप्रा में स्नान करेंगे लेकिन इस नदी की हकीकत में नर्मदा का जल बह रहा होगा। इसकी वजह है क्षिप्रा अपने उद्गम से ही सूख चुके है और करीब ४३२ करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना के जरिये इस नदी को नर्मदा जल से जीवित किया गया है प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने दोनों नदियों को नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के जरिये जोड़ा है। यह उल्लेखनीय है कि जब सिंहस्थ के प्रभारी के रूप में मध्यप्रदेश के शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य और ङ्क्षसहस्थ के तत्कालीन प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के समय इस क्षिप्रा के प्रभाव नष्ट  होने का मामला साधु-संतों द्वारा उठाया गया था तो उस समय उन्होंने क्षिप्रा के उद्गम इंदौर जिले की उज्जैयनी से लेकर उज्जैन तक पूरी प्रवाह के रास्ते में कुए खोदने का आश्वासन दिया था लेकिन वह किन्हीं कारणोंवश पूरा नहीं हो सका, इस सिंहस्थ की तैयारी के दौरान भी साधु-संतों द्वारा क्षिप्रा को लेकर भी समय-समय पर विरोध दर्ज कराया गया था और हर बार उन्हें शासन की तरह आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला और ना ही क्षिप्रा के उद्गम से लेकर उज्जैन तक क्षिप्रा किनारे न कोई कुए खोदे गए और आज भी उसमें नर्मदा का हर सेकण्ड पांच हजार लीटर पानी क्षिप्रा में प्रवाहित किया जा रहा है क्षिप्रा आमतौर पर गर्मियों में सूखकर नाले में तब्दील हो जाती है और उसका पानी आचमन लायक भी नहीं रह जाता है। इस मामले को लेकर पिछले दिनों न्यायालय में भी इस बात को लेकर मामला गया और वहां जो प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा जो रिपोर्ट पेश की गई उसमें भी इस बात को मण्डल द्वारा स्वीकार किया गया कि क्षिप्रा आज भी प्रदूषित हो रही है और उसमें कई गंदे नालों का पानी मिल रहा है, हालांकि मण्डल ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया है कि क्षिप्रा में मिलने वाले गंदे नालों के पानी को उपचारित किया जा रहा है, लेकिन फिर भी मण्डल की रिपोर्ट में यह स्वीकार किया कि क्षिप्रा प्रदूषित हो रही है और उसका पानी आचमन योग्य नहीं है। हालांकि इसके मद्देनजर साधु-संतों ने प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह सिंहस्थ मेले के दौरान क्षिप्रा में स्वच्छ जल छोड़कर प्रवाहमान बनाये ताकि देश-विदेश से आनेवाले करोड़ों श्रद्धालु इसमें अच्छी तरह से स्नान कर सकें, सरकारी दावे के अनुसार सरकार ने क्षिप्रा को स्वच्छ करने के लिये पूरी व्यवस्था की है, महीने भर चलने वाले सिंहस्थ मेले के दौरान क्षिप्रा में स्वच्छ जल की लगातार आपूर्ति होती रहेगी, यह सरकारी दावा है यही नहीं क्षिप्रा को स्वच्छ रखने के लिये सरकार द्वारा गैस तकनीकी प्लांट भी लगाया गया है जिसके माध्यम से क्षिप्रा-नर्मदा में गैस छोड़कर उसे स्वच्छ रखा जा सके हालांकि सरकार द्वारा सिंहस्थ में आये श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने के लिये पूरी-पूरी स्वच्छ जल की व्यवस्था करने की योजना बनाई गई है और इसी के चलते नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना के  तहत नर्मदा नदी की ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना के खरगोन जिले के सिसलिया स्थित जो कि अहिल्या देवी के समय बने तालाब से पानी लाकर उसे क्षिप्रा के प्राचीन उद्गम स्थल पर छोड़ा जा रहा है यह जगह इंदौर जिले के उज्जैयनी गांव की पहाडिय़ों पर स्थित है, हालांकि क्षिप्रा इस स्थल पर लुप्त नजर आती है। इस तरह का खुलासा सरकार के प्रवक्ता द्वारा किया गया है, सरकारी प्रवक्ता का यह भी दावा है कि सिसलिया तालाब से उज्जैयनी की दूरी लगभग पचास किमी दूरी पर है यह जगह सिसलिया तालाब से ३५० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है नर्मदा का जल उज्जैयनी से करीब ११२ किलोमीटर दूरी तय करके अपनी स्वाभाविक रवानगी के साथ उज्जैन के रामघाट पहुंच रहा है उज्जैन में २२ अप्रैल से २१ मई तक चलने वाले सिंहस्थ मेले के दौरान करीब पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है यह उल्लेखनीय है कि उज्जैन में वर्ष २००४ में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री  उमा भारती  के समय सिंहस्थ मेले के दौरान गंभीर नदी पर बंधे बांध के पानी को क्षिप्रा में छोड़ा गया था इसके साथ ही साथ बड़े-बड़े टेंकरों से उस समय पानी डाला गया था हालांकि यह योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गुरु सुन्दरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में सम्पन्न हुए १९९२ में सिंहस्थ के पूर्व गंभीर नदी पर डेम बनाया गया था तबसे लेकर २००४ में सम्पन्न हुए सिंहस्थ के दौरान क्षिप्रा में गंभीर नदी का पानी डालने का काम किया गया लेकिन इस वर्ष इस सिंहस्थ के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना २५ फरवरी २०१४ को लोकार्पित की थी तबसे लेकर अब तक इसके जरिये क्षिप्रा में नदी का तकरीबन ८६.५ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जा चुका है।       

अब बिना अनुमति के कर्मचारी का निलम्बन असंभव

Toc news
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि स्कूल प्रबंधन अपने किसी भी कर्मचारी को सरकार को नोटिस दिए बिना हटा नहीं सकता। चाहे यह गैरसहायता प्राप्त निजी स्कूल ही क्यों न हों। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक स्कूल के ड्राइवर को सेवा से छंटनी करने के आदेश को रद्द कर दिया।Now the possible suspension of the employee without permission
कोर्ट ने कर्मचारी को बहाल कर 13 वर्ष का पूरा वेतन (वेतन वृद्धि के साथ) देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ड्राइवर से इस वेतन पर कोई आयकर नहीं लिया जाएगा और उसे धारा 89 (वेतन के एरियर पर टैक्स नहीं) का पूरा लाभ दिया जाएगा।
कोर्ट के इस आदेश से दिल्ली सरकार को स्कूलों में कर्मचारी के अनुशासन के मामले में हस्तक्षेप करने की ताकत मिल गई है, जो एक फैसले में समाप्त कर दी गई थी।
इसके साथ ही जस्टिस वी. गोपाल गौड़ा और जस्टिस अमिताव राय ने बुधवार को दिए फैसले में दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट की धारा 8 (2) को रद्द करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 12 साल पूर्व के फैसले को भी गलत करार दिया। इस फैसले को गलत करार देने से यह धारा दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट में बरकरार हो गई है।
इस धारा के तहत दिल्ली सरकार को दिल्ली में सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों के श्रम हितों के संरक्षण की शक्ति मिलती है। यह धारा स्कूलों को निर्देश देती है कि किसी भी कर्मचारी को हटाने या उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई से पहले प्रबंधन दिल्ली सरकार से अनुमति लेंगे।
हाईकोर्ट ने रद्द की थी धारा
यह धारा दिल्ली हाईकोर्ट ने कथूरिया पब्लिक स्कूल बनाम शिक्षा निदेशालय (2004) के मामले में रद्द कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि कर्मचारी के अनुशासन के मामलों मे सरकार को सूचना देने और मंजूरी लेने का प्रावधान त्रुटिपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नजीर गलत समझी गई
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में टीएमए पाई (2002) केस की नजीर को गलत समझा है। इस केस में स्कूलों के कर्मचारी की सुरक्षा का मामला नहीं था बल्कि, संविधान पीठ के सामने सवाल यह था कि शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र रूप से बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के चलने का अधिकार है। यह धारा कर्मचारियों के श्रम मामलों में प्रक्रियात्मक संरक्षा के लिए है, इसका स्कूलों की कार्यशैली पर नियंत्रण से कोई संबंध नहीं है।
इस मामले धारा को चुनौती नहीं दी गई थी
दिलचस्प बात यह है कि जस्टिस वी. गोपाल गौड़ा और जस्टिस अमिताव राॠय की पीठ के सामने धारा 8 (2) को निरस्त करने के फैसले को सीधे तौर पर चुनौती नहीं दी गई थी, लेकिन जिस वक्त डीएवी पब्लिक स्कूल, ईस्ट लोनी रोड के ड्राइवर राजकुमार को 2002 में छंटनी करके हटाया गया, उस समय यह धारा वजूद में थी, इसलिए कोर्ट ने इस धारा को निरस्त करने के मुद्दे को भी फैसले में शामिल कर लिया। कोर्ट ने कहा कि उक्त धारा को कानून में शामिल करने के लिए विधायिका को पूरी योग्यता उपलब्ध है, क्योंकि स्कूलों में कर्मचारी का संचालन तय कानून के अनुसार हो, यह देखना सरकार का दायित्व है।
स्कूल ने ड्राइवर की छंटनी की
दिल्ली में 2001 में सीएनजी बसें लागू करने के बाद डीएवी स्कूल ने अपने ड्राइवरों की छंटनी की और निजी सीएनजी बसों को स्कूल में ठेका दे दिया। ड्राइवर राजकुमार ने उसे हटाने के स्कूल के फैसले को चुनौती दी, लेकिन निचली अदालतों ने कहा कि उसे औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947 की धारा 25 (एफ) के तहत हटाया गया है और पूरा मुआवजा दिया गया है। उसने कहा कि उसके मामले में शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति नहीं ली गई है, लेकिन सभी अदालतों ने कहा कि अतिरिक्त कर्मचारी को कानून के अनुसार हटाया जा सकता है। इस फैसले को राजकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

शराब ठेका दिलाने के नाम पर एक करोड़ की धोखाधड़ी, सिवनी आबकारी अधिकारी जांच के दायरे में

Toc news
सिवनी. 2016 में शराब ठेका दिलाने के नाम पर एक करोड़ की धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने राज किशोर राज के खिलाफ कोतवाली थाने में धारा 403, 406, 420 का मामला कायम किया है। जिसने जिले के एक ठेकेदार से सिवनी में ठेका दिलाने और पार्टनशिप के नाम से उसके साथ करोड़ो की धोखाधड़ी की। राजकिशोर राज आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी का करीबी है जो बालाघाट में जिला आबकारी अधिकारी विजेन्द्र कोरी की गाड़ी भी चलाता है। शराब ठेके के नाम पर एक करोड़ रूपये की धोखाधड़ी मामले में सिवनी आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी भी जांच के दायरे में है। मामले की पुष्टि करते हुए पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।
----
बालाघाट पुलिस के सूत्रों के हवाले से खबर

उज्जैन ब्रेकिंग। किन्नरों के जलवा भारी पड़ा संतो के वैभव पर।

Toc news
उज्जैन. आज सुबह ठीक 11 बजे किन्नर अखाड़े की पेशवाई धूमधाम से निकली, दशहरा मैदान से शुरू हुई पेशवाई को देखने के लिए लाखों की तादाद में शहर वासियों के साथ साथ पास कस्बों व अनय शहरों से भी हजारों लोग उज्जैन पहुंच गए हैं।
        किन्नरों की पेशवाई को निहारने बच्चे, युवा भी पिछे नहीं रहे हैं। यह पहली पेशवाई है जिसमें प्रशासन ने अपनी तरफ से भरपूर बेरूखी दिखाई। न तो भीड़ को काबू करने के लिए रस्से लगाए गए थे न ही पर्याप्त पुलिस बल मौजुद था। ऐसा लग रहा था कि अधिकारियों ने किसी दबाव के चलते किन्नर अखाड़े से दूरी बना ली थी। लेकिन इसके बावजूद किन्नरों का जलवा उन संतो के वैभव पर भारी पड़ गया, जिन्होंने पेशवाई की आड़ में शक्ति प्रदर्शन किया था।,,

गोल्डन बाबा को सोना पहना पड़ा महंगा बिशेष पुलिस ने किया गिरफ्तार

गोल्डन बाबा के कारनामे जानकर आपके उड़ जाएंगे होश, फंस चुके हैं कई मुख्यमंत्री

सिंहस्थ / उज्जैन √
सोने के साथ सजे हुए सिंहस्थ कुंभ में डुबकी लगाने वाले गोल्डन बाबा कुछ समय से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जिन्हें आज दोपहर दिल्ली पुलिस ने सिंहस्थ मेले से गिरफ्तार कर लिया गया है गिरफ्तार करने के लिये दिल्ली के  विशेष आफिसर लगाये गये थे जिन्होंने बाबा के पास 15  किलो 680 ग्राम सोना नगद 800683 रूपये बरामद किये है लेकिन आप लोग इस गोल्डन बाबा की असली पहचान के बारें में नहीं जानते होंगे। दरअसल, गोल्डन बाबा दिल्ली के गांधीनगर थाने के हिस्ट्रीशीटर सुधीर उर्फ बिट्टू भगत हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, सुधीर उर्फ बिट्टू भगत के खिलाफ अपहरण और फिरौती समेत तरीबन 34 मामले विचाराधीन हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक गोल्डन बाबा पर जबरन धन उगाही के भी आरोप हैं।

गोल्डन बाबा की वजह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मुसीबत में पड़े हैं। गौर हो कि विधानसभा चुनाव से पहले गोल्डन बाबा के साथ केजरीवाल की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इस लेकर केजरीवाल विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। दिलचस्प यह है कि करोड़पति बाबा गोल्डन पुरी के ज्यादातर अनुयायी गरीब तबके के लोग हैं। हालांकि, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी इनकी फोटो है। केजरीवाल की तरह ही गोल्डन बाबा की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ भी फोटो हैं। इसके अलावा बाबा के विदेश भक्त भी है, जिनमें लड़कियां भी शामिल है।

मध्य प्रदेश पुलिस के जवानों को उनकी सुरक्षा में मुस्तैद किया गया हैं। बताया जाता है कि वे किसी समय गांधीनगर में ही दर्जी का काम करते थे। बाद वे हरिद्वार चले गए। कुछ दिनों बाद लौटे तो गांधीनगर में मंदिर बनवा दिया और धीरे-धीरे आश्रम का रूप देकर महंत बन बैठे। वे भक्तों से नकदी की जगह सोना लेते थे। पांच साल में गोल्डन बाबा का चेहरा कई बार बदला। वे 2007 और फिर 2012 में प्रयाग में हुए कुम्भ मेले में भी शामिल रहे हैं। जरायम की दुनिया में बिट्टू भगत उर्फ सुधीर उस वक्त चर्चा में आए

खामोश खबर : उज्जैन सिंहस्थ 2016 अँधा बाँटे रेवड़ी, अपने अपनों को देय

Present by _ toc news
इन दिनों यही मांजरा इंदौर संभागीय जनसम्पर्क विभाग का हो रहा हैं, मौका है उज्जैन सिंहस्थ 2016 के कवरेज में शामिल होने वाले पत्रकारों के पास बनने का हैं। जिसमे जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी आवेदन फार्म में स्पष्ट तौर पर प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रानिक मिडिया, न्यूज एजेंसी एवं वेब मिडिया के पत्रकारों को अघोषित आमंत्रण के रूप में पास हेतु बुलाया जा रहा हैं, जिसमे पत्रकारों से कई तरह के दस्तावेजों की प्रतियाँ ली भी जा रही हैं ,किन्तु जब कोई अदना सा पत्रकार विभाग में पहुँचता हैं तो वहा बैठे जिम्मेदार अफ़सरान कई तरह से घोषित रुकावटे पैदा करने से बाज नहीं आते जैसे की वेबमीडिया को नहीं मिलेंगे पास, साप्ताहिक अख़बार वालों का सिंहस्थ ने क्या काम, उनके पास जारी नहीं होंगे, फलां संस्थान से 2 पास होंगे, फलां का सर्कुलेशन ज्यादा हैं उसे ज्यादा होंगे, और भी ना जाने कितनी रुकावटे, कितनी बातें।
आखिर एक बात ये जिम्मेदार अफसरशाही तो बताएं की उन पास से पासधारी पत्रकार को क्या विभाग कुछ अन्य सुविधा भी दे रहा हैं , क्या कोई जमीन का टुकड़ा या अन्य कोई विशेष उपहार भी अर्पण कर रहा हैं?
जब इन सवालों का जवाब ना हैं तो फिर इतनी रोक टोक क्यों?
और जब जारी ही नहीं करना थे पास तो फिर फार्मेट में खानापूर्ति का ढोंग क्यों?
जब लगभग 150 करोड़ के विज्ञापनों की बंदरबाट करनी थी तो चुन लिया वेबमिडिया को, जब कहाँ थी ये पारखी नजरें, जिन्हें आज वेबमीडिया वाले या साप्ताहिक अख़बारों के संचालक पत्रकार नहीं मानो गुनहगार नजर आ रहे हैं,
जब अपने, साहब के, फलाँ के खास दिखने वालो के पास जारी करने वालो पर कोई नियम धर्म नहीं, बस वहाँ तो सब्जबाग़ देखते ही लटूमने चले गए और जब आज वास्तविक कवरेज हेतु मिडिया पास का ढोंग और बखेड़ा खड़ा किया तो स्वयंभू अपने कटघरे में ही सब को गुनहगार मान लिया।
अब 5 वर्ष/10 वर्ष और ना जाने कितना तमाशा, क्या 3 साल फिल्ड में काम करने वाला इनकी नजर ने पत्रकार नहीं, जब तीन वर्ष नियमित साप्ताहिक अख़बार चलाने वालों को ये अधिमान्यता बाट देते हैं तो फिर ये पास में क्या रखा हैं, और तो और दारू के बड़े कारोबारी भी रुतबे के दम पर बिना अनुभव के अधिमान्य पत्रकार बन बैठे हैं यहाँ तक की अपने परिवारजनो में भी 18 अधिमान्यता कार्ड धारी पत्रकार बना सकते हैं तो वास्तविक पत्रकार को कटघरे में शामिल क्यों किया जा रहा हैं।
क्या जो सही करे वो इनकी नजर में गलत हैं और जो गलत करे, वो मसीहा?

आखिर किस हक़ से वर्षो से कुर्सियों को चिकनी करने बैठे हैं ये अफ़सरान, जिन्हें केवल अपनों को ही रेवड़ियां बाटना आता हैं?
क्या आला अधिकारीयों की भी मिली भगत हैं इसमें या फिर कारण कुछ और,
वक़्त की मार में शायद आवाज नहीं होती, जल्द ही पास वितरण की अनियमितता भी उजागर होगी।
जय हिन्द

Wednesday, April 20, 2016

विजय माल्या इस घोटाले में अकेला दो

दिलीप कुमार शर्मा
Present by - toc news
विजय माल्या के खिलाफ मुम्बई हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट जरी कर दिए हैं। अब उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जरी होना तय है। यानि राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे या सार्वजनिक स्थान जहाँ कही भी माल्या देखे जायँगे उन्हें गिरफ्तात कर लिया जायगा। इसका मतलब ये हुआ की अभी विजय माल्या जहाँ कहीं भी हैं वे वहीं कैद हो कर रह जायेंगे।
विजय माल्या पर आरोप है की वे 17 भारतीय बैंको के 09 हज़ार करोड़ रुपये लोन ले कर फरार हो गए। तो क्या सिर्फ माल्या अकेले ही दोषी हैं, लोन देनेवाला बैंक अधिकारी नही ?
क्या देश में एक माल्या ही उधोगपती है। जिसने बैंको के कर्ज डुबोने का प्रयास किया है। भारत
सरकार ने पाँच सौ डिफॉल्टर कर्जधारि उधोग पतियों की लिस्ट निकाली है। जिनके ऊपर कम से कम पाँच सौ करोड़ या इससे ज्यादा के लोन हैं। और वे इसे सालों से पचा कर बैठ गए हैं। इन डिफॉल्टर उधोगपतियों पर सरकार ने अपने त्रिनेत्र खोल दिए हैं। अब इन कर्जधारि उधोगपतियों पर भी सरकार ने हन्टर चलाना सुरु कर दिया है। ये बताने की आवश्यकता नही की किसके सासन में इनहे लोन मिला। और बैंक अधिकारी से लेकर तत्कालीन सरकार तक क्यों चुप रही ?
इनसे कर्ज वसूलने के प्रयास क्यों नही किय गए
एक कार्यक्रम में भारतीय उधोगपति राहुल बजाज से पूछा गया की बैंको से कर्ज लेने कैलिय क्या सिर्फ ब्रांड होना ही काफी है। उनका उत्तर था की उधोग केलिय कर्ज तो दिए ही जाते हैं। बैंक अधिकारियों को यह परख लेना चाहिये था। पर वो पैसे तो डूबोने केलिये ही दिये गए थे। उन्हें तो मनमोहन सिंह की सिफारिस पर कर्ज दिये गए थे। यानि विजय माल्या को कर्ज यह जानते हुये दिए गए। की इस पैसे को डूबना ही है। अब सवाल उठता है। की वे अधिकारी दोषी क्यों नही ? जिन्होंने यह  जानते बुझते विजय माल्या के लोन इसु किये। अभी प्रधानमन्त्री की मुद्रा लोन योजना देख लीजिये/ कितने पापड़ बेलने के बाद दस बिस पचास हज़ाए रुपये लोगो को लोन हासिल हो रहे हैं। जबसे माल्या प्रकरण आया है। बैंक अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक  मानो हिटलर बन गए हैं। अपने सभी ग्राहकों को माल्या समझ हिटलर जैसा ब्यौहार करने लगे है।
आजादी के बाद से ही देश में एक ट्रेंड चला आ रहा है। की नेताओं व् बैंक अधिकारियों से साठ गांठ कर भारतीय उधोगपति अपने रसूख के बल पर लोन ले लेते हैं। उसे चुकाते नही, सारा पैसा डकार जाते हैं। इसमें बैंक अधिकारी व् सरकार में बैठे नेता सन्लिप्त होते हैं। पर यही बैंक अधिकारी अपने किसी गरीब अकौंट्स होल्डर से सही मुह बात भी नही करते। जबकि विजय माल्या की बिश्वनियता खुद स्नग्दिग्ध रही है। वे कर्ज लेते थे उधोग के नाम पर और उसे खर्च करते थे IPL और घोड़ों पर। उनके इर्द गिर्द मॉडल लड़कियों की लाइन लगी रहती थी। विजय माल्या एक नम्ब्बर के अय्यास किस्म के सख्स हैं। ये सर्व विदित है। यह सब कुछ जानते हुए की बैंको के पैसे सही स्थान पर नही खर्च किये जाते। वे अपने ऐय्यासि पर पैसे लूटा रहे हैं। बावजूद इसके बैंको ने उन्हें बेतहासा लोन इसु किये। कोई बाताये की इस घोटाले में वे बैंक अधिकारी दोषी है या नही जिन्होंने सब कुछ जानते समझते माल्या को लोन दिये। यदि हाँ तो सरकार सिर्फ माल्या के पीछे ही क्यों परी है। उन बैंक अधिकारिओ के पीछे क्यों नही ?

छिंदवाडा दर्शन मध्य भारत का पहला एलबम 3000 हजार ने देखा यू टुयुब में

Toc news
परासिया ।। जिला मुख्यालय के सुप्रसिद्ध सिंगर भाई बादल भारद्वाज ने जो छिंदवाडा दर्शन विडियो एलबम बनाया है ।
  मैने अन्य जिलो और प्रदेशो के मित्रो से उनके जिले के दर्शन के एलबम के बारे में पूछा किसी भी जिले में और किसी भी प्रदेश में आजतक कोई ऐसा संगीतमय एलबम नही बना है ।
    में जिले के और प्रदेश के मित्रो से आग्रह करता हूं कि आपने जिले और प्रदेश के जाने माने सिंगर बादल भारद्वाज के इस सरहायनी विडियो एलबम को जन जन तक पहूचाने के लिये हम सब मिलकर देश के कोन कोन भेजने के लिये इस लिंक को
https://youtu.be/oFrzcCi9_0A को आप अपने वाट शाप , फेस बुक , हाईक में शेयर कर अपने जिले और प्रदेश को आगे लाने में सहयोग करेंगे आशा करता हूं ।

जदुआ से लेकर रामबाग तक जारी है घटिया सडंक निर्माण

सरकार को दर्पण दिखाने के लिए 
अमन तिवारी की विशेष रिर्पोट 
रीवा. मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया जहा भ्रष्टाचार मुक्त सर्णमिम प्रदेश वनाने की तमाम भाषण बाजी करते है वही रीवा जिले की महत्वपूर्ण सडक  जदुआ से चाकघाट होते हुए देश प्रदेश के  अन्य कसबे व सहरो के लिए  जहा से हजारो लाखो की तदात मे आम जनमानस यात्रा करती है जिस सडक  के लिए जहा मध्य  प्रदेश की सरकार करोडो रूपये पानी की तरह ठेकेदारो को दे रही है जहा पेटी कन्टेक्टरो द्रारा खुलेआम लूट की ज रही हो ऐसे मे क्या प्रदेश के मुखिया को यह नही पता होना चाहिए की हमारे प्रदेश के धरातल मे आखिर हो क्या रहा है 
वडा सवाल इसी तरह की अनमिकता एव कमीसन गोरी  तमाम विभागो मे चल रही है तो क्या प्रदेश के मुखिया को यह कहने का कोई  अधिकार है की हमारा म०प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त सर्वणिम प्रदेश वन गया है क्या प्रदेश के मुखिया इन हकीकतो से अन्जान है अगर अन्जान है तो जानने की कोसिस करे य सरकार को इस भ्रष्ट्राचार रूपी दीमक की सारी हकीकात मालूम होते हुए भी  अन्जान वनने की नौटकी तो नही की ज रही है 
प्रश्य दोनो उठना लाजमी है क्योकि हमारे प्रदेश मे जिस पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज है उसी पार्टी के दो तीन विधान सभा सदश्यो के क्षेत्र  के अन्तर्गत ही जारी है घटिया सडक निर्माण  सेमरिया से सिरमौर व त्योथर तक के विधान सर्भा निर्वाचन क्षेत्र के सैकडो गावो से गुजरते हुए यह सडक का घटिया निर्माण कार्य कदितो के द्रारा कराया ज रहा है और यहा के  जन प्रतिनिधियो के द्रारा इस भ्रष्टाचार रूपी खेल को  रोकने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया ज रहा है तो सदेहस्पद होना लाजमी है आखो देखा हाल अतरैला वजार मे पेटी कन्टेक्टरो द्रारा पी ०सी ०सी०सर्डक का घटिया निर्माण खुले तौर पर विना किसी भय से किया ज रहा है जारी पी सी सी निर्माण मे घटिया गीट्टी बालू नाम मात्र  सीमेन्ट का उप्योग कर सरकार के लाखो रूपये डकारने का खेल खेजा ज रहा है इस स्थिति मे क्या हमारे मुखिया को   ये कहने का हक वनता है की प्रदेश मे सब कुछ उनके उदेश्य के मुताबिक ही हो रहा है और प्रदेश की जनता चैन की सास ले रही है पूरी गलत है  रीवा जिले सहित तराई अंचल मे  हो रहे सडक निर्माणो मे गुणवक्ता नाम मात्र को भी कही देखने को नही मिल रही है फिर बार बार यह भाषण बाजी क्यो ये तो जनता ही जाने 
आपको वता दु प्रदेश सरकार  के द्रारा विशेष पूजी पति को एग्रीमेन्ट कर गुणवक्ता पूर्वक सडक निर्माण करने का टेन्डर दिया था जिस पूजी पति की भष्टाचार रूपी मानसिकता ने दर्जरो ठेकेदार पैदा करते हुए  क्षेत्रीय छोटे ठेकेदारो को पेटी कन्ट्रेक्सन मे कार्य देकर अपना तीस से लगभग 40 प्रतिसत् कमीसन काटकर वची राशि मे प्रति ठेकेदारो  दो चार किलो ०मीटर का सडक निर्माण करने का एग्रीमेन्ट दिया गया है जो ठेके दार खुले आम घटिया तरीके से कार्य कर रहे है वही जब शासन द्रारा स्कृति राशि मे से पच्चास प्रतिसत पहले ही डकार लिया जाय तो  गुणवक्ता की आशा हो भी तो कैसे इस पूजी पति द्रारा क्षेत्र के उन लोगो को सडक वनाने का जुम्मा दिया गया है जो राजनैतिक पकड से भरपूर क्षमता रखते है य अपराधिक व समान्त वादी मानसिकता के समाज का शोषण कर पैसा कमाने के लिए आधिकान्स समय अनैतिक काम करने वाले लोग है 
और जब इस प्रमुख कम्पनी के द्रारा उन विशेष पकड वालो को  कार्य देकर लूटने का लाईसन्स प्रदान कर दिया  हो तो प्रदेश के मुखिया के उदेश्य की पूर्ति हो भी तो कैसे 
अतरैला मे जारी पी सी सी सडक निर्माण मे हो रहे है गिट्टी समाग्री एव बालू का एक दृष्य दिखाना चाहुगा जिससे मामले की हकीकत का खुलासा अपने आप हो जायेगा 
वही क्षेत्र की आम अवाम मे जारी घटिया सडक निर्माण की वजह से सरकार और सरकार की व्यवस्था के खिलाफ काफी अक्रोस है समय रहते  अगर जारी घटिया सडक निर्माण को रोक कर दोशियो के खिलाफ कार्यबाही नही की जाती तो  निर्माण कर रहे लोगो के साथ वडी घटना घटने की सम्भावना देखी ज रही है

Sunday, April 17, 2016

केन्द्र इस साल भी नहीं देगा प्रदेश को अतिरिक्त सहायता

Toc news
भोपाल। केंद्र से प्रदेश को मिलने वाली अतिरिक्त सहायता इस साल भी नहीं मिलेगी। माना जा रहा है कि इस तरह की सहायता अब बंद करने की तैयारी कर ली गई है। इसकी वजह है वार्षिक योजना को लेकर दिल्ली में होने वाली योजना आयोग की बैठक का होना बंद हो जाना है। केंद्र द्वारा योजना आयोग की जगह नीति आयोग बना दिए जाने के बाद से प्रदेश से भेजी जाने वाली वार्षिक योजना भेजना भी बंद कर दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष के लिए योजना पुस्तिका राज्य योजना आयोग ने तैयार नहीं कराई है। योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद वार्षिक योजना पर केंद्र सरकार के अधिकारियों और सलाहकारों के साथ बैठक का सिलसिला बंद हो गया है पहले दिल्ली में दो दिन की बैठक होती थी पहले दिन मुख्य सचिव सहित प्रमुख विभागों के आला अधिकारियों की योजना आयोग में बैठक होती थी एक-एक योजना के वित्तीय और भौतिक लक्ष्य के पहलुओं पर विचार होता था इस प्लेटफार्म पर राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं में आने वाली दिक्कतों को भी उठाती थी इसका समाधान आयोग के उपाध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री की बैठक में होता था राज्य सरकार की मांग और प्रदर्शन के आधार पर आयोग अतिरिक्त केंद्रीय सहायता स्वीकृत करते थे इसमें 70 से 80 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का होता था राज्य को पिछले सालों में डेढ़ हजार से लेकर तीन हजार करोड़ रुपए तक अतिरिक्त केंद्रीय सहायता मिली पिछले साल से ये राशि मिलना बंद हो गई इस साल भी कोई उम्मीद नहीं है केंद्रीय आयोग से वार्षिक योजना को लेकर कोई पूछताछ न होने पर प्रदेश ने इस बार योजना पुस्तिका ही नहीं छपवाई आयोग के सदस्य सचिव दीपक खांडेकर का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद से उसका उद्देश्य बदल गया है, इसलिए वार्षिक योजना भेजने का मतलब ही नहीं रह गया।

मोदी और शिवराज की लोकप्रियता में आई कमी

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल । भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही यह दावा करें कि भाजपा शासित केन्द्र की सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है तो वहीं मध्यप्रदेश के भाजपा नेता मुख्यमंत्री को सर्वाधिक लोकप्रिय मानते हैं यह अलग बात है तो कभी सिंहस्थ तो कभी प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर समिटों के आयोजन के नाम पर विदेशों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पकड़ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं स्थिति यह है कि सिंहस्थ जो कि धार्मिक आयोजन है और जिस आयोजन के लिए कोई प्रचार-प्रसार की जरूरत नहीं है,

लेकिन इस सिंहस्थ के प्रचार में ७० करोड़ रुपए खर्च कर इसे धार्मिक आयोजन के बजाय कारपोरेट आयोजन का स्वरूप दिया जा रहा है। हालांकि इस प्रचार का उद्देश्य केवल और केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज सिंह चौहान की छवि बनाना एकमात्र उद्देश्य है तभी तो थल से लेकर नभ तक सिंहस्थ के प्रचार में करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं इसके बावजूद भी न तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर लोग अब एक आवाज में किसी समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हैं और ना ही शिवराज के आगामी १४ अप्रैल को भाजपा वोट की खातिर अपने नेताओं को जिनकी वह आज तक दुहाई दिया करते थे उनको विसार कर अब दलित वोटों पर सेंध लगाने के लिए डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है और उन्हीं के जन्मदिन पर महू में होने वाले आयोजन के लिए अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए सरकार ने हर तरह के संसाधन लगा दिये हैं

आम जनता के इन दोनों नेताओं के प्रति घटते आकर्षण की वजह से अब भीड़ जुटाने के लिए सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को महू लाने का जिम्मा अधिकारियों को सौंपा गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री की लोकप्रियता कम हुई है तो वहीं मोदी का भी अब प्रभाव धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है। महू में १४ अप्रैल को होने वाले आयोजन के लिए सरकार जिस तरह से भीड़ जुटाने के लिए परेशान नजर आ रही है उससे तो यही नजर आ रहा है कि अब लोगों में स्वैच्छा से इन नेताओं के दर्शन और भाषण सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है,

यह अलग बात है कि इसी भाजपा के एक सर्वमान्य नेता हुआ करते थे जिनके भाषण सुनने के लिए भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ता और सभी सम्प्रदाय के लोगों में उत्सुकता रहती थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिजारी वाजपेयी को सुनने के लिए केवल सूचना मात्र से ही भीड़ इकट्ठी हो जाया करती थी लेकिन अब भाजपा में ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है जिसकी दम पर अब यह चुनाव मैदान में उतर सके तभी तो दलित वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए डॉ. अम्बेडकर का सहारा भाजपा द्वारा लिया जा रहा है यदि ऐसी ही स्थिति बनती रही तो यह फिर भाजपा अब इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरु का भी वोट की खातिर उनका दामन थामने में हिचकेंगे नहीं ऐसे संकेत पिछले दिनों केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा इंदिरा गांधी की तारीफ करने से नजर आने लगा है,

 इसका मूल कारण है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी ने इस देश की जनता को कभी १५ लाख रुपये प्रत्येक नागरिक के खाते में जमा करने, काला धन वापस लाने और महंगाई से निजात दिलाने जैसे तमाम वादे किये थे उन  लुभावने वादों के झांसे में आकर देश के मतदाताओं ने भाजपा को भारी बहुमत से विजयश्री दिलाई थी लेकिन भाजपा शासन के इन दो सालों के कार्यकाल में ऐसा कुछ नजर नहीं आया और न ही मोदी और भाजपा के लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए लुभावने वाले धरातल पर उतरते नजर आए शायद यही वजह है कि अब लोगों का मोदी की प्रति आकर्षण खत्म होता नजर आ रहा है तभी तो मोदी के नाम पर हो रहे १४ अप्रैल को महू के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए शासकीय संसाधनों का उपयोग कर भीड़ जुटाने में भाजपा के नेता लगे हुए हैं।  

बाबु बिल्लोद की मंदसौर जेल से चल रही है गुण्डागिर्दी...?

Toc news
मंदसौर अनिल जोशी। जिले में वैसे तो बहुत कुख्यात गण्डे है लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी गुण्डे है जो जेल में बंद होने के बावजुद भी उनके छर्रो द्वारा क्षैत्र में गण्डागिर्दी व आंतक मचा रखा है। हम बात कर रहे है मछली ठेकेदार के पार्टनर यानि कि बाबु बिल्लोद जो की मंदसौर जेल में बंद होने के बावजुद भी दो नम्बर का कारोबार फुलफार्ट गुण्डगिर्दी के बल पर क्षैत्र में कर रहा है। इस महाशय ने चम्बल का मछली ठेका पार्टनरशीप में लिया है इसने जब से लिया है कई गरीब लोगो के साथ गुण्डगिर्दी का कारनामा आए दिन मंदसौर जिले के हर थाने में सामने आया है।

इस गुण्डे बेटे भी कुख्यात तस्कर व गुण्डे है जिन्होने मंदसौर जिले में गुण्डागिर्दी के नाम पर धमाल मचा रखी है। मंदसौर जेल में रहने के बाद भी करोडो के काम काज बाबु बिल्लोद गिरोह के कामकाज चल रहे है जबकि इसके पूत्र कई थानो के आदतन अपराधी है वह खुल्लेआम मंदसौर जिले में दो नम्बर का कारोबार फलफुल से कर रहे है। जिला प्रशासन को भी पता है कि बाबु बिल्लोद के मंदसौर जेल में रहने बावजुद करोडो के कामकाज चल रहे है। जब से बाबु बिल्लोद का मछली का ठेका हुआ है तब से आए दिन इसके छर्रे आए दिन गांव के गरीब लोगो के साथ मारपीट करते आए और चम्बल नदी के आसपास के हर थाने इसके छर्रे के खिलाफ मुकदमे दर्ज है। उसके बावजुद भी जिले में इसका आंतक कम होने का नाम नही ले रहा है। चाहे शराब हो या डोडाचुरा या मछली ठेका हो हर दो नम्बर के काम में इसने अपना दबदबा बनाकर जबरन पार्टनरशीप का धंधा खोल रखा है। इसके मंदसौर जेल होने के बावजुद इसके लडको द्वारा दो नम्बर का कारोबार बडे स्तर पर जमा रखा है।और गरीब लोगो के साथ इसके गुर्गे लडको द्वारा आए दिन क्षैत्र में आंतक मचा रखा है।

सात हजार की रिस्वत लेते शिक्षा विभाग में पदस्थ नोडल अधिकारी गिरफ्तार

Toc news
रीवा. शिक्षा जगत में फैले भृष्टाचार की खबरे आये दिन देखने केा मिलती है लेकिन अब शिक्षा के छेत्र में जुडे अधिकारियों के द्वारा शिक्षकों के बेतन देने के नाम पर भी घूस मागी जाने लगी है । ऐसे ही धूस खेार नोडल अधिकारी केा रीवा लेाकायुक्त पुलिस घूस लेते रंगें हाथ गिरफ्तार किया है ।
रीवा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ्य नोडल अधिकारी केा लेाकायुक्त पुलिस उस समय सात हजार रू की रिस्वत लेतें रंगे हाथ गिरफतार कर लिया जव वह मदरसा संचालक से सिक्षकेां के बेतन निकालने के लिये कमीसन के रूप में सात हजार रूपये ले रहा था । कार्यवाही की जानकारी देतें हुये लेाकायुक्त डीएसपी देबेस पाठक ने बताया कि ओरोपी नजीर खान जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मे नेाडल अधिकारी के पद पर पदस्थ्य है इसके द्वारा मदरसा संचालक आफताब आलम से उनके मदरसे के शिक्षकों का एक लाख चालिस हजार रू बेतन भुगतान के बदलें 15हजार रू कमीसन मागी गई थी जिस पर संचालक ने ८ हजार रू पहले दे चुका था लेकिन पैसा लेने के बाद भी नोडल अधिकारी भुगतान नही कर रहा था जिसपर सिकायत कर्ता लेाकायुक्त कार्यालय मे जानकारी दी थी जिस पर कार्यवाही करतें हुये आज 7000हजार की रिस्वत लेतें गिरफतार किया गया है।

वरिष्ठ भाजपा नेता की कविता से मची खलबली

Toc news
भाजपा में सुलग रही बगावत की आग
इंदौर (ईएमएस) इंदौर के वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन द्वारा एक कविता लिखी गयी हैं जिसने सोशल मीडिया पे काफी हलचल मचा दिया है। उसका कारण यह है कि यह कविता उन्होंने ने अपनी ही सरकार पे प्रहार करने हेतु लिखी है। मध्य प्रदेश भाजपा ने इस पूरे मामले पे चुप्पी साध ली है लेकिन सोशल मीडिया के बाशिंदे जम कर सरकार की चुटकी ले रहे हैं। वहीँ दूसरी ओर मध्य प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसे भाजपा के अन्दर चल रही बगावत से जोड़ दिया है। और सच हे एक सत्य यह भी है।।
अब मामला जो भी हो, लेकिन कविता काफी दिलचस्प है और प्रदेश तथा केंद्र सरकार को आईना दिखा रही है:

वोट दिया जिनको वो मेरा ही घर तुड़वाते हैं,
लाखों में खुद का वेतन कर सुख की बीन बजाते हैं,

नारा है स्मार्ट सिटी सुन्दर शहर बनाने का,
खुद अमृत पी काम करे जनता को जहर पिलाने का,

कुतुब मीनार से भी ऊंचे दाम यहाँ पर दाल के,
ऐसी कैसी करे व्यवस्था बेटे दीनदयाल के,

पुरखों के जिस घर में भैया खेल कूद कर बड़े हुए,
उस घर के दरवाज़े पर शाही बुलडोज़र खड़े हुए,

अलप्जनों को मुआवजे दे बहुजनों को टरकाते हैं,
बड़े राष्ट्रवादी बनते भारत रक्षक कहलाते हैं,

जो सैनिक आतंकवादीयों से लड़कर मर जाते हैं,
उनको दे दस पांच लाख कर्तव्य मुक्त हो जाते हैं,

कर्ज में प्रदेश है पर यह मृग लेकर घी पीते हैं,
दीन दुखी पीड़ित जनता के होते रोज फजिते हैं,

असेंबली पार्लियामेंट में ये अपना सुख खोज रहे,
जनता जाये भाड़ में लेकिन इनकी बनती मौज रहे,

नाम गरीबी का लेकर ये वोट मांगने आते हैं,
मिटती नहीं गरीबी पर गरीब लोग मिट जाते हैं,

जानबूझ अनजान बने ये आँखों वाले अंधे हैं,
कशमीरी शासन में अब श्यामा प्रसाद के बंदे है,

भारत माँ की जय नहीं बोलते कुछ गद्दार यहाँ,
चीन और पाकिस्तानी करते रहते संहार यहाँ,

घर के और बाहर के दुश्मन पर ये वार नहीं करते,
केवल 56 इंची सीना तान विदेशों में ये फिरते,

केवल नोट प्राप्त करने को सपने कई दिखाये हैं,
खेलो कूदो मौज मनाओ ये अच्छे दिन आये हैं,

मोक्ष पाओ भागवत सुनो भारत माता की जय बोलो,
जैसी करनी वैसी भरनी सबको मन ही मन रो लो।

Saturday, April 16, 2016

उत्पीड़न रोकने महिला आयोग करे पहल : आपकी आवाज

जंगल में नही बेचने जाएंगे गेहूं, केंद्र यथावत रखने की मांग

Toc news
👉सहकारी समिति बरगी केंद्र का मामला
सिहोरा- गुरूवार की शाम बरगी और आसपास के ग्राम के किसानों ने गेंहूँ खरीदी केंद्र को यथावत रखने के लिये सहकारी समिति बरगी में एकत्र हुए जिसमे किसानो ने मांग करते हुए बताया की बरगी खरीदी केंद्र का मध्य में गाँव पड़ता है जिससे आसपास के सभी किसानो को सहूलियत होती है।जबकि किसानो ने यह भी बताया की यदि केंद्र धनगवां जायेगा तो वहां पर सुरक्षा व्यस्था सही नही रहेगी क्योंकि जिस जगह पर केंद्र बनाने चर्चा हो रही है वह गाँव से काफी दूर है और जंगल से लगा हुआ है जिससे चोरी जैसी बारदात बढ़ेंगी।शुरू से ही बरगी केंद्र रहा है और अभी तक सुचारू ढंग से खरीदी का कार्य चल रहा था लेकिन अचानक ही खरीदी केंद्र को बदले जाने की चर्चाओं से किसान अचरज में हैं।
👉केंद्र बदले जाने को लेकर भ्रमित कर रहे किसानो को
          ज्ञात हो की शासन के निर्देशानुसार एक अप्रैल से गेंहूँ खरीदी का काम शुरू होना था लेकिन बरगी खरीदी केंद्र में अभी तक यह ही सुनिश्चित नही हो पाया है की खरीदी कहाँ की जायेगी । जबकि कुछ किसान पहले से चल रहे खरीदी केंद्र में फसल काटने के बाद गेंहूँ की फसल बेचने बरगी ले आये हैं और इन किसानो का आनाज खुले में ही पड़ा हुआ है जबकि केंद्र को लेकर किसानो को अलग अलग खरीदी केंद्र होने की जानकारी देकर भ्रमित भी किया जा रहा है। जहाँ एक तरफ मौसम का बदलता मिजाज भी लोगों की चिंता बना हुआ है और अभी केंद्र निश्चित नही हो पाया है।
👉तहसील के आखिरी में पड़ेगा नया खरीदी केंद्र
   केंद्र में उपस्थित इंद्रकुमार मिश्रा , जगन्नाथ मिश्रा, घनश्याम यादव, सन्तोष मिश्रा, लालू विश्वकर्मा ,राजू रजक, अशोक मिश्रा ,परषोत्तम पटेल विवेक मिश्रा, मूलचन्द मिश्रा आदि किसानो ने बताया की शुरुआत से अभी तक बरगी खरीदी केंद्र है और यह गाँव पूरे खरीदी सेक्टर के मध्य में पड़ता है जिससे हर किसी को सहूलियत होती है ।यदि खरीदी केंद्र बदलकर धनगवां बनाया जाता है यह मझोली तहसील और जिले के बॉडर का गाँव है जिसमे आधे से ज्यादा किसानों को यह केंद्र बहुत दूर पड़ेगा ।और सुरक्षा के लिहाज से यह सुरक्षित भी नही है। क्योंकि जिस जगह केंद्र बनाये जाने की बात हो रही है वह गाँव से दूर और जंगल से लगा हुआ है।
👉दो खरीदी केंद्र बनाने हो रही चर्चा
          खरीदी केंद्र को यथावत रखने या किसी और स्थान पर खोलने की चर्चा तो है ही वहीँ दूसरी तरफ एक केंद्र बरगी और दूसरा केंद्र धनगवां बनाने भी बोला जा रहा है जिससे दो केंद्र खोलने पर और इनका संचालन व व्यवस्था में दुगना खर्चा भी समिति को झेलना पड़ेगा। जबकि बरगी में खरीदी केंद्र का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है तो फिर अलग अलग केंद्र बनाने की क्या जरूरत पड़ी ।
👉छुटभैये नेताओं ने बेच दी केंद्र की धान
           बरगी धान खरीदी केंद्र में देखरेख करने के लिए समिति के कुछ सदस्यों को रखा गया था जो केंद्र की ही लगभग 35 -40 क्विंटल धान एक व्यापारी को बेच दी जबकि केंद्र में 65 क्विंटल धान की घटी भी आई थी जिसकी भरपाई खरीदी प्रभारी पाठक पर दवाव देकर करायी गयी। इन सदस्यों को समिति प्रबंधक नारायण सेन द्वारा देखरेख और व्यवस्थाओ के लिये नियुक्त किया गया था जिसके बाद समिति प्रबंधक इस मामले में कुछ भी बोलने से कतराते नजर आये और इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते दिखे जिसके बाद समिति प्रबंधक पर इन छुटभैये नेताओं का दबाब साफ़ दिखा। वहीँ खरीदी केंद्र को लेकर गुरूवार के दिन बैठक भी रखी गई थी लेकिन केंद्र की दलाली कर धान बेचने वाले सदस्य बैठक में उपस्थित नही हुए जिसके बाद सोमवार को बैठक रखी गयी है।

इनका कहना
गेहूं खरीदी 10 अप्रैल से शुरू की जायेगी केंद्र को यथावत रखने के लिए सोमवार को बैठक की जायेगी ।
नारायण सेन
समिति प्रबंधक बरगी

खरीदी केंद्र बदले जाने का अभी तक कोई आदेश नही आया है।और यदि किसी सदस्य के द्वारा केंद्र की धान बेचीं गयी है तो कार्यवाही की जायेगी।
फ्रैंक नोवल ए
एसडीएम सिहोरा

रूपेन्द्र का पुलिस कर रही बेसब्री से इंतजार, एक-दो दिन बाद करेगी कड़ी कार्यवाही

Toc news
जबलपुर। पूर्व जिला ग्रामीण कांगे्रस के अध्यक्ष रूपेन्द्र पटैल परबालक से अप्राकृतिक कृत्य करने का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस बेसब्री से श्री पटैल का इंतजार कर रही है। कांगे्रसियों का दावा है कि रूपेन्द्र बेकसूर है और उनको साजिश के तहत फंसाया गया। वहीं पुलिस का कहना है कि मामले की पूरी जांच के बाद पूरा सच-झूठ सामने आ जायेगा अभी तो नियमानुसार मामला दर्ज किया गया है और रूपेन्द्र से भी पूछताछ की जायेगी। पूर्व कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष रूपेन्द्र पटेल पर उनकी नौकरानी के आठ वर्षीय पुत्र ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। श्री पटेल इस समय दिल्ली प्रवास पर हैं। उन्हें कमलनाथ गुट से जुड़ा माना जाता है इसलिए इस गुट के कुछ नेता खुलकर उनका बचाव कर रहे हैं। कोतवाली थाना क्षेत्र के चेरीताल में श्री पटेल वर्तमान में निवासरत हैं। कोतवाली टीआई प्रफुल्ल श्रीवास्तव के अनुसार अभी यह मामला जांच में है। सभी तरह के पहलू जांचने के बाद आगे कार्यवाही की जाएगी।

श्री पटेल की वापसी का इन्तेजार भी किया जा रहा है। उनसे पुलिस लगातार संपर्क की कोशिश कर रही है। पीडि़त बालक, उसकी मां व अन्य लोगों के बयान पुलिस ने ले लिये हैं। वह काफी समय पहले काम छोड़ चुकी है। टीआई का कहना है कि यदि एक-दो दिन में दुराचार का आरोपी कांगे्रस नेता रूपेन्द्र पेश नहीं हुआ तो कुर्की की कार्यवाही के लिए पुलिस कोर्ट में आवेदन देगी। उल्लेखनीय है कि रूपेन्द्र पर दुराचार का मामला दर्ज होने के बाद कमलनाथ खेमा सकते में है और इस गुट के दो-तीन नेता इस कोशिश में हैं कि रूपेन्द्र पर कार्यवाही ना हो। बुधवार को पुलिस अधीक्षक को जब इस मामले में कांगे्रसियों ने ज्ञापन सौंपा तो कोशिश की गई कि प्रदर्शन में प्राय: सभी गुट के नेता हो। प्रदर्शन में नगर के साथ ग्रामीण के भी नेता-कार्यकर्ता मौजूद थे। इसके लिए कमलनाथ खेमे से जमकर मेहनत की गई।

आदिवासियों के विकास की राशि मैट्रो में होगी खर्च

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल. झाबुआ में मिली करारी हार के बाद भाजपा सरकार के नेता आदिवासियों के प्रति किस तरह के सहानुभूति जाहिर करने में लगे हुए हैं और उन्हें अपनी पार्टी की ओर प्रभावित करने का ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी आदिवासियों के नाम पर चलाई जा रही योजनाओं में कटौती और बजट में राशि देने के बाद उसको वापस दूसरे मद में खर्च करने का जो सिलसिला परदे के पीछे चल रहा है वह भी अपने आपमें अजब है, मजे की बात यह है कि आदिवासियों को लुभाने के लिए प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति के विकास के लिए बजट में तो करोड़ों रुपये बता देती है लेकिन पर्दे के पीछे चुपके से वह राशि निकालकर राजधानी और अन्य शहरी इलाकों में पीछे नहीं रह रही है।

ऐसा ही एक मामला हाल ही में सम्पन्न विधानसभा सत्र के दौरान प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने उठाया था। सदन में अपने भाषण के दौरान बाला बच्चन ने सरकार के इस कारनामे की पोल खोलते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा संख्या में अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं उनके साथ ऐसा पक्षवाद होता है मैं समझ सकता हूँ उन्होंने अपने भाषण के दौरान इस बात का भी ध्यान दिलाया कि प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अभी तक बिजली नहीं लगी, उनके क्षेत्र में जो विकास के काम होना चाहिए थे, वह भी नहीं हुए सड़कें, पुल, पुलिया का निर्माण होना चाहिए वह भी नहीं हुआ लेकिन इसके साथ ही बाला बच्चन ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आप आवंटन राशि तो वापस दे देते हो फिर वापस ले लेतो हैं

यह ठीक नहीं उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति मांग संख्या मद क्रमांक एक में दस करोड़ रुपये निकाले, मद क्रमांक दो से ९० करोड़ रुपये निकाले और आदिवासियों के क्षेत्र के विकास पर यह १०० करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे लेकिन आपने चुपके से १०० करोड़ रुपये निकाल लिये और यह १०० करोड़ जो कि आदिवासी क्षेत्रों पर खर्च किए जाने वाले थे वह अब मेट्रोल रेल्वे पर खर्च कर रहे हो। इससे यह साफ जाहिर है कि आप आदिवासी वर्गों के साथ इतना बड़ा भेदभाव कर रहे हो। बाला बच्चन के द्वारा विधानसभा में अपने भाषण के दौरान किये गये खुलासे से यह साफ जाहिर है कि सरकार आदिवासियों के विकास के लये लम्बी चौड़ी राशि की घोषणा करके उक्त राशि को उनके विकास पर न लगाकर चुपके से मेट्रो और अन्य शहरी क्षेत्रों की योजनाओं में खर्च करने की जो नीति अपना रही है उससे तो केवल आदिवासियों के विकास का ढिंढोरा ही पीटने की बात सामने आती है

बाला बच्चन ने तो केवल दो ही राशि आवंटन का खुलासा किया पता नहीं आदिवासी क्षेत्रों के विकास के नाम पर जारी की गई ना जाने कितनी राशि को पिछले दरवाजे से निकालने का सिलसिला कबसे जारी है इस खुलासे से यह साफ जाहिर हो जाता है कि आदिवासी के विकास का सरकार भले ही ढिंढोरा पीटती ो लेकिन हकीकत में उनका यह ढिंढोरा केवल आदिवासियों को झुनझुना दिखाने जैसा है। इस खुलासे के बाद आदिवासी नेता जिनमें भाजपा के नेता भी शामिल हैँ वह लोग तो यह कहते भी नजर आ रहे हैं कि आदिवासियों को यह चुनाव के समय वोट के लिए उपयोग करते हैं और बाद में उनके साथ जो भेदभाव किया जाता है उसका जीता जागता उदाहरण बाला बच्चन द्वारा किये इस खुलासे से नजर आता है इस खुलासे के बाद यह चर्चा भी आम है कि पता नहीं आदिवासियों के नाम पर जारी की गई राशि में चुपके से कितनी राशि अभी तक यह सरकार निकालती आई है, शायद यही वजह है कि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी आज भी तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं.

साइबर अपराध घटित होने के बाद भी पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट

( फरियादी ने न्यायलय में लगाया केस)
Toc news
 इंदौर ।इन दिनों शहर में होने वाले साइबर अपराध के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला। बाणगंगा थाना छेत्र निवासी गोपाल मेहता पिता प्रभु लाल मेहता द्वारा आईटी एक्ट सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66ए धारा 66बी धारा 66 सी धारा 66इ के तहत एक रिपोर्ट लिखित में साइबर थाना साइबर सेल इंदौर को प्रेषित की जिस पर पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया गया। फरियादी ने रजिस्टर्ड डाक द्वारा उक्त शिकायत आवेदन पुनः साइबर सेल शाखा पर प्रेषित किया तो वह डाक लिफाफा फरियादी के पास इस टिप्पणी के साथ वापस आ गया कि कार्यालय यहां पर मौजूद नहीं है।
 जिसपर फरियादी ने पुनः थाने पर जाकर कार्यालय का सही नाम लेकर उन्हें रजिस्टर ए डी के द्वारा शिकायत आवेदन प्रेषित किया और इस बार तो हद यह हो गई कि पुलिस ने उक्त रजिस्टर ए डी लिफाफा फरियादी का नाम देखकर लेने से ही इनकार कर दिया ।
मजबूरन फरियादी ने अपने अधिवक्ता पंकज वाधवानी के माध्यम से एक निजी परिवाद दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री प्रवीण शिवहरे के न्यायलय में धारा 66 ए से 66 इ के अंतर्गत प्रस्तुत किया और साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) का आवेदन भी संलग्न किया है, जिसमें फरियादी ने न्यायालय से गुहार की है कि मामला संज्ञेय प्रकृति का है जिस पर पुलिस को एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करने के लिए निर्देश दिया जाए ।

यह हे मामला

 फरियादी गोपाल मेहता ने बताया कि उनका एक पारिवारिक विवाद अपनी पत्नी के साथ चल रहा है उनके ससुर द्वारा फरियादी के आयकर विवरणी को प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल नंबर पर फ़र्ज़ी तरीके से  फरियादी के पासवर्ड और आइडेंटिटी  से बुलवा दी जोकि कंप्यूटर जगत में हैकिंग और प्राइवेसी भंग करने के अपराध के तहत अनुयोज्य है आरोपी द्वारा फर्जी तरीके से अन्य व्यक्ति की id और पासवर्ड अपने मोबाइल नंबर पर मंगवाना एक गंभीर अपराध है जिसकी शिकायत फरियादी ने साइबर शाखा इंदौर में की थी

ऐसे मालूम पड़ा

फरियादी को अपने मोबाइल पर आयकर विभाग से प्राप्त मैसेज sms के जरिए यह जानकारी में आया कि फरियादी का पासवर्ड आई डी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बुलवा लिया गया है जब उस व्यक्ति की जानकारी ली गई तो वह और कोई व्यक्ति नहीं फरियादी के ससुर निवासी भिंडर राजस्थान निकले।

विजय माल्या का पासपोर्ट निलंबित, ईडी ने विदेश मंत्रालय से की थी सिफारिश

Toc news
नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने बैंको का कर्ज न चुकाने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या का पासपोर्ट निलंबित कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने माल्या का पासपोर्ट निलंबित करने के लिए विदेश मंत्रालय ने सिफारिश की थी। ईडी की इस सिफारिश पर विदेश मंत्रालय ने यह कार्रवाई की है।

बैंकों का माल्या पर 9000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।  

ईडी ने आईडीबीआई बैंक के 900 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले की मनी लांड्रिंग जांच में सहयोग न करने के आरोप में विदेश मंत्रालय को उनका पासपोर्ट निरस्त किये जाने के लिए लिखा था। माल्या इस मामले में तीन बार निदेशालय के समक्ष पेश होने में विफल रहे।

प्रवर्तन निदेशालय ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) को संकटग्रस्त उद्यमी के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने की मांग की है क्योंकि माल्या जांचकर्ताओं को सहयोग नहीं दे रहे हैं। समझा जाता है कि एजेंसी ने माल्या के खिलाफ कथित ऋण धोखाधड़ी तथा चेक बाउंस के कई मामलों का जिक्र किया है। समझा जाता है कि माल्या 2 मार्च को अपने राजनयिक पासपोर्ट के जरिये ब्रिटेन चले गए। राज्यसभा का सदस्य होने की वजह से उन्हें इस प्रकार का पासपोर्ट जारी किया गया है।

सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने माल्या का पासपोर्ट रद्द किये जाने का आग्रह करते हुए विदेश मंत्रालय को बताया है कि माल्या को एजेंसी की ओर पर पूरा अवसर दिया गया। उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तीन बार तारीखें दी गयीं इसके बावजूद उन्होंने जांच अधिकारी (आईओ) के साथ सहयोग नहीं किया। इससे इस मामले में जांच आगे बढ़ाने में विलंब हो रहा है। पासपोर्ट कानून के तहत जब किसी व्यक्ति को राजनयिक पासपोर्ट जारी किया जाता है, उनका नियमित यात्रा दस्तावेज जमा कर लिया जाता है। जब राजनयिक पासपोर्ट को निरस्त किया जाता है तो वह दस्तावेज भी रद्द हो जाता है।

सूत्रों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के आग्रह को मंजूरी के बाद विदेश मंत्रालय ब्रिटेन के अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करेगा और उनके भारत प्रत्यर्पण का आग्रह करेगा। आईडीबीआई के 900 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में माल्या मुंबई में ईडी के जांच अधिकारी के समक्ष तीन पर पेश होने में विफल रहे। केंद्रीय जांच एजेंसी मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत इस मामले की जांच कर रही है।

पेशी के लिए माल्या को तीन बार बुलाया था, लेकिन नहीं आए

माल्या को तीन बार 18 मार्च, 2 अप्रैल तथा 9 अप्रैल को ईडी के समक्ष बुलाया गया था, लेकिन तीनों ही बार वह व्यक्ति रूप से पेश नहीं हुए। इसके लिए उन्होंने उच्चतम न्यायालय में रिण के निपटान के लिए चल रही मौजूदा कानूनी प्रक्रियाओं का हवाला दिया। हालांकि समझा जाता है कि माल्या ने कहा है कि इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने में उनकी कानूनी टीम ईडी का सहयोग कर सकती है। माल्या का पासपोर्ट रद्द होने पर ईडी सक्षम अदालत से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आवेदन कर सकता है और इंटरपोल से उनके नाम का रेड कार्नर नोटिस जारी करा सकता है। उसके आधार पर उन्हें दुनिया में कहीं भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

कंप्यूटर, फेसबुक और हेलीकॉप्टर के शौकीन बाबा

Toc News
कुंभ मेले में देश भर से अजब-गजब साधु-संत जुटे हैं। इनमें तमाम संत अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के साथ अनूठे अंदाज तथा शौक के लिए विख्यात हैं। महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा भले ही कुटिया में रहते हैं मगर लैपटॉप, फेसबुक और हेलीकॉप्टर के खासे शौकीन हैं। वे कहते हैं कि उन्हें हेलीकॉप्टर से सफर और फेसबुक पर भक्तों से चैटिंग के जरिए वार्तालाप में आनंद आता है।

अंधविश्वास में भरोसा नहीं
दिगंबर अखाड़ा से जुड़े श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा का इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम है। कुंभ मेले में पधारे कंप्यूटर बाबा कहते हैं कि उन्हें अंधविश्वास में भरोसा नहीं है। अपने भक्तों को भभूत या कोई उल्टी-सीधी सलाह नहीं देते हैं। वे कुटिया में रहने वाले आधुनिक बाबा हैं।

फेसबुक पर भक्तों से संपर्क में
वह कहते हैं कि कंप्यूटर युग में हैं तो भला इससे दूर कैसे रह सकते हैं। कई वर्षों से लैपटॉप उनके साथ रहता है। और यह महज दिखावा नहीं है जैसे कई और बाबा करते हैं। वे खुद अपने लैपटॉप में जरूरी जानकारियां फीड करते रहते हैं। इसके अलावा फेसबुक पर भी वह अपने भक्तों से संपर्क में रहते हैं।

हेलीकॉप्टर से सफर करना पसंद
तो क्या कंप्यूटर रखने की वजह से आपका नाम कंप्यूटर बाबा पड़ा? इस पर कंप्यूटर बाबा कहते हैं कि ये भी वजह है मगर सच्चाई यह भी है कि उनका दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज चलता है। कंप्यूटर बाबा का एक और शौक है। वह हेलीकॉप्टर पर घूमना और सफर करना पसंद करते हैं।

हेलीकॉप्टर से ही बांटते हैं निमंत्रण
वह बताते हैं कि अपने यज्ञ और अनुष्ठानों के लिए हेलीकॉप्टर से ही निमंत्रण पत्र बांटने जाते हैं। वर्ष 2011 में उन्होंने मालवा का महाकुंभ आयोजित किया था। तब एक माह तक हेलीकॉप्टर से ही निमंत्रण बांटते रहे। 2012 में विदिशा में भी वह 20 दिनों तक हेलीकॉप्टर से घूमकर महानुभावों को निमंत्रित करते रहे।

शाही स्नान के लिए हेलीकॉप्टर से घाट तक जाने की इच्छा
कंप्यूटर बाबा कहते हैं कि उनकी इच्छा प्रयाग महाकुंभ में शाही स्नान के लिए हेलीकॉप्टर से घाट तक जाने की थी, पर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। वे अब भी हेलीकॉप्टर से शाही स्नान की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बाबा आखिर में कहते हैं कि कंप्यूटर, फेसबुक हो या फिर हेलीकॉप्टर, ये सब तो इस हाईटेक जमाने की जरूरतें हैं। वे भी इसका इस्तेमाल कर धन या वैभव की लालसा नहीं प्रदर्शित करते हैं।

अधिवेशन में गूंजी पत्रकारों के हित की आवाज

अधिवेशन में गूंजी पत्रकारों के हित की आवाज
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत विपक्ष में हंगामा
अखबार मालिकों को किया जाएगा मजबूर
Toc news
मुंबई. सालों से चल रहे मीडिया समूहों के पत्रकारों के अधिकार और उनके वेतन तथा भत्ते को लेकर आज महाराष्ट्र विधानसभा से जोर-शोर से आवाज बुलंद की गई। पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत वेतन और भत्ते दिये जायें इसके लिए सभी दलों के नेताओं ने अपनी सहमति दर्ज कराई। करीब आधा घंटे चले विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही एक बड़ी बैठक बुलाएंगे और उसमें पत्रकारों के हितों को लेकर उचित निर्णय लिया जाएगा। विदित हो कि विपक्ष नेता राधाकृष्ण पाटिल ने विस में पत्रकारों से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया, जिस पर विस्तार से चर्चा की गई। विदित हो कि सत्ता पक्ष के मंत्री प्रकाश मेहता ने बताया कि महाराष्ट्र शासन में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पत्रकारों के हित और उन पर हो रहे शोषण का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया।
इसके अलावा विधानसभा में भी यह भी माना गया कि बड़े मीडिया समूहों द्वारा पत्रकारों का मांसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। विस में सत्ता पक्ष समेत विपक्ष ने भी माना कि कोई भी मीडिया हाउस पत्रकारों को उचित वेतन नहीं दे रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री देवन्द्रफडनवीस ने कहा कि वे जल्द ही एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाएंगे, जिसमें मीडिया समूहों के मालिक और मंत्री व अधिकारीगण मौजूद रहेंगे और उस दौरान पत्रकारों से जुड़े वेतन आयोग पर निर्णय लिया जाएगा और अखबार मालिकों को पत्रकारों का अधिकार देने के लिए मजबूर किया जाएगा। साथ ही सरकार को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आज भी पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत सेलरी वितरित नहीं की जा रही है। साथ ही इस मामले में श्रम विभाग भी गलत जानकारी उपलब्ध करा रहा है। पाटिल ने विस को बताया कि राज्य में करीब छोटे-बड़े 900 अखबार हैं, जिनमें से लगभग 44 समाचार पत्रों ने तो अपने यहां वेतन बोर्ड लागू किया, लेकिन पूरी तरह से लागू कर पाने में सक्षम नहीं रहे। इसके अलावा अन्य अखबारों ने तो मजीठिया आयोग  की सिफारिश लागू तक नहीं किया। प्रकाश  मेहता ने बताया क़ि ये बैठक एक सप्ताह के अंदर होगी।

इसके अलावा मुंबई स्थित बांद्रा में आईएनएस को दिए गए प्लॉट को लेकर बहस की गई तो पता चला कि उसकी ओसी रोक ली जाए। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मान लिया है कि वे लोग पत्रकारों के साथ अन्याय करते हैं, इसलिए आईएनएस को एलॉट किए गए प्लॉट पर एक्शन लिया जाए।

Friday, April 15, 2016

भाजपा को क्यों अचानक याद आए अम्बेडकर ?

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। भाजपा सहित आज अन्य पार्टियों के नेताओं में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की १२५वीं जयंती पर कार्यक्रमों के आयोजनों को लेकर न केवल केन्द्र सरकार बल्कि अन्य राजनीतिक दलों मेें होड़ सी मची हुई है सवाल यह है कि वर्षों बाद क्या डॉ. अम्बेडर को लेकर कार्यक्रमों के आयोजन से उन मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी, जिनके लिये अंबेडकर संघर्ष करते रहे, अधिकांश राजनीतिक दलों ने डॉ. अम्बेडकर के विचारों को कभी प्रमुखता नहीं दी, आखिर आज अचानक क्यों वे अम्बेडकर का गुणगान करने में लगे हुए हैं वर्षों से बिसारे हुए डॉ. अम्बेडकर अचानक क्यों याद आ रहे हैं, क्या दलित मतदाता चुनाव जिताने की जरूरी शर्त बन गए हैं। वर्षों से दलित मतदाताओं का मोह कांग्रेस सहित सभी पार्टियों से भंग हो गया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अचानक उत्तरप्रदेश में होनेवाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अचानक डॉ. अम्बेडकर का दामन थामकर उत्तरप्रदेश के दलित मतदाताओं को अपनी ओर लुभाने की पहल की है, यह उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में सत्ता की सीढ़ी दलितों के समर्थन से चढ़ी जाती है जिसका जीता जागता उदाहरण हैं मायावती, मायावती अभी तक दलितों के वोट बैंक के समर्थन के  भरोसे सत्ता की पायदान हासिल करती रही हैं, यही सब सोचकर अब भाजपा ने भी डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है, देखना अब यह है कि उसके इस प्रयास में उसे कितनी सफलता मिलती है और यह भी देखना है कि सत्ता की खातिर भाजपा और किन पार्टियों के नेताओं का सहारा आगे ले सकती है कि नहीं?

हालांकि पिछले दिनों भाजपा की केन्द्रीय सरकार के मुखिया मोदी के सहयोगी रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्वर्गीय इंदिरा गांधी की तारीफ करके यह संकेत तो दे दिये हैं कि यदि समय आया तो सत्ता की खातिर वह इंदिरा गांधी की भी जयजयकार कर सकते हैं, फिलहाल बात वोट की राजनीति की है जिसके कारण आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर के गुणगान गाने और अन्य नारों को छोड़कर जय भीम के नारे लगाने की ओर भाजपा कदम बड़ा रही है, सवाल यह भी उठता है कि क्या वह दीनदयाल और पं. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की तरह डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सिद्धांतों को भी अपनाएगी। हालांकि इस बात को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं तो वहीं लोग अम्बेडकर जी के वह वाक्य सूत्रों को जोड़कर यह कहते नजर आ रहे हैं कि क्या डॉ. अम्बेडकर ने जो कहा था वह भाजपा अपनाएगी कि नहीं यह अलग बात है डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि भारत जैसे देश में संभव है कि लोकतंत्र में तानाशाही आ जाए, राजनीति में भविष्य या व्यक्ति पूजा तानाशाही की ओर जाने वाली होती है सामाजिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र बेकार है,

राजनीति में उदारवाद और समानता के रास्ते पर चलना होगा, देखना अब यह है कि भाजपा डॉ. अम्बेडकर के इस कथन को कितना अंगीकार करती है या नहीं यह तो भविष्य बतायेगा। आज जिन डॉ. अम्बेडकर को भाजपा अंगीकार करने जा रही है उन्हीं अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकारों पर तो प्रदेश भारतीय जनता पार्टी हनन करने में लगी हुई है, जिन अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में देश के नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी गई है लेकिन भाजपा सरकार के प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के राज्य में उन्हीं अंबेडकर के लिखे संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं जिनकी १२५वीं जयंती पर उनकी जयजकार करने जा रही है। लेकिन दूसरी ओर उन्हीं के संविधान में दिये गये भारतीय नागरिकों को प्रदत्त अधिकारों में लगातार कटौती करने में लगी हुई है तभी तो राज्य में शिक्षा की क्या स्थिति है और सरकार की नीतियों के चलते सरकारी स्कूलों में नहीं निजी स्कूलों में लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो वहीं आज डॉ. अंबेडकर की दलित वोट की खारित जयजयकार लगाने वाले भाजपाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में उन्हीं अम्बेडकर के संविधान में दिये गये नागरिकों के प्रदत्त अधिकार स्वास्थ्य जैसी सेवाओं को नि:शुल्क प्रदान करने की बजाए राज्य के २७ जिलों की स्वास्थ्य सेवाएं भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के इशारे पर गुजरात के दीपक फ ाउंडेशन को सौंप दी गई हैं और जिसकी पहल ठेठ आदिवासी जिला अलीराजपुर से शुरू हो गई है, कुछ दिनों बाद यह व्यवस्था प्रदेश के २६ जिलों में लागू हो जाएगी, संविधान में प्रदेश के नागरिकों को नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराये जाने की भी व्याख्या है लेकिन प्रदेश में पानी की क्या स्थिति है यह वह भुक्तभोगी बता सकता है जिसे मीलों चलकर अपनी जरूरी कामकाज के लिये पानी लाना पड़ रहा है और पानी को लेकर राज्य की आधे से ज्यादा आबादी में त्राही त्राही मची हुई है।

एक ओर जहां डॉ. अम्बेडकर के द्वारा लिखित संविधान में प्रदत्त नागरिकों के अधिकारों में भाजपा सरकार कटौती कर रही है तो दूसरी ओर वोट की खातिर जय भीम बोलने की तैयारी में लगी हुई है, इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। जहां तक दलित वोट की खातिर डॉ. अम्बेडकर का दामन थामने में यह सरकार लगी हुई है इसको लेकर लोगों में यह चर्चा भी व्याप्त है कि डॉ. अम्बेडकर ने सिस्टम में भ्रष्ट आचरण के बारे में जो बाद कही थी क्या वह अब इस प्रदेश में लागू होगी, डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि कभी देश जब सोने की चिडिय़ा था तो पहले मुगलों ने लूटा, फिर अंग्रेजों ने और आज हमारे सिस्टम के लोग ही हमें लूटने में लगे हैं, देश भ्रष्टों का गड़ बन गया है सरकारों में रिकार्ड तोड़ घोटाले उजागर हो रहे हैं। अधिकारी व को-आपरेट जगत ने संसाधनों को लूटा, काली कमाई को बाहर छिपा दिया,

आज भले ही वोट की खातिर भाजपा के नेता अम्बेडकर का दामन थामने और जय भीम के नारे लगाने की तैयारी में लगे हुए हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या अम्बेडकर के द्वारा सिस्टम के भ्रष्ट आचरण ने छीन ली आजादी, काले धन में अव्वल जैसे वाक्यों को भी अपनाकर प्रदेश में चहुंओर फेल रही भ्रष्टाचार और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के साथ-साथ राजनेताओं द्वारा जिस तरह से कालेधन को बढ़ावा दिया जा रहा है उस पर क्या अंकुश लगाए सकेगी तभी उसका अम्बेडकर की जय-जय बोलने का काम सार्थक होता दिखाई देगा।     

Thursday, April 14, 2016

प्रदेश में रोज़ाना 60 युवतियां हो रहीं हैं ग़ायब

Toc news
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि प्रदेश में 60 युवतियां रोजाना गायब हो रही हैं. प्रदेश में 13 महिलाओं से रोजाना दुष्कर्म और 2 महिलाओं से रोज गैंगरेप होता है.

साढ़े नौ हजार महिलाएं लापता

मध्यप्रदेश विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में नया खुलासा हुआ है. गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने बताया कि फरवरी 2015 से जनवरी 2016 के बीच 26 हजार 997 महिलाओं की मानव तस्करी, अपहरण और गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से 11 हजार 262 नाबालिग थीं, जिसमें से 17 हजार 491 की मिल चुकी हैं. इन मामलों में 4 हजार 726 आरोपियों को घर, मोहल्ले, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन सहित अन्य जगहों से गिरफ्तार किया गया है. बाकि 506 महिलाओं के बारे में पता नहीं चल सका है.।

Tuesday, April 12, 2016

फ्रांस में अब पैसे देकर नहीं, पैसे लेकर सेक्‍स करने की मिली छूट

Toc news
फ्रांस में वैश्यावृति पर रोक लगाने के लिए संसद में एक नया कानून पास किया गया है। इस कानून के तहत इस देश में अब पैसे देकर सेक्‍स करने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन पैसे लेकर सेक्‍स करने की छूट पूरी तरह से मिल गई। साथ ही अब सेक्स के बदले भुगतान करने वाले शख्स को 3750 यूरो (2,84,752 रुपए) तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। पहली बार पकड़े जाने पर सजा के तौर पर 1500 यूरो का जुर्माना होगा।

पेरिस : फ्रांस में वैश्यावृति पर रोक लगाने के लिए संसद में एक नया कानून पास किया गया है। इस कानून के तहत इस देश में अब पैसे देकर सेक्‍स करने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन पैसे लेकर सेक्‍स करने की छूट पूरी तरह से मिल गई। साथ ही अब सेक्स के बदले भुगतान करने वाले शख्स को 3750 यूरो (2,84,752 रुपए) तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। पहली बार पकड़े जाने पर सजा के तौर पर 1500 यूरो का जुर्माना होगा। अगर कोई व्यक्ति दोबारा अपराध करते पकड़ा जाता है तो जुर्माने की रकम बढ़ जाएगी।

इस कानून का मकसद विदेशी दलालों के नेटवर्क को तोड़ना और उन यौनकर्मियों की मदद करना है जो इस पेशे से बाहर आना चाहते हैं। इस विवादस्पद कानून को फ्रांस की संसद में पास होने में दो साल से ज्यादा का वक्त लगा है और इसपर फ्रांसीसी संसद के दोनों सदनों (नेशनल एसेंबली और सीनेट) के बीच काफी मतभेद रहे हैं। विधेयक पर अंतिम बहस के दौरान यौनकर्मियों के समूह ने पेरिस में संसद के सामने प्रदर्शन भी किया।

स्ट्रॉस सेक्स वर्कर्स यूनियन के सदस्यों के मुताबिक, इस कानून से लगभग 30 से 40 हजार यौनकर्मियों की जीविका पर सीधे असर पड़ेगा। समर्थकों का मानना है कि इसके लागू होने से अवैध देह व्यापार करने वाले गिरोहों के नेटवर्क से लड़ने में मदद मिलेगी। कानून के मुताबिक, ऐसी विदेशी यौनकर्मी जो देह व्यापार छोड़ कोई अन्य काम करन�

शौचालय बनाने में भी अन्य राज्यों से पीछे हमारा प्रदेश

भोपाल @ toc news
अवधेश पुरोहित । राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के नाम पर हर घर में शौचालय बनाने का जो अभियान चल रहा है उसकी भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यह स्थिति है कि इसमें भी आंकड़ेबाजी का खेल जारी है, राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान की बनी एक वेबसाइट पर फोटो डालकर भले ही गुजरात से आगे बढऩे का दावा किया जा रहा हो लेकिन स्थिति यह है कि इस मामले में प्रदेश सरकार अन्य राज्यों की तुलना में पांचवें स्थान पर है, इस मामले में पश्चिम बंगाल पहले नम्बर पर तो कर्नाटक दूसरे नम्बर पर वहीं राजस्थान तीसरे तो उत्तरप्रदेश चौथे तो मध्यप्रदेश पांचवें स्थान पर है,

इस योजना के तहत राज्य में १५ जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य अभी काफी पीछे है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर के अलावा भोपाल, विदिशा जो कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान का गृह जिला खंडवा के साथ-साथ देवास भी शामिल है जिस राज्य में भाजपा सत्ता और संगठन के मुखिया के जिलों में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत बनाये जा रहे.

शौचालयों के मामले में यह स्थिति हो तो इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी योजनाओं के क्या हाल होंगे, राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जहां मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में ५३८६ शौचालय निर्धारित शौचालय के लक्ष्य से कम हैं, तो वहीं संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान के जिले में ११५३४ शौचालय लक्ष्य से कम बने हैं। स्वच्छता अभियान के अंतर्गत जो लक्ष्य इस प्रदेश के जिलों को दिया गया उसमें सबसे ज्यादा दुर्गति तो अलीराजपुर की है, जहां ७३७७३ शौचालय लक्ष्य के अनुसार नहीं बन पाए।

जिलों में शौचालय बनाने के नाम पर दिये गये लक्ष्य में यदि किसी जिले की स्थिति अच्छी है तो वह है राजगढ़ जहां लक्ष्य से १५६ शौचालय अभी बनना शेष है, उसके बाद दूसरा नम्बर आता है रतलाम का जहां अभी ६२६ शौचालय बनना बाकी हैं जिलों में शौचालय बनाने की स्थिति में राज्य में स्वच्छता अभियान के द्वारा दिये गये लक्ष्य के अनुसार शौचालय नहीं बनाये जाने के मामले में नम्बर एक पर सर्वाधिक लक्ष्य से पिछड़े जिले की श्रेणी में शिवपुरी का नम्बर है जहां १२०३४८ शौचालय बनना शेष हैं। रीवा में भी २५६६१ तो वहीं झाबुआ में २४०७३, छतरपुर में ४३३५, भोपाल में ४९६३, विदिशा में ३५१८, बड़वानी में ३०६३, नरसिंहपुर में २१६७, देवास में २०३६, बैतूल में १६८१३ लक्ष्य के अनुसार शौचालय का निर्माण नहीं हो सका। स्वच्छता अभियान के मामले में बनाये जा रहे शौचालय के संबंध में नियंत्रण महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में इन हालात पर प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि योजना शुरू होने के बाद  वर्ष २०११-१२ और २०१३-१४ में खुले में शौच से मुक्त बनने के लिए तय लक्ष्य वर्ष २०२२ तक निर्मल भारत बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप ही था। कैग ने पाया कि ७६.१५ पंचायतों का लक्ष्य था लेकिन मात्र एक हजार पंचायतेंं यानि १३ प्रतिशत में ही यह हो पाया, मार्च २०१४ तक २३००००६ पंचायतों में से महज चार प्रतिशत पंचायतों में ही खुले में शौच बंद होने की स्थिति बन गई। कैग ने जांच में पाया कि पंचायत का ग्रामीण विकास विभाग ने मर्यादा अभियान में ठेकेदारों के जरिए काम कराया, जबकि इसकी अनुमति नहीं थी। नमूना जांच में शामिल २३१ पंचायतों में से २२१ में पाया गया कि व्यक्तिगत शौचालय पंचायत के जरिए बनवाए गए जबकि योजना ने हितग्राहियों को खुद सामग्री खरीदकर पसंद के मुताबिक शौचालय बनवाने थे। 

भाजपा ने वोट की खातिर अम्बेडकर का थामा दामन

भोपाल @ toc news
अवधेश पुरोहित। भारतीय जनसंघ की स्थापना से लेकर भाजपा के वर्तमान नेतृत्व की नीतियों को देखकर तो यही बात साफ होती है कि भाजपा के नेता वोट के लिए कुछ भी कर सकते हैं फिर चाहे उन्हें अपनी ही पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ नेताओं को किनारे क्यों न करना पड़े। अभी तक भाजपा के नेता कभी दीनदयाल तो कभी श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नामों को लेकर उनकी नीतियों का बखान कर अपने आपको अन्य पार्टियों से अलग मानने का दावा किया करते थे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि भाजपा का वर्तमान नेतृत्व अब दीनदयाल और श्यामाप्रसाद मुखर्जी का नहीं बल्कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर का दामन थामने जा रही है,

सत्ता की भूख और उस पर काबिज होने की खातिर ऐसा लगता है तो आने वाले दिनों में यदि जरूरत पड़ी तो कांग्रेस के नेताओं जिनमें जवाहरलाल नेहरु या इंदिरा गांधी का भी दामन थाम सकते हैं, इसके संकेत भी पिछले दिनों रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्वर्गीय इंदिरा गांधी की नीतियों की तारीफ करते हुए दे दिये हैं। लोकतंत्र में वोट का महत्व क्या होता है यह भारतीय जनता पार्टी की समझ में आ रहा है तभी तो इस वोट की खातिर अपनी हर नीतियों में परिवर्तन करने में इस पार्टी के नेता लगे हुए हैं, तभी तो भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री नंदकुमार सिंह चौहान अब यह कहने लगे हैं कि कांग्रेसियों ने डॉ. अम्बेकर की अनदेखी की है, पता नहीं नंदकुमार चौहान का इस तरह का कथन से यह बात साफ हो जाताी है कि अब भाजपा वोट की खातिर अम्बेडकर का दामन थामने जा रही है। 

लुटेरों की रिपोर्ट पर टी आई जवा द्वारा विद्यालय के प्राचार्य एंव शिक्षकों के विरूद्ध झूंठा प्रकरण दर्ज किया गया

Toc news
रीवा। शनिवार को सुबह साढ़े 9 बजे अशासकीय जवा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जवा में गृह परिक्षाएं संचालित थी उसी समय सजायाफ्ता पूर्व प्राचार्य शिवबालक अपने अपराधी साथियों के साथ विद्यालय परिसर में आकर तोडफ़ोड़ करने लगे एवं प्रचार्य के कक्ष का ताला तोड़कर आलमारी कुर्सी एवं कागजात उठा ले गए।

सूचना मिलने पर प्रभारी प्राचार्य रामनिवास तिवारी मौके पर पहुंचे तो उन्हें भी गाली गलौच कर जान से मारने की धमकी देते हुए मारने दौड़े, रामनिवास तिवारी जवा थाने में पहुंचकर मुंसी के पास अपनी रिपोर्ट लिखवाई जिसमें हल्का-फुल्का मुकदमा दर्ज किया गया बाद में विद्यालय ने उत्पात करने वाले लोगों ने टी आई जवा से सांठ-गांठ करके फर्जी रिपोर्ट कराई और प्रभारी प्राचार्य एवं शिक्षकों तथा उसके रिश्तेदारों के विरूद्ध फर्जी प्रकरण दर्ज कर लिया गया। जवा के टीआई द्वारा लगातार अपराधियों को संरक्षण देने के कारण उनके हौसले बुलंद हैं और आए दिन घटनाएं करते रहते हैं।

विद्यालय के प्राचार्य के तरफ से एवं अध्यक्ष के तरफ से बीसों रिपोर्ट थाने में अभी तक की जा चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी विद्यालय में पठन-पाठन में व्यवधान करने के कारण शिवबालक पाण्डेय एवं विश्वनाथ द्विवेदी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने का पत्र टीआई को लिखा था किन्तु आज तक पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्यवाही न करने से विद्यालय की समिति का नुकसान तो हुआ ही छात्रों के पठन-पाठन में शिक्षकों के साथ र्दुव्यवहार होता रहता है। और आज की यह घटना पुलिस की निष्कृयता का परिणाम है उल्टा पुलिस विद्यालय प्रबंधन की मदद के बजाए अपराधियों के संरक्षण में लगा हुआ है। इस घटना से पुलिस की निंदा होती है साथ ही विद्यालय के कर्मचारी भयभीत है। इस समय पुलिस कप्तान को स्वयं वास्तवीकता का पता लगाकर आदतन अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही की आवश्यकता है।

मोदी और शिवराज की लोकप्रियता में आई कमी

भोपाल @ toc news
अवधेश पुरोहित। भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही यह दावा करें कि भाजपा शासित केन्द्र की सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है तो वहीं मध्यप्रदेश के भाजपा नेता मुख्यमंत्री को सर्वाधिक लोकप्रिय मानते हैं यह अलग बात है तो कभी सिंहस्थ तो कभी प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर समिटों के आयोजन के नाम पर विदेशों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पकड़ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं स्थिति यह है कि सिंहस्थ जो कि धार्मिक आयोजन है और जिस आयोजन के लिए कोई प्रचार-प्रसार की जरूरत नहीं है, लेकिन इस सिंहस्थ के प्रचार में ७० करोड़ रुपए खर्च कर इसे धार्मिक आयोजन के बजाय कारपोरेट आयोजन का स्वरूप दिया जा रहा है।

हालांकि इस प्रचार का उद्देश्य केवल और केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज सिंह चौहान की छवि बनाना एकमात्र उद्देश्य है तभी तो थल से लेकर नभ तक सिंहस्थ के प्रचार में करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं इसके बावजूद भी न तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर लोग अब एक आवाज में किसी समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हैं और ना ही शिवराज के आगामी १४ अप्रैल को भाजपा वोट की खातिर अपने नेताओं को जिनकी वह आज तक दुहाई दिया करते थे उनको विसार कर अब दलित वोटों पर सेंध लगाने के लिए डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है और उन्हीं के जन्मदिन पर महू में होने वाले आयोजन के लिए अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए सरकार ने हर तरह के संसाधन लगा दिये हैं आम जनता के इन दोनों नेताओं के प्रति घटते आकर्षण की वजह से अब भीड़ जुटाने के लिए सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को महू लाने का जिम्मा अधिकारियों को सौंपा गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री की लोकप्रियता कम हुई है तो वहीं मोदी का भी अब प्रभाव धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है।

महू में १४ अप्रैल को होने वाले आयोजन के लिए सरकार जिस तरह से भीड़ जुटाने के लिए परेशान नजर आ रही है उससे तो यही नजर आ रहा है कि अब लोगों में स्वैच्छा से इन नेताओं के दर्शन और भाषण सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है, यह अलग बात है कि इसी भाजपा के एक सर्वमान्य नेता हुआ करते थे जिनके भाषण सुनने के लिए भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ता और सभी सम्प्रदाय के लोगों में उत्सुकता रहती थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिजारी वाजपेयी को सुनने के लिए केवल सूचना मात्र से ही भीड़ इकट्ठी हो जाया करती थी लेकिन अब भाजपा में ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है जिसकी दम पर अब यह चुनाव मैदान में उतर सके तभी तो दलित वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए डॉ. अम्बेडकर का सहारा भाजपा द्वारा लिया जा रहा है यदि ऐसी ही स्थिति बनती रही तो यह फिर भाजपा अब इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरु का भी वोट की खातिर उनका दामन थामने में हिचकेंगे नहीं ऐसे संकेत पिछले दिनों केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा इंदिरा गांधी की तारीफ करने से नजर आने लगा है,

इसका मूल कारण है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी ने इस देश की जनता को कभी १५ लाख रुपये प्रत्येक नागरिक के खाते में जमा करने, काला धन वापस लाने और महंगाई से निजात दिलाने जैसे तमाम वादे किये थे उन  लुभावने वादों के झांसे में आकर देश के मतदाताओं ने भाजपा को भारी बहुमत से विजयश्री दिलाई थी लेकिन भाजपा शासन के इन दो सालों के कार्यकाल में ऐसा कुछ नजर नहीं आया और न ही मोदी और भाजपा के लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए लुभावने वाले धरातल पर उतरते नजर आए शायद यही वजह है कि अब लोगों का मोदी की प्रति आकर्षण खत्म होता नजर आ रहा है तभी तो मोदी के नाम पर हो रहे १४ अप्रैल को महू के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए शासकीय संसाधनों का उपयोग कर भीड़ जुटाने में भाजपा के नेता लगे हुए हैं।  

प्रदेश के अन्नदाता को बदनाम करने की साजिश

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के नेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात मानववाद को सूत्र मानकर अभी तक भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा करते थे कि पं. दीनदयाल जी के सपनों के अनुसार हर सरकारी योजना का लाभ प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, यह अलग बात है कि तमाम सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों और प्रचार तंत्र के माध्यम से खूब ढोल पीटा गया, लेकिन प्रदेश में चल रही किसी भी योजना का लाभ राज्य के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाया, जिसका जीता जागता उदाहरण है तमाम गरीबों के उत्थान के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के बावजूद भी प्रदेश की ७५ प्रतिशत आबादी का गरीबी रेखा के नीचे होना।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल सात करोड़ ३३ लाख की आबादी में से पांच करोड़ ४४ लाख लोगों को सरकार एक रुपये प्रतिकिलो गेहूं, चावल और नमक उपलब्ध करा रही है, इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर हो जाता है कि राज्य में चल रही तमाम योजनाओं का लाभ दीनदयाल जी के सपनों के अनुरूप अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाने में यह सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है मजे की बात यह है कि सरकार की रुचि गरीबों के हितों में चलाई जा रही योजनाओं को अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाने में नहीं बल्कि प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक शराब की खपत बढ़ाने में ज्यादा नजर आ रही है,

तभी तो राज्य सरकार की तमाम सरकारी नीति असफल होने के बावजूद भी ११वीं बार शराब दुकानों की नीलामी के लिए टेंडर बुलाए गए इसके बावजूद भी शराब विक्रेता प्रदेश में शराब दुकान लेने को तैयार न हीं है यदि यही स्थिति रही तो राज्य में अब सरकार स्वयं शराब की बिक्री करेगी, कुल मिलाकर शराब की बिक्री बढ़ाकर राजस्व प्राप्त करने की जिस तरह से राज्य सरकार की नीति चल रही है उससे तो यह साफ जाहिर है कि सरकार प्रदेश के लोगों को शराब का आदि बनाने पर तुली हुई है, यही नहीं इस नीति के चलते सरकार प्रदेश के अन्नदाताओं जिनकी दम पर उसे कई अवार्ड मिल चुके हैं। अब प्रदेश के उन अन्नदाताओं को बदनाम करने में पीछे नजर नहीं आ रही है तभी तो राज्य के वित्तमंत्री जयंत मलैया यह कहने में नहीं हिचक रहे हैं कि प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से फसल खराब होने के कारण शराब की बिक्री में कमी आई है।

इस तरह के बयान से यह साफ जाहिर हो जाता है कि उनकी नजरों में प्रदेश का अन्नदाता अन्य वर्गों की तुलना में अधिक शराब का सेवन करता है। कुल मिलाकर प्रदेश के अन्नदाता को शराबी होने का प्रमाण पत्र देने में यह सरकार तुली हुई है। जहां तक कांग्रेस शासन की तुलना में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान जहां तक शराब की बिक्री की यदि बात करें तो २००३ से लेकर आज तक इस प्रदेश में भाजपा शासनकाल के दौरान शराब की बिक्री कई गुना अधिक हो रही है, २००३ में देसी शराब की खपत इस प्रदेश में ७४० लाख लीटर थी अब यह खपत भाजपा के शासनकाल में बढ़कर २५४३ लाख लीटर हो गई है, लगभग यही स्थिति विदेशी शराब की खपत के मामले में है ११०३.६९ के स्थान पर विदेशी शराब की खपत १४३९.९९ लीटर तक पहुंच गई है,

शासन की नीतियों से तो यह साफ जाहिर है कि यह सरकार अपने राजस्व बढ़ाने की खातिर लोगों को शराबी बनाने पर तुली हुई है शराब कारोबार की  राज्य में यह स्थिति है कि १३ प्रतिशत लोग रोजाना शराब पीते हैं, जबकि ३० प्रतिशत लोग पूरे देश में शराब पीते हैं, चार से १३ प्रतिशत लोग नियमित शराब पीते हैं, खपत के मामले में भारत तीसरा बड़ा देश है, जहां हर साल छ: से आठ प्रतिशत की रफ्तार से शराब पीने की  लोगों में लत बढ़ रही है। शराब पीने के कारण २० प्रतिशत लोग मौत की गिरफ्त में आ रहे हैं, ०४ गुना खपत देसी शराब की और विदेशी शराब की पांच गुना जबकि बीयर की  ११ प्रतिशत खपत पिछले सालों में बढ़ी है,

राज्य सरकार की लोगों को शराबी बनाने की नीति के चलते राज्य में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर १.३ दुकान शराब की हैं, प्रदेश में कुल २७३७ देशी मदिरा की तो वहीं ९३७ विदेशी मदिरा की दुकानें हैं वहीं मध्यप्रदेश में इनकी औसतन संख्या पांच है।  कुल मिलाकर राज्य सरकार इस बात पर तुली हुई है कि वह जैसे भी हो इस प्रदेश के नागरिकों को शराबी बना दिया जाये, इस नीति के चलते राज्य में भले ही दस बजे के बाद बच्चों को पिलाने के लिए दूध नहीं मिले लेकिन आधी रात तक शराब की दुकानों से लोगों को शराब उपलब्ध हो रही है, यही नहीं लोगों में बढ़ रही नशाखोरी की आदत के चलते लोगों के घरों में आयेदिन पत्नी और बच्चों के साथ शराबियों द्वारा मारपीट की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है

 राज्य में शराब के आदि बूढ़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे हैं ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की शराब की बिक्री बढ़ाने की रुचि को देखकर यह साफ नजर आ रहा है कि यह सरकार प्रदेश में दूध की नदियां नहीं बल्कि शराब की बाढ़ लाने पर जुटी हुई है तो वहीं राज्य के वित्तमंत्री प्रदेश में इस वर्ष शराब की खपत कम होने की वजह राज्य के अन्नदाताओं की फसलों को नुकसान होना बताकर आखिर क्या सांदेश देना चाहते हैं, पहले ही आपदाओं के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या करने का जो सिलसिला इस राज्य में जारी है उन किसानों की मौत का कारण भी राज्य सरकार ज्यादा शराब का सेवन तो बताने में भी नहीं हिचक रही है, देखना अब यह है कि सरकार शराब की बिक्री की नीति के चलते राज्य को किस ओर ले जाएगी। 

सोशल मीडिया पर असत्य व भ्रामक सन्देश डालने पर होगी कड़ी कार्यवाही कलेक्टर श्री कियावत ने दिए निर्देश

Toc news
उज्जैन 10 अप्रैल 2016 । सोशल मीडिया पर असत्य एवं भ्रामक सन्देश डालने पर आई. टी. एक्ट की धाराओं के अंतर्गत कड़ी कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियायत ने ये निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि कोई भी व्यक्ति वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया पर अनधिकृत, असत्य , भ्रामक अथवा लोक शांति को भंग करने वाला कोई भी सन्देश प्रसारित न करें। साथ ही यदि ऐसा कोई सन्देश आता है, तो उसे दूसरे को फारवर्ड भी न करे, अन्यथा कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत सख्त कार्यवाही होगी।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन के हवाले से एक अनधिकृत, असत्य एवं भ्रामक पोस्ट वाट्सएप पर की गई प्रकाश में आई है, जिसमें सिंहस्थ के दौरान उज्जैन आने वाले यात्रियों को अपने पास अपने परिचय पत्र रखने की अनिवार्यता बताई गई है। जिला प्रशासन द्वारा ऐसा कोई आदेश, सन्देश अथवा विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। जिन भी व्यक्तियों द्वारा उक्त सन्देश वाट्सएप पर प्रसारित किया गया है, उनके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।

Friday, April 8, 2016

भारत में लॉन्च हुआ फीमेल 'वेलवेट' कंडोम

Toc news
नई दिल्ली केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा ने भारत में स्वदेशी रूप से विकसित प्राकृतिक लेटेक्स आधारित महिला कंडोम को मंगलवार को औपचारिक रूप से लांच किया. एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (एचएलएल) के द्वारा ‘वेलवेट’ ब्रांड नाम से निर्मित इस गर्भनिरोधक को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन में लांच किया गया. सम्मेलन का विषय था – ‘नए विकल्प, नए क्षितिज.’

नड्डा ने कहा, “महिला कंडोम पूरी सुरक्षा प्रदान करते हैं और महिलाओं को सुरक्षित यौन संबंध पर अधिक नियंत्रण प्रदान करते हैं. महिला कंडोम महिलाओं को सशक्त बनाता है. यह महिला की पहल वाली एकमात्र गर्भनिरोधक विधि है जो गर्भ धारण से रोकथाम के साथ- साथ एचआईवी / एड्स से भी दोहरी सुरक्षा प्रदान करता है. ”

उन्होंने कहा, “इसकी मदद से महिलाएं संतानोत्पत्ति की प्रक्रिया पर अपना नियंत्रण रख सकती हैं और इस तरह से वह समाज एवं परिवार में अपनी भूमिका तय कर सकती हैं. गर्भनिरोधक की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण साधन साबित हो सकता है और देश की बढ़ती आबादी को नियंत्रित कर सकता है.”

इस वर्ष के आयोजन का एक अनूठा पहलू ‘परिवार नियोजन बाजार’ था जिसका उद्देश्य परिवार नियोजन में सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों का प्रदर्शन करना और गर्भनिरोधक विकल्पों और प्रमुख कार्यक्रमों का प्रदर्शन करना है.

एचएलएल के ‘वेलवेट’ ब्रांड वाले महिला कंडोम ने हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से पूर्व अर्हता प्राप्त की है. महिला कंडोम गर्भधारण और संक्रमण दोनों से सुरक्षा प्रदान करता है और सेक्स के दौरान महिलाओं को सुरक्षा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है. उत्पाद का शैल्फ जीवन पांच वर्ष का है. यह प्रभावकारिता और विश्वसनीयता दोनों में पुरुष कंडोम के समान है.

महिला कंडोम के नये लेटेक्स संस्करण की डिजाइन तैयार कर ली गयी है और इसे केरल में तिरुवनंतपुरम स्थित एचएलएल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र के वैज्ञानिकों के द्वारा स्वदेश में ही पूरी तरह से विकसित किया गया है.

वेलवेट को इस वर्ष 2016 मार्च में डब्ल्यूएचओ और यूएनएफपीए द्वारा पहले ही योग्य करार दे दिया गया था और एचएलएल दुनिया भर में महिला कंडोम के चार पूर्व योग्य आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.

वेलवेट को विश्व स्तर की विनिर्माण सुविधा के साथ एचएलएल के द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है. इसकी क्षमता प्रति वर्ष ढाई करोड़ कंडोम निर्माण करने की है. इस सुविधा को आईएसओ 9001 आईएसओ 13485, आईएसओ 14001 और आईएसओ 18001 जैसे प्रमाणपत्र प्रदान किए गए हैं. इसे यूरोपीय संघ (सीई) और दक्षिण अफ्रीका (एसएबीएस) के उत्पाद प्रमाणपत्र भी हासिल हैं.

एचएलएल ने कांफिडम ब्रांड नाम से 2006 में भारत में पॉलीयूरेथेन से बने पहली पीढ़ी के महिला कंडोम की शुरूआत की. नाइट्राइल रबर से बने दूसरी पीढ़ी के महिला कंडोम को 2008 से वितरित किया गया. प्राकृतिक रबर लेटेक्स में अपनी विशेषज्ञता के साथ, इसने 2010 में सबसे सस्ते महिला कंडोम को विकसित करना शुरू किया. इसका परिणाम अब वेलवेट महिला कंडोम के शुभारंभ के रूप में है.

हंसी मजाक शानदार चुटकुले

Ye lo DHAMAKA:
टीचर - बताओ रोज बादाम खाने से क्या होगा।
:
:
:
:
स्टुडैंट - बादाम खतम हो जाएंगे ।
😛
______________________________
टीचर - छोटी मधुमक्खी तुम्हे क्या देती है?
बच्चे - शहद!
टीचर - पतली बकरी?
बच्चे - दूध!
टीचर - और मोटी भैंस?
बच्चे - होमवर्क!
.
.
.
.
दे...थप्पड़ पे थप्पड़....
___________________________________
टीचर-पप्पू एक स्टोरी सूनाओ with moral...!!!
.
पप्पू -मैने उसको फोन किया...!!!
वो सो रही थी...!!!
फिर...!!!
उसने मुझे फोन किया...!!!
मैं सो रहा था...!!!
.
Moral - जैसी करनी वस भरनी...!!!

._________________________________
🐞2 काकरोच ICU में एक दूसरे के बगल के बेड पर जख्मी हालत में एडमिट थे...
एक ने दूसरे से पूछा... Hit या चप्पल??
दूसरे ने जवाब दिया....नही यार, ये लडकियाँ भी देख देख कर इतना चिल्लाती हैं,
कि हार्ट अटैक आ गया..
________________________ 😛😅
मुकेश अम्बानी : अगर मै सुबह से
अपनी कार में निकलू तो शाम तक
अपनी आधी प्रॉपर्टी भी नहीं देख
सकता
संता : हमारे पास भी ऐसी खटारा
कार थी। .... बेच दी:-P
__________________________________
: आदमी मछर से :- "दिन में क्यों काट रहे हो ..."😕😕
.
मच्चर :- "ओवरटाइम कर रहा हु साहब माँ -बाप
बीमार है ...घर में जवान बहन है और लड़केवालों ने
दहेज़ में 1 लीटर खून माँगा ह;-) :-Pै

____________________________ 😜😜😜😜
वो उदास बैठे पानी मे पत्थर मार रहे था
एक मेढक निकल कर बोला
पानी मे आ तेरी उदासी उतारू साले
अपनी वाली के चक्कर मे
मेरी वाली का सिर फोड दिया। 😂😂😂;-)
🎃🎃🎃🎃🎃🎃🎃🎃
_______________________________
Teacher: A B C सुनाओ..
संता: A B C
Teacher: और सुनाओ...
संता: और सब बढियां, आप सुनाओ! 😜😜😜;-)
__________________________________😊😊
एक आदमी ने फेसबुक पे स्टेटस डाला, "आज मैं छत पर सोऊँगा !"
फिर क्या था.....
... पन्द्रह मच्छरों ने लाइक कर दिया..!!!
😜😜😜😂😃😀😃😀😂😂😇

छिंदवाड़ा कलेक्टर श्री जे के जैन से सौजन्य भेंट कर आइसना ने चैत्र नवरात्रि एवं हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दी

छिंदवाड़ा- मध्यप्रदेश में पत्रकारों का सबसे बड़ा राष्ट्रीय स्तरीय पत्रकार संगठन "आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन" (आइसना)  छिंदवाड़ा इकाई आइसना साथियों ने आज जिले के नवागत कलेक्टर श्री जे के जैन से सौजन्य भेंट कर चैत्र नवरात्रि एवं हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दी।इस दौरान पत्रकार गण संजय भारद्वाज आइसना संयोजक , प्रकाश जयसवाल, रामकुमार ठाकुर, राजेश तांत्रिक, सतीश नागवंशी, सावन पाल, आशीष मालवी, करन विश्वकर्मा, हफ़ीज़ मंसूरी, राजेन्द्र अग्रवाल, दिलीप अहिरवार, पृथ्वी चौरिया, सहित पत्रकार बंधू मौजूद थे. सभी को आइसना परिवार की ओर से शुभकामनाएं
विनय डेविड